पंडित बिरजू महाराज पर के. मंजरी श्रीवास्तव का संस्मरणात्मक-आलेख आपने देखा- ‘मेरे बिरजू महाराज’. नृत्य प्रस्तुतियों को सहृदय किस तरह...
Read moreभारतीय नृत्य के प्रतीक कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का पिछले दिनों 17 जनवरी (२०२२) को देहावसान हो गया. वह...
Read moreनाटककार और वरिष्ठ रंगकर्मी रतन थियाम (जन्म: 20 जनवरी 1948, मणिपुर) से रंगमंच और कलाओं में सौन्दर्यबोध की अवधारणा को...
Read moreविश्व के महानतम निर्देशकों में से एक रूस के आंद्रेई तारकोवस्की द्वारा निर्देशित फ़िल्मों के काव्यत्व की चर्चा होती रही...
Read moreकुमार अम्बुज विश्व सिनेमा से कालजयी चलचित्रों पर इधर लिख रहें हैं, कहना यह चाहिए कि उनके समानांतर लिख रहें...
Read moreवृद्ध होना केवल दैहिक परिवर्तन नहीं है, यह और भी बहुत कुछ है- परिवार और समाज में तेजी से स्थितियां...
Read moreकवि कुमार अम्बुज हिंदी में फ़िल्मों पर सृजनात्मक ढंग से लिखने वाले कुछ गिने चुने लेखकों में शामिल हैं. मर्गेरीट...
Read moreविनोद कुमार शुक्ल ने पीयूष दईया से संवाद (समालोचन पर प्रकाशित) में फ़िल्मकार मणि कौल के विषय में यह कहा...
Read moreसत्यदेव त्रिपाठी फ़िल्मों और रंगमंच पर वर्षों से लिखते रहें हैं, इन विषयों पर उनकी कई क़िताबें प्रकाशित हुईं हैं....
Read moreअभिनेता दिलीप कुमार की प्रसिद्धि असाधारण थी, वह अद्वितीय हैं. जिस तरह से उनके व्यक्तित्व में गहराई है उसी तरह...
Read moreसमालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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