दिनकर : एक आत्मकथा जो लिखी नहीं गई : प्रवीण प्रणव
प्रवीण प्रणव माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में कार्य कर रहें हैं और साहित्य में भी उनकी रुचि ...
प्रवीण प्रणव माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में कार्य कर रहें हैं और साहित्य में भी उनकी रुचि ...
लेखिकाओं के जन्मशताब्दी वर्ष आयोजन को लेकर हिंदी समाज अनुदार दिखता है. कथाकार चन्द्रकिरण सोनरेक्सा का जन्म आज ही के ...
(फोटो आभार : वीरेन्द्र गुसाईं) ‘भूख के अहसास को शेरो सुखन तक ले चलो.या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले ...
वाल्टर बेन्यामिन का यह कथन कि ‘सभ्यता का इतिहास बर्बरता का भी इतिहास है’ स्त्री के सन्दर्भ में सच के ...
साहित्य ही नहीं समाज को भी निर्भय आलोचकों की जरूरत होती है. मैनेजर पाण्डेय अपनी आलोचना से ये दोनों कार्य ...
किसी भी सम्प्रभु राष्ट्र की अपनी राष्ट्र भाषा होती है/होनी चाहिए. यह पश्चिम में विकसित राष्ट्र-राज्य की मूल अवधारणाओं में ...
By Matteo Baroni‘हो चुकी जब ख़त्म अपनी जिंदगी की दास्ताँउनकी फ़रमाइश हुई है, इसको दोबारा कहें.’ (शमशेर)प्रेम की तीव्रता, सघनता ...
वैज्ञानिक और हिंदी के लेखक,अनुवादक यादवेन्द्र इधर ईरान के सांस्कृतिक परिदृश्य पर कार्य कर रहें हैं. प्रस्तुत आलेख ईरानी क्रांति ...
इतिहास कुछ लोगों के लिए बेरहम होता है, चाहे वह साहित्य का ही क्यों न हो. पुरुषार्थवती देवी एवं रामेश्वरी ...
गोस्वामी तुलसीदास के इर्द-गिर्द भक्ति/धर्म/अस्मिता का ऐसा प्रभा मंडल तैयार किया गया है कि कवि तुलसी अलक्षित रह जाते हैं. ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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