रचना और आलोचना: भूपेंद्र बिष्ट
भूपेंद्र बिष्ट ने नामवर सिंह पर कथाकार धीरेंद्र अस्थाना के लेख के संदर्भ में रचना और आलोचना के अंतर-सम्बन्धों पर ...
भूपेंद्र बिष्ट ने नामवर सिंह पर कथाकार धीरेंद्र अस्थाना के लेख के संदर्भ में रचना और आलोचना के अंतर-सम्बन्धों पर ...
रंगमंच में इधर अकल्पनीय प्रयोग हुए हैं, कल्पनाशीलता और आधुनिक तकनीक की मदद से भारतीय रंगमंच ने प्रादेशिक रंगमंचीय शैलियों ...
मुख्यधारा के समानांतर अनेक धाराएँ चलती हैं, मुख्यधारा इन्हीं से जीवन पाती है. हिंदी का साहित्य ही इन्हीं उपधाराओं से ...
‘इतने भले नहीं बन जाना साथी/जितने भले हुआ करते हैं सरकस के हाथी’ वीरेन डंगवाल के पहले कविता संग्रह, ‘इसी ...
साहित्य और संस्कृति में परम्परा और उत्तराधिकार के सवाल अक्सर सरलीकरण के आखेट हो जाते हैं. भाषा और साहित्य की ...
औपनिवेशिक भारत में आज़ादी की लड़ाई सिर्फ़ राजनीतिक नहीं थी. जड़ों की तलाश में बुद्ध तक अनेक लेखक विचारक गये, ...
उत्तराखण्ड में नवलेखन की तीसरी कड़ी में वरिष्ठ लेखक बटरोही अरुण कुकसाल और शम्भू राणा की चर्चा कर रहें हैं. ...
‘जय हो’ गीत के लिये ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त और दादा साहब फाल्के आदि सम्मानों से सम्मानित हिंदी, उर्दू और पंजाबी ...
वरिष्ठ लेखक बटरोही के लेखन में उत्तराखण्ड की संस्कृति और उसकी सामाजिक बुनावट की गहरी समझ मिलती है. नवलेखन की ...
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी (7 जुलाई 1883 - 12 सितम्बर 1922) का आज स्मरण दिवस है. हिंदी साहित्य को आधुनिक और ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum