बुलडोज़र: कविताएँ
कविताएँ प्रतीकों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें बदल भी देती हैं और उनके सामने प्रतिरोध में खड़ी भी हो जाती हैं. आज बुलडोजर सिर्फ़ यंत्र नहीं है, वह सत्ता के...
कविताएँ प्रतीकों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें बदल भी देती हैं और उनके सामने प्रतिरोध में खड़ी भी हो जाती हैं. आज बुलडोजर सिर्फ़ यंत्र नहीं है, वह सत्ता के...
नेहल शाह, फ़िजिओथेरेपिस्ट हैं, भोपाल में रहती हैं. कविताएँ लिखतीं हैं और कला के क्षेत्र में रुचि रखती हैं. उनकी कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं.
हिंदी में असंगतता (Absurd) के साहित्य के प्रस्तोता भुवनेश्वर की अपनी ख़ुद की कहानी कम त्रासद नहीं है. विराट प्रतिभाएं किस तरह नष्ट कर दी जाती हैं, इसके वे अचूक...
असम राज्य के सुदूर कार्बी आंगलोंग जिले से हिंदी में कविता लिखने वाले चन्द्र मोहन का परिचय बस इतना ही है- ‘फिलहाल खेती बाड़ी, इधर उधर काम’. उनकी कविताएँ भी...
पारुल पुखराज का एक कविता संग्रह प्रकाशित है, उनकी कविताएँ मंतव्य में मुखर नहीं रहतीं अपने दृश्य में खुलती हैं. स्वर उनका धीमा है और सधा हुआ है. उनकी कुछ...
हिंदी के सुपरिचित कवि बोधिसत्व की इन ग्यारह कविताओं में कविता की अपनी शक्ति तो दिखती ही है प्रतिरोध का उसका साहस भी प्रखरता से सामने आता है. प्रकृति, स्त्री,...
शेषनाथ पाण्डेय की कुछ कविताएँ और कहानियां प्रकाशित हुईं हैं. उनकी लम्बी कविता ‘सफ़ेद के सातों रंग’ प्रस्तुत है. इसमें प्रेम के अनेक रंग मिले हुए हैं.
‘मधुमती’ पत्रिका के यशस्वी संपादक ब्रजरतन जोशी कविताएँ भी लिखते हैं. शब्द और भाषा पर केन्द्रित उनकी कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं.
अविनाश नयी पीढ़ी के रचनाकार हैं, कुछ कहानियाँ और एक उपन्यास प्रकाशित है. उनकी कुछ नयी कविताएँ प्रस्तुत हैं.
हरि मृदुल की कविताएँ पहाड़ की थाप पर थिरकती हैं, वहां की हवा, बहता पानी और लोक-कंठ उनकी कविताओं में आते हैं. स्मृतियाँ हैं जो महानगर में कवि को बरबस...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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