आलेख

कहानी और विचार: अंजली देशपांडे

कहानी और विचार: अंजली देशपांडे

‘पानी से न लिखना पत्थर पे कोई नाम’ (अनुराधा सिंह), ‘ठेकेदार की आत्मकथा’ (आकांक्षा पारे काशिव) तथा ‘रहस्यों के खुरदुरे पठार’ (किंशुक गुप्ता) को पढ़ते हुए वरिष्ठ लेखिका अंजली देशपांडे...

वीरेन्द्र नारायण: एक रंगकर्मी का सफर:  विमल कुमार

वीरेन्द्र नारायण: एक रंगकर्मी का सफर: विमल कुमार

स्वतंत्रता सेनानी और रंगकर्मी वीरेंद्र नारायण की जन्मशती का आरम्भ 16 नवम्बर से हो रहा है. इस अवसर पर देशभर में वर्ष भर वीरेंद्र नारायण से सम्बन्धित आयोजन होंगे. उनके...

‘हासिल’ यानी ‘आदमी की निगाह में औरत’: राकेश बिहारी

‘हासिल’ यानी ‘आदमी की निगाह में औरत’: राकेश बिहारी

राजेन्द्र यादव की चर्चित कहानी ‘हासिल’ और उनके विवादास्पद आलेख ‘होना/सोना एक खूबसूरत दुश्मन के साथ’ के बीच क्या सम्बन्ध है? क्या यह कथा ही बाद में विचार में ढल...

‘गोदान’ में राय साहब का धनुष-यज्ञ: रविभूषण

‘गोदान’ में राय साहब का धनुष-यज्ञ: रविभूषण

हिंदी के वरिष्ठ आलोचक रविभूषण बुद्धिजीवियों की ज़िम्मेदारी समझते हैं. इसी शीर्षक से उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुई है जिसमें साहित्य और समाज के व्यापक सरोकारों से सम्बन्धित आलेख संकलित...

यून फ़ुस्से: बेआवाज़ का बोलना: तरुण भटनागर

यून फ़ुस्से: बेआवाज़ का बोलना: तरुण भटनागर

2023 के संभावित नोबेल विजेताओं में चीन की लेखिका कैन जू (Can Xue), जापान के उपन्यासकार हारुकी मुराकामी, भारतीय मूल के सलमान रुश्दी और कीनिया के न्गुगी वा थ्योंगो आदि...

महात्मा गांधी और वैश्विक मानववाद: ज्योतिष जोशी

महात्मा गांधी और वैश्विक मानववाद: ज्योतिष जोशी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व, संघर्ष और दर्शन के इतने आयाम हैं कि सम्यक रूप से अभी भी इन्हें समझा नहीं जा सका है. जटिल, बहुकोणीय समय में उनकी केन्द्रीय...

कठिन लोक में साहित्य का कच्चा ठीहा: अनूप सेठी

कठिन लोक में साहित्य का कच्चा ठीहा: अनूप सेठी

महानगरों से हटकर कस्बों और छोटे शहरों में भी स्थानीय लेखकों और नवांकुरों की साहित्यिक सरगर्मियों से आबाद साहित्य के स्वायत्त ठीहे होते थे. बचे होंगे कुछ अभी भी. यह...

अरुण कमल की कविता: निरंजन सहाय

अरुण कमल की कविता: निरंजन सहाय

अभियोग को सवाल की तरह पूछते रहना चाहिए. ख़ुद से भी. यह दुनिया असंख्य प्रश्न चिह्नों के सिवा है क्या? वरिष्ठ कवि अरुण कमल अपने शिल्प में सौम्य दिखते भले...

समय की मलिनताओं को निहारते कुँवर नारायण: ओम निश्‍चल

समय की मलिनताओं को निहारते कुँवर नारायण: ओम निश्‍चल

कुँवर नारायण प्रार्थना के कवि हैं. दैनंदिन के अवरोधों से मुठभेड़ के लिए आवश्यक जीवन-विवेक और साहस के कवि. ये मनुष्यता की अभ्यर्थना में लिखी गयीं कविताएँ हैं. इसमें नकार...

बीसवीं सदी : जैसी, मैंने देखी : नामवर सिंह

बीसवीं सदी : जैसी, मैंने देखी : नामवर सिंह

बीसवीं सदी को प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हाब्सबाम ‘अतियों का युग’ कहते हैं. एक भारतीय के लिए बीसवीं सदी के क्या मायने हैं? इसी सदी में हम उपनिवेश से मुक्त हुए....

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