बतकही: अजेय और आमिर हमज़ा
सुदूर प्रक्षेत्रों में जहाँ पीठ और परम्पराएँ नहीं हैं. साहित्य किस तरह अंकुरित होता है, पनपता और पसरता है? इसे ...
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सुदूर प्रक्षेत्रों में जहाँ पीठ और परम्पराएँ नहीं हैं. साहित्य किस तरह अंकुरित होता है, पनपता और पसरता है? इसे ...
आमिर हमज़ा की प्रस्तुत कविताएँ उनके कवि व्यक्तित्व को और पुख़्ता करती हैं. कविता की सूक्ष्मता का निर्वाह है. आंतरिक ...
युवा आमिर हमज़ा की काव्य-संभावनाएं उनकी पिछली कविताओं में मुखर थीं, इस लम्बी कविता में उनका सामर्थ्य देखा जा सकता ...
‘उत्सव का पुष्प नहीं हूँ’ अनुराधा सिंह का दूसरा कविता संग्रह है जिसे वाणी ने प्रकाशित किया है. वरिष्ठ लेखिका ...
शोक इस दशक की हिंदी कविता का बीज शब्द है, इधर प्रकाशित अधिकतर संग्रहों की कविताओं में उसकी उदासी देखी ...
मूर्तिकार अपने शिल्प में डूबा हुआ ख़ुद में डूब जाता है. रचनात्मकता भी अध्यात्म है. सृजनात्मक लोगों को अलग से ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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