स्त्री -चेतना : अज्ञात हिंदू महिला: रोहिणी अग्रवाल
पेंटिग : अमृता शेरगिलभारतेंदु काल में लेखिका ‘एक अज्ञात हिन्दू महिला’ \'सीमंतनी उपदेश\' (1882) लिखती हैं जो उस समय की सोच से आगे की रचना थी. यह किताब एक सदी...
पेंटिग : अमृता शेरगिलभारतेंदु काल में लेखिका ‘एक अज्ञात हिन्दू महिला’ \'सीमंतनी उपदेश\' (1882) लिखती हैं जो उस समय की सोच से आगे की रचना थी. यह किताब एक सदी...
वर्चस्व की सभी सत्ताओं के समानांतर प्रतिरोध और असहमति का प्रति संसार भी है. लम्बे अंतराल में उनके रूप बदल गए, वे अब रूपकों के रूप में सुरक्षित हैं. परिवार,समाज,धर्म,...
2017 के लिए साहित्य का प्रतिष्ठाप्राप्त सम्मान ‘ज्ञानपीठ’ हिंदी की महत्वपूर्ण लेखिका कृष्णा सोबती को कल प्रदान किया गया जिसे उनकी तरफ से अशोक वाजपेयी ने ग्रहण किया. अस्वस्थ होने...
by Solvyng 1799समकालीन हिंदी कथा-साहित्य पर आधारित स्तम्भ –‘भूमंडलोत्तर कहानी’ के अंतर्गत आशुतोष की कहानी – ‘अगिन असनान’ की विवेचना आप आज पढ़ेंगे. यह कहानी ‘सती’ के बहाने समाज के उस हिंसक...
(आभार : मनीष गुप्ता)समालोचन का ‘भाष्य’ कृतियों की व्याख्या, पुनर्व्याख्या, पुर्नमूल्यांकन आदि का स्तम्भ है. हिंदी कविता को समझने के लिए उसकी जटिलता, शब्द लाघव, अर्थछबियाँ, बहु स्तरीयता, वैचारिकी आदि...
(Cavan Ó Raghallaigh is a father, a spouse, a political activist and a transgender man)कथाकार किरण सिंह की कहानी ‘संझा’ दो लिंगों में विभक्त समाज में उभय लिंग (ट्रांसजेंडर) की त्रासद उपस्थिति...
अज्ञेय सम्पूर्ण रचनाकार थे. कवि, उपन्यासकार, कहानीकार, संपादक, पत्रकार, गद्य लेखक आदि, अपनी बहुज्ञता और विविधता में जयशंकर प्रसाद की याद दिलाते हुए. उनकी एक प्रसिद्ध कहानी है गैंग्रीन जो...
हिंदी कथा के अनूठे स्तम्भ ‘भूमंडलोत्तर कहानी’ के अंतर्गत कथा-आलोचक राकेश बिहारी पिछले तीन वर्षों से समकालीन कथा – साहित्य की विवेचना- विश्लेषण का कार्य पूरी गम्भीरता से कर रहे...
युवा कथा आलोचक राकेश बिहारी के स्तम्भ ‘भूमंडलोत्तर कहानी विमर्श’ के अंतर्गत आपने- 1. ‘लापता नत्थू उर्फ दुनिया न माने’ (रवि बुले)2. ‘शिफ्ट+ कंट्रोल+आल्ट = डिलीट’ (आकांक्षा पारे)3. ‘नाकोहस’(पुरुषोत्तम अग्रवाल)4. ‘अँगुरी में डसले बिया...
आलोचना की २१ वीं सदी की जो पहचान हिंदी में निर्मित हुई है, उसमें शामिल युवा आलोचकों में बजरंग बिहारी तिवारी का नाम प्रमुखता से उभर कर सामने आया है....
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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