कथा-गाथा : तमाशा (अफसर अहमद) : शिव किशोर तिवारी
अफसर अहमद बांग्ला भाषा के मशहूर कथाकार हैं. मृणाल सेन की फ़िल्म ‘आमार भुबोन’ उनके ही उपन्यास ‘धानज्योत्स्ना’ पर आधारित है. अफसर अहमद के २७ उपन्यास और १४ कथेतर कृतियाँ...
अफसर अहमद बांग्ला भाषा के मशहूर कथाकार हैं. मृणाल सेन की फ़िल्म ‘आमार भुबोन’ उनके ही उपन्यास ‘धानज्योत्स्ना’ पर आधारित है. अफसर अहमद के २७ उपन्यास और १४ कथेतर कृतियाँ...
हारुकी मुराकामी की 1980 से 1991 के बीच लिखी कहानियों के संग्रह ‘The Elephant Vanishes’ में "On Seeing the 100% Perfect Girl One Beautiful April Morning" शीर्षक से यह कहानी...
पिता-पुत्र के रिश्तों पर, उनके बीच के प्रेम और अहम् पर हर भाषा में लिखा गया है. पिता, पुत्र में अपना बेहतर होता हुआ देखना चाहता है, वह अपने पीछे...
पेशे से वैज्ञानिक और हिंदी के लेखक-अनुवादक यादवेन्द्र ने महत्वपूर्ण लैटिन अमेरिकी लेखक इसाबेल एलेंदे की चर्चित कृति \"पाउला\" के कुछ हिस्सों का अनुवाद किया है. आपके लिए आज यही. दो साल...
कुछ कवि अधूरे प्रेम की तरह होते हैं जहाँ बार–बार लौटने का मन करता है. फ्रेंच कवि (Jean Nicolas Arthur Rimbaud : 20 October 1854 – 10 November 1891) आर्थर...
(रूमी का मक़बरा,कोन्या, तुर्की)शायर-सूफी मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी (१२०७) की रूबाईयां और ग़ज़लें विश्व की सभी भाषाओँ में अनूदित हुईं हैं, एक ही भाषा में कई-कई बार हुईं हैं. पर...
अंग्रेजी साहित्य के समकालीन कवि, लेखक और पर्यावरणविद जॉन बर्नसाइड की कहानी \"द बेल रिंगर\" का अनुवाद यादवेन्द्र ने हिंदी में किया है और एक सुंदर टिप्पणी भी लिखी है....
जब कोई विचार समय की आवश्यकताओं को अचूक ढंग से अभिव्यक्त करने लगता है तब वह नारे में बदल जाता है जैसे ‘स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व’, ‘संसार के मजदूरों एक...
कला व्यक्ति को कैसे, किस तरह और कितना उदात्त बना सकती है इसे देखना हो तो यथार्थ से भी आगे के यथार्थ को अपनी जादुई शैली में व्यक्त करने वाले...
अमरीकी कथा-साहित्य में Shirley Jackson की कहानी ‘The Lottery’ कुछ सबसे विवादास्पद कहानियों में से एक मानी जाती है. इस कहानी के छपते ही शर्ली रातों रात प्रसिद्ध हो गयीं...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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