श्रुति गौतम की कविताएँ
श्रुति गौतमकी कविताओं के प्रकाशन का यह आरम्भिक चरण है, हालाँकि वह वर्षों से कविताएँ पढ़-लिख रहीं हैं. हर कवि भाषा और संवेदना के संसार में कुछ जोड़ता है, जैसे...
श्रुति गौतमकी कविताओं के प्रकाशन का यह आरम्भिक चरण है, हालाँकि वह वर्षों से कविताएँ पढ़-लिख रहीं हैं. हर कवि भाषा और संवेदना के संसार में कुछ जोड़ता है, जैसे...
कविता शब्दों के बोझ से भारी नहीं होनी चाहिए, यह एक तरह से कवि-कर्म की प्राथमिक सीख है. देवयानी चाहती हैं कि उनके शब्द तितली की तरह कथ्य पर बैठें. देवयानी...
फरवरी का प्रेम गुलाब की तरह सुर्ख होता आया है, पर अम्बर की इन कविताओं में वह स्त्री का निकला रक्त है. यह स्त्री-पहचान का मुद्दा तो रहा है, हिंदी...
‘सुंदर सपने जितना छोटा होता है कम रुकता है कैलेंडर इसकी मुँडेर पर जैसे सामराऊ स्टेशन पर दिल्ली-जैसलमेर इंटर्सिटी’ फरवरी जहाँ वसंत आता है, अनमना रंग पीताभ इसके आगे...
‘वही जो अदाकारा थी, जो नर्तकी थी, और कवि भी /वही तुम्हारी मृत्यु थी.’ अंचित की ये कविताएँ उनकी पूर्व की कविताओं की ही तरह लचीली हैं. भाषा में वह लोच है...
शिरीष मौर्य इधर थीम केंद्रित कविता- शृंखलाओं पर काम कर रहें हैं. 'रितुरैण', ‘चर्यापद’ और ‘राग पूरबी’ के बाद ‘आत्मकथा’ शीर्षक के अंतर्गत उनकी अठारह कविताएं यहाँ प्रस्तुत हैं जिसपर...
विनोद दास हिन्दी के सुपरिचित कवि-संपादक हैं, उनकी कविताएँ समय के विरूप और विडम्बनाओं से भरे दृश्यों से अपना आकार लेती हैं, एक तरह से वे वृतांत के कवि हैं,...
‘अब मैं इतना दरिद्र हुआकि मुझ पर अब किसी केप्रेम का कर्ज़ भी नहीं.’ कवि राहुल राजेश आज उस मोड़ पर हैं जहाँ वह अपनी कविताओं में तोड़-फोड़ कर सकते हैं....
अंतहीन पन्नों की कॉपी के किसी कोरे पन्ने पर यह जो आज तिथि अंकित की गयी है, उसे नव वर्ष का आरम्भ कह सकते हैं. यह वर्ष धरती पर सभी...
राहुल द्विवेदी की कुछ कविताएँ २०१७ में समालोचन में प्रकाशित हुईं थीं. इस बीच बहुत कुछ घटित हुआ उनके जीवन में जो नहीं होना चाहिए था.अपनी दिवंगत पत्नी की स्मृति में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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