नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल
नारीवाद आधुनिक विश्व के कुछ महत्वपूर्ण विचारों में से एक है, यह जनांदोलन भी है और राजनीति भी. समानता, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा जैसे मूल्यों से उपजे इसी नारीवाद...
नारीवाद आधुनिक विश्व के कुछ महत्वपूर्ण विचारों में से एक है, यह जनांदोलन भी है और राजनीति भी. समानता, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा जैसे मूल्यों से उपजे इसी नारीवाद...
सच्चिदानंद सिंह ग़ालिब के गम्भीर अध्येता हैं. ग़ालिब पर केन्द्रित यह उनका चौथा आलेख है इससे पहले आपने ‘दस्तंबू’, ‘ग़ालिब की दिल्ली’ तथा ‘समलैंगिक कामुकता की रवायत और ग़ालिब’ पढ़े...
महाकाव्य मनुष्यों की उदात्तकथाएं हैं, चरित्रों में देवत्व आरोपित हो जाने पर उनके प्रणय आदि पर कम ध्यान जाता है, पर ये प्रसंग कहीं-न-कहीं से अपनी चमक बिखेर ही देते...
आचार्य रामचंद्र शुक्ल से विकसित तथा रामविलास शर्मा से आगे बढ़ती हिंदी आलोचना की परम्परा ही मैनेजर पाण्डेय की परम्परा है. साहित्य की सामाजिकता के वह हिंदी ही नहीं भारत...
आदिवासी साहित्य चिंतन की बारीकियों को खोलता हुआ अध्येता महेश कुमार का यह आलेख कवि अनुज लुगुन की लम्बी कविता ‘बाघ और सुगना मुंडा की बेटी’ के सहारे आगे बढ़ता...
उत्तराखण्ड की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को समझने, सहेजने और नयी पीढ़ी में उसके अंकुरण को पहचानने का जैसा उद्यम वरिष्ठ लेखक बटरोही ने इधर किया है वह रेखांकित करने...
श्रीकांत वर्मा की कविताओं ने इधर समकालीन अर्थवत्ता प्राप्त की है. शासक और सत्ता की आंतरिक विडम्बनाओं को जिस तीखे ढंग से उनकी कविताओं ने रेखांकित किया है, वह अपूर्व...
रामविलास शर्मा का लेखन विस्तृत है और विषयों में विविधता है. बड़े अर्थों में वह संस्कृति के आलोचक हैं. सौन्दर्य और कला विषयक चिंतन का विस्तार करते हुए उसे उन्होंने...
महात्मा गांधी ने सिर्फ़ राजनीतिक परिवर्तन का रास्ता ही प्रशस्त नहीं किया भारतीय समाज को सत्य, करुणा और बराबरी के वैश्विक मूल्यों से जोड़ने का भी प्रयास किया. सच्चे अर्थों...
विज्ञान और वैज्ञानिक चेतना दोनों के प्रचार प्रसार की कितनी आवश्यकता भारत को है इसे बताने के आवश्यकता नहीं है. व्यक्तिगत प्रयासों से वैज्ञानिक चेतना और विज्ञान को नई पीढ़ी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2022 समालोचन | powered by zwantum