आर्थर रैम्बो की कविताएँ : अनुवाद मदन पाल सिंह
कुछ कवि अधूरे प्रेम की तरह होते हैं जहाँ बार–बार लौटने का मन करता है. फ्रेंच कवि (Jean Nicolas Arthur Rimbaud : 20 October 1854 – 10 November 1891) आर्थर...
कुछ कवि अधूरे प्रेम की तरह होते हैं जहाँ बार–बार लौटने का मन करता है. फ्रेंच कवि (Jean Nicolas Arthur Rimbaud : 20 October 1854 – 10 November 1891) आर्थर...
(रूमी का मक़बरा,कोन्या, तुर्की)शायर-सूफी मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी (१२०७) की रूबाईयां और ग़ज़लें विश्व की सभी भाषाओँ में अनूदित हुईं हैं, एक ही भाषा में कई-कई बार हुईं हैं. पर...
अंग्रेजी साहित्य के समकालीन कवि, लेखक और पर्यावरणविद जॉन बर्नसाइड की कहानी \"द बेल रिंगर\" का अनुवाद यादवेन्द्र ने हिंदी में किया है और एक सुंदर टिप्पणी भी लिखी है....
जब कोई विचार समय की आवश्यकताओं को अचूक ढंग से अभिव्यक्त करने लगता है तब वह नारे में बदल जाता है जैसे ‘स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व’, ‘संसार के मजदूरों एक...
कला व्यक्ति को कैसे, किस तरह और कितना उदात्त बना सकती है इसे देखना हो तो यथार्थ से भी आगे के यथार्थ को अपनी जादुई शैली में व्यक्त करने वाले...
अमरीकी कथा-साहित्य में Shirley Jackson की कहानी ‘The Lottery’ कुछ सबसे विवादास्पद कहानियों में से एक मानी जाती है. इस कहानी के छपते ही शर्ली रातों रात प्रसिद्ध हो गयीं...
निर्वासन और प्रतिरोध के कवि महमूद दरवेश (१३, मार्च १९४१ – ९, अगस्त २००८) को फिलस्तीन के राष्ट्रीय कवि के रूप में भी जाना जाता है. ३० कविता संग्रह और...
1954 के साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित कथाकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे (Ernest Miller emingway: July 21, 1899 – July 2, 1961) की 1927 में प्रकाशित चर्चित कहानी The Killers...
हिंदी में अनूदित पंजाबी कविताओं की इस श्रृंखला में अपने गुरप्रीत, बिपनप्रीत और भूपिंदरप्रीत की कविताएँ समालोचन पर पढ़ी हैं. इस क्रम में आज अम्बरीश की बारह कविताओं का अनुवाद...
कविताओं का अनुवाद ज़ोखिम से भरा मुश्किल काम है, एक ही कवि की एक ही कविता के दो अनुवादों में बड़ा अंतर भी कई बार दिख जाता है. अनुवाद एक...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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