मैला आँचल: लोकवृत्त का कथा-आख्यान: कमलानंद झा
कालजयी कृतियों के समय के साथ नए आयाम सामने आते रहते हैं. जो संकेत लेखक ने छोड़े थे वे घटित ...
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कालजयी कृतियों के समय के साथ नए आयाम सामने आते रहते हैं. जो संकेत लेखक ने छोड़े थे वे घटित ...
कालजयी कृतियाँ अपने पाठ की असीम संभावनाएं समेटे रहती हैं. ‘गोदान’(1936) को तरह-तरह से पढ़ा गया है पर जिस तरह ...
प्रो. रोहिणी अग्रवाल कई दशकों से स्त्रीवाद की सैद्धांतिकी और उसकी व्यावहारिक आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय हैं. इस विषय ...
भक्ति आंदोलन भारतीय भाषाओं का समवेत और संयुक्त आंदोलन था जो अपने स्वरूप में मानवीय और क्रांतिकारी था. यह ईश्वर ...
नलिन विलोचन शर्मा की आलोचना-पद्धति ख़ासकर उनकी इतिहास-दृष्टि की चर्चा देखने को कम मिलती है. आलोचक गोपेश्वर सिंह ने इस ...
समाज-विज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र पर मूल रूप से हिंदी में लिखने वाले स्तरीय लेखक कम हैं. हिंदी के विषयों पर लिखने ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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