कविता

गिरिराज किराडू: अक्टूबर 2024

गिरिराज किराडू: अक्टूबर 2024

हिंदी साहित्य में गिरिराज किराडू की उपस्थिति संपादन और आयोजन में नवाचारी है. उत्सवधर्मिता और अंतर-भाषाई सूझबूझ के साथ वे इसे समुन्नत करते रहे हैं. एक कवि के रूप में...

राजेन्द्र राजन की  कविताएँ

राजेन्द्र राजन की कविताएँ

समय की शिला पर कवि अपना समय भी लिखता है. अनिद्रा वैसे तो अच्छी बात नहीं पर जब हाहाकार उठ रहा हो कोई सो भी कैसे सकता है. ओढ़ी हुई...

आलवार संत परकाल : रचनाओं का भाव रूपांतर : माधव हाड़ा

आलवार संत परकाल : रचनाओं का भाव रूपांतर : माधव हाड़ा

जिसे हम साहित्य का भक्ति काल कहते हैं, अखिल भारतीय आंदोलन था. देखते-देखते भारत के सभी हिस्सों से जनभाषा में कविता लिखने वालों की श्रृंखला उभरनी आरम्भ हो गई. वर्ण...

सोमेश शुक्ल की कविताएँ

सोमेश शुक्ल की कविताएँ

सोमेश शुक्ल की कविताएँ दृश्यों में खुलती हैं. ख़ुद को देखने की पूर्णिमा है तो अमावस भी. होने न होने की एक विकल दुनिया है. ये भावक के एकांत में...

ग़ालिब: तशरीह: नरगिस फ़ातिमा

ग़ालिब: तशरीह: नरगिस फ़ातिमा

ग़ालिब मुश्किल शायर हैं. और यह कि ज़बान पर भी वही हैं. ढहती हुई मुग़लिया सल्तनत की सीढ़ियों से उतरते हुए इस शायर में सभ्यताओं की जहाँ टकराहट है वहीं...

शैलेन्द्र चौहान की कविताएँ

शैलेन्द्र चौहान की कविताएँ

हमारे बचपन में एक क़ुतुबनुमा (compass) रहता था. अचरज से देखते थे कि देखो उत्तर (दिशा) तलाश ही लेता है. अरसे बाद वह वरिष्ठ कवि शैलेन्द्र चौहान की कविता में...

सदानंद शाही की कविताएँ

सदानंद शाही की कविताएँ

सदानंद शाही की सक्रियता की परिधि विस्तृत है. हिंदी ऐसे ही बढ़ती पसरती रही है. इसकी परम्परा ही घर फूँक देने वाले भारतेंदु से शुरू होती है. इस समय हिंदी...

हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ

हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएँ

हरे प्रकाश उपाध्याय ने इधर अपना शिल्प बदला है. इन कविताओं को बड़े श्रोता वर्ग के बीच भी सुना और सुनाया जा सकता है. इसकी सम्बोधनपरकता इसे ख़ास बनाती है....

पुराकथाएँ-2 : शिरीष कुमार मौर्य

पुराकथाएँ-2 : शिरीष कुमार मौर्य

सदी के आखिरी दशक से नई सदी के तीसरे दशक के बीच फैले कवि शिरीष कुमार मौर्य का कविता संसार विस्तृत और विविध है और वे अभी लिख ही रहे...

उन्मुक्तक : देवी प्रसाद मिश्र

उन्मुक्तक : देवी प्रसाद मिश्र

कविता की आंतरिकता में अभी भी लय की स्मृतियाँ सुरक्षित हैं. कभी-कभी कहीं मुखर हो जाती हैं. देवी प्रसाद मिश्र जैसा कवि अगर इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में लय...

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