मर चुके लोग जेम्स ज्वायस अनुवाद : शिव किशोर तिवारी |
अभीक्षक (केयरटेकर) की बेटी लिली को मरने की फुर्सत न थी. जब तक एक पुरुष अभ्यागत को निचले माले पर स्थित आफिस के पीछे के छोटे कोठार में ले जाकर उनका ओवरकोट उतारने में मदद कर उसे संभालती तब तक बाहर के दरवाजे की दमाग्रस्त-सी घंटी फिर घनघना उठती और उसे लपककर अगले अतिथि को अंदर लाने के लिए नंगे फर्श वाले दालान से होकर दरवाजे की ओर भागना पड़ता. गनीमत थी कि उसे साथ-साथ महिला अतिथियों का ख्याल नहीं रखना था. इस बात का ख्याल करके मिस केट और मिस जूलिया ने ऊपरी माले के स्नानघर को महिलाओं का ड्रेसिंग रूम बना लिया था. उसकी निगरानी मिस केट और मिस जूलिया के जिम्मे थी जो, अभ्यागतों से बतियाती, हँसती, और छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान, बीच-बीच में रेलिंग पर झुककर आवाज़ लगातीं कि कौन आया.
माॅर्कन बहनों- केट और जूलिया- का सालाना भोज हमेशा से बड़ा आयोजन रहा था. उनके सारे पहचान वाले उसमें भाग लेते थे- परिवार के सदस्य, पुराने पारिवारिक मित्र, जूलिया के गायकों की मंडली, केट के वे शिष्य जो जरूरत-लायक बड़े हो चुके हों, यहाँ तक कि मेरी जेन के कुछ शिष्य भी. एक बार भी यह आयोजन विफल नहीं हुआ था. हर किसी की याददाश्त में यह साल-दर-साल शानदार तरीके से सफल होता आया था- अपने भाई पैट की मृत्यु के उपरांत जब केट और जूलिया स्टोनी बैटर का घर छोड़कर अपने भाई की एकलौती संतान, मेरी जेन, को लेकर अशर्स आइलैंड के इस अनाकर्षक, अँधेरे घर में रहने आ गई थीं और नीचे के गल्ला व्यवसायी मिस्टर फुलहम से यह हिस्सा भाड़े पर लिया था, तब से आज तक. इस बात को तीस साल हो गये.
मेरी जेन, जो उस समय छोटी फ्राकें पहनने वाली बच्ची थी, अब घर का मुख्य स्तम्भ थी क्योंकि वह हैडिंग्टन रोड के चर्च में ऑर्गन-वादक लगी थी. उसने अकादमी से अर्हता प्राप्त की थी और हर साल एंशिएंट कांसर्ट रूम्स के ऊपरी कक्ष में अपने शिष्यों का वृन्दगान प्रस्तुत करती थी. उसके कई शिष्य किंग्सटाउन और डाकी लाइन के सम्पन्न परिवारों से आते थे. उसकी दोनों बुआएं वृद्ध थीं, फिर भी घर चलाने में योगदान करती थीं. जूलिया की उम्र बहुत हो गई थी, तब भी वह एडम ऐंड ईव्ज नाम से परिचित चर्च में ‘लीडिंग सोप्रानो’ (एक विशिष्ट स्वर वाली गायिका) थी, वहीं केट- जो अब ज्यादा चल-फिर नहीं पाती थी- घर के पिछले कमरे में पुराने छोटे पियानो पर नये सीखने वालों को संगीत सिखाया करती थी. अभीक्षक की बेटी लिली घर का काम करती थी. परिवार का जीवन-स्तर बहुत ऊँचा नहीं था, फिर भी उनको खाने-पीने का शौक भरपूर था. सब कुछ अव्वल दर्जे का होना चाहिए- महँगे किस्म की बीफ की रान, महँगी वाली चाय और बढ़िया से बढ़िया स्टाउट (एक किस्म की बियर). यह सब दुकानों से मँगाने में लिली से कभी चूक नहीं होती थी, इसलिए तीनों मालकिनों से उसकी अच्छी बनती थी. मीन-मेख निकालना या छोटी-सी बात पर परेशान हो उठना – यह उनका स्वभाव था, और कुछ नहीं. बस एक बात वे कतई बर्दाश्त नहीं करती थीं और वह थी जबान-दराजी.
•••••
इस रात, वस्तुतः, इन महिलाओं की परेशानी वाजिब थी. दस बजे से ज्यादा का वक्त हो रहा था और अभी तक गेब्रिएल और उसकी पत्नी ने शक्ल नहीं दिखाई थी. फिर उन्हें यह डर सता रहा था कि फ्रेडी मैलिन्स नशे में धुत्त होकर न आ जाये. वे नहीं चाहती थीं कि कतई मेरी जेन के शागिर्दों में से कोई फ्रेडी को नशे की हालत में देखे; नशे की हालत में वह कभी-कभी बड़ी मुश्किल से वश में आता था. फ्रेडी हमेशा देर से आता था, पर गेब्रिएल के इतनी देर करने की क्या वजह हो सकती थी: तो हर दो मिनट में से दोनों महिलाएं रेलिंग से नीचे झाँककर पूछे जा रही थीं कि गेब्रिएल या फ्रेडी आये या नहीं.
“आइये, मिस्टर काॅनाॅराॅय”, गेब्रिएल के लिए दरवाजा खोलते हुए लिली ने कहा, “मिस केट और मिस जूलिया सोचने लगी थीं कि आप आ भी रहे हैं या नहीं; गुड-नाइट मिसेज काॅनाॅराॅय.”
“जरूर सोच रही होंगी”, गेब्रिएल ने कहा, “पर उनको याद रखना था कि मेरी सहधर्मिणी को तैयार होने में पूरे तीन घंटे लगते हैं.”
वह पापोश पर खड़ा अपने गलाॅशेज़ (जूतों के ऊपर पहने जाने वाले रबड़ के बूट -अनु. ) पर जमी बर्फ साफ करने लगा. इस बीच लिली उसकी पत्नी को सीढ़ी तक ले गई और पुकार लगाई, “मिस केट, मिसेज काॅनाॅराॅय आ गई हैं.”
केट और जूलिया एक साथ अँधेरी सीढ़ियों से डगमग नीचे उतरीं. दोनों ने गेब्रिएल की पत्नी का चुम्बन लिया, बोलीं, ‘जम गई होंगी तुम’ और पूछा कि गेब्रिएल तुम्हारे साथ है क्या.
“यहाँ हूँ, डाक-जैसा पक्का, आंट केट! ऊपर चलो, मैं पीछे-पीछे आ रहा हूँ”, अँधेरे से गेब्रिएल ने आवाज़ लगाई.
•••••
वह अपने बूट पापोश पर रगड़कर साफ करता रहा, तब तक तीनों महिलाएँ हँसती हुई ऊपर महिलाओं के ड्रेसिंग रूम तक पहुँच गईं. उसके ओवरकोट के कंधों पर बर्फ की एक चादर-सी पड़ गई थी और बूटों पर बर्फ की टो-कैप सी बन गई थी; ओवरकोट के बटन चिपकी हुई बर्फ को तोड़कर चूं-चूं जैसी आवाज़ के साथ खुले और उसकी सलवटों-परतों से खुले आसमान की बर्फीली हवा की सुगंध निकलने लगी.
“बर्फ फिर पड़ने लगी है, मिस्टर काॅनाॅराॅय?”लिली ने पूछा.
वह कोठार में पहले आ गई ताकि ओवरकोट उतारने में गेब्रिएल की मदद कर सके. उसके उपनाम काॅनराॅय का लिली जैसे एक ध्वनि बढ़ाकर उच्चारण कर रही थी उससे गेब्रिएल को हँसी आई; उसने लिली की ओर देखा – एक छरहरी, कच्ची उम्र की लड़की, फीका रंग और हल्के पीले रंग के बाल.कोठार की गैस की रोशनी में उसका रंग पीला दिख रहा था. गेब्रिएल उसे तब से जानता था जब वह बच्ची थी और सीढ़ी के निचले पायदान पर कपड़े की गुड़िया गोद में लेकर बैठी होती थी.
“हाँ, लगता है आज सारी रात पड़ेगी”, गेब्रिएल ने जवाब दिया.उसने कोठार की लकड़ी की छत की ओर देखा जो ऊपर लोगों के नाचने के कारण काँप रही थी; कुछ देर तक वह पियानो की आवाज़ सुनता रहा, फिर लड़की की ओर देखा – वह करीने से तहाकर उसके ओवरकोट को एक शेल्फ पर रख रही थी.
“अच्छा, लिली”, उसने दोस्ताना लहजे में कहा, “अब भी स्कूल जाती हो?
“नहीं,सर”लिली ने उत्तर दिया, “मेरी पढ़ाई इस साल खत्म हुई, बहुत पढ़ाई हो गई. “
“अच्छा ! फिर तो जल्द ही तुम्हारे ब्याह में शामिल होना पड़ेगा, क्यों?”, गेब्रिएल ने विनोद किया.
लड़की ने गर्दन मोड़कर उसकी ओर देखा और बड़े कड़वे स्वर में बोली :
“आजकल के मर्द लोग झूठी खुशामदें करते हैं और हमेशा अपना मतलब निकालने की फिराक में रहते हैं.”
गेब्रिएल के गाल लाल हो आए, मानो उससे कुछ गलती हुई हो; लड़की की ओर से नजर हटाकर उसने अपने रबड़ के बूट उतार दिये और अंदर पहने दामी चमड़े के जूतों पर अपना मफलर हल्के से फेर दिया.
गेब्रिएल दोहरे बदन का लम्बा-सा आदमी था. उसके गाल लाल थे, यह ललाई उसके माथे तक पहुँचकर पेशानी पर हल्के लाल धब्बों में बिखर जाती थीं; उसके लोमहीन मुख पर सुनहरे फ्रेम में जड़े चमकते चश्मे की झिलमिल सदा विद्यमान थी. चश्मे के पीछे उसकी आँखें कमजोर और अधीर-सी थीं. उसके चमकते काले बालों के बीचोबीच माँग निकली हुई थी, बाल कानों के पीछे घुमावदार तरीके से कंघी किये हुए थे, कानों के पास के बालों पर हैट के छोड़े निशान दिखाई देते थे.
जूते चमका चुकने के बाद वह खड़ा हुआ और अपनी पृथुल काया पर वास्केट को खींचकर बराबर किया. फिर झट-से उसने पाकेट से एक सिक्का निकाला.
“लिली, क्रिसमस का समय है न? यह… छोटा- सा… ” कहते हुए उसने सिक्का लड़की के हाथ में ठूँस दिया.
वह तेजी से दरवाजे की ओर चला.
“ना, ना, सर, सचमुच… मैं नहीं ले सकती”, लड़की उसके पीछे-पीछे आई.
“क्रिसमस का समय है, क्रिसमस का”, गेब्रिएल ने कहा, और सीढ़ियों की ओर लगभग दुलकी चाल से लपकते हुए लिली की दिशा में हाथ हिलाकर जताया कि मामूली बात है.
जब लड़की ने देखा कि वह सीढ़ी तक पहुँच गया है तो वह पीछे से कुछ ऊँची आवाज़ में बोली, “थैंक यू, सर!”
•••••
ऊपर पहुँचकर उसने बैठक के दरवाजे के बाहर इंतजार किया कि अंदर चल रहा नाच समाप्त हो ले, दरवाजे के पीछे स्कर्टों के रगड़ खाने और पैरों की गति की आवाज़ सुनता वह खड़ा रहा. लड़की के कड़वाहट-भरे,अप्रत्याशित उत्तर से वह अप्रतिभ हो गया था और अब भी सहज नहीं हो पा रहा था. इस बात ने उसे एक विषाद से भर दिया जिसे दूर करने के लिए वह अपनी आस्तीनों को ठीक करने लगा, फिर बो टाई के किनारों को खींचकर दुरुस्त किया. उसके बाद उसने वास्केट की जेब से एक कागज का टुकड़ा निकाला और अपने भाषण के लिए बना रखे शीर्षकों पर एक नजर डाली. वहाँ राॅबर्ट ब्राउनिंग की कुछ पंक्तियाँ उद्धृत थीं जिनके बारे में वह अनिश्चय में था क्योंकि उसे भय था कि ये पंक्तियाँ श्रोताओं के सिर के ऊपर से निकल जायेंगी. उनकी जगह शेक्सपियर का कोई उद्धरण जो सुनने वालों को पता हो, या टाॅमस मूर के गीतों की कुछ पंक्तियाँ ज्यादा अच्छी होंगी. नाच रहे लोगों के जूतों की एड़ियों की परुष ध्वनि और पंजों की खस-खस आवाज़ उसे याद दिला रही थी कि उनका सांस्कृतिक स्तर उससे अलग था. उनको कविताओं की ऐसी पंक्तियाँ सुनाकर जो उनके पल्ले न पड़ें वह स्वयं ही हास्यास्पद बन जायेगा. वे सोचेंगे वह अपनी उच्च शिक्षा का प्रदर्शन कर रहा है. वह उसी तरह असफल होगा जैसे कोठार में उस छोकरी के साथ असफल रहा था. उसका लहजा ही गलत था.उसका पूरा मसौदा शुरू से आखिर तक एक भूल था, पूर्णतः असफल!
तभी उसकी मौसियाँ और पत्नी ड्रेसिंग रूम से निकलीं. मौसियाँ छोटे कद की, सादे लिबास पहने वृद्धाएँ थीं. आंट जूलिया एक इंच के लगभग अधिक लम्बी थीं. उनके बाल,जो कानों के ऊपर से नीचे की ओर कढ़े थे, सफेद हो चुके थे, उनका भारी, ढीले गालों वाला चेहरा भी सफेद था, चेहरे पर कहीं-कहीं दाग थे.वे दुहरे बदन की थीं और जरा भी झुकी न थीं, किन्तु आँखों की गति धीमी थी और ओठ कुछ खुले-से रहते थे जिससे भान होता था मानो उन्हें ठीक पता न हो कि कहाँ हैं या कहाँ जा रही हैं. आंट केट अधिक जिन्दादिल थीं. उनका चेहरा अपनी बहन की तुलना में स्वस्थ दिखता था, सूखे हुए सेव की तरह शिकन और झुर्रियों से भरा पर लाल; उनके बाल पुरानी चाल की चोटी में बँधे थे और बालों का पक्का भूरा रंग बरकरार था.
दोनों ने गेब्रिएल का अंतरंग ढंग से चुम्बन किया. वह उनका प्रिय भांजा था, उनकी स्वर्गीय बड़ी बहन एलेन का बेटा, जिसने पोर्ट और डाॅक्स बोर्ड के अधिकारी टी जे कॉनरॉय से शादी की थी.
“ग्रेटा कह रही थी कि तुम लोग आज रात मंक्सटाउन वापस नहीं जा रहे”, आंट केट ने गेब्रिएल से पूछा.
“नहीं जा रहे”, गेब्रिएल ने अपनी पत्नी की ओर मुँह घुमाकर कहा, “पिछले साल भुगत लिया था, नहीं? आंट केट, आपको याद होगा कि उस बार ग्रेटा को कैसा नजला-जुकाम हुआ था. सारे रस्ते बग्घी की खिड़कियाँ खड़खड़ाती रहीं और मेरियन को पार करते ही पूरब की बर्फीली हवा अंदर आने लगी. क्या यात्रा थी! ग्रेटा भयानक ठंड खा गई.”
भौंहों को संकुचित करके, प्रत्येक शब्द पर सिर हिलाकर सहमति जताते हुए केट ने पूरी बात सुनी और बोली, “सही बात है, गेब्रिएल, जितनी सावधानी बरती जाय उतना अच्छा”.
“जहाँ तक ग्रेटा का सवाल है, इसे जाने दो तो बर्फबारी के बीच पैदल ही घर चली जाय.”गेब्रिएल बोला.
ग्रेटा हँस पड़ी.
“इनकी बातें न सुनें, आंट केट, परेशानकुन आदमी है”, ग्रेटा बोली, “रात के समय टाॅम को आँखों पर ग्रीन शेड लगाने को कहना, उसे डम बेल लेकर कसरत करने के लिए बाध्य करना, और ईवा को दलिया खाने के लिए मजबूर करना! बेचारी! दलिये की शक्ल से उसे नफरत है….आप सोच भी नहीं सकते कि मुझे हाल में क्या पहनने को कहा गया है.”
वह अपने पति की ओर देखते हुए जोर-जोर से हँसने लगी. गेब्रिएल की प्रसन्न, चाहत-भरी निगाहें उसके परिधान से लेकर चेहरे और बालों तक घूम रही थीं. दोनों वृद्धाएँ ठठाकर हँस पड़ी थीं, गेब्रिएल का अपनों के लिए अति चिंताकुल होने का स्वभाव उनके लिए सदा विनोद का स्रोत रहा था.
“गलाॅशेज़”, ग्रेटा ने कहा, “यह सबसे नई शय है. पाँव के नीचे जरा नमी मिली कि मुझे गलाॅशेज़ पहनने होंगे. आज भी पहनाना चाहते थे पर मैं न मानी. अगली चीज जो मेरे लिए खरीद लायेंगे वो होगा गोताखोरी का लिबास!”
•••••
गेब्रिएल जबरिया हँसी हँसता आश्वस्ति दिखाने के लिए बो टाई पर हाथ फिराने लगा. उधर आंट केट को मजाक इतना पसंद आया कि हँस-हँसकर दुहरी हो गईं. लेकिन आंट जूलिया के होठों से मुस्कान गायब हो गई, अपनी सूनी आंखों को उन्होंने भांजे के मुँह पर टिका दिया. कुछ ठहरकर उन्होंने पूछा:
“गलाॅशेज़ क्या होते हैं, गेब्रिएल?”
“गलाॅशेज़, जूलिया!”- केट ने अचरज के साथ कहा – “हाय रे, तुम्हें गलाॅशेज़ के बारे में नहीं पता? वो… बूटों के…ऊपर पहनते हैं न, ग्रेटा?”
“हाँ, रबड़ के होते हैं. हम दोनों के पास एक-एक जोड़ा है. गेब्रिएल बोलता है उधर महाद्वीप पर सभी पहनते हैं.”- मिसेज काॅनराॅय ने उत्तर दिया.
“ओ…महाद्वीप पर…” जूलिया धीरे से अपना सिर हिलाती बुदबुदाई.
गेब्रिएल की भौंहें सिकुड़ आईं, जैसे नाराज हो; वह बोला, “ऐसी कोई खास चीज नहीं, लेकिन ग्रेटा को इसके नाम पर हँसी आती है क्योंकि ‘गलाॅशेज़ से उसे क्रिस्टी मिंस्ट्रेल्स की याद आती है. (मिंस्ट्रेल्स के किसी गाने का शीर्षक गलाॅशेज़ से मिलता-जुलता रहा होगा – अनु.)
केट ने चतुराई से बात का रुख मोड़ा, “यह बताओ, गेब्रिएल, यहाँ ठहरने का क्या इंतजाम किया? ग्रेटा कह रही थी…”
“वो …बढ़िया इंतजाम हो गया है, मैंने ग्रेशम होटल में कमरा बुक कर लिया है”गेब्रिएल ने कहा.
“बिलकुल, “, केट बोली, “यहाँ इससे अच्छा इंतजाम नहीं हो सकता था ; बच्चों के लिए कोई चिंता तो नहीं है, ग्रेटा?”
“ना, एक रात की बात है “, ग्रेटा ने कहा, “फिर देख-भाल के लिए बेसी है न!”
बिलकुल”, केट ने दुहराया, “बेसी-जैसी भरोसेमंद काम करने वाली हो तो कितना सुकून रहता है! और इस लिली को देखो, पता नहीं आजकल उसके ऊपर क्या सवार है, पहले-जैसी रही ही नहीं!”
गेब्रिएल इस विषय में मौसी से कुछ पूछना चाहता था, पर वे बोलते-बोलते रुककर अपनी बहन की ओर देखने लगीं जो कुछ सीढ़ियाँ उतरकर अब रेलिंग के ऊपर से गरदन झुकाकर नीचे झाँक रही थी.
“अब ये देखो!”, केट ने करीब आजिजी से कहा, “जूलिया जा कहाँ रही है? जूलिया! जूलिया! किधर जा रही हो?”
जूलिया, जो सीढ़ी पर आधा जीना नीचे उतरी थी, वापस लौट आई और सपाट स्वर में घोषणा की:
“फ्रेडी आ गया है.”
तभी तालियों की आवाज़ और समापन-सूचक अलंकार से ज्ञात हुआ कि नृत्य समाप्त हो चुका है. बैठक का दरवाज़ा अंदर से खोलकर कुछ नाचने वाले जोड़े बाहर आये. केट तत्काल गेब्रिएल की बाँह पकड़कर उसे किनारे ले गई और उसके कानों में फुसफुसाई:
“एक मेहरबानी करो, चुपके से नीचे जाकर देखो कि फ्रेडी किस हालत में है, अगर धुत्त होकर आया हो तो उसे ऊपर न आने देना. धुत्त तो होगा, बिला शक! मुझे पक्का पता है, धुत्त ही होगा.”
गेब्रिएल सीढ़ियों तक गया और नीचे झाँका. नीचे कोठार में दो लोगों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं. वह फ्रेडी मैलिन्स की हँसी पहचान गया. वह धड़धड़ाता हुआ सीढ़ियाँ उतर गया.
“राहत की बात है कि गेब्रिएल मौजूद है”, केट ने ग्रेटा से कहा, “वह यहाँ होता है तो मुझे तस्कीन रहती है … जूलिया! देखो, मिस डेली और मिस पावर को कुछ खिलाओ- पिलाओ. मिस डेली, बड़ा सुंदर बजाया आपने, नाच के साथ बेहतरीन मेल बना!”
एक लम्बा, पक्के रंग का, झुर्रीदार चेहरे और अधपकी कड़क मूछों वाला आदमी अपनी डांस पार्टनर के साथ गुजरा. “मिस माॅर्कन, हमें भी खाने-पीने को कुछ मिल सकता है?”, वह बोला.
“जूलिया, मिस्टर ब्राउन और मिस फर्लांग के लिए भी इंतजाम करो”, केट ने बेतकल्लुफी से कहा, “इन्हें भी मिस डेली और मिस पावर के साथ लेती जाओ.”
“मैं महिलाओं का खास आदमी हूँ”, कहते हुए मिस्टर ब्राउन ने ओठों को गोल किया जिससे उनकी मूछें एकदम खड़ी हो गईं. उनके गालों की तमाम झुर्रियों में हँसी फूट आई, “पता है, मिस माॅर्कन, कि महिलाएँ मुझे क्यों पसंद करती हैं … “
उन्होंने अपना वाक्य पूरा नहीं किया; यह देखकर कि केट उनकी आवाज़ की जद के बाहर हो गई है, उन्होंने तीनों महिलाओं की पीछे के कक्ष में अगवानी की. कक्ष के मध्य में दो चौकोर मेजें सटाकर लगाईं गई थीं जिन पर जूलिया और अभीक्षक एक बड़ी चादर बिछा रहे थे. साइडबोर्ड पर प्लेटें, बर्तन,गिलास, छुरी-काँटे, चम्मच – सब करीने से सजे थे.बंद छोटे पियानो का ढक्कन भी साइडबोर्ड की तरह इस्तेमाल हो रहा था, उस पर मिठाइयाँ और अन्य खाने की चीजें सजी थीं. एक कोने में एक छोटी आलमारी के पास दो लड़के खड़े थे जिनके हाथों में साफ्ट ड्रिंक थे.
•••••
मिस्टर ब्राउन अपने साथ की महिलाओं को उधर ले गये और उनको मजाक में ‘महिलाओं वाली’ पंच (फलों के रस और मदिरा से तैयार पेय- अनु.) का निमंत्रण दिया; यह बताने पर कि वे कोई मदिरायुक्त पेय ग्रहण नहीं करतीं, उनके लिए तीन लेमोनेड खोल दिए. फिर उन्होंने एक युवक को जगह देने को कहा और मदिरा पात्र को उठाकर अपने गिलास में काफी सारी ह्विस्की उड़ेल ली. आसपास खड़े युवकों ने ह्विस्की की मात्रा पर आदर-भाव-सा प्रकट किया, मिस्टर ब्राउन ने एक चुस्की ली.
“भगवान की दया है”, वे बोले, “बिल्कुल डाक्टर का नुस्खा!”
उनके झुर्रीदार चेहरे पर एक चौड़ी मुस्कान फैल गई, तीनों युवतियों ने इस विनोद पर एक साथ हँसी का संगीत प्रस्तुत किया – दाएँ-बाएँ हिलती और अपने कंधों को झटके देती.
उनमें जो युवती अधिक वाचाल थी, उसने कहा, “आप भी, मिस्टर ब्राउन! मैं पक्का कह सकती हूँ कि डाक्टर ने ऐसा कोई नुस्खा नहीं लिखा आपके लिए.”
मिस्टर ब्राउन ने ह्विस्की की एक और चुस्की ली, फिर एक ओर को सरकते हुए किसी और की आवाज़ निकालने की मुद्रा धारण की:
“देखिये, मैं प्रसिद्ध मिसेज़ कैसिडी की तरह हूँ, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने यह वाक्य कहा था : ‘मेरी ग्राइम्स, यदि मैं इसे नहीं ग्रहण करती तो मुझे ग्रहण कराओ, क्योंकि मुझे लगता है कि यह मुझे चाहिए.'” (संभवतः उस जमाने के किसी चुटकुले का अंतिम वाक्य- अनु.)
उनका लाल चेहरा कुछ ज्यादा ही सरगोशी के अंदाज में युवतियों के करीब आ गया था और उनका बोलने का लहजा निचले स्तर के डबलिन-वासियों की तरह हो गया था – एक अज्ञात सहजबुद्धि के प्रभाव से तीनों ने ब्राउन की बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. मिस फर्लांग, जो मेरी जेन की शिष्या थी, ने मिस डेली से उस सुंदर गाने का नाम पूछा जो उसने बजाया था. यह देखकर कि उन्हें भाव नहीं मिल रहा है, मिस्टर ब्राउन तत्काल उन दो नवयुवकों की ओर मुड़ गये जो उनके ज्यादा बड़े कद्रदान मालूम हो रहे थे.
सफेद-पीले-बैगनी कपड़ों में लिपटी एक लाल मुँह वाली लड़की कमरे में आई और उत्साहपूर्वक तालियाँ बजाती चिल्लाई:
“क्वाड्रील! क्वाड्रील!”(एक प्रकार का समूह नृत्य – अनु.)
उसके ठीक पीछे आंट केट आईं, उन्होंने आवाज़ दी, “मेरी जेन! दो पुरुष और तीन महिलाएं चाहिएँ!”
“अच्छा, दो पुरुष तो ये रहे – मिस्टर बर्जिन और मिस्टर केरिगन, मेरी जेन ने कहा, “मिस्टर केरिगन, आप मिस पावर के साथ हो लें, मिस फर्लांग, आपके लिए मिस्टर बर्जिन को पार्टनर बना रही हूँ.
“तीन महिलाएँ, मेरी जेन”, आंट केट ने कहा.
दोनों युवकों ने निर्दिष्ट युवतियों से इजाजत माँगी. मेरी जेन मिस डेली की ओर मुड़ी:
“मिस डेली, आपने लगातार दो नृत्यों के लिए पियानो बजाया, बड़ी बात है. फिर भी आपको इस नृत्य में भाग लेने को कह रही हूँ…क्या करें, महिलाएँ कम पड़ रही हैं.”
“मुझे जरा भी एतराज नहीं, मिस माॅर्कन. “
“लेकिन पार्टनर आपको अव्वल दे रही हूँ – मिस्टर बार्टेल डार्सी, जाने-माने ‘टेनर’ (विशेष प्रकार की आवाज़ वाला गायक – अनु.). मैं बाद में उनसे गाने का आग्रह करूँगी. डबलिन में उनके बड़े चर्चे हैं.”
“प्यारी आवाज़, प्यारी आवाज़!”, आंट केट ने कहा.
पियानो में पहली वर्गाकृति ( क्वाड्रील में नर्तक नाचते हुए वर्गों जैसे आकार बनाते हैं -अनु.) की भूमिका दुबारा शुरू होने लगी थी, इसलिए मेरी जेन अपने छह रंगरूटों को लेकर जल्दी से निकल गई. वे अभी निकले ही थे की जूलिया धीरे-धीरे, खोई-सी कमरे में दाखिल हुई; वह अपने पीछे कुछ देखती आ रही थी.
“क्या बात है, जूलिया”, केट ने चिंतित स्वर में पूछा, “कौन आ गया?”
जूलिया के हाथों में ढेर-से नैपकिन थे, जूलिया के प्रश्न से वह चकित प्रतीत हुई, सहज स्वर में बोली,”कुछ नहीं, फ्रेडी है; गेब्रिएल उसके साथ है.”
वस्तुतः जूलिया के पीछे गेब्रिएल फ्रेडी मैलिन्स को सीढ़ियों के पास से कोहनी पकड़कर लाता दिखा. फ्रेडी करीब चालीस साल का आदमी था; उसकी शारीरिक गठन गेब्रिएल-जैसी थी, पर कंधे आगे की ओर काफी झुके हुए थे.उसका चेहरा मेदयुक्त और रक्तहीन था, थोड़ी ललाई जो दिखती थी वह कान की मोटी, लटकती लो में या चौड़े नथुनों के सिरों पर,बस. उसके मुखाकृति अनाकर्षक थी – छोटी, ऊपर को उठी नाक, गोल और ललाट की ओर उठी हुई भौंहें तथा मोटे, उभरे हुए होठ. अपनी मोटी, अधखुली पलकों और बिखरे, विरल बालों की वजह से वह उनींदा-सा लगता था.वह गेब्रिएल को कोई मजाकिया कहानी सुनाता आया था और उस पर खुद ही दिल खोलकर हँस रहा था; साथ-साथ बाएँ हाथ की मुट्ठी बाईं आँख पर ऊपर-नीचे रगड़ रहा था.
“गुड ईवनिंग, फ्रेडी”, जूलिया ने कहा.
फ्रेडी ने दोनों माॅर्कन बहनों को ‘गुड इवनिंग’ कहा – कहने का तरीका फ्रेडी की सदा अटकती आवाज़ में कुछ ज्यादा ही बेतकल्लुफ मालूम हुआ. फिर साइडबोर्ड के पास खड़े मिस्टर ब्राउन को अपनी ओर देखकर दाँत खोलकर मुस्कराता पाया तो वह कुछ डगमगाते पगों से कमरा पार करके उनके पास पहुँचा और उन्हें वही मजाकिया कहानी धीमे स्वर में सुनाने लगा जो उसने गेब्रिएल को सुनाई थी.
आंट केट ने गेब्रिएल से कहा, “ज्यादा बुरी हालत में तो नहीं दीखता!”
गेब्रिएल की भौंहें तनी हुई थीं, पर अब उसने उन्हें ऊपर उठाकर जवाब दिया :
“ना, ना – पता भी नहीं चल रहा है!”
“कैसा वाहियात आदमी है!”, वे बोलीं, “नये साल पर बेचारी इसकी माँ ने इसे शपथ दिलवाई थी. (मद्यविरोधी संस्थाओं द्वारा शराब न पीने की धार्मिक शपथ दिलाई जाती थी – अनु.) चलो, गेब्रिएल, बैठक में चलो.”
•••••
कमरे से निकलने के पहले केट ने मिस्टर ब्राउन की ओर देखा और भौंहें सिकोड़कर, उंगली से इनकार का इशारा किया. मिस्टर ब्राउन ने सिर झुकाकर संकेत स्वीकार किया और केट के जाने के बाद फ्रेडी से बोले:
“हाँ, तो टेडी, तुम्हारे लिए एक गिलास बढ़िया लेमोनेड हाजिर करता हूँ, तुम्हारे अंदर ताजगी आ जायेगी.”
फ्रेडी की मजाकिया कहानी का चरम क्षण आने वाला था, उसने हाथ के इशारे से मिस्टर ब्राउन को आजिजी के साथ मना किया; परंतु ब्राउन ने फ्रेडी के कपड़ों की बेतरतीबी की ओर उसका ध्यान आकृष्ट करते हुए एक ग्लास-भर लेमोनेड भरकर उसे पकड़ा दिया. फ्रेडी ने यंत्रवत बायें हाथ से गिलास पकड़ा, दायें हाथ से वह अपने कपड़ों को यंत्रवत ही खींच-तान कर सीधा करने लगा था. मिस्टर ब्राउन की झुर्रियों में एक बार फिर हँसी फूटी, अपने लिए उन्होंने ह्विस्की का एक और बड़ा पेग बना लिया था. तभी फ्रेडी अपनी कहानी का अंत होने के पहले ही हँसी से फट पड़ा – उसे तीखी, ब्रांकाइटिस-ग्रस्त हँसी का दौरा आया; अपना भरा गिलास उसने बिना चखे नीचे रख दिया, अपने बाएँ हाथ की मुट्ठी से बाईं आँख को ऊपर-नीचे रगड़ने लगा और साथ-साथ, हँसी के दौरे के बीच जितना सम्भव हुआ उतना अपनी कहानी को पूरा किया.
•••••
जब मेरी जेन ने पंडिताऊ शैली का संगीत बजाना शुरू किया- तमाम उस्तादी लटकों-झटकों से भरा दुरूह संगीत- तब गेब्रिएल सुनने को नहीं रुका, हालाँकि बैठक में अन्य श्रोता निर्वाक बैठे थे. उसे संगीत पसंद था पर यह संगीत उसके हिसाब से मधुर नहीं था, जिन लोगों ने मेरी जेन से इसकी फरमाइश की थी उन सुनने वालों को भी शायद ही माधुर्य की प्रतीति हुई हो. जिस कमरे में नाश्ता-पानी चल रहा था वहाँ से चार युवा पियानो की आवाज़ सुनकर बैठक के दरवाजे तक आये, पर थोड़ी ही देर में ही एक-एक करके निकल लिए. ऐसा लग रह था कि यह संगीत केवल दो लोग ही समझ रहे हैं – खुद मेरी जेन, पियानो के परदे पर फुर्ती से उँगलियाँ चलाती और बीच-बीच में उसे छोड़कर हाथों को इस तरह उठाती मानो कोई साध्वी शाप देने को प्रस्तुत हो रही हो, और आंट केट जो बगल में खड़ी स्वर-लिपि के पन्ने पलट रही थीं.
फर्श की चमक से परेशान – बड़े फानूस की तेज रोशनी में पालिश किया हुआ लकड़ी का फर्श उसकी आँखों में चुभ रहा था- गेब्रिएल चलता हुआ पियानो के पीछे की दीवाल के पास पहुँच गया. रोमियो और जूलियट के बालकनी दृश्य का एक चित्र उस पर लटका था. इस चित्र की बगल में उन दो राजकुमारों का चित्र था जिनकी रिचर्ड तृतीय ने टावर आफ लंडन में हत्या करा दी थी ; यह चित्र आंट जूलिया ने अपनी युवावस्था में लाल, नीले और भूरे ऊन से बनाया था. मौसियाँ जिस स्कूल में जाती थीं वहाँ शायद यह शिल्प साल भर के लिए पढ़ाया जाता था. गेब्रिएल की माँ ने उसके लिए एक जामुनी रंग की पापलीन की वास्कट जन्मदिन के तोहफे के तौर पर बनाई थी, उस पर छोटे-छोटे लोमड़ियों के सिर बने थे, लाइनिंग साटन की थी और शहतूत की लकड़ी के बटन टँके थे. अचरज की बात थी कि उसकी माँ की संगीत में गति शून्य थी, हालाँकि आंट केट उन्हें परिवार का सबसे जहीन सदस्य मानती थीं.
केट और जूलिया दोनों ही अपनी गम्भीर स्वभाव की बुजुर्गाना बहन को लेकर बड़ा गर्व अनुभव करती थीं. दीवार पर लगे बड़े आईने के पास उनका चित्र लगा था जिसमें उनकी गोद में एक किताब खुली पड़ी थी और वे सेलर सूट में सज्जित, उनके पाँव के पास लेटे कांस्टंटीन को किताब में कुछ दिखा रही थीं. उन्होंने ही अपने बेटों के नाम चुने थे क्योंकि पारिवारिक जीवन की गरिमा के बारे में वे अत्यंत सचेत थीं. इस बात का श्रेय उन्हीं को जाता था कि कांस्टंटीन बालब्रिगन में सीनियर क्यूरेट (क्यूरेट=निचले पद का पादरी – अनु.) था और स्वयं गेब्रिएल ने राॅयल युनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त की थी. उसके चेहरे पर एक छाया-सी तैर गई जब उसे याद आया कि किस तरह जिद पकड़कर माँ ने उसकी शादी का विरोध किया था. ग्रेटा को लेकर जो अपमानजनक बातें उन्होंने कही थीं वे अब भी गेब्रिएल का मन दुखा जाती थीं. एक बार उन्होंने ग्रेटा को देहाती ढंग से आकर्षक कहा था जो कतई सच नहीं था. उनकी आखिरी, लम्बी बीमारी में ग्रेटा ने ही मंक्सटाउन के घर में रखकर उनकी सुश्रूषा की थी.
गेब्रिएल को पता चल गया कि मेरी जेन का वादन समाप्त हो रहा था क्योंकि वह आरंभिक धुन पर वापस आ गई थी…समापन तार सप्तक और मंद्र सप्तक बजाकर हुआ. मेरी जेन के लिए खूब तालियाँ बजीं; इस बीच वह शरमाती और घबराई-सी स्वरलिपि वाले कागजों को समेटकर कमरे से बाहर हो गई. सबसे जोरदार तालियाँ उन चार युवाओं ने बजाईं जो पहले दरवाजे तक आकर खिसक लिए थे और अब वादन समाप्त होने के साथ-साथ वापस आ गये थे.
अब लांसर्स ( सामूहिक नृत्य का एक प्रकार- अनु.) की तैयारी होने लगी. गेब्रिएल की पार्टनर बनीं मिस आइवर्स. वह साफगो और बातूनी युवती थी. उसके गालों पर धूप से बने छोटे-छोटे दाने थे और उसकी भूरी आँखें उभरी हुई थीं. उसके परिधान का गला नीचे तक नहीं कटा था; कालर पर टँका ब्रोच (जड़ाऊ पिन-अनु) आयरलैंड की प्राचीन शैली में निर्मित था और उस पर कोई आयरिश राष्ट्रवादी नारा खुदा था. सहसा वह बोली:
“मुझे आपसे बात करनी है.”
“मुझसे?”, गेब्रिएल ने कहा.
युवती ने गम्भीरतापूर्वक गरदन झुकाकर पुष्टि की.
“क्या हो गया?”, गेब्रिएल ने उसकी गम्भीरता पर मुसकराते हुए पूछा.
“जी.सी. कौन है?”, मिस आइवर्स ने उसके ऊपर नजरें जमाकर जवाबी सवाल किया.
गेब्रिएल का मुँह लाल हो आया, वह न समझने की मुद्रा में भौंहें सिकोड़ने का उपक्रम कर ही रहा था कि मिस आइवर्स ने बेलाग तरीके से कहा:
“वा रे भोलेनाथ! मुझे पता चल गया है कि आप डेली एक्सप्रेस के लिए लिखते हैं. आपको शर्म नहीं आती?”
“क्यों शर्म आनी चाहिए?”, गेब्रिएल ने अपनी पलकें झपकाते हुए कहा और मुसकराने की चेष्टा की.
“अच्छा! तो मैं शर्मिन्दा हूँ आपको लेकर”, मिस आइवर्स ने दो-टूक जवाब दिया. “यह कहना कि ऐसे अखबार के लिए लिखने में आपको हर्ज नहीं दिखता! मुझे नहीं पता था कि आप पछाँही अंग्रेज हैं.”( अर्थात आयरलैंड पर ब्रिटिश हुकूमत का समर्थक आयरलैंड-वासी- अनु)
गेब्रिएल के मुँह पर आश्चर्य-मिश्रित विमूढ़ता का भाव प्रकट हुआ. यह सच था कि वह हर बुधवार को ‘द डेली एक्सप्रेस ‘ के लिए एक साहित्यिक स्तम्भ लिखता था और इसके लिए उसे 15 शिलिंग का पारिश्रमिक मिलता था. पर इसके लिए उसे पछाँही अंग्रेज तो नहीं कहा जा सकता! समीक्षा के लिए जो किताबें आती थीं वे प्रायः इस नगण्य पारिश्रमिक से ज्यादा मूल्यवान लगती थीं उसे. नई छपी किताब की जिल्द पर हाथ फेरना और उसके पन्ने पलटना उसे खूब भाता था. लगभग रोज ही कॉलेज की कक्षाएँ समाप्त होने के बाद वह घाटों के किनारे-किनारे होकर पुरानी किताबों की दूकानों की ओर निकल जाता – बैचलर्स वाक पर स्थित हिकीज़,आस्टन घाट पर स्थित वेब्स या मास्सीज़, तथा गली में स्थित ओ’क्लाहिसीज़. उसे समझ नहीं आ रहा था कि मिस आइवर्स के द्वारा लगाए गये अभियोग का क्या उत्तर दे. वह कहना चाहता था कि साहित्य राजनीति के ऊपर है. परंतु वह वर्षों की मित्र थी और उन दोनों का जीवन विश्वविद्यालय की पढ़ाई से लेकर अध्यापन तक समानांतर चलता रहा था, इसलिए उसके सामने इस तरह का ‘उच्च विचार’ रखना निरापद नहीं था. वह अपनी आँखें झपकाता मुसकराने का प्रयास करता रहा और कमजोर लहजे में बुदबुदाया कि किताबों की समीक्षा लिखने में कौन सी राजनीति है.
जब तक नाच में जगह बदलने का समय आया तब तक गेब्रिएल उद्विग्न और अनमना रहा. सहसा मिस आइवर्स ने गर्मजोशी के साथ उसका हाथ पकड़ा और नर्म,दोस्ताना लहजे में बोली:
“मैं मजाक कर रही थी, सचमुच! चलो जगह बदल लें.
जगह बदलते हुए जब वे फिर साथ नाचने आये तब वह विश्वविद्यालय के विवाद (ब्रिटिश सरकार द्वारा कैथलिक आयरलैंड पर प्रोटेस्टेंट उच्च शिक्षा थोपने का विरोध – अनु) पर बात करने लगी, जिससे गेब्रिएल प्रकृतिस्थ अनुभव करने लगा. युवती की किसी मित्र ने उसे गेब्रिएल की लिखी ब्राउनिंग की कविताओं की समीक्षा दिखाई थी. इस तरह उसे यह रहस्य ज्ञात हुआ था : लेकिन समीक्षा उसे बहुत पसंद आई थी. सहसा वह बोली:
“सुनिये, मिस्टर काॅनराॅय, गर्मियों में एरन द्वीप-समूह में घूमने चलेंगे? हम लोग उधर पूरे महीने भर रहेंगे. एटलांटिक महासागर के बीच – मजा आयेगा. आपको भी चलना चाहिए- मिस्टर क्लैंसी चलेंगे, और मिस्टर किल्केली तथा कैथलीन कार्नी भी. ग्रेटा चले तो उसके लिए भी शानदार मौका होगा – वह काॅनेट से है न?”
“उसका परिवार काॅनेट से है”, गेब्रिएल ने कुछ नाराजगी के स्वर में कहा.
“लेकिन आप चलेंगे न?”, मिस आइवर्स ने उसकी बाँह पर कुतूहलपूर्वक अपना गरम हाथ रखा.
“दर असल मैने पहले से ही ____”, गेब्रिएल बोला.
“पहले से क्या?”, मिस आइवर्स का सवाल आया.
“ऐसा है… कि मैं उस समय कुछ दोस्तों के साथ फ्रांस या बेल्जियम साइकिल यात्रा पर जाता हूँ, कभी जर्मनी भी”, गेब्रिएल ने असहज भाव से कहा.
“क्यों जाते हैं फ्रांस और बेल्जियम”, मिस आइवर्स ने कहा, “अपने देस में क्यों नहीं घूमते?”
गेब्रिएल ने उत्तर दिया, “कुछ तो फ्रेंच और जर्मन भाषाओं से सम्पर्क बना रहे, इसलिए जाते हैं, और कुछ तफरीह के लिए.”
“आपके पास सम्पर्क रखने को अपनी भाषा नहीं है – आयरिश? “मिस आइवर्स ने सवाल किया.
“देखिये”, गेब्रिएल ने कहा, “अगर इसी पर बात आ जायँ तो आयरिश मेरी भाषा तो नहीं है.”
आसपास के लोग इस जिरह को सुनने के लिए उन दोनों की ओर मुड़ने लगे थे. गेब्रिएल ने घबराहट में दाएँ-बाएँ नजर फिराई और कोशिश की कि जिस कठिन परीक्षा के फलस्वरूप उसका माथा तक लाल हो आया था, उसके कारण उसका मिजाज खराब न हो.
“और आपके पास घूमने के लिए अपना देस नहीं है”, मिस आइवर्स ने बोलना जारी रखा, “जिनके बारे में आपको कुछ मालूम नहीं है – अपने लोग, अपना देश?”
“सच कहूँ तो मैं अपने ही देश से बेजार हो चुका हँ, कतई बेजार!”, गेब्रिएल सहसा तीखे स्वर में बोला.
“क्यों?”, मिस आइवर्स ने प्रश्न किया.
गेब्रिएल ने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि अभी जो उसने कहा था उसकी वजह से उसका चेहरा तमतमा आया था.
“क्यों?”, मिस आइवर्स ने फिर पूछा.
उन दोनों को नृत्य में आवश्यक वर्गाकृति बनाने के लिए प्रस्तुत होना था.
क्योंकि गेब्रिएल ने कोई जवाब नहीं दिया था इसलिए मिस आइवर्स ने तल्खी से कहा, “आपके पास जवाब है ही नहीं.”
गेब्रिएल ने नाच में अतिरिक्त ऊर्जा दिखाकर अपनी व्यग्रता छिपाने की कोशिश की. वह मिस आइवर्स से नजरें चुराने लगा क्योंकि युवती के मुँह पर उसे कड़वाहट दिखी. लेकिन जब नृत्य के दौरान सभी ने शृंखला बनाई और दोनों बगलगीर हुए तो गेब्रिएल ने अपने हाथों पर युवती के हाथों का दबाव महसूस किया. उसे हैरत हुई. सवालिया निगाहों से वह उसे भौहों के नीचे से एक पल देखती रही; गेब्रिएल के चेहरे पर बरबस मुसकान आ गई. जब शृंखला दुबारा बनाने का उपक्रम होने लगा तो वह पंजों के बल खड़ी हुई और अपना मुँह गेब्रिएल के कान के पास लाकर फुसफुसाई:
“पछाँही अंग्रेज!”
•••••
नृत्य समाप्त होने के बाद गेब्रिएल कमरे के एकांत कोने में गया, जहाँ फ्रेडी मैलिन्स की माँ बैठी हुई थीं. वे स्थूल किन्तु अशक्त वृद्धा थीं, उनके बाल सफेद हो चुके थे. फ्रेडी की तरह वह भी अटकती आवाज़ में बोलती थीं और थोड़ा हकलाती भी थीं. उनको किसी ने बता दिया था कि फ्रेडी आ चुका था और ठीक ही हाल में था. गेब्रिएल ने उनसे पूछा कि समुद्र मार्ग में कोई दिक्कत तो नहीं हुई. वे ग्लास्गो में अपनी विवाहिता पुत्री के साथ रहती थीं और साल में एक बार डबलिन आती थीं. उन्होंने संतुष्ट स्वर में उत्तर दिया कि यात्रा अच्छी रही थी और जहाज के कप्तान ने उनका बड़ा ख्याल रखा था. उन्होंने यह भी बयान किया कि उनकी पुत्री अपना घर कितनी अच्छी तरह संभालती थी और परिवार के कितने सारे मित्र थे.
वे इसी तरह इधर-उधर की बातें करती रहीं, लेकिन इस समय गेब्रिएल अपने मन से मिस आइवर्स के साथ हुई अप्रीतिकर बातों को निकालने का प्रयास कर रहा था. ठीक है कि वह युवती या महिला या जो भी हो, अति उत्साही स्वभाव की है, पर हर चीज का एक समय होता है! शायद उसे खुद भी इस तरह के जवाब नहीं देने चाहिए थे. लेकिन मजाक में भी सारे लोगों के सामने उसे पछाँही अंग्रेज कहने का मिस आइवर्स का हक नहीं बनता था. उसने दूसरों के सामने उसका मजाक बनाया था – अपनी खरगोश-की-सी आँखों से उसे घूरती और आक्रामक ढंग से सवाल करती!
उसने वाल्ट्स नाचने वाले जोड़ों के बीच से ग्रेटा को आते देखा. पास आकर वह उसके कान में बोली:
“गेब्रिएल, आंट केट पूछ रही हैं कि हर बार की तरह साबुत पके हंस को तुम काटकर परसोगे? मिस डेली ‘हैम’ परसेंगी. मीठा मैं परस दूँगी. “
“ठीक है”, गेब्रिएल ने कहा.
“वाल्ट्स खत्म होते ही वे पहले छोटों को अंदर भेज देंगी ताकि बाद में खाने की टेबुल हम लोगों को खाली मिले.”
“तुम भी नाच में शामिल थीं?”, गेब्रिएल ने पूछा.
“हाँ, बिलकुल थी, देखा नहीं? माॅली आइवर्स से क्या बात हो गई? “
“कुछ नहीं, वह कुछ कह रही थी?”
“झगड़े-जैसा कुछ बता रही थी. मैं उस मिस्टर डार्सी को गाने के लिए मना रही हूँ, मुझे तो घमंडी लग रहा है.”
“झगड़ा-जैसा कुछ नहीं हुआ. वह मुझे पश्चिमी आयरलैंड की यात्रा पर आमंत्रित कर रही थी और मैंने मना कर दिया”, गेब्रिएल ने अन्यमनस्क भाव से कहा.
ग्रेटा ने उछलकर ताली-सी बजाई :
“जरूर चलो गेब्रिएल, “वह बोली, “एक बार फिर गालवे देखने को मिले तो क्या कहने!”
“तुम चाहो तो जा सकती हो”, गेब्रिएल ने रुखाई से कहा.
एक क्षण तक वह उसकी ओर देखती रही, फिर मिसेज मैलिंस की ओर मुड़कर बोली, “देखिए, इसे कहते हैं भला पति!”
वह भीड़ में रास्ता बनाती लौटने लगी, मिसेज मैलिन्स ने अपनी कहानी जारी रखी मानो बीच में कुछ हुआ ही नहीं – स्काटलैंड में कैसी सुंदर जगहें हैं, प्राकृतिक सौंदर्य कितना अधिक है. उनका दामाद उन सबको झीलों की सैर कराता है जहाँ वे मछलियाँ मारते हैं. उनका दामाद मछलियाँ पकड़ने में उस्ताद है. एक दिन उसने येऽ बड़ी मछली पकड़ी, होटल वाले रसोइए ने उन लोगों के लिए पकाई.
गेब्रिएल ने शायद ही कुछ सुना. अब खाना आने वाला था, तो उसे अपने भाषण और ब्राउनिंग के उद्धरण का ख्याल फिर से आने लगा. जब उसने फ्रेडी मैलिन्स को अपनी माँ की ओर आते देखा तो कुर्सी उसके लिए खाली कर दी और खिड़की की ओर चला गया. कमरा खाली हो गया था और पिछले कमरे से प्लेटों और काँटे-छुरियों को हटाने-रखने की आवाज़ें आ रही थीं. जो लोग अब भी बैठक में थे वे नाच-नाचकर थक गये जान पड़ते थे और छोटी टोलियाँ बनाकर धीमे बतिया रहे थे. गेब्रिएल ने काँपती गर्म उँगलियों से खिड़की के ठंडे शीशे पर ठक-ठक किया. बाहर वातावरण कितना शीतल होगा! नदी के किनारे-किनारे, फिर पार्क में अकेले सैर करना कितना आनंददायक होगा! पेडों की डालियों पर बर्फ जमा होगी और वेलिंग्टन स्मारक के ऊपर बर्फ की चमकती हुई टोपी-सी दिख रही होगी. वहाँ होना खाने की मेज पर होने की तुलना में कितना अधिक खुशगवार होगा!
उसने भाषण के लिए तैयार किए बिन्दु दुहराये: आयरिश लोगों की अतिथि-परायणता, दुःखद स्मृतियाँ, ‘थ्री ग्रेसेज़’ (ग्रीक मिथक में सौम्यता, लावण्य और ऐहिक सुखों की प्रतीक तीन देवियाँ, भाषण में गेब्रिएल केट,जूलिया और मेरी जेन की तुलना इन देवियों से करेगा- अनु), पेरिस (ग्रीक मिथक से, पेरिस ने चुनाव किया था कि दैवीय फल तीन देवियों हीरा, एथेना और ऐफ्रोडाइटी में किसको मिलेगा ), तथा ब्राउनिंग का उद्धरण. ब्राउनिंग की समीक्षा में उसने एक जुमला लिखा था जो उसे याद आया, “लगता है हम विचार-निपीड़ित संगीत सुन रहे हैं”. मिस आइवर्स ने समीक्षा की तारीफ की थी. वह सच बोल रही थी? प्रोपेगैंडा के बाहर उसकी कोई निजी जिन्दगी थी भी क्या?
इस रात के पहले उन दोनों के बीच कभी कोई मनमुटाव नहीं हुआ था. यह सोचकर उसे घबराहट होने लगी कि उसके भाषण के दौरान वह महिला खाने की मेज पर बैठी परखती और सवाल करती निगाहों से उसे लगातार देख रही होगी. उसका भाषण असफल हुआ तो वह शायद दुखी न होगी. उसको एक ख्याल आया जिससे उसकी हिम्मत बँधी. आंट केट और आंट जूलिया को लेकर वह यह कहेगा: “देखियो और सज्जनो, हमारे सामने जो पीढ़ी उम्र के उतार पर है, उसमें खामियाँ भी रही होंगी पर जहाँ तक मैं समझता हूँ उसमें अतिथि-परायणता, विनोदप्रियता और मानवीयता के ऐसे गुण थे जिनका नयी, हमारे चहुंओर उभरती अतिगम्भीर और अतिशिक्षित पीढ़ी में मुझे अभाव दिखता है.”बढ़िया! मिस आइवर्स पर अच्छी चोट होगी! इससे क्या फर्क पड़ता है कि उसकी मौसियाँ मात्र दो अज्ञ वृद्धाएँ थीं?
कमरे में कुछ सुगबुगाहट हुई तो उसका ध्यान टूटा. मिस्टर ब्राउन आंट जूलिया को नागर शैली में अपनी बाँह पर उनका हाथ रखाये कमरे के अंदर आते दिखे, आंट जूलिया सिर झुकाये, मुस्कराती उनका सहारा लेकर चल रही थीं. जहाँ-तहाँ तालियों की आवाज़ हुई, जैसे रुक-रुक कर बंदूकें चल रही हों ; तालियों के बीच जूलिया पियानो तक पहुँचीं. मेरी जेन पियानो पर बैठी, और जूलिया मुसकराना बंद करके थोड़ा मुड़ गईं जिससे उनकी आवाज़ पूरे कमरे में ठीक से गूँजे. गेब्रिएल ने गाने की भूमिका पकड़ ली. यह आंट जूलिया के एक पुराने गाने की भूमिका थी —
“अरेड फ़ाॅर द ब्राइडल”(शादी के जोड़े में). उनकी सशक्त आवाज़ में स्वर स्पष्ट भासित होने लगे, गायन के अलंकारों को उन्होंने सशक्त ढंग से बरता और गायन की तीव्र गति के बावजूद कोई बहुत छोटा कण-स्वर तक उनसे नहीं छूटा. गायक की ओर न देखो और केवल स्वर सुनो तो तेज और सुरक्षित उड़ान की उत्तेजना को अनुभव और साझा करने की प्रतीति हो! गायन समाप्त होने पर औरों के साथ गेब्रिएल ने सोत्साह तालियाँ बजाईं, अंदर खाने की मेज पर बैठे अदृश्य श्रोताओं की तालियों की आवाज़ भी आई. तालियाँ जिस अकुंठ प्रशंसा-भाव से बजीं, उससे आंट जूलिया के सामान्यतः नीरक्त मुँह पर भी लाली आ गई; वे अपनी स्वाक्षरित चमड़े की जिल्द वाली, पुरानी गानों की कापी को स्टैंड पर वापस रखने को झुकीं. फ्रेडी मैलिन्स, जो बेहतर सुन पाने के सिर तिरछा किये बैठा था, औरों के बंद करने के बाद भी ताली पीटता रहा; वह अपनी माँ से अति उत्साहपूर्वक कुछ कह रहा था और वे गम्भीरतापूर्वक, धीमे-धीमे स्वीकृति में सिर हिला रही थीं. अंततः जब वह ताली बजाकर थक चुका तो उठ पड़ा और तेज कदमों से कमरा पार कर आंट जूलिया के पास पहुँच गया, अपने हाथों में उनका हाथ लेकर उसने बोलना शुरू किया और जब-जब उपयुक्त शब्द न मिले या उसकी अटकती आवाज़ ने साथ न दिया तब आंट जूलिया का करमर्दन करने लगा.
“मैं माँ से कह रहा था कि मैने आपको ऐसा मधुर गाते कभी नहीं सुना, कभी नहीं. ना, आज जैसी सुनी ऐसी आपकी आवाज़ कभी न सुनी थी. वाह! विश्वास करेंगे आप? पूरा सच है लेकिन. कसम खाकर कहता हूं कि सच है. आपकी आवाज़ पहले इतनी…ताजा-तरीन और इतनी…इतनी साफ.. और ताजा-तरीन कभी नहीं लगी, कभी नहीं! “
आंट जूलिया खुलकर मुस्कराई, ‘तारीफ़ के लिए…’ जैसा कुछ बुदबुदाईं और अपना हाथ छुड़ा लिया. मिस्टर ब्राउन उनकी ओर हाथ फैलाते हुए मंच के प्रस्तोता की तरह – जो किसी नवोदित, विलक्षण प्रतिभा को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हो – बोले:
“मिस जूलिया माॅर्कन, मेरी नई खोज!”
बोलकर वे खुद ही जोर-जोर से हँसने लगे, कि फ्रेडी मैलिन्स उनकी ओर मुड़ा और बोला:
“देखो, ब्राउन, अगर तुम गम्भीर हो तो तो तुम्हारी खोज इससे अच्छी क्या हो सकती थी? मैं तो इतना ही कह सकता हूँ कि आज तक जितनी बार आया हूँ, कभी इनको इस बार के आधा अच्छा भी गाते नहीं सुना.”
“न मैंने सुना है”, मिस्टर ब्राउन ने कहा, “मेरे ख्याल से इनकी आवाज़ और ज्यादा अच्छी हो गई है.”
आंट जूलिया ने कंधे उचकाये और नम्रतामिश्रित गर्व के साथ बोलीं, “तीस साल पहले मेरी आवाज़ बुरी नहीं थी.”
“मैंने जूलिया से बार-बार कहा था कि वह चर्च के समूहगान में अपनी प्रतिभा को नष्ट कर रही है, पर वह मेरी बात सुनती कब थी! “, आंट केट बोलीं; उन्होंने दूसरों की ओर रुख किया, मानो किसी उद्दंड बच्चे की शिकायत कर रही हों और लोगों से सहमति की आशा कर रही हों. आंट जूलिया सामने की ओर अपलक देखती रहीं, उनके चेहरे पर पुरानी स्मृतियों से जनित एक अस्पष्ट मुस्कान खेल गई.
“नहीं”, आंट केट ने कहना जारी रखा,”ये किसी की बात न सुनती, न कोई सलाह मानती ; रात- दिन चर्च की गायक मंडली में गुलाम की तरह जुती रहती. क्रिसमस के दिन सुबह साढ़े छह बजे से! क्या मिला?”
“परमेश्वर की सेवा है, आंट केट!”, मेरी जेन पियानो स्टूल पर घूमकर मुसकराती हुई बोली.
आंट केट उग्र मूर्ति धारण करके भतीजी की ओर मुड़ीं, बोलीं :
“मुझे ईश्वर की सेवा के बारे में सब पता है, लेकिन पोप को यह बिल्कुल शोभा नहीं देता कि स्त्रियों को – जिन्होंने इस काम में जिन्दगी लगा दी – गायक-मंडली से निकालकर जरा-जरा से छोकरों को उनकी जगह बैठा दिया. मान लेती हूँ कि पोप ने किया है तो चर्च के भले के लिए किया होगा, लेकिन यह न्यायसंगत नहीं है, न इसे उचित मान सकते हैं.”
[नवंबर,1903 में पोप ने स्त्रियों को गिरजों के ‘क्वायर’ या गायक-मंडली से हटाने का हुक्म जारी किया था. इस कहानी के घटनाक्रम का अनुमित काल जनवरी 1904 है. जूलिया अब भी चर्च में गा रही थी तो इसका मतलब है कि ‘एडम ऐंड ईव्ज़’ का पादरी इस हुक्म की तामील में देर कर रहा था. फिर भी तलवार शायद लटकी थी!-अनु]
आंट केट गुस्से में थीं और अपनी बहन के हक में और भी कुछ बोलतीं क्योंकि इस विषय को लेकर उनके मन में बड़ा क्षोभ था, परंतु मेरी जेन ने देखा कि सारे नाचने वाले वापस आ गये थे, इसलिए उसने बीच में टोकते हुए आंट केट को मनुहार के स्वर में सम्बोधित किया:
“अब देखो, आंट केट, आप मिस्टर ब्राउन को काँटों में घसीट रही हो, वे तो दूसरे सम्प्रदाय (प्रोटेस्टेंट) से हैं!”
आंट केट ने मिस्टर ब्राउन की ओर देखा – वे अपने धर्म का उल्लेख सुनकर निःशब्द हँस रहे थे – और तत्काल बोलीं:
“अरे, पोप जो करेंगे ठीक ही करेंगे इस बारे में मुझे कोई संशय नहीं है. मैं – बूढ़ी, बुद्धिहीन – पोप के आदेश पर प्रश्न उठाने का दुस्साहस करूँगी? फिर भी सामान्य शिष्टाचार और कृतज्ञता भी कोई चीज होती है! जूलिया की जगह मैं होती तो उस फादर हीली को साफ उसके मुँह पर कह देती…”
“इसके अलावा हम सभी को भूख लग आई है, आंट केट; भूख लगी हो तो गुस्सा भी ज्यादा आता है.”, मेरी जेन ने कहा.
“और जब प्यास लगी हो तब भी गुस्सा आता है”, मिस्टर ब्राउन ने जोड़ा.
“तो फिर पहले खाना खा लेते हैं”, मेरी जेन ने कहा, “और यह बहस बाद में पूरी कर लेंगे.”
बैठक के दरवाजे और सीढ़ियों के बीच की जगह पर गेब्रिएल ने अपनी पत्नी और मेरी जेन को मिस आइवर्स को भोजन के लिए रुकने का आग्रह करते पाया. मिस आइवर्स अपना चोगा और हैट पहनकर जाने को तैयार थीं. उन्हें जरा भी भूख नहीं थी और उन्हें देर भी हो रही थी.
“दस मिनट की बात है,माॅली”, मिसेज काॅनराॅय ने कहा, “कोई देर नहीं होगी.”
“थोड़ा कुछ खा लो”, मेरी जेन ने कहा, “इतना नाचने के बाद !”
“नहीं, नहीं हो पायेगा.”, मिस आइवर्स ने कहा.
“मुझे तो लगता है कि आपको पार्टी में मजा नहीं आया”, मेरी जेन ने हताश स्वर में कहा.
“बहुत मजा आया, विश्वास कीजिए “, मिस आइवर्स बोलीं, “अब जाने दें, देर हो रही है.”
“जाओगी कैसे?”, ग्रेटा ने पूछा.
“दो कदम का रास्ता है, घाट के किनारे-किनारे पैदल.”
एक क्षण झिझकते के बाद गेब्रिएल बोला, “जाना जरूरी ही हो तो मैं आपको घर तक छोड़ आऊँगा.”
लेकिन मिस आइवर्स ने उन सबसे अलग होने का उपक्रम किया.
“बिलकुल नहीं”,मिस आइवर्स ने जवाब दिया, “मेरी चिन्ता न करें और भगवान के लिए खाने की मेज की ओर चलें. मैं अपना ख्याल रख सकती हूँ.
ग्रेटा खुलेपन के साथ बोली, “तुम भी आजाद तबीयत की लड़की हो, माॅली! “
मिस आइवर्स ने हँसते हुए पुकारकर आयरिश में अलविदा कहा और तेज चाल से सीढ़ियाँ उतर गई.
चेहरे पर उदासी और हैरानी का भाव लिये मेरी जेन उसको जाते देखती रही और ग्रेटा रेलिंग पर झुककर प्रवेश-द्वार के खुलने और बंद होने का इंतजार करती रही. गेब्रिएल ने अपने आप से सवाल किया, क्या मिस आइवर्स उसकी वजह से तो इस तरह अचानक चली गई? लेकिन वह नाराज तो नहीं दिखाई रही थी: हँसते हुए गई थी. वह भावशून्य आँखों से सीढ़ियों की ओर देखता रहा.
तभी आंट केट भोजन-कक्ष से डगमग कदमों से निकलीं, दुश्चिन्ता में हाथ मलती हुई. “गेब्रिएल कहाँ है?”, वे ऊँची आवाज़ में बोलीं, “हे भगवान! ये गेब्रिएल कहाँ चला गया? सब लोग बैठ गये हैं, सब कुछ तैयार है, और साबुत हंस को काटकर परसने वाला नही है!”
“मैं ये रहा, आंट केट”, गेब्रिएल मानो सहसा जीवंत होकर चिल्लाया, “एक क्या, दरकार हो तो झुंड-भर हंसों को काटने को तैयार!”
•••••
मेज एक सिरे पर एक बड़ा, भूरा हंस पकाकर रखा था, दूसरे सिरे पर ‘क्रीज पेपर’ पर अजमोद की पत्तियाँ फैलाकर उनके ऊपर खूब बड़ा ‘हैम’ (सुअर का मांस) का मांसपिंड रखा था जिसके ऊपर पावरोटी का चूरा छिड़का हुआ था और टँगड़ी पर सजावटी कागज लिपटा था; उसकी बगल में मसालेदार ‘बीफ’ (गोमांस) का रान वाला हिस्सा रखा था. बीच में कई आनुषंगिक खाद्य पंक्तिबद्ध सजे थे – कैथलिक विहार की शक्ल में सजाई लाल और पीली जेली, ‘ब्लमांज’ और जैम से लदी एक तश्तरी, एक हरे रंग का पत्ती के आकार का पात्र जिसका हैंडल डंठल के आकार का था और जिसमें किशमिश और छिले बादाम रखे थे, एक और तश्तरी जिस पर तुर्की अंजीर सजे थे, जायफल से सजाया कस्टर्ड का एक पात्र, चाकलेट और सुनहरे-रुपहले बर्क में लिपटी मिठाइयों का एक कटोरा, और एक शीशे का बर्तन जिसमें ‘सेलरी’ के डंठल रखे थे. टेबुल के मध्य में फलों का पात्र था जिसमें संतरों और अमेरिकी सेवों के स्तूप लगे थे और जिसके इर्द-गिर्द पहरेदारों की तरह दो पुरानी चाल के ‘कट ग्लास’ के सुरापात्र थे – एक में पोर्ट वाइन थी, दूसरे में शेरी. छोटे पियानो – जिसको साइडबोर्ड बना लिया गया था – पर बड़े से पीले शीशे के पात्र में पुडिंग और उसके पीछे तीन कतारों में पेय रखे थे: स्टाउट, एऽल और मिनरल वाटर ; कतारें रंग और लेबल के हिसाब से बनाई गई थीं, पहली दो काली जिनमें क्रमश: भूरे और लाल लेबल थे और तीसरी छोटी कतार सफेद रंग की, जिसकी बोतलों पर हरे फीते ऊपर से नीचे की ओर बँधे थे.
आत्मविश्वास के साथ गेब्रिएल ने मेजबान का आसन ग्रहण किया और छुरी के धार को परखकर काँटे को मांस में मजबूती से घुसा दिया. इस समय वह काफी तनावमुक्त अनुभव कर रहा था क्योंकि इस काम में वह दक्ष था तथा विभिन्न खाद्य पदार्थों से लदे शानदार डाइनिंग टेबुल पर मेजबान की भूमिका अदा करने से ज्यादा उसकी पसंद की कोई और चीज न थी.
“मिस फर्लांग, आपको क्या दूँ, पंख वाला हिस्सा या सीने वाला?”, वह बोला.
“बस छोटा-सा सीने का टुकड़ा.”
“मिस हिगिंस, आपको?”
“कुछ भी चलेगा, मिस्टर काॅनराॅय.”
गेब्रिएल और मिस डेली हंस, ‘हैम’ और ‘बीफ’ की प्लेटें बाँटने लगे और लिली हर अतिथि को सफेद नैपकिन में लिपटा गरम आलू का पकवान परसने लगी. आलू मेरी जेन का सुझाव था; उसने हंस के साथ सेब की चटनी परसने का प्रस्ताव भी रखा था लेकिन आंट केट ने कहा था कि सादा भुना हंस हमेशा उनके लिए पर्याप्त रहा था, बिना चटनी-वटनी के, और उनके ख्याल से इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता था. मेरी जेन अपने शागिर्दों को खाना परस रही थी और ध्यान रख रही थी कि उन्हें मांस के अच्छे टुकड़े मिलें. आंट केट और आंट जूलिया पुरुषों के लिए स्टाउट और एऽल तथा स्त्रियों के लिए मिनरल वाटर की बोतलें खोलकर लाईं. काफी अव्यवस्था, हँसने की आवाज़ें, जोर से बोलकर दिये गये निर्देशों और प्रति-निर्देशों का शोर, छुरी-काँटों की आवाज़, कार्क और ढक्कनों के खुलने की आवाज़ इत्यादि का माहौल कुछ देर ला. एक दौर समाप्त होते ही गेब्रिएल दूसरी बार परसने के लिए मांस काटने लगा- उसकी अपनी प्लेट में अब तक कुछ नहीं गया था.
सब लोगों जोर-जोर से प्रतिरोध जताया तो उसने समझौते के तौर पर स्टाउट का एक बड़ा घूँट ले लिया, काटने-परसने के श्रम से उसका गला सूखने लगा था. मेरी जेन चुपचाप खाने बैठ गई पर आंट केट और आंट जूलिया अब भी मेज की चारों तरफ डगमग घूम रही थीं — एक की एड़ी पर दूसरी का पंजा, आपस में रास्ता काटती, और एक दूसरे को अनसुने निर्देश देती. मिस्टर ब्राउन और गेब्रिएल दोनों ने उनसे बैठकर भोजन करने का आग्रह किया लेकिन वे बोलीं कि अभी बहुत समय है; आखिर फ्रेडी मैलिन्स खड़ा हुआ और आंट केट को पकड़कर उनकी कुर्सी पर बिठा दिया, चारों ओर हँसी का फव्वारा छूटा.
जब सबको परोसना पूरा हुआ तो गेब्रिएल ने मुस्कराते हुए कहा:
“अब अगर किसी को थोड़ी और वो चाहिए जिसे गँवारू भाषा में ‘स्टफिंग’ कहते हैं तो ‘लेट हिम ऑर हर स्पीक’ “. ( विवाह में पादरी द्वारा बोले जाने वाले जुमले की नकल – अनु)
समवेत स्वर में सबने उसे अपना खाना शुरू करने का इसरार किया. लिली ने गेब्रिएल के लिए बचाकर रखे तीन आलू पेश किये.
“ठीक है”, गेब्रिएल ने स्टाउट का एक शुरूआती घूँट लेकर दोस्ताना तरीके से कहा, “देवियो और सज्जनो, अब कुछ देर के लिए भूल जायँ कि मैं यहाँ हूँ भी.”
वह खाने लगा, लिली जब तक खाली प्लेटें उठा रही थी तब तक मेज के इर्द-गिर्द बैठे लोगों के बीच बहस चली जिसमें उसने भाग नहीं लिया. बहस का विषय थी एक ऑपरा कम्पनी जो इस समय थियेटर रायल में आई थी. ‘टेनर’ बार्टेल डार्सी, जो पक्के रंग का युवा था और जिसकी मूछें फैशनेबुल थीं, ने ऑपरा के मुख्य ‘कंट्रैल्टो’ (एक प्रकार की आवाज़ वाली गायिका) की बड़ी तारीफ की जबकि मिस फर्लांग की नजर में उसकी स्वर-प्रस्तुति कुछ ग्राम्य थी. फ्रेडी मैलिन्स ने कहा कि गेइटी थिएटर में एक पैंटोमाइम (वृन्दगान के साथ मूक अभिनय) चल रहा है जिसके द्वितीय भाग में एक नीग्रो गायक आता है जिसकी आवाज़ फ्रेडी के सुनने में आई श्रेष्ठ टेनर आवाज़ों में एक है.
“आपने उसे सुना है?”, उसने टेबुल की उस तरफ बैठे डार्सी से पूछा.
“नहीं”, मिस्टर बार्टेल डार्सी ने लापरवाही से जवाब दिया.
“क्योंकि मैं उसके बारे में आपके विचार जानने को उत्सुक हूँ”, फ्रेडी ने सफाई दी, “मेरे ख्याल से उसकी आवाज़ शानदार है.”
“केवल टेडी ही असली अच्छी चीजों को ढूँढ़ लाने की काबिलियत रखता है”, मिस्टर ब्राउन ने अतिशय अंतरंगता के साथ कहा.
“अच्छा, उस गायक की आवाज़ औरों की तरह अच्छी क्यों नहीं हो सकती ?”, फ्रेडी ने तीखे स्वर में पूछा, “वह काला है, इसलिए?”
किसी ने इसका उत्तर नहीं दिया और मेरी जेन बातचीत को ऑपरा पर वापस लाई. उसके एक शिष्य ने मीन्याँ नामक ऑपरा का पास दिया थे उसे. ऑपरा तो निश्चित रूप से अच्छा था पर उसे हमेशा बेचारी जार्जीना बर्न्स की याद दिलाता था. [ जार्जीना ने अनेक बार इस ऑपरा में काम किया था, ‘बेचारी’ इसलिए कि ऑपरा के क्षेत्र में खूब सफल होकर अंततः असफल रही थी – अनु]
मिस्टर ब्राउन और पीछे चले गये, पुराने समय में डबलिन आने वाली इतालवी कम्पनियों की बात की और टिजन, इल्मा दे मुर्स्का, काम्पनीनी, महान गायिका ट्रबेली, जुइजीनी, रवेली, आरम्बूरो आदि को याद किया. वे क्या दिन थे! -उन्होंने कहा – तब डबलिन में वास्तविक गायन सुनाई पड़ता था. उन्होंने यह भी बताया कि तब थियेटर रायल की गैलरी हर रात ठसाठस भरी होती थी; एक बार एक इतालवी ‘टेनर’ ने “लेट मी लाइक अ सोल्जर फाल”को दर्शकों की माँग पर पाँच बार गाया था, हर बार ‘हाई सी’ स्वर को लगाकर ; तथा कभी-कभी लड़के उत्साह में आकर ऑपरा की मुख्य गायिका की गाड़ी से घोड़ों को हटाकर खुद जुत जाते और सड़कों पर गाड़ी को खींचते हुए होटल तक पहुँचा देते. पुराने ऑपरा आज क्यों नहीं दिखाये जाते – दिनोरा, लूक्रीत्सिया बोर्ज्या, उन्होंने सवाल किया और खुद ही उत्तर दिया – क्योंकि वे गाने वाले अब नहीं रहे!
“हाँ, लेकिन मुझे लगता है कि अब भी वैसे ही अच्छे गायक होंगे जैसे तब थे”, मिस्टर डार्सी ने कहा.
“कहाँ हैं?”, मिस्टर ब्राउन ने चुनौती के स्वर में कहा.
“लंदन में, पेरिस में, मिलान में”, मिस्टर बार्टेल डार्सी ने किंचित उत्तेजित स्वर में कहा, “जैसे करूसो को लीजिए, मेरे ख्याल से वह जिनके नाम आपने लिये उनसे बेहतर नहीं तो बराबरी का तो है ही.”
“हो सकता है”मिस्टर ब्राउन ने कहा, “पर साफ कहूँ तो इस बात की सचाई में मुझे जबर्दस्त शक है.”
मेरी जेन ने कहा, “काश मुझे करूसो को सुनने का मौका मिलता!”
“मेरे लिए तो एक ही टेनर हुआ है”, आंट केट हड्डी पर लगे मांस को कुतरते-कुतरते बोलीं, “मतलब,मेरी अपनी पसंद. लेकिन आप लोगों ने शायद उसका नाम भी न सुना होगा.”
“कौन था मिस मार्कन ?”मिस्टर डार्सी ने सौजन्य-पूर्वक पूछा.
“उसका नाम पार्किन्सन था”, आंट केट ने कहा, “मैंने उसे तब सुना था जब वह युवा था और तब मेरे ख्याल से आदमी के गले से जितना शुद्ध टेनर स्वर निकल सकता है उतना उसके गले में था. “
“अजीब बात है! मैंने उसका नाम तक नहीं सुना”मिस्टर डार्सी ने कहा.
“हाँ, हाँ, मिस माॅर्कन ठीक कह रही हैं”, मिस्टर ब्राउन ने कहा,”मुझे भी पार्किन्सन को सुनने की याद है, पर मेरे लिए वह कुछ ज्यादा ही पुराना है.”
“खूबसूरत, खालिस, प्यारी, मधुर इंग्लिश टेनर आवाज़ ! “आंट केट ने सोत्साह कहा.
गेब्रिएल का खाना खत्म हुआ, अब विशाल पुडिंग को मेज पर लाया गया. चम्मचों और काँटों की मिली-जुली आवाज़ फिर शुरू हुई. ग्रेटा ने प्लेटें भर-भरकर हाथों- हाथ पहुँचानी शुरू कीं. बीच में हर प्लेट को रोककर मेरी जेन ने उसमें या तो रास्बरी या संतरे की जेली डाल दी, या फिर ब्लमांज और जैम. पुडिंग आंट जूलिया ने बनाई थी, और उसके लिए उन्हें हर तरफ से प्रशंसा मिली. खुद आंट जूलिया ने कहा की पुडिंग कुछ और ‘ब्राउन’ होनी थी.
“उम्मीद है, मिस माॅर्कन, कि मैं आपके लिए सही तरीके से ‘ब्राउन’ हूँ, क्योंकि मैं मुकम्मल ब्राउन हूँ”, मिस्टर ब्राउन ने कहा.
गेब्रिएल को छोड़कर सभी पुरुषों ने आंट जूलिया का सम्मान करते हुए पुडिंग खाई. चूँकि गेब्रिएल मिठाई खाता ही नहीं था, इसलिए सेलरी उसके लिए छोड़ दी गई. फ्रेडी मैलिन्स ने भी सेलरी का एक डंठल उठा लिया और उसे पुडिंग के साथ खाने लगा. उसे बताया गया था कि सेलरी खून के लिए बड़ी अच्छी होती है और फिलहाल उसका इलाज चल रहा था. मिसेज मैलिंस, जो खाने के दौरान चुप रही थीं, बोलीं “मेरा बेटा एकाध हफ्ते में मेलरी जा रहा है.”टेबुल पर चारों ओर माउंट मेलरी की चर्चा होने लगी, वहाँ की हवा में कितनी ताजगी थी, ऐबी (बड़ा चर्च जिसके साथ विहार आदि भी हों) के वैरागी संत कितने अतिथि-परायण थे और कैसे अतिथियों से एक पैसा नहीं लेते थे.
“आपका मतलब है”, मिस्टर ब्राउन ने अविश्वास-पूर्वक कहा, “कि कोई भी वहाँ चला जाय, और होटल की तरह उसका इस्तेमाल करे, मुफ्त की खाय और बिना पैसे दिए वापस चला जाय!”
“ज्यादातर लोग छोड़ने के पहले माॅनस्ट्री (विहार) के लिए कुछ दान कर जाते हैं”, मेरी जेन ने कहा.
“काश हमारे चर्च में भी ऐसी कोई संस्था होती!”, मिस्टर ब्राउन ने बेबाकी से कहा.
वे यह सुनकर चकित हुए कि वैरागी लोग कभी बोलते नहीं थे, रात दो बजे उठ बैठते थे और अपने-अपने ताबूत में सोते थे. मिस्टर ब्राउन ने पूछा ताबूत में क्यों सोते हैं, तो आंट केट ने कहा, उनके सम्प्रदाय का यही नियम है.
“हाँ, लेकिन क्यों?”, मिस्टर ब्राउन ने पूछा.
आंट केट ने दुहराया कि यही नियम है, बस. मिस्टर ब्राउन की मुखमुद्रा से स्पष्ट था कि उनको अब भी समझ में नहीं आया. फ्रेडी ने, जहाँ तक उससे बना,कैफ़ियत दी कि बाहर दुनिया में हो रहे पापकर्म के प्रायश्चित-स्वरूप वैरागी लोग ऐसा करते थे. यह व्याख्या मिस्टर ब्राउन को स्पष्ट नहीं लगी, बोले:
“ख्याल अच्छ है, पर आरामदेह, स्प्रिंग लगे बिस्तर में लेटकर वही काम नहीं हो सकता?”
मेरी जेन बोली, “ताबूत जीवन के अंत का सदा स्मरण कराने के लिए होता है.”
विषय अधिक गंभीर होने लगा था, तो टेबुल पर बैठे लोगों की समवेत चुप्पी में उसे दफन कर दिया गया. केवल मिसेज मैलिंस को अपने पास बैठे व्यक्ति को अस्फुट स्वर में कहते सुना गया कि वैरागी लोग बड़े अच्छे और पाक लोग हैं.
अब किशमिश, बादाम,अंजीर, सेब, संतरे, चाकलेट और मिठाइयाँ एक-दूसरे की मदद से सबको पहुँचाई गईं और आंट जूलिया से सभी से पोर्ट या शेरी पीने का आग्रह किया. मिस्टर डार्सी ने पहले तो मना कर दिया पर जब उनके पास बैठे व्यक्ति ने उनको कुहनी मारी उनके कान में कुछ कहा तब उन्होने अपना गिलास भरने दिया. जैसे- जैसे गिलास भरते गये वैसे- वैसे क्रमशः बातचीत बंद होते-होते रुक गई. थोड़ी देर शांति रही, इस दौरान वाइन डालने की आवाज़ और कुर्सियाँ को थोड़ा-बहुत सरकारने की आवाज़ के अलावा कोई और कोई आवाज़ नहीं हुई. तीनों मेजबान महिलाएँ मेजपोश पर नजर गड़ाए बैठी थीं. दो-एक बार किसी के खांसने की आवाज़ आई, फिर कुछ पुरुषों ने हौले से मेज को थपथपाकर शांति रखने का संकेत दिया. जब पूरी शांति हो गई तब अपनी कुर्सी पीछे खिसकाकर गेब्रिएल खड़ा हुआ.
मेज का थपथपाना वक्ता की हौसलाअफजाई के तौर पर तेज हुई, फिर बंद हो गई. गेब्रिएल ने काँपती उँगलियाँ मेजपोश पर टिकाईं और समवेत मंडली की ओर देखकर ससंकोच मुसकराया. उसकी नजरें उसी की ओर उन्मुख तमाम चेहरों से टकराईं. उसने एक बार आँख उठाकर फानूस की ओर देखा. पियानो पर वाल्ट्स की धुन बज रही थी; उसे बैठक के दरवाजे को स्पर्श करती स्कर्टों की सरसराहट सुनाई दे रही थी. बाहर शायद कुछ लोग घाट पर इस घर की रोशन खिड़कियों की ओर देखते और वाल्ट्स की धुन सुनते बर्फ में खड़े होंगे. वहाँ वायु शुद्ध होगी. दूर पार्क में पेड़ों की डालियाँ बर्फ से लदी होंगी. वेलिंग्टन स्मारक पर बर्फ की टोपी-सी बन गई होगी और उसकी पश्चिम ओर ‘फिफटीन एकर्स’ के सफेद मैदान पर बर्फ की आभा होगी.
उसने बोलना शुरू किया :
“देवियो और सज्जनो,
पिछले वर्षों की तरह, इस वर्ष की इस संध्या को भी मेरे ऊपर एक सुखद उत्तरदायित्व आया है, एक ऐसा उत्तरदायित्व जिसे निभाने के लिए मेरी वक्तृता पर्याप्त होगी इसमें मुझे शंका है.”
“ना,ना!”, मिस्टर ब्राउन बोले.
“परंतु, जो भी हो, आपसे आग्रह है कि आज मेरी सदिच्छा को ही मेरा कर्म समझें और कुछ क्षणों के लिए अपना ध्यान मेरे वक्तव्य पर केन्द्रित करें जिसमें मैं चेष्टा करूँगा कि इस अवसर पर मन में उठ रहे भावों को शब्द दे सकूँ.
देवियो और सज्जनो, यह पहली बार नहीं हुआ है कि हम इस अतिथि-परायण छत के नीचे, इस आतिथ्य-प्रवण मेज की चारों ओर बैठे हैं. यह पहली बार नहीं है कि हम कतिपय भद्र महिलाओं के आतिथ्य से लाभान्वित – या कहूँ कि पीड़ित – हुए हैं”.
उसने अपनी बांह से हवा में एक गोला बनाया और थोड़ी देर को रुका. कुछ लोग हँसे, दूसरे केट, जूलिया और मेरी जेन की ओर देखकर मुसकराये ; तीनों के चेहरे खुशी से लाल हो गए थे. गेब्रिएल ने पहले से अधिक आत्मविश्वास-पूर्वक बोलना जारी रखा:
“बीते वर्षों में मेरा यह विश्वास क्रमश: दृढ़ हुआ है कि हमारे देश की कोई परम्परा इतनी गौरवशाली नहीं है न इतनी रक्षणीय जितनी हमारी अतिथि-परायणता की परम्परा है. यह ऐसी परम्परा है जो मेरे अनुभव के अनुसार ( विदेश-भ्रमण का मेरा अनुभव कम नहीं है) आधुनिक देशों में अप्रतिम है. कुछ लोग कह सकते हैं कि यह गर्व करने की वस्तु नहीं बल्कि हमारी दुर्बलता है. यदि इस बात को मान भी लें तो मेरे निकट यह राजसी दुर्बलता है, ऐसी दुर्बलता जो, आशा करता हूँ, सुदीर्घ काल तक हमारे बीच पोषण पाती रहेगी. कम से कम एक चीज के विषय में मैं आश्वस्त हूँ. जब तक इस अकेली छत के नीचे पूर्व–कथित भद्र महिलाओं का वास है – और मैं हृदय से कामना करता हूँ कि अनेकानेक वर्षों तक ऐसा ही हो – सच्ची,सहृदय,शालीन आयरिश अतिथि-परायणता की परम्परा, जो हमारे पुरखों ने हमें दी और जिसे स्वयं हमें अपने वंशजों को देना है, हमारे बीच जीवंत रहेगी”.
मेज की चारों ओर से हार्दिक सहमति के मंद स्वर सुनाई दिये. एकाएक गेब्रिएल के दिमाग में यह बात कौंध गई कि मिस आइवर्स मौजूद नहीं थी ; वह अशालीन ढंग से वापस चली गई थी. वह अधिक आत्मविश्वास के साथ बोला:
“देवियो और सज्जनो, हमारे बीच एक नई पीढ़ी तैयार हो रही है, जिसको नए विचारों और नए सिद्धांतों से प्रेरणा मिलती है. यह पीढ़ी इन नए विचारों के प्रति निष्ठावान और उत्साही है और मुझे उसकी निष्ठा में संदेह नहीं है, चाहे उनका उत्साह कितना ही दिशाहीन हो. परंतु हम एक संशयग्रस्त और- आपकी अनुमति हो तो कहूँगा, विचार-निपीड़ित – युग में रहते हैं: मुझे लगता है यह नई पीढ़ी, शिक्षित क्या, अतिशिक्षित होने के बावजूद पुरानी पीढ़ी की अतिथि-परायणता, सदाशयता और मानवीयता से रिक्त होगी. आज गए जमाने के तमाम महान गायकों की चर्चा सुनते हुए मुझे लगा कि मानना पड़ेगा हमारा समय संकीर्ण समय है. यह कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी कि वह समय निस्संदेह विस्तीर्ण था; यदि वह समय सदा के लिए खो भी जाय तो आशा है कि आज-जैसे समारोहों में हम गर्व और प्रीति के साथ उन दिनों की बातें करते रहेंगे और अपने दिलों में उन स्वर्गीय और प्रयात महान लोगों कि स्मृतियाँ सुरक्षित रखेंगे जिनकी ख्याति को संसार सहज ही मरने नहीं देगा”.
“हियर,हियर !” मिस्टर ब्राउन ने ऊंची आवाज़ में कहा.
“लेकिन फिर भी”, गेब्रिएल की आवाज़ नर्म हो गयी, “इस तरह के समारोहों में हमारे मन में दुखद स्मृतियाँ भी आएंगी: गत काल की स्मृतियाँ – युवावस्था की, परिवर्तन की, उन चेहरों की जो नहीं रहे और जिनकी अनुपस्थिति ऐसे अवसरों पर अनुभव होती है. हमारे जीवन-पथ पर इस तरह की अनेक दुखद स्मृतियाँ बिखरी होती हैं, यदि हम उन्हीं में खोये रह गए तो हममें उन लोगों के बीच काम करने का साहस और संकल्प नहीं रहेगा जो आज जीवित हैं. हम सबके अपने-अपने वर्तमान संबंध और कर्तव्य हैं जो हमारा पूरा ध्यान मांगते हैं, और सही मांगते हैं.
अतः मैं भूतकाल पर और नहीं बोलूँगा. मैं नहीं चाहूँगा की आज, इस समय निराशा-भरा कोई वक्तव्य रखकर आपके आनंद में बाधा उपस्थित करूँ. यहाँ हम दैनंदिन जीवन की भागदौड़ से निकल कर कुछ समय के लिए एकत्र हुए हैं. हम परस्पर मैत्री, सौहार्द, सहभागिता और बहुत कुछ भाईचारे की भावना से हमारी आतिथेय – क्या बुलाऊँ उन्हें, डबलिन के संगीत-जगत की ‘थ्री ग्रेसेज’ – के निमंत्रण पर यहाँ मिल रहे हैं”.
इस बात पर खूब तालियाँ बजीं और हँसी का स्वर गूँजा. आंट जूलिया ने पास बैठे लोगों से बारी-बारी से पूछा कि गेब्रिएल ने क्या कहा.
“आंट जूलिया, उसने कहा कि हम तीनों ‘थ्री ग्रेसेज’ हैं”, मेरी जेन ने कहा.
आंट जूलिया को समझ में नहीं आया, लेकिन वे गेब्रिएल की ओर देखकर मुसकराईं. गेब्रिएल उसी रौ में बोलता रहा:
“देवियो और सज्जनो,
ट्राॅय के पेरिस ने जिस तरह तीन देवियों में से एक को चुना था, आज ऐसा कुछ मैं नहीं करने जा रहा. मैं इन तीन देवियों के बीच कोई चुनाव नहीं करूँगा. ऐसा करना न केवल अन्याय होगा बल्कि मेरी सामर्थ्य के बाहर भी होगा. क्योंकि जब उनकी ओर बारी-बारी से देखता हूँ – चाहे आज की हमारी मुख्य आतिथेय हों, जिनके दिल की अच्छाई, बल्कि अतिशय अच्छाई, से उन्हें जानने वाले सुपरिचित हैं ; चाहे उनकी बहन जो लगता है सदा युवा हैं और जिनका आश्चर्यजनक गायन आज हमारे लिए चमत्कार की तरह था; या अंत में, पर समान रूप से, जब मैं अपनी कनिष्ठ आतिथेय पर दृष्टिपात करता हूँ जो प्रतिभावान, सदा प्रसन्नमुख, कर्मठ और उत्कृष्ट कोटि की भ्रातृजा हैं – तब, देवियो और सज्जनो, मुझे स्वीकार करना पड़ता है कि मैं निश्चय नहीं कर पाऊँगा कि पुरस्कार किसे मिले.”
गेब्रिएल ने मौसियों की तरफ देखा, आंट जूलिया के मुँह पर चौड़ी मुस्कान और आंट केट की आँखों में आँसू थे. उसने अपना भाषण शीघ्र समाप्त किया.
गेब्रिएल ने अपना पोर्ट का गिलास तीनों महिलाओं के सम्मान में उठाया, साथ-साथ औरों ने भी अपने गिलासों पर इंतजार की मुद्रा में उँगलियाँ कस लीं. ऊँची आवाज़ में वह बोला:
“चलें, हम तीनों के सम्मान में एक जाम पियें और उनके स्वास्थ्य, दीर्घायुष्य तथा सुख-समृद्धि की कामना करें. अपने क्षेत्र में जो स्वार्जित गौरव उन्होंने पाया है, और हमारे दिलों में जो प्यार और सम्मान पैदा किया है, वह बना रहे!”
सारे मेहमान हाथों में गिलास थामे खड़े हो गये और बैठी हुई तीन महिलाओं की ओर रुख करके मिस्टर ब्राउन के नेतृत्व में समवेत स्वर में गाया:
फ़ाॅर दे आर जाॅली गे फ़ेलोज़
फ़ाॅर दे आर जाली गे फ़ेलोज़
फ़ाॅर दे आर जाली गे फ़ेलोज़
व्हिच नोबडी कैन डिनाऽइ
आंट केट खुले तौर पर रूमाल से अपने आँसू पोछ रही थीं, आंट जूलिया तक भावुक होने लगी थीं. फ्रेडी मैलिन्स अपने पुडिंग खाने के काँटे से ताल दे रहा था. गाने वाले एक दूसरे की ओर मुड़े – मानों कोई गायन का परामर्श चल रहा हो – और उच्च स्वर में गाया:
अनलेस ही टेल्स अ लाइ
अनलेस ही टेल्स अ लाइ
उसके बाद आतिथेय महिलाओं की ओर रुख करके फिर गाया:
फ़ाॅर दे आर जाॅली गे फ़ेलोज़
फ़ाॅर दे आर जाॅली गे फ़ेलोज़
फ़ाॅर दे आर जाॅली गे फ़ेलोज़
व्हिच नोबडी कैन डिनाऽइ
इसके बाद साधुवाद के स्वर मुखर हुए जिन्हें भोजन-कक्ष के बाहर बैठे कई मेहमानों ने दुहराया. यह सिलसिला देर तक चला ; फ्रेडी मैलिंस ने अब खाने के काँटे को उठाकर लहराते हुए निर्देशन का काम सँभाल लिया था.
•••••
शरीर को भेदने वाली ठंडी हवा हाॅल, जहाँ वे खड़े थे, में आ रही थी, इसलिए आंट केट ने कहा:
“कोई दरवाजा बंद कर दो. मिसेज़ मैलिंस को यह ठंड लग गई तो जानलेवा होगी.”
“ब्राउन बाहर हैं, आंट केट”, मेरी जेन ने कहा.
“ब्राउन हर जगह हैं”, आंट ने दबी आवाज़ में कहा.
मेरी जेन को उनके बोलने के ढंग पर हँसी आ गई; वह किंचित कुटिल स्वर में बोली, “सचमुच! महिलाओं का बड़ा ख्याल रखते हैं.”
“क्रिसमस के बारह दिन तो वे गैस-लाइन की तरह हर तरफ बिछे हुए हैं”, आंट केट उसी ढंग से बोलीं.
इस बार वे स्वयं भी खुशमिजाज तरीके से हँसीं, फिर तत्काल जोड़ा:
“उनको अंदर आने को कहो और दरवाजा बंद कर दो; भगवान न करे मेरी बात सुन ली हो.”
तभी हाॅल का दरवाजा खुला और मिस्टर ब्राउन दहलीज से अंदर आये. वे हँसी से दुहरे हुए जा रहे थे. उनके बदन पर एक हरे रंग का लम्बा ओवरकोट था जिसके कफ और कालर नकली ‘आस्त्राख़न’ के बने थे, उनके सिर पर बालोंवाली अंडाकार टोपी थी. उन्होंने बर्फ से ढके घाट की ओर इशारा किया जहां से लम्बी और देर तक बजाई सीटी की आवाज़ आई रही थी.
“टेडी सारे डबलिन की भाड़ागाड़ियों को बुला लेगा,” वे बोले.
गेब्रिएल अपना ओवरकोट पहनता पीछे के कोठार से बाहर आया चारों ओर देखकर उसने पूछा:
“ग्रेटा नहीं उतरी?”
“वह अपनी चीजें समेट रही है.” आंट केट ने कहा.
“पियानो कौन बजा रहा है?” गेब्रिएल ने पूछा.
“कोई नहीं, सब जा चुके”, आंट केट बोलीं.
“नहीं, आंट केट, मिस्टर बार्टेल डार्सी और मिस ओ’कैलेहान अभी नहीं गये”, मेरी जेन ने कहा.
“जो भी हो, कोई पियानो पर लगा तो है”, गेब्रिएल ने कहा.
गेब्रिएल और मिस्टर ब्राउन को देखकर मेरी जेन के शरीर में सिहरन हुई, वह बोली:
“आप दोनों को इस तरह ढका-ढुका देखकर मुझे ठंड लग रही है. इस पहर आप लोगों के वापसी सफर की बात सोचकर डर लगता है.”
“इस पहर बाहर खुले में मस्त लम्बा पैदल सफर ; या तेज गाड़ी भगाना जिसमें तगड़ा घोड़ा जुता हो – इससे अच्छा मुझे कुछ नहीं लगता”, मिस्टर ब्राउन ने सीना तानकर कहा.
“हमारे घर में बड़ी अच्छी घोड़ा-गाड़ी होती थी”, आंट जूलिया ने मायूसी से कहा.
“अविस्मरणीय जाॅनी!” मेरी जेन ने हँसते हुए कहा.
आंट केट और गेब्रिएल भी हँसने लगे.
“क्यों? जाॅनी में क्या खास बात थी?” मिस्टर ब्राउन ने पूछा.
“मेरे स्वर्गीय नाना जी, श्री पैट्रिक माॅर्कन- जिन्हें बुढ़ापे में केवल ‘वृद्ध सज्जन’ नाम से जाना जाता था – घोड़े का मांस उबालकर लेई बनाया करते थे”, गेब्रिएल ने समझाना शुरू किया.
आंट केट ने हँसते हुए कहा, “तुम भी न, गेब्रिएल! उनकी स्टार्च मिल थी.”
“लेई या स्टार्च जो भी हो, वृद्ध सज्जन का एक जाॅनी नाम का घोड़ा था. जाॅनी उनकी मिल में काम करता था, मिल की चारों तरफ चक्कर काटता उसे चलाता था. वहाँ तक ठीक था, लेकिन अब उसकी त्रासदी आरम्भ होती है. एक दिन वृद्ध सज्जन को सूझा कि वे भी बड़े लोगों की तरह पार्क में सैनिक परेड देखने निकलेंगे.”
आंट केट ने दयालु स्वर में कहा, “भगवान उनकी आत्मा को शांति दें!”
“आमीन!”, गेब्रिएल ने कहा, “तो वृद्ध सज्जन ने जाॅनी को गाड़ी में जोता और अपना श्रेष्ठ टाॅप हैट और माड़-दिया काॅलर पहनकर बैक लेन (अपेक्षाकृत गरीब इलाके का नाम – अनु) के पास कहीं स्थित अपनी खानदानी हवेली से नवाबी ठाठ के साथ बाहर निकले.
गेब्रिएल ने वर्णन-शैली पर हर कोई हँसने लगा, मिसेज मैलिन्स तक; आंट केट ने कहा, “बस भी करो, गेब्रिएल ! वे बैक लेन में रहते नहीं थे, सिर्फ उनकी मिल वहाँ थी.”
“अपने पुरखों की हवेली से वे बाहर निकले”, गेब्रिएल ने कहना जारी रखा,” जाॅनी को हाँकते हुए. सब कुछ बड़े अच्छे ढंग से चल रहा था, कि जाॅनी किंग विली की मूर्ति के पास पहुँच गया : अब उसे किंग बिली के घोड़े से इश्क हो गया या उसने सोचा वह मिल में वापस पहुँच गया है, जो भी हुआ हो, वह मूर्ति के चारों ओर चक्कर लगाने लगा.”
गलाॅशेज़ पहने गेब्रिएल ने हाॅल में एक गोल चक्कर लगाया, सभी हँस पड़े.
“गोल-गोल, गोल-गोल वह घूमता रहा, वृद्ध सज्जन- जो बड़े प्रतापी किस्म के वृद्ध सज्जन थे – इससे अत्यंत कुपित हुए. चल,आगे चल, क्या कर रहा है! जाॅनी!जानी!! अजीब हरकत है! हो क्या गया है इस घोड़े को?”
गेब्रिएल के इस वर्णन और अभिनय पर जोर की हँसी उठी परन्तु बीच में दरवाजे पर तेज दस्तक की आवाज़ आई तो हँसी रुक गई. मेरी जेन ने दौड़कर दरवाजा खोला और फ्रेडी मैलिन्स दाखिल हुआ. फ्रेडी का हैट सिर पर बहुत पीछे सरक गया था और ठंड से उसके कंधे सिकुड़े हुए थे. बाहर की मशक्कत की वजह से वह हाँफ रहा था और उसके मुँह से भाप निकल रही थी.
“एक ही भाड़ा-गाड़ी मिली”, वह बोला.
“हम घाट की तरफ दूसरी ढूंढ़ लेंगे”, गेब्रिएल ने कहा.
“हाँ, इस बर्फीली हवा में मिसेज मैलिंस को ओर इंतजार न कराओ”, आंट केट ने कहा.
•••••
मिसेज मैलिन्स को दरवाजे के सामने की सीढ़ियाँ उतरने में उनके पुत्र और मिस्टर ब्राउन ने मदद की और काफी तरकीबें लगाकर उन्हें गाड़ी में चढ़ा दिया गया. फ्रेडी उनके पीछे-पीछे किसी तरह चढ़ा और बड़ी देर तक माँ को आराम से बैठाने का जतन करता रहा, जिसके दौरान मिस्टर ब्राउन निरंतर उसे सलाह देते रहे.अंततः वे ठीक बैठ गईं और फ्रेडी ने मिस्टर ब्राउन को सवार होने का न्यौता दिया. कुछ देर तक एक दूसरी को काटती बातों का सिलसिला चला, फिर मिस्टर ब्राउन भी गाड़ी में चढ़ गये. कोचवान ने अपने घुटने पर पड़े कम्बल को ठीक किया और पता पूछा. फिर वही सिलसिला शुरू हुआ. मिस्टर ब्राउन और फ्रेडी ने गाड़ी की खिड़कियों से सिर निकालकर अलग-अगल और परस्पर विरोधी निर्देश दिये. प्रश्न यह था कि मिस्टर ब्राउन को बीच में कहाँ उतारा जाय, दरवाजे पर खड़ी आंट केट, आंट जूलिया और मेरी जेन ने भी इस चर्चा में योगदान किया; उन्होंने एक दूसरे के उल्टे सुझाव दिये, किसे ने एक रास्ता बताया तो किसी ने दूसरा. चर्चा के साथ हँसी के दौरे भी आते रहे. फ्रेडी हँस-हँसकर दुहरा हो गया. वह अपने हैट को भयानक खतरे में डालते हुए बार-बार सिर को बाहर और अंदर कर रहा था, अंदर करने का प्रयोजन था अपनी माँ को इस बात से अवगत कराते रहना कि चर्चा कहाँ तक पहुँची है. तभी मिस्टर ब्राउन ने सभी आवाज़ों को दबाकर अपनी आवाज़ बुलंद की :
“कोचवान, ट्रिनिटी कालेज जानते हो?”
“जी, जानता हूँ”, कोचवान बोला.
“तो सीधे ट्रिनिटी कालेज के गेट तक चलो.”
“जी, अच्छा”, कोचवान ने कहा.
हँसी और अलविदा की आवाज़ों के बीच कोचवान ने चाबुक फटकारा और गाड़ी घाट के किनारे-किनारे खड़खड़ाते हुए चली.
गेब्रिएल औरों के साथ दरवाजे तक नहीं गया था. वह हाॅल के अंधेरे हिस्से में खड़ा सीढ़ियों के ऊपर देख रहा था. सबसे ऊपरी पायदान के पास एक स्त्री खड़ी थी, वह भी बहुत कुछ अँधेरे में थी. वह उसका चेहरा नहीं देख पा रहा था पर उसकी स्कर्ट की हल्की गुलाबी और पकी मिट्टी के रंग की पट्टियाँ देख पा रहा था जो नीम अँधेरे में सफेद और काली दिख रही थीं. ग्रेटा थी. वह रेलिंग का सहारा लेकर खड़ी थी और कान लगाकर कुछ सुन रही थी. गेब्रिएल उसकी स्थिर मुद्रा को देखकर चकित हुआ, उसने भी सुनने का प्रयास किया. किन्तु दरवाजे पर चल रही बहस और हँसी की आवाज़ों के अलावा कुछ खास सुनाई न दिया. केवल पियानो के और किसी पुरुष के गायन के छिटफुट स्वर उसके कानों तक पहुँचे.
हाॅल के अँधेरे में वह स्तम्भित खड़ा रहा – गाने के शब्दों को पकड़ने की चेष्टा करता और अपनी पत्नी को ओर देखता. ग्रेटा की मुद्रा सुगढ़ और रहस्यमय थी मानो वह किसी चीज का प्रतीक हो. उसने अपने आप से प्रश्न किया – सीढ़ियों के पास नीम अँधेरे में खड़ी, दूर से आती संगीत की ध्वनि को सुनती स्त्री किस चीज का प्रतीक हो सकती है? वह चित्रकार होता इसी मुद्रा में उसका चित्र बनाता, जिसमें उसके नीले फेल्ट हैट और अँधेरे के परिपार्श्व में उसके ताँबई बाल और खिल उठते और उसकी स्कर्ट की गाढ़े रंग की पट्टियाँ हल्के रंग की पट्टियों को निखारतीं. चित्र को वह नाम देता – दूरस्थ संगीत.
हाल का दरवाजा खुला और आंट केट, आंट जूलिया और मेरी जेन वापस हुए; वे अब भी हँसे जा रही थीं.
“फ्रेडी भी भयंकर चीज है, नहीं?”, मेरी जेन ने कहा, “अजब ही चीज है.”
गेब्रिएल ने कुछ नहीं कहा, उसने ऊपर खड़ी ग्रेटा की ओर इशारा किया.दरवाजा बंद होने के बाद पियानो और गायन के शब्द स्पष्ट होने लगे थे. गेब्रिएल ने सबको चुप रहने का इशारा किया. गायन पुराने आयरिश स्वरों में होता लग रहा था और गायक गीत के शब्दों और अपनी आवाज़ के प्रति आश्वस्त नहीं लग रहा था. गायक की आवाज़ दूरी और गले की खराश की वजह से और करुण लग रही थी तथा गीत के करुण शब्दों को अस्पष्ट लय में बाँध रही थी:
ओ, द रेन फाल्स ऑन माइ हेवी लाॅक्स
ऐंड द ड्यू वेट्स माइ स्किन,
माइ बेब लाइज कोल्ड …
(मेरे गीले बालों पर बारिश पड़ती है
और ओस से मेरा गात गीला होता है
मेरा बच्चा शीत में कष्ट पाता है; अर्थात मैं और मेरा बच्चा निराश्रय हैं – अनु)
“ओ! बार्टेल डार्सी गा रहा है! सारी शाम गाने को मना करता रहा. अब उससे जाने के पहले एक गाना गवा कर रहूँगी”, मेरी जेन ने कहा.
“जरूर गवाओ”, आंट केट ने कहा.
मेरी जेन दूसरों की बगल से आगे निकलकर सीढ़ियों की ओर चली, लेकिन तभी गाना बंद हो गया और पियानो का ढक्कन सहसा बंद हो गया.
“हत्तेरे की! ग्रेटा, वह नीचे आ रहा है क्या?” मेरी जेन ने हताशा के स्वर में कहा.
गेब्रिएल ने अपनी पत्नी को हाँ कहते सुना, वह नीचे उनकी ओर आ रही थी. उसके दो कदम पीछे बार्टेल डार्सी और मिस ओ’कैलेहान आ रहे थे.
“अरे, मिस्टर डार्सी, यह तो आपका अन्याय है कि जब हम लोग आपके गाने में मग्न होने लगे तभी आपने गाना बंद कर दिया”, मेरी जेन ने कहा.
“मैं भी सारी रात इनसे आग्रह करती रही, और मिसेज काॅनराॅय भी, लेकिन इन्होंने कहा कि मुझे जबर्दस्त जुकाम है और मैं नहीं गा पाऊँगा”, मिस ओ’कैलेहान बोली.
आंट केट ने कहा, “मिस्टर डार्सी, क्या खूब बात बनाई!”
“आपको सुनाई नहीं दे रहा कि खराश से मेरा गला कौए-का-सा हो रहा है!”, मिस्टर डार्सी ने रुखाई से कहा.
वह जल्दी-जल्दी कोठार में गया और अपना ओवरकोट पहनने लगा. उसके अभद्र उत्तर से चकित बाकी लोग कुछ कह नहीं पाये. आंट केट ने माथा सिकोड़कर इशारा किया कि कोई बात न बढ़ाये. डार्सी गले पर सावधानी से मफलर लपेटता और भौंहें सिकोड़े खड़ा रहा.
“मौसम ही ऐसा है”, थोड़ी देर बाद आंट जूलिया ने कहा.
“हाँ, सबको जुकाम हो रहा है”, आंट केट ने तुरंत जोड़ा.
“बताते हैं, इतनी बर्फ पिछले तीस साल में नहीं पड़ी”, मेरी जेन ने कहा, “सुबह अखबार में पढ़ा कि पूरे आयरलैंड में बर्फबारी हो रही है.”
“बर्फ को देखना मुझे अच्छा लगता है”, आंट जूलिया ने उदास स्वर में कहा.
“मुझे भी”, मिस कैलेहान ने कहा, “मेरे ख्याल से जमीन पर बर्फ न बिछी हो तो क्रिसमस सचमुच का क्रिसमस कभी नहीं होता.”
“लेकिन बेचारे मिस्टर डार्सी को बर्फ नहीं भाती”, आंट केट ने मुसकराते हुए कहा.
कोठार से डार्सी बाहर आया – बटन ऊपर तक बंद और मफलर वगैरह से अच्छी तरह ढका-ढुका. पश्चात्ताप के स्वर में उसने अपने जुकाम की कहानी बयान की. सबने सहानुभूति जताई, अपनी-अपनी सलाह दी और रात की ठंडी हवा से गले को बचाने का आग्रह किया. गेब्रिएल ने ग्रेटा की ओर देखा जो इस बातचीत में भाग नहीं ले रही थी. वह धूलभरे रोशनदान के ठीक नीचे खड़ी थी, गैस की रोशनी उसके बालों के गहरे ताँबई रंग को उजागर कर रही थी; कुछ दिन पहले ही उसने उसे अपने बाल आग के आगे सुखाते देखा था. वह अब भी उसी मुद्रा में थी और अपने चारों ओर की बातों से बेखबर जान पड़ती थी. आखिर वह बाकी लोगों की तरफ मुड़ी ;गेब्रिएल ने देखा कि उसके गाल लाल हो आये थे और आँखें चमक रही थीं. उसके मन में सहसा खुशी का ज्वार उठा.
“मिस्टर डार्सी, जिसे आप गा रहे थे उस गाने का नाम क्या है?”, ग्रेटा ने पूछा.
“द लैस ऑफ ऑग्रम”, मिस्टर डार्सी ने कहा, “लेकिन मुझे शब्द ठीक से याद नहीं थे. क्यों? आपको यह गाना पता है?”
“द लैस ऑफ ऑग्रम”, ग्रेटा ने दुहराया, “मैं नाम भूल गई थी”.
“बड़ा अच्छा गाना है”, मेरी जेन ने कहा, “मुझे अफसोस है कि आज आपका गला ठीक नहीं है”.
“मेरी जेन, मिस्टर डार्सी को तंग मत करो, मुझे अच्छा नहीं लगेगा”, आंट केट ने कहा.
सबको निकलने के लिए तैयार पाकर वे उनको लेकर दरवाजे की ओर चलीं; वहाँ विदा के शब्दों का आदान-प्रदान हुआ:
“गुड नाइट आंट केट, और खुशगवार रात का शुक्रिया.”
“गुड नाइट गेब्रिएल, गुड नाइट ग्रेटा”.
“गुड नाइट आंट केट, बहुत शुक्रिया, गुड नाइट आंट जूलिया”.
“गुड नाइट ग्रेटा, तुम दिखी नहीं मुझे”.
“गुड नाइट, मिस्टर डार्सी, गुड नाइट मिस ओ’कैलेहान “.
“गुड नाइट मिस माॅर्कन”.
“फिर से गुड नाइट”.
“गुड नाइट सभी को, सुरक्षित पहुँचें”.
“गुड नाइट, गुड नाइट”.
•••••
अब भी अँधेरा था. फीकी, पीली रोशनी घरों पर और नदी पर छाई थी और आसमान उतरता-सा लग रहा था. पाँवों के नीचे कीचड़ थी, बर्फ के कुछ फाहे और टुकड़े भर छतों और घाट की मुड़ेरों तथा रेलिंगों पर दिख रहे थे. लैम्पों की रोशनी बोझिल हवा में लाल-सी झिलमिला रही थी. नदी के उस पर ‘पैलेस ऑफ फोर कोर्ट्स’ (1796 में बनी एक इमारत जिसमें आयरलैंड की अदालतें बैठती थीं – अनु) बादलों-भरे आसमान की पृष्ठभूमि में भयावह लग रहा था.
ग्रेटा बार्टेल डार्सी के साथ गेब्रिएल के आगे-आगे चल रही थी, उसके जूते भूरे पार्सल में लिपटे उसकी बगल में दबे थे, हाथों से उसने स्कर्ट को कीचड़ के ऊपर उठा रखा था. अब उसकी मुद्रा आकर्षक नहीं रही थी परंतु गेब्रिएल की आँखें अब भी खुशी से चमक रही थीं. उसकी नसों में रक्त का प्रवाह बड़े वेग से होने लगा और अनेक विचार उसके मन में हलचल मचाने लगे – गर्व, आह्लाद, मृदुता और पुरुषोचित रक्षणशीलता.
वह उसके सामने इतने हल्के कदमों से, सिर ऊँचा करके चल रही थी कि उसे कामना हुई कि चुपके से दौड़कर उसके कंधे थामकर उसके कान में कोई प्यार की बात, कोई बेमतलब, बेवकूफी की बात बोल दे. वह उसे इतनी सुकुमार लग रही थी कि किसी अनाम खतरे से उसे बचाकर अकेले उसके साथ होने की तीव्र इच्छा गेब्रिएल के मन में उदय हुई. साथ बिताए क्षणों की गोपनीय बातें उसकी स्मृति में टूटते तारे की तरह कौंध गईं. एक हलके बैंगनी रंग का लिफाफा उसके नाश्ते की चाय के पास रखा था और वह उसे प्यार से सहला रहा था. आइवी लता में चिड़ियाँ चहचहा रही थीं और जालीदार परदों से छनकर आती धूप फर्श पर चमक रही थी: खुशी के मारे उससे खाया न गया. वे भीड़-भरे प्लेटफार्म पर खड़े थे और वह ग्रेटा के दस्ताने से ढकी गर्म हथेली पर एक टिकट रख रहा था. वह ग्रेटा के साथ बाहर ठंड में खड़ा था, वे जंगले से अंदर झाँककर एक आदमी को तपती भट्ठी में काँच की बोतलें बनाते देख रहे थे. ठंड बहुत थी. ग्रेटा का ठंडी हवा में सुगंधित चेहरा उसके चेहरे से के काफी पास था; सहसा वह भट्ठी पर बैठे आदमी को ऊँची आवाज़ में बोला :
“भैया, आग गरम है क्या?”
भट्ठी की आवाज़ के कारण बात उस आदमी को नहीं सुनाई पड़ी. अच्छा ही हुआ. सुनता तो शायद अशालीन उत्तर ही देता.
पहले से भी अधिक मृदु आनंद की एक लहर उसके हृदय से उठकर उसकी धमनियों के उष्ण प्रवाह में व्याप्त हो गई. तारों की मृदु ऊष्मा की तरह साथ बिताए क्षण, जिनके विषय में न कोई जानता था न जान सकता था, उसकी स्मृति में उद्भासित हुए. उसे ग्रेटा को उन क्षणों की याद दिलाने की प्रबल इच्छा हुई, कि वह दाम्पत्य के वर्षों के नीरस जीवन को भूलकर केवल उनके परम आनंद के क्षणों को याद रखे. क्योंकि विगत समय न उसकी आत्मा को, न ग्रेटा की आत्मा को ही ऊष्मा-रहित कर पाया था – ऐसा उसे प्रतीत हुआ. उनके बच्चे, उसका लेखन, ग्रेटा की घरेलू जिम्मेदारियाँ – ये सब उन दोनों की आत्माओं की मृदु अग्नि का शमन न कर पाये थे. तब उसने ग्रेटा को लिखे एक पत्र में उसने कहा था : ऐसा क्यों है कि ये शब्द मुझे नीरस और निष्प्राण लग रहे हैं, क्या इस वजह से कि कोई शब्द इतना मृदुल नहीं है कि तुम्हारा नाम बन सके?
दूरस्थ संगीत की तरह सालों पहले लिखे ये शब्द विगत काल से उसकी ओर आये. वह ग्रेटा के साथ अकेला होना चाहता था. जब सब जा चुके होंगे, जब बस वे दोनों ही होटल के कमरे में होंगे तब वह हौले से पुकारेगा :
“ग्रेटा!”
शायद वह पहली बार न सुन पायेगी, कपड़े बदल रही होगी. फिर गेब्रिएल की आवाज़ में कुछ होगा जो उसका ध्यान खींचेगा. वह मुड़कर उसकी ओर देखेगी.
•••••
वाइनटैवर्न स्ट्रीट के कोने पर एक भाड़ागाड़ी मिली. उसके चलने की खड़खड़ाहट की वजह से रास्ते में गेब्रिएल को बात नहीं करनी पड़ी और उसके लिए यह संतोषजनक स्थिति थी. वह खिड़की से बाहर की ओर देख रही थी और थकी लग रही थी. शेष दोनों यात्री भी कम ही बोल रहे थे – कभी किसी सड़क का नाम लेते या किसी इमारत की ओर इशारा करते, बस. नीम-अँधेरे आसमान के नीचे थका हुआ घोड़ा अपने बदन से बँधे खड़खड़ाते बक्से को खींचता भाग रहा था. गेब्रिएल पुनः ग्रेटा के साथ ऐसी ही एक गाड़ी में पहुँच गया, पानी का जहाज पकड़ने के लिए सरपट दौड़ती, जब वे हनीमून पर जा रहे थे.
जब घोड़ागाड़ी ओ’काॅनेल ब्रिज पर पहुँची, तब मिस ओ’कैलेहान ने कहा :
“कहते हैं, जब भी ओ’काॅनेल ब्रिज को पार करो, एक सफेद घोड़ा दिखता है”.
“इस बार तो मुझे एक सफेद आदमी दिख रहा है”, गेब्रिएल ने कहा.
“कहाँ?” मिस्टर डार्सी ने पूछा.
गेब्रिएल ने मूर्ति ( आयरिश देशभक्त और क्रांतिकारी डैनियल ओ’काॅनेल की मूर्ति – अनु) को ओर इशारा किया, जिस पर बर्फ की परत जमी थी. फिर उसने मूर्ति की ओर देखकर अंतरंगता से सिर झुकाया. (सम्भव है गेब्रिएल का ओ’काॅनेल से कोई पारिवारिक सम्बंध हो – अनु)
“गुड नाइट, डैन’, उसने मूर्ति की ओर देखते हुए खिलंदड़े अंदाज में कहा.
जब गाड़ी होटल के सामने रुकी तो गेब्रिएल नीचे कूदा और मिस्टर डार्सी की आपत्ति के बावजूद भाड़े का भुगतान किया. उसने कोचवान को एक शिलिंग की टिप भी दी. कोचवान ने सलाम किया और बोला:
“नये साल में बरकत हो, सर!”
“आपकी भी”, गेब्रिएल ने सौजन्य-पूर्वक कहा.
गाड़ी से निकलते हुए और फुटपाथ के किनारे खड़े होकर बाकी दो यात्रियों को अलविदा कहते समय ग्रेटा ने थोड़ी देर के लिए गेब्रिएल की बाँह का सहारा लिया. गेब्रिएल की बाँहों पर उसका दबाव हल्का था, जैसा कुछ घंटे पहले साथ नाचते हुए था. तब उसने गर्वित और प्रसन्न अनुभव किया था, इसलिए प्रसन्न की वह मेरी है, इसलिए गर्वित कि वह सुश्री और स्त्रियोचित भाव से सम्पन्न है. परंतु इस समय, इतनी यादों के जग उठने के साथ-साथ, उसके शरीर के प्रथम स्पर्श- संगीतमय, अपूर्व और सुगंधित- ने गेब्रिएल के बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ दी. ग्रेटा की चुप्पी की आड़ में उसने ग्रेटा की बाँह को बगल में खींच लिया और जब वे होटल के दरवाजे पर खड़े थे तब गेब्रिएल को लगा मानो वे अपने जीवन और उसकी जिम्मेदारियों से, घर से, दोस्तों से बचकर साथ भाग निकले हों – निर्बंध और दीप्तहृदय – एक नये साहसिक अभियान पर निकलने के लिए.
होटल के हाॅल में हुडवाली बड़ी कुर्सी में एक बूढ़ा आदमी ऊँघता बैठा था. उसने ऑफिस में एक मोमबत्ती जलाई और उनके आगे-आगे सीढ़ियों की ओर चला. वे उसके पीछे-पीछे आये, मोटे कालीन से ढकी सीढ़ियों पर उनके पैरों की आवाज़ हल्की थी. ग्रेटा चौकीदार के पीछे चल रही थी, चढ़ते हुए उसका सिर नीचे था, उसके कोमल कंधे जैसे किसी भार से झुके लग रहे थे, और अपनी स्कर्ट को उसने कसकर बदन पर समेट लिया था. वह अपनी बाँह को उसके नितम्ब तक फैलाकर उसे पकड़ लेना चाहता था और उसकी बाँहें ग्रेटा को भर लेने की कामना से काँपने लगी थीं ; अपने नखों को हथेलियों में कसकर दबा वह किसी तरह अपने दुर्दम्य आवेग को नियंत्रित कर रहा था. चौकीदार मोमबत्ती की काँपती लौ को सँभालने के लिए सीढ़ी पर ठिठक गया. वे दोनों उसके नीचे की सीढ़ियों पर थम गये. स्तब्धता के बीच गेब्रिएल को तश्तरी में पिघलते मोम के टपकने और सीने में जोर से धड़क रहे अपने दिल की आवाज़ सुनाई दी.
चौकीदार उनको बरामदे से होते हुए ले गया और एक कमरा खोला. काँपती मोमबत्ती उसने ड्रेसिंग टेबुल पर रख दी और पूछा कि सुबह कब जगाना है.
“आठ बजे”, गेब्रिएल ने कहा.
बिजली के स्विच की ओर इशारा करके चौकीदार ने अस्पष्ट स्वर में माफी माँगना शुरू किया लेकिन गेब्रिएल ने बात काट दी:
“हमें रोशनी की जरूरत नहीं है, सड़क से काम-भर की रोशनी आ रही है.”
फिर उसने जोड़ा, “अगर ड्रेसिंग टेबुल से वह खूबसूरत चीज हटा ले जायँ तो अच्छा हो.”
चौकीदार ने मोमबत्ती को उठा लिया पर झिझक के साथ, क्योंकि उसे इस फरमाइश से आश्चर्य हुआ था. गेब्रिएल ने दरवाजा बंद कर लिया.
एक खिड़की से होकर दरवाजे तक सड़क के लैम्प की भुतहा रोशनी की एक लम्बी धार फैली हुई थी. गेब्रिएल ने अपना हैट और ओवरकोट सोफे पर रखा और कमरा पार करके खिड़की तक पहुँचा. खिड़की से वह कुछ देर तक सड़क की ओर देखता रहा ताकि अपनी भावना पर नियंत्रण कर सके. फिर वह रोशनी की ओर पीठ करके दराजों वाले संदूक से टिककर खड़ा हो गया. ग्रेटा ने अपना चोगा और हैट उतार दिया था और अब आदमकद आईने के सामने खड़ी होकर अपनी स्कर्ट के हुक खोल रही थी. थोड़ी देर तक गेब्रिएल उसे देखता रहा, फिर बोला:
“ग्रेटा!”
वह आईने से हटकर धीरे-धीरे रोशनी की धार के साथ-साथ उसकी ओर आई. उसका चेहरा इतना गम्भीर और थकान-भरा लग रहा था कि गेब्रिएल के मुँह से शब्द न निकले. नहीं, अभी सही समय नहीं है.
“तुम थकी लग रही हो”, वह बोला.
“हाँ, थोड़ा”, ग्रेटा ने जवाब दिया.
“कमजोरी या बीमारी तो नहीं लग रही?”
“ना, बस थकान लग रही है?”
वह खिड़की की ओर बढ़ गई और वहाँ बाहर की तरफ देखती खड़ी रही. गेब्रिएल ने प्रतीक्षा की, पर इस भय से कि संकोच उसको मूक न कर दे, उसने एकाएक कहा:
“एक बात याद आई”, वह बोला.
“क्या?”
“वह बंदा – मैलिंस- तुम जानती हो न उसे?” उसने जल्दी से कहा.
“हाँ, क्या हुआ उसे ?”
“अच्छा आदमी है बिचारा”, गेब्रिएल ने कृत्रिम, ऊँची आवाज़ में कहा, “मैंने उसे एक गिन्नी उधार में दी थी, उसने चुका दी. मुझे उम्मीद न थी. अफसोस की बात है कि वह उस आदमी, ब्राउन, का साथ नहीं छोड़ता, वर्ना खुद वह बुरा आदमी नहीं है.”
अब तक वह झल्ला गया था, उसका बदन काँप रहा था. ग्रेटा इतनी खोई-सी क्यों है? उसे समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह शुरूआत करे. क्या ग्रेटा को भी किसी बात पर झुंझलाहट हुई है? वह खुद अपनी मर्जी से उसकी ओर रुख करती या उसके पास आती तब तो कोई बात थी! इस हालत में उसके साथ कुछ करना अमानवीय होगा. नहीं, पहले उसकी आँखों में कुछ प्रेम की लालसा दिखनी चाहिए. उसके अंदर ग्रेटा की इस अजानी मनःस्थिति के ऊपर विजय पाने की आकांक्षा जगी.
“तुमने उसे कब उधार दिया?” कुछ रुककर ग्रेटा ने पूछा.
गेब्रिएल ने अपने ऊपर नियंत्रण करने का प्रबल प्रयास किया, अन्यथा उस पियक्कड़ मैलिंस और उसकी गिन्नी के बारे में कोई बहुत बुरी बात उसके मुँह से निकल जाती. वह अपनी अंतरात्मा की आवाज़ ग्रेटा तक पहुँचाना चाहता था;वह चाहता था उसकी देह को अपनी देह में समो लेना और उसे वशीभूत करना. पर उसने कहा:
“अरे क्रिसमस पर, जब उसे हेनरी स्ट्रीट पर क्रिसमस कार्डों की अस्थायी दुकान खोलनी थी.”
•••••
भावावेश और कामेच्छा की ऐसी तपन उसके अंदर थी कि ग्रेटा के खिड़की से उसकी ओर आने की आवाज़ उसे नहीं सुनाई दी. वह एक क्षण तक उसके सामने खड़ी रही, उसकी आँखों में एक अजीब-सा भाव था. फिर अचानक अपने पंजों पर उचककर और गेब्रिएल के कंधों पर अपने हाथों को हौले से रखकर ग्रेटा ने उसका चुम्बन लिया.
“तुम बड़े उदार व्यक्ति हो, गेब्रिएल”, वह बोली.
उसके अप्रत्याशित चुम्बन और उसकी पुराने ढंग की अभिव्यक्ति से आनंद-कम्पित गेब्रिएल ने उसके बालों पर हल्के से हाथ रखा और उन्हें इस तरह सहलाने लगा कि हाथों का स्पर्श नाम-मात्र हो. धुलाई से बाल चिकने और चमकीले हो गये थे. उसका हृदय आनंद से सराबोर हो रहा था. वह इसी बात की कामना कर रहा था, वह स्वेच्छया से उसके पास आई थी. शायद उसके मन में भी वही चल रहा था जो गेब्रिएल के. शायद उसने भी वह कामना का आवेग अनुभव किया था जो गेब्रिएल ने, और समर्पण का भाव उसके हृदय में उत्पन्न हुआ था. अब जब कि वह सहज ही उसके सामने समर्पण कर रही थी तो उसे आश्चर्य होने लगा- मैं इतना डर क्यों रहा था?
उसके सिर को दोनों हाथों में थामे वह खड़ा रहा. फिर एक हाथ ग्रेटा के बदन पर लपेटकर उसे अपने करीब खींच लिया और मंद स्वर में बोला :
“ग्रेटा डियर, क्या सोच रही हो?”
वह न कुछ बोली न गेब्रिएल की बाँह में अपने को पूरा छोड़ा. वह फिर उसी आवाज़ में बोला:
“बताओ न क्या बात है! मेरा ख्याल है मुझे पता है. क्या मुझे बात पता है?”
उसने साथ-साथ जवाब नहीं दिया. फिर अचानक रोते-रोते बोली:
“मैं उस गाने के बारे में सोच रही हूँ, द लैस ऑफ ऑग्रम”.
वह उसकी पकड़ से छूटकर बिस्तर की ओर भागी. पलंग के सिरे पर हाथ टिकाकर उसने बिस्तर में मुँह छिपा लिया. चकित गेब्रिएल कुछ देर तक निश्चल खड़ा रहा, फिर उसके पीछे-पीछे गया. बस्तर की ओर जाते हुए आदमकद आईने में उसे अपनी प्रतिकृति दिखाई दी – उसका चौड़ा सीना, उसका चेहरा जिसका भाव आईने में उसे सदा अबूझ लगता था और उसका सुनहले फ्रेम का चश्मा. वह कुछ दूर खड़ा होकर बोला:
“गाने का क्या? उसमें क्या है जिससे तुम्हें रोना आता है?”
उसने अपना मुँह बाँहों के ऊपर उठाये और बच्चों की तरह हाथ से अपने आँसू पोछे. गेब्रिएल की आवाज़ में जितनी वह चाहता था उससे ज्यादा नरमी आ गई:
“क्यों, ग्रेटा?”
“मैं एक व्यक्ति के बारे में सोच रही थी जो बहुत पहले इस गाने को गाया करता था.”
गेब्रिएल ने मुसकराते हुए पूछा, “कौन था यह बहुत पहले का व्यक्ति?”
“एक लड़का था गालवे में, जिसे में जानती थी. तब मैं वहाँ नानी के पास थी.”
गेब्रिएल के मुँह से हँसी गायब हो गई. उसके मन में एक खिन्न आक्रोश वापस आने लगा, और कामोत्तेजना की मंद अग्नि उसकी शिराओं में फिर भभक उठी.
“तुम्हें उससे प्रेम था?” उसने व्यंग्यपूर्वक कहा.
“माइकल फ्यूरी नाम का एक लड़का जिसे मैं जानती थी, वह इस गाने को गाता था, द लैस ऑफ ऑग्रम. वह बहुत बीमार रहता था.
गेब्रिएल ने कुछ नहीं कहा. वह नहीं चाहता था कि ग्रेटा को लगे उसे इस बीमार रहने वाले लड़के में कोई रुचि थी.
“उसे आज भी इतना साफ देख सकती हूँ!” ग्रेटा ने कहा, “कैसी तो आँखें थीं उसकी: बड़ी-बड़ी काली आँखें! और आँखों में एक भाव था -ऐसा भाव!”
“ओ, तो तुम्हें उससे प्यार था ?” गेब्रिएल ने कहा.
“गालवे में मैं उसके साथ घूमती-फिरती थी”, वह बोली.
गेब्रिएल के दिमाग में एक ख्याल कौंध गया.
“शायद इसीलिए तुम उस मिस आइवर्स के साथ गालवे जाना चाहती थीं”, वह कठोर स्वर में बोला.
ग्रेटा ने उसकी तरफ देखा और आश्चर्य-मिश्रित स्वर में बोली, “काहे लिए?”
उसकी आँखें देखकर गेब्रिएल अप्रतिभ हुआ. उसने कंधे उचकाये और बोला:
“मुझे क्या पता? शायद उससे मिलने के लिए?”
वह गेब्रिएल से आँख हटाकर चुपचाप खिड़की से आती रोशनी की धार को देखती रही.
“वह मर चुका है”, कुछ देर बाद वह बोली, “तब वह मात्र सत्रह साल का था. इतनी-सी उम्र में मर जाना कितना दारुण है!”
“करता क्या था?”, गेब्रिएल के स्वर में अब भी व्यंग्य था.
“गैस फैक्ट्री में काम करता था”, वह बोली.
•••••
गेब्रिएल को यह अपमानजनक लगा कि उसका व्यंग्य निष्प्रभावी रहा और मरे लोगों के बीच से एक चरित्र की स्मृति का आह्वान किया जा रहा है- गैस फैक्ट्री में काम करने वाले एक लड़के की स्मृति! जब उसका मन साथ बिताये गोपनीय जीवन की स्मृतियों में डूबा हुआ था, जब वह कोमलता, आह्लाद और कामेच्छा से भरा हुआ था, उस समय ग्रेटा मन ही मन उसकी किस और से तुलना कर रही थी. अपनी अस्मिता को लेकर एक लज्जा-भाव ने उसे घेर लिया. उसने अपने आप को एक हास्यास्पद चरित्र के रूप में देखा, अपनी मौसियों की हर आज्ञा का पालन करता, नेक इरादे वाला पर डरा हुआ, भावुकताग्रस्त एक इंसान, अज्ञानियों के बीच अपनी वक्तृता का प्रदर्शन करता, अपनी भंड कामेच्छा को उदात्त कल्पित करता हुआ एक आदमी- यह वही दयनीय मूर्ख था जिसको उसने अभी आदमकद आईने में देखा था. किसी अंतश्चेतना के प्रभाव से उसने अपना मुँह फेर लिया ताकि ग्रेटा को उसकी लज्जा उसके कपाल पर भासित होती न दिखे.
वह पूछताछ का भावशून्य स्वर बनाये रखना चाहता था, पर जब वह बोला तो उसका स्वर नम्र और उदासीन था.
“तो तुम इस माइकल फ्यूरी से प्यार करती थीं”, गेब्रिएल ने कहा.
“हम लोगों की तब अच्छी बनती थी”, ग्रेटा ने कहा.
ग्रेटा की आवाज़ अस्फुट और उदास थी. अब गेब्रिएल को लगा कि बातचीत को उस दिशा में ले जाना निरर्थक होगा जिधर वह ले जाना चाहता था; उसने ग्रेटा के हाथ को हाथों में लेकर सहलाया और बोला – उसका स्वर भी उदास था:
“इतनी कम उम्र में कैसे मरा वह? टी बी से?”
“मेरे ख्याल से मेरे लिए मरा”, ग्रेटा ने उत्तर दिया.
•••••
इस उत्तर को सुनकर गेब्रिएल एक अनाम भय से ग्रसित होने लगा मानो, जब वह जीत की आशा करने लगा था तभी, किसी अदृश्य और प्रतिशोध-प्रेरित सत्ता ने अपनी अजानी दुनिया से सैन्य जमा करके उसके ऊपर हमला कर दिया हो. परंतु उसने सायास, तार्किक ढंग से इस भय को दूर किया और ग्रेटा का हाथ सहलाता रहा. उसने और सवाल नहीं क्योंकि उसे लग गया था कि ग्रेटा स्वयं ही बता देगी. उसका हाथ गर्म और नम था: उसकी ओर से गेब्रिएल के स्पर्श के जवाब में कोई हरकत नहीं हुई, लेकिन वह उसका हाथ सहलाता रहा, ठीक उसी तरह जिस तरह ग्रेटा के प्रथम प्रेमपत्र को उस वसंत की सुबह सहलाया था.
“सर्दियों की बात है”, वह बोली, “सर्दियों की शुरुआत की; नानी का घर छोड़कर मुझे यहाँ कान्वेंट स्कूल में आना थे. उस समय वह गालवे के अपने कमरे पर बीमार पड़ा था, उसे बाहर नहीं निकलने देते थे; उक्टरार्ड में उसके परिवार को खबर दी गई. उसका रोग बिगड़ चुका था, या ऐसा ही कुछ बताया गया. मुझे कभी ठीक पता नहीं चला.”
वह क्षण-भर को रुकी और एक गहरी साँस ली.
“बेचारा! मुझसे बड़ा लगाव था उसे. और वो इतना नर्मदिल था! हम दोनों साथ-साथ घूमने जाते थे, जैसा देहात में चलन है. वह गाना सीखना चाहता था. बीमारी के कारण न हो सका. उसकी आवाज़ बहुत अच्छी थी. बेचारा माइकल फ्यूरी!”
“फिर?”
“फिर गालवे छोड़कर कान्वेंट जाने का समय आ गया. उसकी बीमारी और भी बढ़ गई थी और मुझे उससे मिलने की इजाजत नहीं मिली, अतः मैंने एक पत्र लिखकर उसे खबर दी कि मैं डबलिन जा रही हूँ और गर्मियों में लौटूँगी; साथ-साथ ही आशा व्यक्त की कि वह तब तक बेहतर हो जायेगा.”
अपनी आवाज़ पर नियंत्रण करने के लिए वह कुछ देर रुकी, फिर कहना जारी रखा:
“जिस दिन मुझे निकलना था, उसके पहले की रात नन्स आइलैंड में अपनी नानी के घर में यात्रा के लिए सामान लगा रही थी, तभी मुझे खिड़की पर कंकड़ पड़ने की आवाज़ आई. खिड़की पर पानी पड़ने के कारण उसके रास्ते कुछ दिखाई न दिया, सो मैं पीछे के दरवाजे से बगीचे में निकल आई. बेचारा माइकल बगीचे के एक कोने में ठंड से काँपता खड़ा था.”
“तुमने उसे वापस जाने को नहीं कहा?”, गेब्रिएल ने पूछा.
“मैंने उससे तत्काल घर लौटने के लिए मिन्नतें कीं. मैंने कहा कि इस बारिश में भीगना उसके लिए जानलेवा हो सकता है. लेकिन वह बोला कि उसे जीना नहीं है. उसकी आँखें मुझे आज भी याद हैं, वह दीवार के कोने पर खड़ा था जहाँ एक पेड़ था. “
“फिर वह घर चला गया?” गेब्रिएल ने पूछा.
“हाँ, चला गया. मुझे कान्वेंट में गये एक ही हफ्ता हुआ था कि उसकी मृत्यु हो गई. उसे उक्टरार्ड में दफन किया गया जहाँ उसके घर वाले रहते थे. जिस दिन मैंने सुना कि उसकी मृत्यु हो गई, आह!”
वह रुक गई, उसका कंठ अवरुद्ध हो गया. भावावेश में वह बिस्तर पर पड़ गई और रजाई पर मुँह रखकर सुबकने लगी. कुछ देर और गेब्रिएल अनिर्णय की मुद्रा में उसका हाथ पकड़े रहा. फिर उसके शोक में अपनी असमय उपस्थिति को लेकर गेब्रिएल को संकोच होने लगा, ग्रेटा का हाथ हौले से छोड़कर वह नि:शब्द खिड़की की ओर बढ़ा.
•••••
वह गहरी नींद में थी.
कुहनी के बल झुककर गेब्रिएल कुछ देर तक उसके उलझे बालों और अधखुले होंठों की ओर बिना किसी नाराजगी के देखता रहा और उसकी गहरी साँसों को सुनता रहा. तो वह अपने जीवन में एक रोमांस पा चुकी थी, एक आदमी ने उसके लिए जान दे दी. अब इस बात से उसे खास तकलीफ नहीं हो रही थी कि उसने, ग्रेटा के पति ने उसके जीवन में कितना कम हक अदा किया था. वह उसे सोते हुए यों देखता रहा जैसे वे कभी पति-पत्नी की तरह रहे ही न हों. उसकी सवालिया नजरें ग्रेटा के मुँह और बालों पर देर तक टिकी रहीं- उसने कल्पना की कि अपनी नई जवानी में वह कैसी रही होगी, कितनी सुंदर, और एक अद्भुत, मित्रवत करुणा उसके मन में जगी. वह अपने आप से भी यह नहीं कह सका कि ग्रेटा का मुख अब इतना सुंदर नहीं रहा; परंतु यह वह मुख तो नहीं है जिसके लिए माइकल फ्यूरी ने मृत्यु का वरण किया.
शायद उसने पूरी बात नहीं बताई. गेब्रिएल की नजर कुर्सी की ओर गई जिस पर ग्रेटा ने अपने कुछ कपड़े डाल रखे थे. पेटीकोट की एक डोरी फर्श तक लटक रही थी. एक बूट सीधा पड़ा था, उसका ऊपरी हिस्सा ढीला होकर पलट गया था, दूसरा बूट करवट लिए पड़ा था. उसने एक घंटे पहले अपने अंदर भावनाओं का जो उद्वेलन अनुभव किया था उस पर गेब्रिएल ने विचार किया. कहाँ से उपजा था वो? उपजा होगा उसकी मौसियों की पार्टी से, खुद उसके बेवकूफी के भाषण से, शराब और नृत्य से, हाॅल में विदा के समय की मौज-मस्ती से और बर्फ में पैदल चलने के आनंद से. बेचारी आंट जूलिया! वह भी शीघ्र ही पैट्रिक माॅर्कन और उनके घोड़े की तरह एक छायाकृति भर रह जायेंगी; जब वह ‘शादी के जोड़े में’ वाला गीत गा रही थीं तो गेब्रिएल को उनके चेहरे पर एक क्षण को एक रुग्ण थकान दिखी थी. शायद जल्द वह उसी बैठक में काले कपड़ों में, अपना रेशमी हैट गोद में रखे बैठा होगा. परदे बंद होंगे और आंट केट उसकी बगल में बैठी रोती हुई, नाक का पानी पोंछती उसे बता रही होंगी कि जूलिया कि मृत्यु किस तरह हुई. वह उनको ढाढ़स देने के लिए अपने दिमाग में कुछ शब्द तलाशेगा और अंततः कमजोर और बेकार शब्द ही उसे मिल पायेंगे. हाँ, यह सब भी शीघ्र ही होने वाला है.
कमरे की हवा उसके कंधों को शीत से जकड़ रही थी. वह सावधानी के साथ बिस्तर में घुसकर पत्नी की बगल में लेट गया. एक के बाद एक वे सब छायाकृतियों में परिवर्तित होने की दिशा में बढ़ रहे थे. उस दूसरी दुनिया में किसी उदात्त भावावेग के प्रभाव में साहसपूर्ण सहसा प्रवेश कर जाना उम्र की मार से क्रमशः मुरझाते हुए खो जाने की दारुण परिणति से ज्यादा अच्छा है. उसके मन में विचार आया कि कैसे उसकी बगल में सो रही इस स्त्री ने इतने वर्षों तक अपने प्रेमी की आँखों की तब की स्मृति अपने सीने में छुपा रखी थी जब उसने कहा था कि वह जीना नहीं चाहता.
गेब्रिएल भावुक हो गया और उसकी आँखों में आँसू भर आये. स्वयं उसने किसी स्त्री के प्रति इस तरह का भाव अनुभव नहीं किया था, लेकिन उसे मालूम था कि इस प्रकार का भाव प्रेम ही हो सकता है. आँसू उसकी आँखों में और उमड़ आये और नीम अँधेरे में उसे लगा कि सामने एक युवा की छायाकृति उभर रही है जो बरसात में पेड़ के नीचे खड़ा है. आसपास दूसरी छायाकृतियाँ थीं. उसकी आत्मा उस देश में पहुँच गई थी जिसमें मृतकों के विशाल समूह निवास करते हैं. उनके अस्थिर और झिलमिल अस्तित्व की चेतना उसके अंदर थी पर समझने की शक्ति न थी. उसका स्व भी एक रंगहीन, अयथार्थ जगत में खो रहा था : वास्तविक संसार, जिसमें ये छायाकृतियाँ कभी रही थीं और इसको पाला था, स्वयं घटते-घटते अदृश्य हो रहा था.
•••••
खिड़की के आईने से कोई चीज टकराने की आवाज़ आई. गेब्रिएल ने खिड़की की ओर मुड़कर देखा कि बर्फबारी फिर शुरू हो गई है. आधी नींद में वह स्ट्रीट लैम्प की रोशनी में तिरछे गिरते बर्फ के लच्छों को देखता रहा- रुपहले और भूरे लच्छे. उसकी पश्चिमाभिमुख यात्रा का समय हो गया था. हाँ, अखबार सही थे: बर्फ आयरलैंड में चारों ओर पड़ रही थी. वह मध्य आयरलैंड के अँधेरे मैदानों के कोने-कोने में पड़ रही थी, और पड़ रही थी वृक्षहीन पहाड़ियों पर; वह ‘बाॅग ऑफ एलेन’ (एक दलदली क्षेत्र का नाम- अनु) पर हौले-हौले पड़ रही थी और उसके भी पश्चिम, शैनन नदी की भयानक, दुर्बाध लहरों में धीरे-धीरे समा रही थी.
बर्फ पहाड़ी पर स्थित उस एकांत कब्रगाह के हर कोने पर भी पड़ रही थी जहाँ माइकल फ्यूरी दफ्न था. कब्रगाह के सीधे-टेढ़े सलीबों और कब्र के पत्थरों पर बर्फ ऊँची जमा थी, चर्च के गेट की नुकीली सलाखों पर और पत्रहीन कँटीले पौधों पर बर्फ की परत थी. उसकी आत्मा धीरे-धीरे चेतनाशून्य होने लगी; समूची सृष्टि पर गिरती बर्फ की मंद ध्वनि उसके कानों में पड़ रही थी- और बर्फ, उतरती कयामत की तरह, सबके ऊपर पड़ रही थी, जो जीवित थे उन पर और जो मर चुके थे उन पर भी.
___________
शिव किशोर तिवारी हिंदी, असमिया, बंगला, संस्कृत, अंग्रेजी, सिलहटी और भोजपुरी आदि भाषाओँ से अनुवाद और आलोचनात्मक लेखन. |
इस कहानी का हिंदी में सुलभ होना वास्तव में प्रशंसनीय है। आपको और शिव किशोर तिवारी जी को बहुत बधाई और साधुवाद।
टी. एस. इलियट के शब्दों में, ‘द डेड’ “अब तक लिखी गई महानतम कहानियों में से एक” है। शिव किशोर तिवारी द्वारा अनुदित, यह हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में एक अद्वितीय योगदान है, जिसे ‘समालोचन’ ने हिन्दी के पाठक-वर्ग तक पहुँचाया है। मेरा मानना है कि किसी साहित्य को विश्व साहित्यिक धरोहर से समृद्ध करने के लिए अनुवाद, मौलिक लेखन की अपेक्षा कहीं अधिक सार्थक कर्म है।
जेम्स जॉयस की कहानी ‘द डैड ‘पढ़ रही हूं और भीतर तक तृप्ति के आह्लाद में सराबोर हो रही हूँ ।
इन दिनों कहानी के नाम पर हिन्दी में जो लेखन हो रहा है, उससे बेहद क्षुब्ध रही हूं। विचार की संश्लिष्टता, संवेदना की सघनता, कथा की रस छलकाती आत्मीयता और भाषा को रचाव देकर किन्हीं उन्नत सोपानों तक पहुँचाती कलात्मकता का जो मानदंड क्लासिक कही जाने वाली कहानियों में मिलता है, और जिन्हें पढ़कर समृद्धतर हो जाने की पुलक भीतर तक पैबस्त हो जाती है, वह हालिया कहानियों में विरलतर होती जा रही है। ऐसे में जेम्स जॉयस की कहानी का प्रकाशन फिर से कहानी-कला की अर्हताओं पर बात करने की ज़रूरत को रेखांकित करता है।
कहानी विचार का स्थूल एजेंडा नहीं होती। वह एक नर्म छुअन के साथ हौले से किन्हीं गहरी दबी हूकों को उसके तमाम गूढ़ार्थों के साथ इस प्रकार संप्रेषित करती है कि न मनुष्य की अस्मिता और संबंधों की गरिमा क्षरित हो, न अपने वर्चस्व की स्थापना में गरिया-धमका कर दूसरे को मिटाने का जतन समय का मूल्य बन कर प्रतिष्ठित हो। कहानी अपनी बुनियादी बुनावट में प्रतिरोध का सुदृढ़ स्वर है, लेकिन साथ ही अपने इस विश्वास (conviction) पर भी अडिग है कि प्रतिशोध प्रतिरोध का आसान स्थानापन्न नहीं। वह प्रतिरोध की धारा को कुंद करने वाला लुभावना स्खलन भर रह है।
‘द डैड’ कहानी दो वज़हों से अपील करती है। एक, पुरुष रचनाकार द्वारा स्त्री-संवेदी हृदय के साथ स्त्री के अंतर्मन में पैठने की कोशिश। यह कोशिश एम्पैथी के इतने उन्नत स्तर का आरोहण करती है कि पुरुष की अहम्मन्य ग्रंथियां और पितृसत्तात्मक व्यवस्था का शास्त्र क्रमशः खुलने लगता है। लेकिन सावधानी इतनी बरती गई है कि इस पूरी प्रक्रिया में पुरुष की मनुष्यता का क्षरण न हो। कहानी जब संबंध और सम्वेदना की बात करते हुए फ़िज़ाओं में कठघरे खड़े करने लगे, और हाकिम की मुद्रा में त्वरित न्याय के बटखरों का सहारा लेने लगे, तब अपना प्रभाव स्वयं कुतरने लगती हैं। जेम्स जॉयस की यह कहानी ऐसे भावुकतापूर्ण आवेशमय भावोच्छ्वासों से परहेज़ करते हुए परिस्थितियों, संवेदनाओं और विवशताओं को आमने-सामने रख लेखक के सृजनात्मक मंतव्यों को धीरोदात्त गरिमा प्रदान करती है।
कहानी की दूसरी विशेषता है इसकी वर्णनात्मक कला। ब्यौरे, चरित्र और घटनाएँ जिस तल्लीन संलग्नता के साथ रोज़मर्रा के जाने-चीन्हे बिंब रचती है, वह हड़बड़ी और शॉर्टकट की जगह गूढ़ ऑब्जर्वेशन और सेंस ऑव बिलॉन्गिंगनेस को समय की सर्जक शक्ति बनाने का आह्वान करती है। यह ठीक है कि पल में समाए काल की सत्ता अनंतिम है, लेकिन पल को सिरज कर काल को जीवंत और अमर कर देना ही कला है।
अनुवादक शिव किशोर तिवारी को साधुवाद कि कहानी अनुवाद न लग कर मौलिक कृति का आस्वाद देती है। पश्चिमी संस्कृति और भाषा के बेगानेपन को हिन्दी के मिजाज में ढालना सरल काम नहीं था।
समालोचना का आभार और अपेक्षा कि ऐसी समृद्धकारी कालजयी कहानियाँ यहाँ प्रकाशित होती रहें।
तिवारी जी के अनुवाद मुझे बहुत पसंद है। इस कहानी का अनुवाद उनके अब तक किए सभी अनुवादों में मुझे सबसे अच्छा लगा है।
हिंदी में लेखक विशेष अनुवादकों की परंपरा नहीं है, कितना अच्छा होता कि तिवारी जी जॉयस के लिखे प्रत्येक शब्द का अनुवाद कर पाते। यह कहने के लिए मुझे लालची माना जा सकता है मगर फिर भी कहने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा।
यक़ीनन एक बेहतरीन कहानी।अपने पूरे रचाव में यह टॉलस्टॉय के चर्चित उपन्यास वार एंड पीस की संरचना का सा आस्वाद लिए हुए है।इसकी वर्णनात्मकता का जादू,विस्तृत ब्योरे और रोजमर्रा के घटना क्रम जिस तरह सिरजा रचा गया है वह अद्भुत है।अंत में कथा नायक और नायिका का संवेदनशील अंतर्द्वंद इस कहानी को अपने उस चरम पर ले जाता हैं जहाँ मानवीय मनोविज्ञान और
नियति का अतरंग उलझाव कहानी को नई ऊंचाई पर ला खड़ा करता है।तिवारी जी का अनुवाद मूल का आस्वाद लिए है।
बहुत अच्छा लगा. अनुवाद एक अन्य संस्कृति को दिखाते हैं, कई ऐसी चीजें मिलती हैं जिनके बारे में हम (कम से कम हम में से कई) प्रायः कुछ नहीं जानते. यदि अनुवादक ऐसी जगहों पर अपनी टिप्पणी न दें तो मैं कुछ ठगा सा महसूस करने लगता हूँ.
अनुवाद ऐसे ही होने चाहिए.
जेम्स जाॅयस की कहानी ” द डेड ‘ आखिर पढ़ ही ली। लंबी कहानी तब तक नहीं पढ़ी जा सकती जब तक उसमें प्रेम का खमीर न हो
इस कहानी ने हौले हौले अपने गिरफ्त में लिया। अगर ग्रेबियल ने नृत्य में नायिका के हाथ का कसाव न महसूस किया होता तो शायद कहानी आगे न पढ़ी जा सकती थी। पर कहानी के बंद दरवाजे खुल चुके थे जहां से प्रेम की पीड़ा हल्के बयार में प्रवेश कर चुकी थी। और अंत में कहानी के जिस अहसास में बांधा उसका जादू आखिरी पंक्ति पर जाकर टूटा।
अनुवाद बहुत अच्छा। यहां भूले हुए कुछ शब्द याद आये। अनुवादक शिव किशोर तिवारी जी को बधाई और शुभकामनाएं।
हीरालाल नागर
द डेड का यह हिंदी अनुवाद बेहद प्रभावशाली है। अनुवादक ने न केवल जेम्स ज्वायस की भाषा और शैली को सहजता से हिंदी में ढाला है, बल्कि कहानी की भावनात्मक जटिलता और संवेदनाओं को भी बखूबी व्यक्त किया है। गेब्रियल कॉनरॉय के आत्मचिंतन और उनके रिश्तों के द्वंद्व को, डबलिन की संस्कृति और कहानी के प्रतीकों को हिंदी में ऐसे सफलतापूर्वक रूपांतरित किया है कि कहानी अपनी सार्वभौमिक अपील बनाए रखती है। यह अनुवाद सिर्फ भाषा का परिवर्तन नहीं, बल्कि मूल रचना की आत्मा को हिंदी पाठकों तक पहुँचाने का एक सफल प्रयास भी है। शिव किशोर तिवारीजी का यह अनुवाद न केवल पढ़ने में सहज है, बल्कि हिंदी कहानी में ऐसा योगदान भी है, जो पाठकों को लंबे समय तक प्रभावित करेगा।
कहानी के अंत में गेब्रियल का आत्म-चिंतन 20वीं शताब्दी के आधुनिकतावाद का एक बेहतरीन उदाहरण है। वह महसूस करता है कि जीवन और मृत्यु के बीच की रेखा उतनी ठोस नहीं है जितनी वह सोचता था। अंत में, बर्फ का गिरना और पूरे आयरलैंड को ढक लेना, जीवन की अनिवार्यता और मृत्यु की समानता का संकेत है।
इसके गहरे प्रतीकवाद, पात्रों की जटिलता, और मानव भावनाओं की सूक्ष्मता के कारण इसे जॉयस की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में गिना जाता है। कह सकते हैं कि अनुवादक ने इसके साथ पूरा न्याय किया है।
कहानी पढ़ी थी, बहुत पहले कभी और इसका जो कुछ भी याद था वह इतना कम रह गया था कि इसे फिर से पढ़ने का सुख मिला. तिवारी जी ने बढ़िया अनुवाद किया है. ऐसे अनुवाद में प्रवाह और सही शब्दों के चयन के साथ- साथ वाक्य विन्यासों की रचना की भी चुनौती होती है, जो अच्छे से निभा ली गयी है. जेम्स जॉयस की कहानियां उनकी लम्बी रचनाओं यहाँ तक कि ‘मैजिक माउनटेन’ की तुलना में ज्यादा पसंद हैं, खासकर इसलिए भी कि जिस तरह की डिटेलिंग और कहन का विस्तार लम्बी रचनाओं में है, जो कभी अतिरेक भी लगता है उसकी एक सुँदर संक्षिप्तता उनकी कहानियों में है, जो अक्सर जरा भी कम या ज्यादा नहीं लगती है. यद्यपि कुछ ऐतिहासिक सन्दर्भ जो इसमें हैं उसके अलावा आईरिश संस्कृति की बात को जानना उतना आसान नहीं है फिर भी अपने क्षेत्र से, देश से मुक्त होकर सबके लिए कही जाने वाली तमाम कहानियों की तरह से यह भी है. एक उम्दा रचना.