मार्खेज़: विशाल पंखों वाला बहुत बूढ़ा आदमी: अनुवाद: सुशांत सुप्रिय
मार्खेज़ की चर्चित कहानी 'A Very Old Man with Enormous Wings' (1955) का हिंदी में बहुत अच्छा अनुवाद सुशांत सुप्रिय ने किया है. कहानी के बारे में पढ़ कर खुद...
मार्खेज़ की चर्चित कहानी 'A Very Old Man with Enormous Wings' (1955) का हिंदी में बहुत अच्छा अनुवाद सुशांत सुप्रिय ने किया है. कहानी के बारे में पढ़ कर खुद...
मार्खेज़ की यह कहानी १९६२ में प्रकाशित हुई थी, इसे लैटिन अमेरिका की संस्कृति और जीवन पर एक व्यंग्यात्मक आख्यान के रूप में देखा जाता है, यह एक महिला राजनीतिक...
फ्रेंच पेंटर :Jean-Léon Gérômesnak : carpet-merchants-1887-minneapolisअनुवाद दो संस्कृतियों के बीच सेतु है. एक ऐसा सेतु जिससे साहित्य का अवागमन होता है. अनुवाद मूल से ही अपनी भाषा में होने चाहिए. कविता...
एलिस मुनरो को २०१३ के साहित्य के नोबल पुरस्कार मिलने के बाद उनके व्यक्तित्व के प्रति उत्सुकता और कृतित्व को लेकर उत्साह स्वाभाविक है. लेखिका-अनुवादक अपर्णा मनोज ने उनकी एक...
ब्रितानी – पाकिस्तानी लेखिका कैसर शहरोज़ के उपन्यास typhoon का हिंदी अनुवाद, शीबा राकेश ‘बवंडर’ शीर्षक से कर रही हैं. प्रस्तुत है उसका एक अंश. इसे अपने आप में एक...
निज़ार क़ब्बानी की दो प्रसिद्ध कविताओं का अपर्णा मनोज द्वारा किया गया अनुवाद प्रस्तुत है.
भारतीय अंगेजी लेखन में कथा साहित्य की प्रतिष्ठा और उसका प्रभाव है. अंगेजी में कविता लिखने वाली भारतीय युवा पीढ़ी यहाँ भी नेपथ्य में रहकर सक्रिय हैं. नबीना दास इसी...
निर्वासन में रह रहीं इराकी कवयित्री दून्या मिखाइल की कविताओं का चयन और अनुवाद कवि सुधीर सक्सेना द्वारा. दून्या मिखाइल (Dunya Mikhail)१९६५ इराक में जन्मी दून्या मिखाइल ने ‘द बगदाद आब्जर्वर’...
नीटू दास (Nitoo Das) गुवाहाटी से हैं. Constructions of the Assamese Identity under the British (1826-1920) विषय पर (जे.एन.यू.) से पीएच.डी. हैं. इंग्लिश में कविताएँ लिखती हैं. उनकी कविताएँ Poetry International Web, Pratilipi, Muse India,...
कवि, संस्कृतिकर्मी प्रेमचन्द गांधी ने विश्व साहित्य से स्त्रिओं द्वरा रचित स्त्री संवेदना और सौंदर्य – बोध की कुछ कविताओं का चयन कर उनका हिंदी में अनुवाद किया है. ये...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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