मार्क्सवाद का नवीकरण: चंचल चौहान
बारीकी और सावधानी से जब मुद्रित पाठ को देखा जाता है तब उसके संरचनात्मक और वैचारिक दोनों अंतर्विरोध खुल कर सामने आते हैं. यह कृति से संवाद का खुला तरीका...
बारीकी और सावधानी से जब मुद्रित पाठ को देखा जाता है तब उसके संरचनात्मक और वैचारिक दोनों अंतर्विरोध खुल कर सामने आते हैं. यह कृति से संवाद का खुला तरीका...
कवि के रूप में पंकज सिंह की चर्चा कम हुई है. उनपर प्रकाशित आलेखों में उनकी उपस्थिति इतनी जीवंत रहती है कि उनका कवि-कर्म पार्श्व में चला जाता है. उन्हें...
२१वीं सदी की हिंदी की समलैंगिक कहानियों की गहरी पड़ताल करते हुए लेखिका अंजली देशपांडे ने एलजीबीटीक्यू विमर्श को इस आलेख में ठोस आधार दिया है. गम्भीरता से इस विषय...
‘सिर्फ़ यही थी मेरी उम्मीद’ प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के गद्य का संचयन है जिसे वाणी ने 2021 में प्रकाशित किया था. आज मंगलेश डबराल की पुण्यतिथि है. उनके स्मरण...
‘पानी से न लिखना पत्थर पे कोई नाम’ (अनुराधा सिंह), ‘ठेकेदार की आत्मकथा’ (आकांक्षा पारे काशिव) तथा ‘रहस्यों के खुरदुरे पठार’ (किंशुक गुप्ता) को पढ़ते हुए वरिष्ठ लेखिका अंजली देशपांडे...
स्वतंत्रता सेनानी और रंगकर्मी वीरेंद्र नारायण की जन्मशती का आरम्भ 16 नवम्बर से हो रहा है. इस अवसर पर देशभर में वर्ष भर वीरेंद्र नारायण से सम्बन्धित आयोजन होंगे. उनके...
राजेन्द्र यादव की चर्चित कहानी ‘हासिल’ और उनके विवादास्पद आलेख ‘होना/सोना एक खूबसूरत दुश्मन के साथ’ के बीच क्या सम्बन्ध है? क्या यह कथा ही बाद में विचार में ढल...
हिंदी के वरिष्ठ आलोचक रविभूषण बुद्धिजीवियों की ज़िम्मेदारी समझते हैं. इसी शीर्षक से उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुई है जिसमें साहित्य और समाज के व्यापक सरोकारों से सम्बन्धित आलेख संकलित...
2023 के संभावित नोबेल विजेताओं में चीन की लेखिका कैन जू (Can Xue), जापान के उपन्यासकार हारुकी मुराकामी, भारतीय मूल के सलमान रुश्दी और कीनिया के न्गुगी वा थ्योंगो आदि...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व, संघर्ष और दर्शन के इतने आयाम हैं कि सम्यक रूप से अभी भी इन्हें समझा नहीं जा सका है. जटिल, बहुकोणीय समय में उनकी केन्द्रीय...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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