ऑर्बिटल : किंशुक गुप्ता
स्थापना दिवस पर मिले शुभाशीष के लिए समालोचन आपके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता है. वह जो कुछ है ...
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स्थापना दिवस पर मिले शुभाशीष के लिए समालोचन आपके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता है. वह जो कुछ है ...
२१वीं सदी की हिंदी की समलैंगिक कहानियों की गहरी पड़ताल करते हुए लेखिका अंजली देशपांडे ने एलजीबीटीक्यू विमर्श को इस ...
‘पानी से न लिखना पत्थर पे कोई नाम’ (अनुराधा सिंह), ‘ठेकेदार की आत्मकथा’ (आकांक्षा पारे काशिव) तथा ‘रहस्यों के खुरदुरे ...
किंशुक गुप्ता के कहानी-संग्रह- ‘ये दिल है कि चोर दरवाज़ा’ के विषय में लेखिका बलवन्त कौर का मानना है कि ...
हिंदी की नयी पीढ़ी के कथाकार के रूप में किंशुक गुप्ता इधर उभर कर सामने आयें हैं. पेशे से चिकित्सक ...
समालोचन पर किंशुक गुप्ता की यह तीसरी कहानी है, उनकी कहानियाँ हिंदी और अंग्रेजी की अन्य पत्रिकाओं में भी इधर ...
किंशुक गुप्ता चिकित्सक हैं. हिंदी और अंग्रेजी में लिखते हैं. उनकी कहानियां इधर हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर ...
किंशुक गुप्ता अंग्रेजी और हिंदी में लिखते हैं, उनकी कहानी ‘ओपन मैरिज’ शहरी मध्य वर्ग के बीच विवाह की बदलती ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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