बेजगह की विडम्बना: अच्युतानंद मिश्र
पंक्तियाँ भी कविता से कटकर, सन्दर्भ च्युत होकर कहीं की नहीं रहतीं. वरिष्ठ कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेजगह’ कुछ इसी ...
पंक्तियाँ भी कविता से कटकर, सन्दर्भ च्युत होकर कहीं की नहीं रहतीं. वरिष्ठ कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेजगह’ कुछ इसी ...
असमति के इस दूसरे अंक में विनोद दास, लीलाधर मंडलोई, नवल शुक्ल, सविता सिंह, पवन करण, प्रभात, केशव तिवारी, प्रभात ...
कवि-आलोचक अच्युतानंद मिश्र की इन नयी कविताओं में उदासी और निराशा का व्यक्तिगत से अधिक कालगत सन्दर्भ है. यह इस ...
कविताएँ प्रतीकों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें बदल भी देती हैं और उनके सामने प्रतिरोध में खड़ी भी हो जाती ...
अच्युतानंद मिश्र की बीसवीं शताब्दी के मुख्य चिंतकों पर आधारित चिंतनपरक किताब ‘बाज़ार के अरण्य में’ इसी वर्ष आधार प्रकाशन ...
कार्ल मार्क्स मूलतः दार्शनिक थे, जिनकी चिंता समाज को समझने के साथ उसे बदलने की थी. धर्मों के उदय, प्रभाव ...
अच्युतानंद मिश्र कवि हैं और सैद्धांतिक आलोचना के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. आधार प्रकाशन से उनकी किताब ‘बाज़ार के ...
मुक्तिबोध फिर चर्चा में हैं. उनकी मृत्यु के बाद जो चर्चा चली थी उसमें उन्हें एक बड़े कवि के रूप ...
जर्मन-अमेरिकी दार्शनिक, समाजशास्त्री और राजनीतिक चिंतक हर्बर्ट मार्क्युज़ (Herbert Marcuse, July 19, 1898 – July 29, 1979)फ्रैंकफर्ट स्कूल के सिद्धांतकार ...
एडोर्नो (Theodor W. Adorno, September 11, 1903 – August 6, 1969) बीसवीं सदी के प्रसिद्ध दार्शनिक, समाज-वैज्ञानिक और संस्कृति- आलोचक ...
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