एक आँख में शहर, दूसरी में किताब: अनुराधा सिंह
मुंबई महाकाव्य है. अंतहीन अध्यायों का उपन्यास. शहरों को पढ़ना, सभ्यता को बदलते हुए देखना है. विजय कुमार की पुस्तक ...
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मुंबई महाकाव्य है. अंतहीन अध्यायों का उपन्यास. शहरों को पढ़ना, सभ्यता को बदलते हुए देखना है. विजय कुमार की पुस्तक ...
अनुराधा सिंह के कविता संग्रह ‘उत्सव का पुष्प नहीं हूं’ पर वरिष्ठ कवि-लेखक विजय कुमार की यह समीक्षा देखें.
समालोचन ‘असहमति की सौ कविताएँ’ के अपने विशेष अंक का यह पहला हिस्सा प्रस्तुत कर रहा है. इसमें सच, साहस ...
इसी वर्ष प्रकाशित वरिष्ठ कवि-लेखक विजय कुमार की पुस्तक ‘शहर जो खो गया’ पर आधारित लीलाधर मंडलोई का यह गद्य, ...
सविता सिंह की प्रस्तुत कविताएँ उनकी काव्य-यात्रा के अगले पड़ाव को सूचित करती हैं. इन कविताओं की स्त्री स्वतंत्र इकाई ...
कविताएँ प्रतीकों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें बदल भी देती हैं और उनके सामने प्रतिरोध में खड़ी भी हो जाती ...
कवि आलोचक विजय कुमार के तीन कविता संग्रह अदृश्य हो जाएँगी सुखी पत्तियां, चाहे जिस शक्ल से और रातपालीप्रकाशित हैं. आलोचना ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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