काग़ज़ के फूल: अनुवाद: आयशा आरफ़ीन
कुछ कहानियाँ सीधे दिल में उतरती हैं और कसक छोड़ जाती हैं. दूर तक पात्र पीछा करते रहते हैं. प्रसिद्ध ...
कुछ कहानियाँ सीधे दिल में उतरती हैं और कसक छोड़ जाती हैं. दूर तक पात्र पीछा करते रहते हैं. प्रसिद्ध ...
महेश कुमार इधर हिंदी की आदिवासी कविताओं पर कार्य कर रहें हैं. उनके आलेखों ने ध्यान खींचा है. उनकी दृष्टि ...
पाँच तुर्की कवि हिंदी अनुवाद: निशांत कौशिक शुकरु एरबाश आख़िर कैसे आख़िर कैसे, मेरे ख़ुदा? ये सड़कें कैसे सह सकती ...
अमित तिवारी कविताएँ लिखते हैं. अनुवाद करते हैं. उनकी कविताओं ने ध्यान खींचा है. उनकी कुछ नई कविताएँ प्रस्तुत हैं.
पंक्तियाँ भी कविता से कटकर, सन्दर्भ च्युत होकर कहीं की नहीं रहतीं. वरिष्ठ कवयित्री अनामिका की कविता ‘बेजगह’ कुछ इसी ...
‘कोठागोई’ के प्रकाशन के नौ वर्ष बाद ‘क़िस्साग्राम’ शीर्षक से कथाकार-संपादक प्रभात रंजन का दूसरा उपन्यास राजपाल प्रकाशन से अभी ...
सर्गेई आइज़ेन्श्टाइन (Sergei Eisenstein : 22 जनवरी,1898-11 फ़रवरी,1948) रूस के प्रसिद्ध सिने निर्देशक और विचारक थे. उन्हें फ़िल्म संपादन की ...
देश की आज़ादी का आन्दोलन केवल राजनीतिक नहीं था. समृद्ध, उदार और प्रगतिशील समाज की रचना इसका लक्ष्य था जो ...
आलोचनात्मक विवेक के प्रसार की अपनी ज़िम्मेदारी से आज हिंदी मीडिया दूर जा चुकी है. वह अधिकांशतः कारोबारी है. जिस ...
वरिष्ठ लेखक-संपादक गिरधर राठी जीवनानन्द दाश की कालजयी कविता ‘वनलता सेन’ के विषय में लिखते हैं, ‘दशकों से, अर्थ विवेचन ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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