मैं असहमत: कविताएँ
समालोचन ‘असहमति की सौ कविताएँ’ के अपने विशेष अंक का यह पहला हिस्सा प्रस्तुत कर रहा है. इसमें सच, साहस ...
समालोचन ‘असहमति की सौ कविताएँ’ के अपने विशेष अंक का यह पहला हिस्सा प्रस्तुत कर रहा है. इसमें सच, साहस ...
‘मज़ाक़’ कवि कुमार अम्बुज का दूसरा कहानी संग्रह है जिसे इसी साल ‘राजपाल एन्ड सन्ज़’ ने प्रकाशित किया है. 2008 ...
बीसवीं शताब्दी को प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हॉब्सबॉम ने अतियों का युग (The Age of Extremes) कहा है. 21वीं शताब्दी में ...
लेखन, प्रकाशन, संपादन, संस्था-निर्माण और बहुविध आयोजनों की परिकल्पना और संचालन में अशोक वाजपेयी पिछले छह दशकों से सक्रिय हैं. ...
भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने ३५ वर्ष की अल्प आयु में हिंदी और साहित्य के लिए जो कुछ किया है उसके आधार ...
नामवर सिंह, मैनेजर पाण्डेय को ‘आलोचकों का आलोचक’ कहते हैं. पर इसके साथ ही मैनेजर पाण्डेय के यहाँ समकालीन रचनाशीलता ...
तुलसी राम से अरुण देव की बातचीत आप जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के अन्तर-राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान में पिछले कई सालों ...
उपनिवेश और हिन्दी कहानी अरुण देव हिन्दी में कहानी के उदय और विकास के दूसरे निहितार्थ भी हैं. बनारस पर ...
फैज़ अहमद फैज़ : शब और सहर का शायर अरुण देव “उन्होंने परम्परा से केवल उतना ही हटाने की कोशिश ...
कहानी और राष्ट्र की परछाइयाँ अरुण देव 2010 में पीपुल्स पब्लिशिंग हॉउस (प्रा.) लि. ने श्रेष्ठ साहित्य प्रकाशन योजना के ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum