जेम्स ज्वायस : द डेड : प्रमोद कुमार शाह
जेम्स ज्वायस की ‘द डेड’ कहानी का शिव किशोर तिवारी द्वारा किया गया अनुवाद आपने यहीं पढ़ा था. कहानी आकार में बड़ी है और अर्थ में भी. इसका अनुवाद भी...
जेम्स ज्वायस की ‘द डेड’ कहानी का शिव किशोर तिवारी द्वारा किया गया अनुवाद आपने यहीं पढ़ा था. कहानी आकार में बड़ी है और अर्थ में भी. इसका अनुवाद भी...
प्रसिद्ध आलोचक और तुलनात्मक साहित्य के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान हरीश त्रिवेदी का यह मानना है कि भारत के विषय में अंग्रेजी में जितने भी उपन्यास अब तक लिखे गये...
गजानन माधव मुक्तिबोध (1917-1964) की कालजयी कविता ‘अँधेरे में’ के अनेक पाठ हैं. उसे तरह-तरह से समझा गया है. कालजयी कविताओं की यह विशेषता ही होती है कि उसमें बहुत...
जब इतिहास करवट बदलता है, साहित्य भी अंगड़ाई लेता है. दबे स्वर सुनाई पड़ने लगते हैं. हिंदी साहित्य के इतिहास में प्रमुखता से स्त्री स्वर जो मीरां बाई का था,...
हिंदी में ‘भूखी पीढ़ी’ कविता का ज़िक्र होता रहा है. हिंदी के कई कवि इससे प्रभावित भी थे. पर इसका अधिक प्रभाव बांग्ला साहित्य पर हुआ. मलय रायचौधुरी द्वारा इसकी...
साठ पार कर चुके केशव तिवारी के चार कविता संग्रह- ‘इस मिट्टी से बना’, ‘आसान नहीं विदा करना’, ‘तो काहे का मैं’ और ‘नदी का मर्सिया तो पानी ही गाएगा’...
कुमार अम्बुज की कविताओं पर विचार करते हुए विष्णु खरे ने एक जगह लिखा है कि ‘उनके पास डीएसएलआर कैमरे से व्यक्तियों, वस्तुओं, दृश्यों के कई तकनीकों और कोणों से...
वर्षों से विनय सौरभ की कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही हैं. उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उनका पहला संग्रह ‘बख़्तियारपुर’ इस वर्ष राजकमल से प्रकाशित हुआ...
ब्रह्मांड ही यात्रा पर है. गंगा की तरह बहता रहता है आकाश. जैसे यात्रा स्वभाव हो. मनुष्य की सभ्यता यात्राओं से निर्मित हुई है. ज्ञान की यात्रा भी. बुद्ध के...
अपने ‘गहन काव्यात्मक गद्य’ के लिए ख्यात 53 वर्षीय कोरियाई लेखिका हान कांग का 2024 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए नाम जब सामने आया, लेखिका की ही तरह...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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