आलेख

नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल

नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल

नारीवाद आधुनिक विश्व के कुछ महत्वपूर्ण विचारों में से एक है, यह जनांदोलन भी है और राजनीति भी. समानता, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा जैसे मूल्यों से उपजे इसी नारीवाद...

ग़ालिब की शुरुआती शायरी पर एक अधूरी नज़र: सच्चिदानंद सिंह

ग़ालिब की शुरुआती शायरी पर एक अधूरी नज़र: सच्चिदानंद सिंह

सच्चिदानंद सिंह ग़ालिब के गम्भीर अध्येता हैं. ग़ालिब पर केन्द्रित यह उनका चौथा आलेख है इससे पहले आपने ‘दस्तंबू’, ‘ग़ालिब की दिल्ली’ तथा ‘समलैंगिक कामुकता की रवायत और ग़ालिब’ पढ़े...

रामचरितमानस का बालकाण्ड: प्रवीण कुमार

रामचरितमानस का बालकाण्ड: प्रवीण कुमार

महाकाव्य मनुष्यों की उदात्तकथाएं हैं, चरित्रों में देवत्व आरोपित हो जाने पर उनके प्रणय आदि पर कम ध्यान जाता है, पर ये प्रसंग कहीं-न-कहीं से अपनी चमक बिखेर ही देते...

मैनेजर पाण्डेय: अशोक वाजपेयी

मैनेजर पाण्डेय: अशोक वाजपेयी

आचार्य रामचंद्र शुक्ल से विकसित तथा रामविलास शर्मा से आगे बढ़ती हिंदी आलोचना की परम्परा ही मैनेजर पाण्डेय की परम्परा है. साहित्य की सामाजिकता के वह हिंदी ही नहीं भारत...

बाघ और सुगना मुंडा की बेटी: महेश कुमार

बाघ और सुगना मुंडा की बेटी: महेश कुमार

आदिवासी साहित्य चिंतन की बारीकियों को खोलता हुआ अध्येता महेश कुमार का यह आलेख कवि अनुज लुगुन की लम्बी कविता ‘बाघ और सुगना मुंडा की बेटी’ के सहारे आगे बढ़ता...

उत्तराखण्ड में नवलेखन-7: बटरोही

उत्तराखण्ड में नवलेखन-7: बटरोही

उत्तराखण्ड की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को समझने, सहेजने और नयी पीढ़ी में उसके अंकुरण को पहचानने का जैसा उद्यम वरिष्ठ लेखक बटरोही ने इधर किया है वह रेखांकित करने...

खोए  हुए मगध में  एक घायल आवाज़: आशुतोष दुबे

खोए  हुए मगध में  एक घायल आवाज़: आशुतोष दुबे

श्रीकांत वर्मा की कविताओं ने इधर समकालीन अर्थवत्ता प्राप्त की है. शासक और सत्ता की आंतरिक विडम्बनाओं को जिस तीखे ढंग से उनकी कविताओं ने रेखांकित किया है, वह अपूर्व...

रामविलास शर्मा का कला-सौन्दर्य सम्बन्धी चिंतन: रविभूषण

रामविलास शर्मा का कला-सौन्दर्य सम्बन्धी चिंतन: रविभूषण

रामविलास शर्मा का लेखन विस्तृत है और विषयों में विविधता है. बड़े अर्थों में वह संस्कृति के आलोचक हैं. सौन्दर्य और कला विषयक चिंतन का विस्तार करते हुए उसे उन्होंने...

गांधी और तत्कालीन हिंदी पत्रिकाएँ:  सुजीत कुमार सिंह

गांधी और तत्कालीन हिंदी पत्रिकाएँ: सुजीत कुमार सिंह

महात्मा गांधी ने सिर्फ़ राजनीतिक परिवर्तन का रास्ता ही प्रशस्त नहीं किया भारतीय समाज को सत्य, करुणा और बराबरी के वैश्विक मूल्यों से जोड़ने का भी प्रयास किया. सच्चे अर्थों...

उत्तराखण्ड में नवलेखन-6: बटरोही

उत्तराखण्ड में नवलेखन-6: बटरोही

विज्ञान और वैज्ञानिक चेतना दोनों के प्रचार प्रसार की कितनी आवश्यकता भारत को है इसे बताने के आवश्यकता नहीं है. व्यक्तिगत प्रयासों से वैज्ञानिक चेतना और विज्ञान को नई पीढ़ी...

Page 2 of 24 1 2 3 24

फ़ेसबुक पर जुड़ें

पठनीय पुस्तक/ पत्रिका

इस सप्ताह