हिंदी के श्रेष्ठ उपन्यासों में फणीश्वरनाथ रेणु का उपन्यास ‘मैला आँचल’ स्वीकृत है. १९५४ में प्रकाशित यह उपन्यास अपनी चेतना,...
महान जर्मन लेखक गुंटर ग्रास (१६ अक्तूबर १९२७-१३ अप्रैल २०१५) का भारत से गहरा रिश्ता था. उनकी विख्यात कृति ‘त्सुंगे...
प्रेम, प्रकृति और पुनर्वास का त्रिकोण राकेश बिहारी <!--> पुस्तक : हत्या की पावन...
बरीस पास्तेरनाक और अन्ना अख़्मातवा के समकालीन विद्रोही कवि ओसिप मन्देलश्ताम से हिंदी अल्प परिचित है. न केवल उनका लेखन...
अविनाश मिश्र अपने पद्य और गद्य दोनों से लगातार ध्यान खींच रहे हैं. उनके लिखे की प्रतीक्षा रहती है. उनकी...
भूमंडलोत्तर कहानी की विवेचना क्रम में इस बार आलोचक राकेश बिहारी ने जयश्री रॉय की कहानियों में ‘कायान्तर’ का चयन...
माधव हाड़ा की आलोचना पुस्तक ‘पचरंग चोला पहर सखी री’ जो भक्तिकाल की कवयित्री मीरा बाई के जीवन और समाज...
लोठार लुत्से (Lothar Lutze) सिर्फ अनुवादक नहीं थे, वह भाषाओं के बीच पुल थे, साहित्य संवाहक थे, संस्कृतियों के जीवंत...
clare parkस्त्रियाँ पैदा नहीं होती, समाज उन्हें निर्मित करता है. बायोलाजिकल विभेद से अलग जो भी अंतर एक स्त्री को...
चन्दन पाण्डेय अपनी पीढ़ी के प्रतिनिधि कथाकार हैं. उनके तीन कहानी संग्रह ‘भूलना’, ‘इश्कफरेब’ और ‘जंक्शन’ प्रकाशित हैं. ज्ञानपीठ नवलेखन...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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