अम्बर पाण्डेय की कविताएँ
जबकि समय जटिलतर होता जा रहा है, कलाओं से हम एक आयामी होने की जिद्द ठान बैठे हैं. बस एकबार में ही अनावृत्त होकर किसी क्षणिक उत्तेजना में लुप्त हो...
जबकि समय जटिलतर होता जा रहा है, कलाओं से हम एक आयामी होने की जिद्द ठान बैठे हैं. बस एकबार में ही अनावृत्त होकर किसी क्षणिक उत्तेजना में लुप्त हो...
कश्मीर भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे संवेदनशील भूभाग है. ‘भारत का अटूट अंग’ और ‘निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा’ जैसे नारों के बीच वहाँ लाखों लोग रहते हैं. उन लाखों में से असंख्य को दर्दनाक...
नवनीत पांडे की आकार में छोटी पर असर में बड़ी १२ कविताएँ प्रस्तुत हैं.
आशीष बिहानी की कविताएँ आपके समक्ष हैं. उजाड़ अवसाद, अप्रवास और यूटोपिया के अनेक धूसर रंगों से लिखी इन कविताओं में संभावनाओं के मुलायम किसलय आप को दिख जायेंगे.आशीष बिहानी...
संस्कृत बोलचाल और कार्य व्यापार की भाषा अब नहीं रही. पर इस महान शास्त्रीय भाषा में अब भी साहित्य रचा जा रहा है. इसका विगत इतना लालित्यपूर्ण और उदात्त है...
महेश वर्मा की कविताएँ हिंदी कविता में बहुत कुछ जोड़ती हैं. उनकी कुछ नयी कविताएँ प्रस्तुत हैं.
‘रीझि कर एक कहा प्रसंग’ ‘एडिटर च्याव्स’ किस्म का कालम है. आज यहाँ विष्णु खरे (9 फरवरी, 1940) की एक कविता प्रस्तुत है – A B A N D O N...
‘विदा लेना बाक़ी रहे’ आशुतोष दुबे का चौथा कविता संग्रह है जो इस वर्ष प्रकाशित हुआ है. उनकी कुछ कविताओं के अनुवाद भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी और जर्मन में...
कविता लघुतम दूरी तय करके भाषा के संभव उच्चतम स्तर तक पहुचने की कोशिश करती है. कवि जोसेफ ब्रादस्की कविता को कब्र पर लिखे कुतबे की संतान इसीलिए कहते हैं....
पेंटिग : Paresh Maity : MOONLIGHTज्योत्स्ना अर्से से कविताएँ लिख रही हैं. तमाम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. वैविध्य पूर्ण काव्य- संसार तो है ही शिल्प पर भी मेहनत दिखती है. ज्योत्स्ना...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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