गिरीश कर्नाड : राजाराम भादू
लेखक, अभिनेता, निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गिरीश कर्नाड की उपस्थिति बेहद जानदार है. उनके आत्मकथात्मक संस्मरण कन्नड़ ...
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लेखक, अभिनेता, निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गिरीश कर्नाड की उपस्थिति बेहद जानदार है. उनके आत्मकथात्मक संस्मरण कन्नड़ ...
हिमा कौल पीड़ा, अभाव और जिजीविषा की मूर्तियाँ बनाती रहीं. उनका ख़ुद का जीवन भी किसी शोकगीत से कम नहीं. ...
वरिष्ठ लेखक-पत्रकार हेमंत शर्मा की पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ पिछले वर्ष प्रकाशित होकर चर्चा में है. उन्होंने ‘भारतेंदु समग्र’ का ...
लेखक प्रेमकुमार मणि का राजनीतिक जीवन भी रहा है. उनकी आत्मकथा ‘अकथ कहानी’ आज़ाद भारत में किसान परिवार के युवक ...
पवन माथुर के कहानी संग्रह ‘हासिल’ की समीक्षा प्रस्तुत है.
पर्यावरण-मित्र यंत्रों में साइकिल का स्थान विशिष्ट है. साइकिल सामूहिक आविष्कार है. आगे पीछे अलग-अलग जगहों पर किसी ने पहिये, ...
‘संयोगवश’ आशुतोष दुबे का छठा कविता संग्रह है जिसे राजकमल ने प्रकाशित किया है. उनकी कुछ कविताओं के भारतीय और ...
कृष्ण प्रताप सिंह (फ़ैज़ाबाद) वरिष्ठ पत्रकार और कवि हैं. अवध के इतिहास पर लिखते रहें हैं. ‘ज़ीरो माइल अयोध्या’ में ...
देश की आज़ादी का आन्दोलन केवल राजनीतिक नहीं था. समृद्ध, उदार और प्रगतिशील समाज की रचना इसका लक्ष्य था जो ...
आलोचनात्मक विवेक के प्रसार की अपनी ज़िम्मेदारी से आज हिंदी मीडिया दूर जा चुकी है. वह अधिकांशतः कारोबारी है. जिस ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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