अनिल करमेले अपनी कल्पनाशील कविता पोस्टरों से आजकल दिन की शुरुआत करते हैं,कविता को उसके पाठकों तक पहुंचाने का यह...
प्रयोगधर्मी आख्यान- ‘नींद नहीं जाग नहीं’ के बाद कवि अनिरुद्ध उमट की क़िताब ‘वैदानुराग’ इधर प्रकाशित हुई है. उमट आत्मीय...
गाँधीवादी और प्रसिद्ध पर्यावरणवादी सुन्दरलाल बहुगुणा जैसे लोग सदियों में तैयार होते हैं, उनपर किसी भी समाज...
लालबहादुर वर्मा से मेरा पहला परिचय उनकी क़िताब ‘यूरोप का इतिहास’ (पुनर्जागरण से क्रांति तक) से हुआ जब मैं १८...
हिन्दी के युवा कथाकार कहानी के कथ्य और शिल्प में साहसिक प्रयोग कर रहें हैं, यहीं से कहानी का...
इस अकाल बेला में हिंदी के कथाकार राधाकृष्ण की याद उमड़ी है, हैजा महामारी में हो रही मौतों पर आधारित...
साहित्य अपने काल में धंस कर लिखा जाता है और अगर उसमें दम होगा तो वह अपने काल को पार...
इज़ाबेल अलेंदे (चीले,१९४२) लातिन अमेरिकी कथा-जगत की मशहूर हस्ती हैं, उन्हें मार्केज़ और नेरुदा से प्रभावित माना जाता है, स्त्री...
महामारियां व्यवस्था की आपराधिक ख़ामियों को कत्ल-ए-आम मचाकर डरावने ढंग से उजागर करती हैं, यह मनुष्य की लोभ और...
‘खिलाड़ी दोस्त तथा अन्य कविताएँ’ के बारह साल बाद हरे प्रकाश उपाध्याय का यह दूसरा कविता-संग्रह- ‘नया रास्ता’ रश्मि प्रकाशन...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum