चरथ भिक्खवे : दिव्यानन्द
‘चरथ भिक्खवे’ के अंतर्गत 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2024 के बीच बुद्ध से जुड़े स्थलों की यात्रा लेखकों द्वारा ...
Home » सदानंद शाही
‘चरथ भिक्खवे’ के अंतर्गत 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2024 के बीच बुद्ध से जुड़े स्थलों की यात्रा लेखकों द्वारा ...
ब्रह्मांड ही यात्रा पर है. गंगा की तरह बहता रहता है आकाश. जैसे यात्रा स्वभाव हो. मनुष्य की सभ्यता यात्राओं ...
सदानंद शाही की सक्रियता की परिधि विस्तृत है. हिंदी ऐसे ही बढ़ती पसरती रही है. इसकी परम्परा ही घर फूँक ...
गांधी जी का हिंदी और साहित्य से गहरा रिश्ता रहा है, उनपर बड़े कवियों ने कविताएँ लिखीं हैं. अभी भी ...
भक्ति आंदोलन भारतीय भाषाओं का समवेत और संयुक्त आंदोलन था जो अपने स्वरूप में मानवीय और क्रांतिकारी था. यह ईश्वर ...
भक्तिकाल के कवियों की आभा और लोकप्रियता आज भी कहीं से कम नहीं हुई है, कबीर हों तुलसी हों या ...
सदानन्द शाही का इधर रैदास बानी का काव्यान्त्रण ‘मेरे राम का रंग मजीठ है’ प्रकाशित हुआ है. गोरख, कबीर, रैदास ...
मध्यकाल के कवि केवल कवि नहीं थे, जैसे कबीर निरे कवि नहीं हैं, रैदास भी उसी तरह से भारतीय समाज ...
कबीर हिंदी साहित्य के अध्यात्म हैं. उनको पढ़ना, सुनना, गुनना मनुष्यता को औदात्य प्रदान करता है. वे किसी के नहीं ...
कबीर की कविता में घर और देश को लेकर आलोचक प्रो. सदानन्द शाही का यह व्याख्यान भक्तिकाल के तीन बड़े ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum