उपन्यास के भारत की स्त्री (दो) : आशुतोष भारद्वाज
(by Annem Zaidi)उपन्यासों के उदय को राष्ट्र-राज्यों की निर्मिति से जोड़ कर देखा जाता है. ‘वंदे मातरम्’ उपन्यास की ही देन है. आशुतोष भारद्वाज भारत के प्रारम्भिक उपन्यासों में स्त्री...
(by Annem Zaidi)उपन्यासों के उदय को राष्ट्र-राज्यों की निर्मिति से जोड़ कर देखा जाता है. ‘वंदे मातरम्’ उपन्यास की ही देन है. आशुतोष भारद्वाज भारत के प्रारम्भिक उपन्यासों में स्त्री...
( by Rabindranath Tagor)उपन्यासों को आधुनिक युग का महाकाव्य कहा जाता है. आधुनिकता, जनतंत्र और राष्ट्र-राज्यों के उदय से उनका गहरा नाता है, स्त्रियों की सामजिक गतिशीलता के बगैर उपन्यास संभव...
हिंदी का दलित साहित्य अब कलमी पौधा न होकर एक भरा पूरा वृक्ष है. सिर्फ आत्मकथाएं नहीं, उपन्यास, कहानी, कविता, अनुवाद आलोचना सभी क्षेत्रों में आत्मविश्वास और परिपक्वता दिखती है....
स्मरण गजानन माधव मुक्तिबोध (१३ नवम्बर १९१७ – ११ सितम्बर १९६४) मुक्तिबोध को दिवंगत हुए पांच दशक...
१०० वर्ष पूर्व प्रकाशित ‘सेवासदन’ को कथाकार प्रेमचंद का ‘पहला मुख्य उपन्यास’ माना जाता है, इस शताब्दी वर्ष में इसका गंभीर विवेचन-विश्लेषण होना चाहिए. ‘Illegitimacy of Nationalism: Rabindranath Tagore and...
रामविलास शर्मा बड़े आलोचक हैं, १९४३ तक वह एक उदीयमान कवि भी थे. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने ‘तार सप्तक’ में उन्हें इसीलिए शामिल भी किया था. हालाँकि रामविलास शर्मा...
अच्युतानंद मिश्र कवि हैं और सैद्धांतिक आलोचना के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. आधार प्रकाशन से उनकी किताब ‘बाज़ार के अरण्य में’ इस वर्ष प्रकाशित हुई है. कविता क्या है ?...
By The News Minuteआधुनिक दलित साहित्य की पहली दस्तक कविता के माध्यम से सुनी गयी, १९१४ में ‘सरस्वती’ में हीरा डोम की कविता ‘अछूत की शिकायत’ प्रकाशित हुई थी. तब...
मलखान सिंह, ओमप्रकाश वाल्मीकि और जय प्रकाश लीलवान समकालीन हिंदी दलित कविता के महत्वपूर्ण कवि हैं. जय प्रकाश लीलवान के ‘अब हमें ही चलना है’ (2002), ‘नए क्षितिजों की ओर’(2009),...
यह महीना हजारीप्रसाद द्विवेदी का है. ११० वर्ष पहले इसी महीने के १९ वीं तारीख को बलिया जिले के ‘दुबे का छपरा’ गाँव में आपका जन्म हुआ था. आचार्य द्विवेदी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum