कविता

आमिर हमज़ा की कुछ नयी कविताएँ

आमिर हमज़ा की कुछ नयी कविताएँ

आमिर हमज़ा द्वारा संपादित पुस्तक ‘क्या फ़र्ज़ है कि सबको मिले एक सा जवाब’ अभी हाल ही में हिंदी युग्म से प्रकाशित हुई है. उनके कविता संग्रह की भी प्रतीक्षा...

दीप्ति कुशवाह की कविताएँ

दीप्ति कुशवाह की कविताएँ

नासामुक्ता, कर्णफूल, मेखला, कंठहार, चूड़ामणि, वलय, बाहुबंद, नूपुर, ग्रीवासूत्र, मुद्रिका जैसे आभूषणों पर लिखी दीप्ति कुशवाह की ये कविताएँ देश और काल की यात्रा करती हैं. अलंकृत के तन को...

शंकरानंद की कविताएँ

शंकरानंद की कविताएँ

लोक गीतों में लोक अपने को गाता है. एक ऐसा गान जिसके कोरस में सबके कंठ शामिल रहते हैं. कवि शंकरानंद ने अपने गाँव में पाँच दशकों से लोक गीत...

रुस्तम की नयी कविताएँ

रुस्तम की नयी कविताएँ

वरिष्ठ कवि रुस्तम की इन कविताओं को प्रेम कविताएँ कह सकते हैं. यह प्रेम गहरा है और इसलिए थिर. हलचल अंदर है. फूल से अधिक उनकी स्मृतियाँ हैं. अगर वे...

चरवाहे की कविताएँ : केतन यादव

चरवाहे की कविताएँ : केतन यादव

चरवाहों ने सभ्यता को बहुत कुछ दिया है. पशुओं के साथ चारे की तलाश में वे भटकते थे और सपने देखते थे. चरवाहों के गीतों की लम्बी परम्परा है. भारत...

सविता सिंह की नयी कविताएँ

सविता सिंह की नयी कविताएँ

सविता सिंह की इन नयी कविताओं में शहर है जो छूट गया था, दोस्त हैं जिनकी छवियाँ बदल गई हैं. बर्फ से ढकी उदासी है और स्मृतियाँ के पन्ने बीच...

ज्ञानेन्द्रपति की नयी कविताएँ

ज्ञानेन्द्रपति की नयी कविताएँ

किसी कवि की परम्परा कितनी लम्बी कितनी गहरी हो सकती है इसे जानना हो तो ज्ञानेन्द्रपति की कविताएँ पढ़नी चाहिए. प्रस्तुत इन चार कविताओं में भारतीय परम्परा का समूचा ज्ञानकाण्ड...

कौशलेन्द्र की कविताएँ

कौशलेन्द्र की कविताएँ

सूर्य जब कलाओं में उदित होता है, लगता है जैसे पहली बार उसे हम देख रहे हैं. कविता निकट में रंग भरकर नवीन कर देती है. जीवन घिसा और बदरंग...

गिरिराज किराडू: अक्टूबर 2024

गिरिराज किराडू: अक्टूबर 2024

हिंदी साहित्य में गिरिराज किराडू की उपस्थिति संपादन और आयोजन में नवाचारी है. उत्सवधर्मिता और अंतर-भाषाई सूझबूझ के साथ वे इसे समुन्नत करते रहे हैं. एक कवि के रूप में...

राजेन्द्र राजन की  कविताएँ

राजेन्द्र राजन की कविताएँ

समय की शिला पर कवि अपना समय भी लिखता है. अनिद्रा वैसे तो अच्छी बात नहीं पर जब हाहाकार उठ रहा हो कोई सो भी कैसे सकता है. ओढ़ी हुई...

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