Pablo Picasso, Guitar (1913).
गन्धर्व (एक)
सम्पूर्ण मनुष्य नहीं है.
अर्ध-मानवीय है
अर्ध-कलहंसी है
एक
जो पहले आलाप में दौड़ता है
सभी हंसों के संग
दूसरे आलाप में
स्वयं को
सूर्य के घोड़ों के समक्ष पाता है
उसका चेहरा ताप से निस्तेज हुआ जाता है
उसकी छाती जलने लग जाती है.
(सा)प्रमाण है, ईश का होना,
होने के ईश के कोप का
को-प-पश्चात
ईश के पश्चाताप की
विचित्र वेदना-‘पा’
सर्प बंधन में जकड़ी
मुक्ति की कोख से वो जो निर्गुण(सा)
\’उड़ जाएगा हंस अकेला\’
पिकासो का गिटार
“मैं वह नहीं पेंट नहीं करता जो मुझे दीखता है,
मैं वह पेंट करता हूँ जो मुझे पता है कि वहां है”*
मुझे पता है कि वहां एक स्त्री है कम से कम
कम से कम एक पुरुष
कम से कम एक गिटार
कम से कम तीन लोग हैं
इन तीनों के बीच का सम्बन्ध
किसी अनसुलझे रुबिक क्यूब सा है
कम से कम एक बार एक गिटार बीच में है
कम से कम एक बार एक पुरुष बीच में है
कम से कम एक बार एक स्त्री को फैलाने पड़े हैं अपने पाँव
जब गिटार बीच में है तब
पुरुष का कूल्हा
गिटार की कमर सा लगता है
गिटार की कमर का वलय घटा
स्त्री कम से कम एक बार
अपनें नितम्ब भीतर धकेल देती है फ्रेम में
कम से कम एक बार पुरुष की ओर
कम से कम एक बार गिटार की ओर
स्त्री गिटार बजाना जानती है
पुरुष कम से कम एक बार नहीं जानता
पुरुष की कल्पनाओं में स्त्री ने देवीय रूप धारण किया है कम से कम एक बार
स्त्री ने देखा है पुरुष का प्रागैतिहास
कुछ तारें हैं
कुछ नहीं ये
गिटार \’अव्क्वार्ड\’ है पिकासो का
पता तो है कि है
छुआ भी नहीं है.
संगीत के अभाव में
गलत समझी गयी
जब संगीत से समझी गयी
इसकी प्रकृति चंचल,
पता चला अमावास नहीं है
सुबह का पहला प्रहर चपल
भैरवी का ‘धा’
संगीत में कोमल लगा
भैरवी को सुनते औंघाये
बच्चे सो गए.
वेस्टर्न-ईस्टर्न
एक परिवार तार-
सबसे ऊंची आवाज़ वायलिन की
संग खड़ी उसकी बहन विओला
मझला भाई चेलो(!)
और एक हार्प-
सामानांतर-
माता-पिता
एक परिवार ब्रास
–पिता ट्युबा
माँ त्रम्बोन
सबसे बड़ा बेटा हॉर्न
उससे छोटी
लड़की ‘ट्रम्पेट’
एक परिवार- वुडविंड
माँ बस्सुन
पिता कॉण्ट्रा बस्सून
बड़ी बेटी क्लेरीनेट
तीन और छोटे
सबसे सुखदायी बच्चे
ओबो, फ्लूट और पिकोलो
एक परिवार परकशन
दादाजी टिम्पानी
दादी जैलोफोन
बहनें ट्रायंगल और चाइम्स
भाई स्नेयर, बास और सिम्बल
पहली कजिन तम्बौरिन
सब मिलाकर-
एक वेस्टर्न ऑर्केस्ट्रा, जैसे
एक ईस्टर्न परिवार
कॉमरेड! मार्क्स के नेपथ्य में हौले हौले बजता है बीथोवन
कॉमरेड! चे ने सुना थ बीटल्स को, एक बार से कहीं ज्यादा
कॉमरेड! माया और नीना बहनें है
कॉमरेड! बधाई हो! हम रो सकते है अब भी संगीत को सुनकर
कॉमरेड! सच ये भी है कि हमें सभी अंदाज़े नहीं
कॉमरेड! संगीत को बक्श देना हमारी बेवकूफी होगी
कॉमरेड! लोग ये तो ना कहें कि हमने कोई बेवकूफी तक नहीं की
कॉमरेड! ‘रे’ का रंग लाल है/ हम ‘नि’षाद में सभी के संग है
कॉमरेड! हमने बाहों पर अभी काला ‘प’ बाँध रखा है
कॉमरेड! हमनें फूलों की बाट नहीं जोही, हम पत्तियों के हरे-सा के लिए लड़ते है
कामरेड! हमारे बजाये गानों में कम से कम हर पांचवा ब्लू है
कॉमरेड! हमारा भविष्य एक सुनहला ‘गा’ है
कॉमरेड! प्लीज! गाओ ना कुछ!
(कॉमरेड! लिक्विड इन्टेक ज्यादा रखो, प्लीज़)
अमोघ और आत्रेयी हैं जैसे
यमन और कल्याण
हु-ब-हू
लेकिन मिलकर बन जाते है
अमोघात्रेयी
जैसे यमन-कल्याणअमोघात्रेयी एक नया राग है
इसके अमोघ से जुड़ते है हिंदी पट्टी के अधेड़ मर्द
अनामिका के नाखून को तर्जनी से कुरेदते
गलती से कभी बना बारहसिंघा
पटक देते तेराई ‘सा’ पर
‘धा’ पर दोनों को संग पाते
बार बार किलसते
जब बार बार ‘धा’ पर दोनों को संग पाते
नि-रे प-ड़े ले लेते गहरी सांस
सातों सुरों से सम्पूर्ण
हिंदी पट्टी की लड़कियां गाल पर हाथ ले
दांत से गाल को चिकोटी काटे
देखती आत्रेयी को
सा रे ग, म, प, ध नि सा
नि पर आते आत्रेयी से जुड़ जाती वहां बैठी सभी लडकियाँ
गूँज से खिड़की से भीतर घुसी चली आती मधुमक्खियाँ
‘शहद है बहनों का संग गाना’
फिर वहां बिठा उसे स्वयं लेता अवरोह
ध-प से जुड़ जाते मर्द सभी
तलहथियों से बना अपने चेहरे को घूरता एक सांप का फन
उसपर उतार लेते अमोघ को हौले हौले
होता सभी का मिलन
पीछे की पंक्ति से उठकर
एक हिजड़ा मर्द
बीच में आकर बैठ जाता
यहाँ हम सब एक दूसरे के आयने हैं, ‘इस्पेखो\’”
मैं किताब ख़त्म कर भागकर सारा के पास पहुँचता
“इस्पेखो?”
“हाँ! इस्पेखो! भूल ही जाता हूँ कि यह किताब तुम्ही ने दी.
मार्केज़ का घर तुम्हारे घर के रास्ते में आता है.”
किसी गिटार के फ्रेट पर उसका नंबर मात्र उत्कीर्ण कर देना
सब कहते गिटार स्त्री-वत है
मैं समझता
गिटार बजाना)
छोटे हाथ वाली कुर्सी के पाँव के पास बैठ
मैं गिटार बजा रहा होता
वो ठीक मेरे पीछे आकर खड़ी हो जाती
मेरी कलाई पर गुदे ‘इस्पेखो’ को छूती
‘सारा’ ढूंढती
एक छोटे से तालाब में
पानी के ऊपर
एक कमल के पत्ते पर
‘इ’ स्केल में भिनभिनाते…
गोबरीले जमा होने लग जाते
पानी से ही एक मेढकी
लपलपाती अपनी जीभ.
अपनी भाषा में गाते गाते कह देते अपनी सारी बात
बाँट लेते दुःख, खुशखबरियां छुपा लेते
गोरे हाकिमों को तब पता भी नहीं चलता जब
बन जाते थे ब्लूज़
वहां उन्होंने ‘प्रिजन ब्लूज’ बनाये
जिसे गाते गाते कई दास कैदी
फरार हो गए
डबल बास के नोट्स को
तलाशती है
‘डेथ हैव मर्सी’
नीना कहती है
“ब्रेक डाउन, लेट इट आल आउट”
हिलेरी क्लिंटन बंद कर देती होगी टेप.
भारत आने पर उसने सभी भारतीयों से प्रेम से बात की?!
जैसे डिजरेडू के आस पास थ्रोट चैन्टर्स
एक दिन मैं चला गया
मुझे दूर से औरतों के गाने की आवाज़ आई
बार! बार! बार!
और सभी छ: स्ट्रिंग्स पर बार बनी लगी मेरी तर्जनी को हौले से हटाते हुए
मेरी तर्जनी प्यार से मोड़ दी
उस दिन के बाद से कुछ दिनों तक संवाद पक्का करने के लिए मैंने बिन्तांग के लिए संगीत बजाया
इकताल सुलाते रहे
हौले हौले,
‘अग्रेशन इज़ अस, दादा!’
जल्दबाजी में…
चांदनी रंग की पैंटी पहनने लगे.
तू कब इसको छोडती है
उसमें चली जाती है
इतना सारा मेक अप लगाती है
तुझपे बंदिश कितनी छोटी है
कि लड़की है?!
इसकी संभावनाएं अपार है
गाँव में खेत से गुजरे
किसी लड़की को गाता सुने
चेक करें,
कहीं वह भैरवी तो नहीं है.
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