राकेश स्मृति : कुमार अम्बुज
अघटित के घटित होने का समय कुसमय ही होता है, उसे अभी इस समय में नहीं घटित होना था. राकेश ...
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अघटित के घटित होने का समय कुसमय ही होता है, उसे अभी इस समय में नहीं घटित होना था. राकेश ...
रचनाकारों की रचनाएँ सामने आती हैं, उनकी ज़मीन, उनका तलघर अदृश्य रहता है जहाँ से वे अपनी रचनात्मकता के लिए ...
अखिलेश द्वारा लिखी यह श्रृंखला ‘रज़ा जैसे मैंने देखा’ इस कड़ी के साथ अब यहाँ सम्पूर्ण हुई, समालोचन में यह ...
काला पहाड़(१९९९), बाबल तेरा देस में(२००४) तथा रेत(2008) से चर्चित उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल (जन्म: २३ जनवरी, १९६०) इधर २०१४ से ...
उम्र के पैंसठवें पायदान पर धीरेन्द्र अस्थाना से राकेश श्रीमाल ने उनके जीवन और उसकी बुनावट पर तसल्ली और गहराई ...
सृजनशीलता रहस्यमय वस्तु समझी जाती है, खासकर कलाओं में - कविता के ‘उतरने; की बात कही जाती है किसी खास ...
मुंबई ख़ुद अपने में एक महागाथा है. अंग्रेजों के आने के बाद वह भारत का केन्द्रीय शहर बन गया और ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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