सबसे खतरनाक खेलरिचर्ड कॉनेल |
वहां दूर दाहिनी ओर कहीं एक विशाल द्वीप है,” ह्विटनी ने कहा, “वह एक रहस्य है.”
“कौन सा द्वीप?” रेंसफ़र्ड ने पूछा.
“पुराने नक्शों में इसे ‘शिप ट्रैप द्वीप’ कहा गया है,” ह्विटनी ने जवाब दिया, “नाम से ही पता चलता है. नाविकों में इस जगह के प्रति एक जिज्ञासापूर्ण भय रहता है. मुझे नहीं पता क्यों, शायद कोई अंधविश्वास..”
“मैं उसे देख नहीं पा रहा,” रेंसफ़र्ड ने गीली उष्णकटिबंधीय रात के आरपार देखने का प्रयत्न करते हुए कहा जो कि काफी थकाऊँ काम था. धीरे-धीरे रात्रि अपनी गाढ़ी गर्म कालिमा से याच को आच्छादित कर रही थी.
“तुम्हारी आँखें बहुत तेज हैं,” ह्विटनी ने हँसते हुए कहा, “मैंने तुम्हें चार सौ ग़ज़ दूर से झाड़ी में चलते हिरण को पहचान लेते हुए देखा है, किंतु तुम भी इस चंद्रमाविहीन कैरेबियन रात्रि में लगभग चार मील दूर तक नहीं देख सकते.”
“चार ग़ज़ तक नहीं,” रेंसफ़र्ड ने स्वीकार किया, “यह काले, भीगे वेलवेट की भांति है.”
“रिओ में पर्याप्त रोशनी होगी,” ह्विटनी ने आश्वासन दिया. “हम कुछ दिनों में वहाँ पहुँच जाएंगे. मुझे आशा है पुरडे (बंदूकें बेचने वाली एक फर्म) से जैगुआर के शिकार वाली बंदूकें भी आ चुकी होंगी. और हम अमेज़न के जंगलों में अच्छा शिकार करेंगे. शिकार शानदार खेल है.”
“दुनिया में सबसे अच्छा खेल.” रेंसफ़र्ड ने सहमति जताई.
“शिकारी के लिए,” ह्विटनी ने सुधार किया, “जैगुआर के लिए नहीं.”
“सड़ी हुई बातें मत करो,” रेंसफ़र्ड ने कहा. “तुम एक बड़े शिकारी हो, दर्शनशास्त्री नहीं. किसे परवाह है कि सोचे कि जैगुआर क्या महसूस करता है.”
“शायद जैगुआर सोचता हो.” ह्विटनी ने कहा.
“छोड़ो, उन्हें कोई समझ नहीं होती.”
“फिर भी, मैं सोचता हूँ कि वे एक चीज समझते हैं- भय. पीड़ा का भय और मौत का भय.”
“बकवास,” रेंसफ़र्ड हँसा.
“यह गर्म मौसम तुम्हें मुलायम किये दे रहा है. यथार्थवादी बनो. दुनिया दो तरह के वर्गों से बनी है – शिकारी और शिकार. सौभाग्य से मैं और तुम शिकारी हैं. क्या हम उस द्वीप से परे गुजर गए?”
“अंधेरे में मैं कुछ नहीं कह सकता. आशा करो हम पार हो गए हों.”
“क्यों?” रेंसफ़र्ड ने पूछा.
“इस जगह की कुछ ख्याति है- कुख्याति.”
“नरभक्षी?” रेंसफ़र्ड ने सुझाया.
“मुश्किल है. नरभक्षी भी इस तरह की अपशकुनी जगह में नहीं रह पाएंगे. लेकिन यह जगह किसी कारण नाविकों के किस्सों में चर्चित है. क्या तुमने ध्यान नहीं दिया कि आज नाविक कुछ नर्वस लग रहे थे?”
“हाँ, वे थोड़ा विचित्र लग रहे थे. अब तुम बता रहे हो तो… कैप्टन नील्सन भी..”
“हाँ वह मजबूत दिमाग वाला स्वीडिश भी, जो खुद शैतान के पास भी जा कर रोशनी के लिए माचिस मांग सकता है. उन मछली जैसी नीली आँखों में भी इस तरह के भाव थे जो मैंने पहले नहीं देखे थे. उससे मैं बस इतना जान सका कि ‘समुद्री यात्रा करने वालों में यह जगह बदनाम है, सर.’ फिर उसने मुझसे बहुत गंभीरता से कहा, ‘क्या आपको कुछ नहीं महसूस हो रहा?’ मानो हमारे आसपास की हवा सचमुच जहरीली हो गयी हो. अब तुम मुझ पर हँसना नहीं यदि मैं कहूँ कि मुझे एकाएक कुछ तेज डर सा महसूस हुआ था.”
“वहाँ हवा नहीं चल रही थी. समुद्र ऐसे स्थिर था जैसे शीशे की खिड़की हो. उसी समय हम द्वीप के पास आ रहे थे. जो मैंने महसूस किया वह एक तरह का मानसिक डर था- एक तरह का आकस्मिक भय.”
“शुद्ध कल्पना,” रेंसफ़र्ड ने कहा.
“एक अंधविश्वासी नाविक पूरे जहाज को अपने भय से ग्रस्त करा सकता है.”
“हो सकता है, लेकिन कई बार मैं सोचता हूँ कि नाविकों के पास महसूस करने की कुछ अतिरिक्त शक्ति होती है जो उन्हें बताती है कि कब वे खतरे में हैं. कई बार मैं सोचता हूँ कि विपत्ति एक ठोस वस्तु जैसी होती है, अपनी तरंग दैर्ध्य के साथ, जैसे प्रकाश और ध्वनि में होती है. एक बुरी जगह, अगर कहें तो, बुराई की तरंगें प्रसारित करती है. जो भी हो, मैं खुश हूँ कि हम उस क्षेत्र से बाहर जा रहे हैं. ठीक है, अब मैं भीतर जाऊंगा, रेंसफ़र्ड.”
“मुझे अभी नींद नहीं आ रही,” रेंसफ़र्ड ने कहा. “मैं अभी एक और पाइप पीने डेक पर आगे जा रहा हूँ.”
“फिर शुभरात्रि, रेंसफ़र्ड . सुबह नाश्ते पर मिलेंगे.”
“ठीक है, शुभरात्रि, ह्विटने.”
जिस समय रेंसफ़र्ड वहाँ बैठा था, रात्रि बिलकुल ध्वनिविहीन थी, सिवाय अंधेरे में याच को तेजी से आगे बढ़ा रहे इंजन की भिंची हुई आवाज़ और प्रोपेलर से पानी को हटाने की तरंगित ध्वनि के.
रेंसफ़र्ड एक स्टीमर चेयर में निष्क्रिय सा बैठा अपना प्रिय पाइप पी रहा था. रात्रि का नशीला उनींदापन उस पर छा गया था. “कितना अंधेरा है,” उसने सोचा, “कि मैं बिना अपनी आँखें मूंदे भी सो सकता हूँ; रात ही मेरी पलकों का काम कर देगी.”
एक आकस्मिक आवाज़ ने उसे चौंका दिया. उसे दाहिनी ओर नीचे से आते उसने सुना था और ऐसे मामलों में विशेषज्ञ उसके कान कभी गलती नहीं कर सकते थे. उस ने फिर वही आवाज़ सुनी, और फिर. कहीं दूर अंधेरे में किसी ने तीन बार बंदूक से फायर किया था.
रेंसफ़र्ड उछल पड़ा और रहस्य से बंधा तेजी से रेलिंग के पास पहुँच गया. उसने जिस दिशा से गोली चलने की आवाज़ आई थी उधर देखने के लिए आँखों पर जोर दिया लेकिन यह एक भीगे कंबल के आरपार देखने के प्रयत्न जैसा था. वह अधिक ऊँचाई के लिए उछल कर रेलिंग पर चढ़ गया और अपने को वहाँ संतुलित कर लिया. उसका पाइप एक रस्सी से टकरा कर उसके मुंह से निकल गया. वह उसके लिए लपका. एक छोटी, तेज चीख उसके होंठों से निकली जब उसे इस वास्तविकता का ज्ञान हुआ कि वह बहुत आगे बढ़ गया था और उसका संतुलन बिगड़ गया था. जैसे ही कैरेबियन समुद्र का रक्त सा गर्म जल उसके सिर के ऊपर आया उसकी चीख घुट कर रह गयी.
उसने ऊपर आने और चीखने का प्रयत्न किया किंतु तेजी से गुजर रहे याच के कारण विस्थापित जल के थपेड़ों ने उसके चेहरे पर चोट की और नमकीन पानी से उसकी आवाज़ और दम घुटने लगा. बेचैनी से तेज-तेज हाथ पैर चलता हुआ वह दूर होती जा रही याच की रोशनियों के पीछे तैरने लगा. लेकिन पचास फीट के आसपास तैरने के पश्चात वह रुक गया. उसके मस्तिष्क में एक खास तरह की शांति छा गयी, यह पहली बार नहीं था जब वह किसी गंभीर खतरे में पड़ा था. एक मौका था कि याच पर किसी के द्वारा उस की पुकार सुन ली जाती किंतु वह मौका बहुत कमजोर था और याच के आगे बढ़ने के साथ ही और कमजोर होता जा रहा था. उसने अपने आप को अपने कपड़ों से मुक्त किया और अपनी पूरी शक्ति से चिल्लाया. याच की रोशनियां धीरे-धीरे मद्धिम होती हुई जुगनुओं जैसी लग रह थीं और फिर वे पूरी तरह रात्रि के अंधेरे में खो गईं.
रेंसफ़र्ड को गोलियों के चलने का स्मरण हो आया. उनकी आवाज़ दाहिनी ओर से आयी थी. उसने दृढ़ निश्चय के साथ, धीरे-धीरे, सोच समझ कर हाथ चलाते, अपनी शक्ति को बचाये हुए उसी दिशा में तैरना जारी रखा. अंतहीन लगते समय तक वह समुद्र से संघर्ष करता रहा. उसने अपने स्ट्रोक्स गिनने शुरू कर दिए. वह संभवतः सौ और कर सकता था और फिर….
रेंसफ़र्ड ने एक आवाज़ सुनी. यह अंधेरे में से आयी थी. एक तेज चीख की आवाज़, किसी पशु की अत्यधिक पीड़ा और आतंक में डूबी हुई आवाज़.
वह उस पशु को नहीं पहचान सका जिसकी वह आवाज़ थी, उसने प्रयत्न भी नहीं किया; नयी जीवंतता के साथ वह उस आवाज़ की दिशा में तैरने लगा. फिर उसने वही आवाज़ सुनी. फिर एक और ध्वनि द्वारा वह बीच में ही रुक गयी, स्पष्ट, तीखी आवाज़.
“पिस्टल शॉट,” रेंसफ़र्ड बुदबुदाया और आगे तैरता रहा.
दस मिनट के दृढ़तापूर्वक प्रयत्न ने उसके कानों को एक और ध्वनि तक पहुँचा दिया- सबसे बेहतरीन आवाज़ जो उसने कभी सुनी थी- किनारे की चट्टानों से समुद्र के टकरा कर बुदबुदाने और गरजने की आवाज़. उन्हें देख पाता इसके पूर्व ही वह चट्टानों पर पहुँच गया. किसी कम शांत रात्रि में वह उनसे टकरा कर बिखर गया होता. अपनी बची खुची शक्ति से उसने अपने आप को बेचैन जल से बाहर खींचा. अंधेरे की अपारदर्शिता में दांतेदार चट्टाने उभरी हुई थी. उसने अपने को ऊपर खींच लिया. हाथ के ऊपर हाथ. लंबी सांस लेता हुआ, घायल हाथों के साथ वह ऊपर एक समतल जगह पर पहुँच गया.
घना जंगल चट्टानों के किनारे तक पसरा हुआ था. वे घनी झाड़ियां और वृक्ष अपने में उसके लिए क्या संकट छिपाए हुए थे, यह इस समय रेंसफ़र्ड की चिंता का विषय नहीं था. वह सिर्फ यह जानता था कि वह अब अपने शत्रु, समुद्र से सुरक्षित था और उस पर तीव्र थकान छा रही थी. उसने अपने को जंगल के किनारे फेंक दिया और अपने जीवन की सबसे गहरी नींद में सिर के बल गोता लगा गया.
जब उसने आँखें खोली वह सूरज की स्थिति से समझ गया कि यह देर अपराह्न का समय था. नींद ने उसमें नई जीवंतता भर दी थी और अब उसे तीव्र भूख जकड़ रही थी. उसने अपने आप को लगभग प्रसन्नता से देखा.
“जहाँ पिस्टल शॉट्स हैं, वहाँ आदमी भी होंगे. जहाँ आदमी होंगे, वहाँ भोजन भी होगा.” उसने सोचा. किंतु किस तरह के आदमी, इस तरह की भयानक जगह में? उसे आश्चर्य हुआ. एक गठीला और घना जंगल किनारे तक फैला हुआ था.
उसे झाड़-झंखाड़ और वृक्षों के गहनता से बुने जाल से हो कर जाती हुई किसी पगडंडी का कोई चिन्ह नहीं दिखाई पड़ा; किनारे-किनारे चलना अपेक्षाकृत आसान था और रेन्सफोर्ड पानी के साथ साथ चलने लगा. जहाँ वह किनारे पर आया था, वहां से कुछ ही दूरी पर वह रुक गया.
कोई घायल चीज- देखने में एक विशाल जानवर – झाड़ियों में पड़ा हुआ था. जंगली झाड़ियां कुचली हुई थी और काई मसली हुई, झाड़ियों का एक हिस्सा गुलाबी धब्बों से भरा था. एक छोटी सी चमकीली वस्तु ने, जो अधिक दूर नहीं थी, रेन्सफोर्ड का ध्यान आकृष्ट किया और उसने उसे उठा लिया. यह एक ख़ाली कारतूस था.
“पॉइंट ट्वेंटी टू,” उसने कहा. “यह अजीब बात है. यह काफी बड़ा जानवर था. शिकारी को एक छोटी बंदूक के साथ उससे निपटने के लिए बहुत साहस की जरूरत रही होगी. यह स्पष्ट था कि जानवर ने जबरदस्त संघर्ष किया था. मेरा अनुमान है कि शिकारी ने अपनी पहली तीन गोलियों से, जो मैंने सुनी थी, शिकार को बेदम कर दिया था. आखिरी गोली तब चली थी जब उसने इसका पीछा किया और यहाँ उसे ख़त्म कर दिया.”
उसने जमीन का सूक्ष्म निरीक्षण किया और जिस चीज की उसे आशा थी वह पा लिया- शिकारी जूतों के निशान. वे उस कड़ी चट्टान की ओर को इशारा कर रहे थे जिस ओर वह जा रहा था. उत्सुकतावश वह उसी ओर तेजी से चल पड़ा, किसी सड़े हुए लकड़ी के टुकड़े या पत्थर पर से फिसलता, वह आगे बढ़ता रहा. द्वीप पर रात्रि धीरे-धीरे उतर रही थी.
तब गहन अंधकार समुद्र और जंगल को अपनी कालिमा में समेटे ले रहा था जब रेंसफ़र्ड ने रोशनी की चमक देखी. जैसे ही उसने समुद्रतट में एक मोड़ को पार किया उसे वह दिखाई पड़ी और उसको सबसे पहले यह विचार आया कि वह किसी गांव के पास आ गया है क्योंकि वहाँ बहुत सी रोशनियां थी. किन्तु जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा वह यह देख कर दंग रह गया कि तमाम रोशनियां एक ही विशालकाय इमारत में थी- ऊपर अँधेरे में गुम शंक्वाकार मीनारों वाली एक विशाल संरचना. उसकी आँखों को अंधेरे में एक महलनुमा भवन की रूपरेखाएँ दिखाई पड़ी; यह ऊंचाई पर स्थित थी और वहाँ तीन तरफ से चट्टानें समुद्र में डूबी हुई थी जहाँ समुद्र अँधेरे में लालचवश अपने होंठ चाट रहा था.
“मृग मरीचिका,” रेंसफ़र्ड ने सोचा. किन्तु यह मरीचिका नहीं थी. उसे तब पता चला जब उसने नुकीली कीलों वाले लोहे के दरवाजे को खोला. पत्थर की सीढ़ियां वास्तविक थी; द्वार खटखटाने के लिए बना धातु का लालसा से हँसता हुआ चेहरा वास्तविक था. पर इस सब पर अवास्तविकता की एक धुंध सी छायी हुई थी.
उसने दरवाजा खटखटाने वाली कुण्डी उठायी, उसमें से ऐसे कड़कड़ाहट हुई मानों वह पहले कभी प्रयोग में नहीं लायी गयी थी. उसने उसे गिरने दिया. उसकी गूंजती तेज आवाज़ से वह भौंचक्का रह गया. उसे लगा कि उसने भीतर की ओर कदमों की आवाज़ सुनी थी. दरवाजा बंद ही रहा. रेंसफ़र्ड ने एकबार फिर भारी कुण्डी उठायी और उसे गिर जाने दिया. तब दरवाजा खुला- इतनी तीव्रता से मानों उसमें स्प्रिंग लगे हों – और रेंसफ़र्ड बाहर आयी स्वर्णिम रोशनी में पलकें झपकाते खड़ा रहा. जो पहली चीज रेंसफ़र्ड पहचान सका वह थी अब तक उसके द्वारा देखा गया सबसे बड़े आकार का आदमी – एक विशालकाय प्राणी, मजबूत बनावट और कमर तक लटकती काली दाढ़ी वाला. वह व्यक्ति अपने हाथ में लम्बी नाल वाला रिवाल्वर लिए हुए था और वह उसे सीधे रेंसफ़र्ड के सीने की ओर ताने हुए था.
भौंहों की परतों में से दो छोटी छोटी आँखें रेंसफ़र्ड को देख रहीं थी.
“चौंको मत,” रेंसफ़र्ड ने अपने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए कहा जो उसकी समझ से बहुत प्रभावी थी. “मैं कोई डाकू नहीं हूँ. मैं एक याच से समुद्र में गिर गया था. मेरा नाम सैंगर रेंसफ़र्ड है, न्यूयॉर्क शहर वाला.”
उन आँखों का खतरनाक भाव परिवर्तित नहीं हुआ. रिवाल्वर उसी तरह सख्ती से तना रहा मानो वह देव कोई मूर्ति हो. उसने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया जिससे लगे कि उसकी समझ में रेंसफ़र्ड की बात आयी है अथवा उसने कुछ सुना भी है. वह वर्दी में था- भूरे अस्तर के साथ काली वर्दी.
“मैं न्यूयॉर्क का सैंगर रेंसफ़र्ड हूँ,” रेंसफ़र्ड ने फिर से कहना शुरू किया. “मैं एक याच से गिर गया था. मुझे भूख लगी है.”
उस आदमी का एक ही जवाब था कि उसने अपने अंगूठे से रिवाल्वर का हैमर उठा दिया. तभी रेंसफ़र्ड ने उस आदमी के खाली हाथ को माथे की ओर एक सैनिक सैल्यूट की मुद्रा में उठते हुए देखा, अपनी एड़ियों को बजाते हुए वह सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया. संगमरमर की चौड़ी सीढ़ियों से एक और व्यक्ति नीचे आ रहा था, शाम के कपड़ों में एक तना हुआ, अपेक्षाकृत छरहरा आदमी. वह रेंसफ़र्ड की ओर आया और अपना हाथ बढ़ाया.
प्रयत्नपूर्ण आवाज़, जिसमें थोड़ा सा स्वराघात था और जिसके कारण उसमें और विशिष्टता आ गयी थी, में उसने कहा,
“प्रसिद्ध शिकारी मिस्टर सैंगर रेंसफ़र्ड का अपने घर में स्वागत करना मेरे लिए बड़े आनंद और सम्मान की बात है.”
रेंसफ़र्ड ने स्वचालित रूप से उस आदमी का हाथ हिलाया.
“मैंने तिब्बत में हिम चीतों के शिकार से सम्बंधित तुम्हारी किताब पढ़ी है,” आदमी ने स्पष्टीकरण दिया. “मैं जनरल जारॉफ हूँ.”
रेंसफ़र्ड को प्रथमदृष्टया वह आदमी सुदर्शन लगा; फिर उसे जनरल के चेहरे में एक मौलिक, लगभग विचित्र विशेषता नजर आयी. वह पचास के आसपास का लम्बा आदमी था और उसके बाल जगह-जगह सफ़ेद थे, किन्तु उसकी घनी भौंहें और सैनिकों जैसी नुकीली मूंछें उस रात्रि की भांति ही काली थी जिससे हो कर रेंसफ़र्ड आया था. उसकी आँखें भी काली और बहुत चमकीली थी. उसके गालों की हड्डियां कुछ उभरी हुई और नाक तीखा कटाव लिए हुए थी. चेहरा रखरखाव वाला और गहरे रंग का, एक ऐसे आदमी का चेहरा था जो आदेश देने का अभ्यस्त था, एक कुलीन सामंत का चेहरा. वर्दी पहने देव की तरफ मुड़ कर जनरल ने कुछ संकेत किया. देव ने अपनी बन्दूक नीचे कर ली, सैल्यूट किया और चला गया.
“इवान अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली है,” जनरल ने कहा, लेकिन उसका दुर्भाग्य है कि वह गूँगा और बहरा है. एक साधारण व्यक्ति, लेकिन अपनी जाति के अन्य लोगों की भांति थोड़ा बर्बर.”
“क्या वह रशियन है?”
“वह कोस्साक है,” जनरल ने कहा और उसकी मुस्कराहट ने उसके लाल होंठ और नुकीले दांतों को प्रदर्शित कर दिया. “उसी की तरह मैं भी.”
“भीतर आओ, हमें यहीं नहीं बतियाते रहना चाहिए,” उसने कहा. “हम बाद में बात कर सकते हैं. अभी तुम्हें कपड़े, खाने और आराम की आवश्यकता है. वह सब तुम्हें उपलब्ध होगा. यह सबसे आरामदायक जगह है.”
इवान फिर से प्रगट हो गया था और जनरल ने उससे केवल होंठ हिला कर बिना आवाज़ निकाले बात की.
“कृपया इवान के पीछे जाओ, मिस्टर रेंसफ़ोर्ड,” जनरल ने कहा. मैं अपना डिनर करने वाला था जब तुम आए. मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा. मेरे विचार से तुम्हें मेरे कपड़े फिट होंगे.”
यह बीम पर टिकी छत वाला विशालकाय शयन कक्ष था जिसमें कैनोपी वाला पलंग था जो छः आदमियों के लिए पर्याप्त था. रेंसफ़र्ड ने उस मौन देव का अनुगमन किया. इवान ने उसके लिए एक इवनिंग सूट निकाला और उसे पहनते हुए रेंसफ़र्ड ने ध्यान दिया कि वह लंदन के एक ऐसे दर्जी का सिला हुआ था जो सामान्यतः ड्यूक से नीचे के स्तर के लोगों के कपड़े नहीं सिलता था.
भोजनकक्ष, जहाँ इवान उसे लेकर गया, कई प्रकार से शानदार था. उसमें एक मध्यकालीन भव्यता थी. वह ओक की लकड़ी के पैनल वाला सामंती ज़माने के किसी बैरन का कक्ष लग रहा था. इसकी विशालकाय मेज पर एक साथ चालीस व्यक्ति बैठ कर भोजन कर सकते थे. कक्ष में दीवार पर बहुत से जानवरों के सिर टंगे थे – शेर, बाघ, हाथी, हिरण, भालू; विशाल और एकदम सही नमूने जैसे रेंसफ़र्ड ने कभी नहीं देखे थे. उस विशाल मेज पर जनरल बैठा था, अकेला.
“क्या आप कॉकटेल लेंगे, मिस्टर रेंसफ़र्ड,” उसने सुझाव दिया. कॉकटेल बहुत ही उम्दा थी. रेंसफ़र्ड ने नोटिस किया मेज पर सभी चीजें शानदार थीं – लिनन, क्रिस्टल, कटलरी, चाइना.
वे लोग बोर्स्क पी रहे थे, गाढ़ा, लाल सूप जिसमें क्रीम पड़ी थी जो रूसी लोगों का प्रिय खाद्य था. थोड़ा क्षमा मांगने के भाव से जनरल जारॉफ ने कहा
“हम यहाँ सभ्यता की सबसे बेहतर सुविधाओं के रक्षण के लिए प्रयत्न करते हैं. यदि कोई कमी हो तो माफ़ करना. तुम जानते ही हो हम सामान्य जगहों से काफी दूर हैं. क्या तुम्हें लग रहा है कि लम्बी समुद्र यात्रा के कारण शैम्पेन में कोई खराबी आयी है?”
“बिलकुल नहीं,” रेंसफ़र्ड ने कहा. उसे जनरल बहुत प्यारा मेजबान लगा, एक सच्चा कास्मोपोलिटन. लेकिन जनरल की छोटी सी विशेषता थी जो रेंसफ़र्ड को असहज कर रही थी. जब भी उसने अपनी प्लेट से ऊपर नजर उठाई जनरल को अपना अध्ययन करते हुए पाया, सूक्ष्म निरीक्षण करते हुए.
“सम्भवतः तुम को आश्चर्य हुआ होगा कि मैंने तुम्हारा नाम पहचान लिया,” जनरल ने कहा. “देखो, मैं अंग्रेजी, फ्रेंच और रशियन में लिखी शिकार सम्बन्धी सभी किताबें पढ़ता हूँ. मिस्टर रेंसफ़र्ड जीवन में मेरा एक ही शौक है, वह है शिकार.”
“आपके पास कुछ आश्चर्यजनक सिर हैं,” रेंसफ़र्ड ने बहुत अच्छी तरह पकाये गए फ़िले मिग्नॉन खाते हुए कहा. “वह जंगली भैंसे का सिर सबसे बड़ा है जो मैंने कभी देखा है.”
“ओह, वह, हाँ वह तो पूरा दैत्य था.”
“क्या उसने आप पर आक्रमण किया था?”
“मुझे एक पेड़ की ओर फेंक दिया था,” जनरल ने कहा, “मेरे सिर में फ्रैक्चर हो गया था. लेकिन मैंने आख़िर में उस जानवर को मार डाला था.”
“मैंने हमेशा सोचा है,” रेंसफ़र्ड ने कहा, “ कि जंगली भैंसे बड़े शिकारों में सबसे खतरनाक होते हैं.”
एक क्षण को जनरल ने कोई जवाब नहीं दिया; वह अपने लाल होठों से जिज्ञासु ढंग से मुस्करा रहा था. फिर उसने धीरे-धीरे कहा, “नहीं, आप गलत हैं श्रीमान. जंगली भैंसा सबसे बड़ा शिकार नहीं होता.” उसने अपनी वाइन का घूंट भरा. “यहाँ इस द्वीप पर अपने संरक्षण में,” उसने उसी धीमी आवाज़ में कहा, “मैं और अधिक खतरनाक जीवों का शिकार करता हूँ.”
रेंसफ़र्ड ने आश्चर्य व्यक्त किया. “क्या इस द्वीप पर अधिक बड़े शिकार हैं?”
जनरल ने सिर हिलाया. “सबसे बड़े.”
“क्या सचमुच?”
“निश्चय ही वे यहाँ प्राकृतिक रूप से नहीं होते. मुझे द्वीप में उनको स्टॉक करना पड़ता है.”
“आपने क्या आयात किया है जनरल,” रेंसफ़र्ड ने पूछा, “बाघ?”
“नहीं,” जनरल मुस्कराया. “कुछ वर्षों से मुझे बाघों के शिकार में कोई रुचि नहीं रही. देखो, उस सम्बन्ध में मैंने सभी सम्भावनाओं को आजमा लिया है. अब बाघों में कोई उत्तेजना नहीं बची है, कोई वास्तविक खतरा भी नहीं. मैं खतरों के लिए जीता हूँ मिस्टर रेंसफ़ोर्ड. “
जनरल ने अपनी जेब से एक सुनहला सिगरेट केस निकाला और अपने अतिथि को एक लम्बी काली सिगरेट, जिसका सिरा चाँदी जैसा था, पेश की. यह सुगन्धित थी और अगरबत्ती जैसी सुगंध छोड़ रही थी.
“हम लोग कुछ शानदार शिकार करेंगे, तुम और मैं,” जनरल ने कहा. तुम्हारा साथ मिलना मेरे लिए प्रसन्नता का विषय होगा”
“लेकिन क्या शिकार -” रेंसफ़र्ड ने कहा.
“मैं तुम्हें बताऊँगा,” जनरल ने कहा. मैं जानता हूँ तुम खुश हो जाओगे. मैं सोचता हूँ कि मैं यदि पूरी विनम्रता से कहूं तो मैंने एक दुर्लभ काम किया है. मैंने एक नयी सनसनी का आविष्कार किया है. क्या तुम्हें और पोर्ट वाइन दूँ.”
“धन्यवाद, जनरल.”
जनरल ने दोनों ग्लास भरे और कहा,
“ ईश्वर कुछ आदमियों को कवि बनाता है. कुछ को वह राजा बनाता है, कुछ को भिखारी. मुझे उसने एक शिकारी बनाया है. मेरे पिता कहते थे, मेरा हाथ ट्रिगर के लिए बना है. वे बहुत समृद्ध व्यक्ति थे और क्रीमिया में ढाई लाख एकड़ जमीन के स्वामी थे. और वे एक जबरदस्त खिलाड़ी भी थे. जब मैं मात्र पाँच वर्ष का था उन्होंने मुझे गौरैयों को शूट करने के लिए, मेरे लिए विशेष रूप से मास्को में बनी हुई, एक छोटी सी बंदूक दी थी. जब मैंने उससे उनके कुछ पालतू तीतरों को शूट कर दिया तो उन्होंने मुझे कोई सजा नहीं दी, उन्होंने मेरे सटीक निशाने के लिए मुझे शाबासी दी. जब मैं दस साल का था तब मैंने काकेशस में भालू का पहला शिकार किया था. मेरा सम्पूर्ण जीवन एक विस्तारित शिकार कथा है. मैं सेना में गया- ऐसा कुलीन लोगों के बेटों से अपेक्षित था- और एक समय कोस्साक घुड़सवारों की एक डिवीजन का नेतृत्व भी किया, किन्तु मेरी वास्तविक रुचि सदैव शिकार में ही रही. मैंने हर देश में हर प्रकार का शिकार किया है. मेरे लिए तुम्हें यह बता पाना असंभव होगा कि मैंने कितने जानवरों को मारा है.”
जनरल ने अपनी सिगरेट का कश लिया.
“रूस में उथल-पुथल के पश्चात मैंने देश छोड़ दिया क्योंकि ज़ार के किसी अधिकारी के लिए वहाँ रहना समझदारी भरा निर्णय नहीं था. बहुत से कुलीन रूसी लोगों का सब कुछ समाप्त हो गया. सौभाग्य से मैंने अमेरिकी प्रतिभूतियों में खूब जम कर निवेश किया था इसलिए मुझे कभी मोंटेकार्लो में चाय की दूकान या फिर पेरिस में टैक्सी नहीं चलानी पड़ी. मैंने सामान्य रूप से तुम्हारी रॉकी पर्वत श्रृंखला में हिरणों, गंगा में घड़ियालों और पूर्वी अफ्रीका में गैंडों का शिकार जारी रखा. वह अफ्रीका की ही घटना है जब जंगली भैंसे ने मुझे टक्कर दी थी और मुझे छः महीने बिस्तर पर बिताने पड़े थे. जैसे ही मैं ठीक हुआ, मैं अमेजन में जैगुआर्स के शिकार के लिए चल पड़ा क्योंकि मैंने सुना था वे चालाक होते हैं. लेकिन वे होते नहीं.”
कोस्साक ने गहरी सांस ली.
“एक शिकारी की उनके प्रति बुद्धिमत्ता और एक शक्तिशाली राइफल के मुकाबले वे नहीं टिकते. मैं बुरी तरह निराश हुआ था. मैं एक दिन जब भयंकर सिर दर्द से पीड़ित अपने तंबू में लेटा हुआ था, एक भयानक विचार मेरे मस्तिष्क में प्रविष्ट हुआ. शिकार अब मुझे बोर करने लगा था. और शिकार, याद रखो, मेरा जीवन था. मैंने सुन रखा था कि अमेरिका में कई व्यवसायी बिखर जाते हैं, जब वे वह व्यवसाय छोड़ देते हैं जो उनका जीवन हुआ करता था.”
“हाँ, ऐसा ही है.” रेंसफ़र्ड ने कहा.
जनरल मुस्कराया. “मेरी बिखर जाने की कोई इच्छा नहीं थी,” उसने कहा. “मुझे अब कुछ नया करना चाहिए था. मेरा मस्तिष्क एक विचारशील मस्तिष्क है. मिस्टर रेंसफ़र्ड . इसीलिए, बिला शक मुझे पीछा करने की समस्याओं में आनंद आता है.”
“इसमें कोई शक नहीं जनरल ज़ारोफ.”
“इसलिए,” जनरल ने कहना जारी रखा, “मुझे अब शिकार क्यों नहीं आकृष्ट करता? तुम मेरे मुकाबले काफी युवा हो मिस्टर रेंसफ़र्ड , और इतना शिकार भी नहीं किया है, किंतु तुम संभवतः उत्तर का अनुमान लगा सकते हो.”
“वह कारण क्या था?”
“बस इतना ही कि शिकार अब वह नहीं रह गया था जिसे तुम खेल की चुनौती कहते हो. वह बहुत आसान हो गया था. मुझे हमेशा मेरे शिकार में सफलता मिलती थी. पूर्णता से अधिक बोरियत वाली कोई चीज नहीं होती.”
जनरल ने एक नई सिगरेट जला ली.
“मेरे समक्ष किसी जानवर के जीत पाने का कोई अवसर नहीं था. यह गर्वोक्ति नहीं है. यह एक गणितीय निश्चितता है. जानवर के पास कुछ नहीं होता सिवाय उसके पंजों और प्रकृतिजन्य प्रवृति के. प्राकृतिक प्रवृति का तर्कशीलता से कोई मुकाबला नहीं. जब मैंने यह सोचा वह मेरे लिए बड़ा दुखद क्षण था, मैं तुम से कह सकता हूँ.”
रेंसफ़र्ड जो कुछ उसका मेजबान कह रहा था उसमें डूबा मेज की दूसरी ओर झुका हुआ था.
“यह मेरे भीतर एक प्रेरणा के रूप में आया कि मुझे क्या करना चाहिए,” जनरल ने कहना जारी रखा.
“और वह क्या था?”
जनरल के चेहरे पर एक ऐसी मुस्कराहट आयी जो किसी समस्या का सामना होने और उस पर सफलता से विजय प्राप्त कर लेने पर आती है. “मुझे शिकार के लिए एक नए जानवर का आविष्कार करना था.”
“एक नया जानवर? तुम मज़ाक कर रहे हो.”
“बिलकुल नहीं,” जनरल ने कहा.
“मैं शिकार के संबंध में कभी मजाक नहीं करता. मुझे एक नए जानवर की आवश्यकता थी. और मुझे ऐसा एक मिल गया. इसलिए मैंने यह द्वीप खरीदा, यह मकान बनवाया. और अब यहाँ मैं अपना शिकार करता हूँ. मेरे उद्देश्य के लिए यह द्वीप बिलकुल सही है. यहाँ जंगल हैं- रास्तों की भूलभुलैया से भरे हुए. पहाड़ियां, दलदल….”
“लेकिन जानवर, जनरल ज़ारोफ?”
“ओह, यहाँ से मुझे दुनिया के सब से उत्तेजक शिकार मिल जाते हैं. कोई और शिकार एक क्षण के लिये भी इसका मुकाबला नहीं कर सकता. मैं रोज शिकार करता हूँ और अब मैं कभी बोर नहीं होता. क्योंकि मेरे पास ऐसा शिकार है जो मेरी बुद्धिमत्ता का मुकाबला कर सकता है.”
रेंसफ़र्ड का आश्चर्य उसके चेहरे पर दिख रहा था.
“मैं शिकार के लिए आदर्श जानवर चाहता था.” जनरल ने स्पष्ट किया. “इसलिए मैंने प्रश्न किया ‘एक आदर्श शिकार में क्या गुण होने चाहिए?’ और उत्तर था ‘उसमें साहस होना चाहिए, चालाकी और सबके ऊपर वह तर्कशील होना चाहिए.”
“लेकिन कोई जानवर तर्क नहीं कर सकता,” रेंसफ़र्ड ने आपत्ति की.
“मेरे प्रिय दोस्त,” जनरल ने कहा, “एक है जो कर सकता है.”
“लेकिन तुम्हारा मतलब वह नहीं हो सकता…” रेंसफ़र्ड ने गहरी सांस ली.
“क्यों नहीं हो सकता?”
“मैं विश्वास नहीं कर सकता कि तुम गंभीर हो. जनरल ज़ारोफ यह एक भयानक मजाक है.”
“मैं गंभीर क्यों नहीं हो सकता? मैं शिकार के संबंध में बात कर रहा हूँ.”
“शिकार ? छोड़ो भी, जनरल ज़ारोफ, तुम जिसकी बात कर रहे हो वह हत्या है.”
जनरल अपनी समूची सहृदयता से हँसा. उसने रेंसफ़र्ड को प्रश्नवाचक नजरों से देखा. “मैं विश्वास नहीं कर सकता कि इतने आधुनिक और सभ्य युवा के भीतर मानव जीवन के मूल्य के संबंध में इस तरह के रोमांटिक विचार हो सकते हैं. निश्चय ही युद्ध में तुम्हारा अनुभव…”
“मुझे हृदयहीन हत्या को माफ करने की शक्ति नहीं देता,” रेंसफ़र्ड में कठोरता से वाक्य पूरा किया.
हँसी ने जनरल को हिला दिया. “तुम कितने असाधारण मसखरे हो !” उसने कहा.
“आजकल कोई किसी पढ़े लिखे तबके में, अमेरिका में भी, ऐसे भोले और यदि मैं कहूं तो विक्टोरियन युग के दृष्टिकोण वाले, युवा से मिलने की अपेक्षा नहीं कर सकता. यह तो किसी लिमोज़ीन में हुक्के के होने जैसा है. ओह, कोई संदेह नहीं कि तुम्हारे पूर्वज पवित्रतावादी थे. बहुत सारे अमेरिकन्स ऐसे ही लगते हैं. मैं शर्त लगा सकता हूँ कि तुम यदि मेरे साथ शिकार पर गए तो अपने विचार भूल जाओगे. यह तुम्हारे लिए एक नए रोमांच का अवसर है, मिस्टर रेंसफ़ोर्ड.”
“धन्यवाद, मैं एक शिकारी हूँ, हत्यारा नहीं.”
“प्यारे,” जनरल ने बिना प्रभावित हुए कहा, “फिर वही अप्रिय शब्द. लेकिन मैं तुम्हें दिखा सकता हूँ कि तुम्हारे विचार गलत तथ्यों पर आधारित हैं.”
“अच्छा ?”
“जीवन सबल लोगों के लिए हैं, सबल लोगों द्वारा जिए जाने के लिए और, यदि आवश्यकता पड़े, सबल लोगों द्वारा ख़त्म कर दिए जाने के लिए भी. दुनिया भर के निर्बल लोग यहाँ के सबल लोगों के मज़े के लिए हैं. मैं सबल हूँ. क्या मैं अपने को मिले उपहार का उपभोग न करूँ? यदि मैं करना चाहता हूँ, तो मुझे क्यों नहीं करना चाहिए? मैं दुनिया की गन्दगी का शिकार करता हूँ, कबाड़ जहाजों के नाविक-लॉसर्स (ईस्ट इंडियन), काले, चाइनीज, गोरे वर्णसंकर- अच्छी नस्ल का एक घोड़ा या कुत्ता ऐसे एक दर्जन आदमियों से बेहतर है.”
“लेकिन वे मनुष्य हैं.” रेंसफ़र्ड ने थोड़ी नाराजगी से कहा.
“बिलकुल,” जनरल ने कहा. “इसलिए मैं उन्हें प्रयोग करता हूँ. इससे मुझे मज़ा आता है. वे एक सीमा के बाद तर्क कर सकते हैं. इसलिए वे खतरनाक हैं.”
“लेकिन तुम उन्हें पाते कहाँ हो?”
जनरल ने अपनी बायीं आँख दबायी. “यह द्वीप ‘शिप ट्रैप’ कहलाता है,” उसने जवाब दिया. “कई बार उन्हें समुद्र का नाराज देवता ही मेरे पास भेज देता है. और कभी जब दैवीय कृपा नहीं होती, मैं देवता की थोड़ी सहायता कर देता हूँ. मेरे साथ खिड़की तक आओ.”
रेंसफ़र्ड खिड़की तक गया और बाहर समुद्र की ओर देखने लगा.
“वहाँ देखो,” जनरल ने रात्रि में एक ओर संकेत करते हुए कहा. रेंसफ़र्ड की आँखों को केवल कालिमा ही नजर आयी और तभी जनरल ने एक बटन दबाया दूर समुद्र में रेंसफ़र्ड ने रोशनी का झमका देखा.
जनरल ने जीभ चटकायी. “वे एक नहर का संकेत करती हैं,” उसने कहा, “जब की वहाँ कोई नहर नहीं है ; बस विशालकाय चाकू की भांति धारदार चट्टानें किसी समुद्री राक्षस की तरह अपना विशाल जबड़ा खोले हुए हैं. वे किसी जहाज को एक क्षण में वैसे ही कुचल सकती हैं जैसे मैं इस अखरोट को.” उसने एक अखरोट फर्श पर गिराया और अपनी एड़ी से उसे पीस डाला. “और हाँ,’ उसने लापरवाही से कहा मानो किसी प्रश्न का जवाब दे रहा हो, “मेरे पास बिजली है. हम यहाँ सभ्य होने की कोशिश करते हैं.”
“सभ्य ? और तुम आदमियों का शिकार करते हो ?”
जनरल की काली आँखों में गुस्से की एक लकीर उभरी लेकिन वह वहाँ मात्र एकाध क्षण रही. उसने फिर अत्यंत सुखद लहजे में कहा, “प्यारे तुम कितने सदाचारी युवक हो ! मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ मैं वह सब नहीं करता जो तुम कह रहे हो. वह तो बहुत बर्बर होगा. मैं इन आगंतुकों की हर तरह से देखभाल करता हूँ. उन्हें पर्याप्त भोजन और व्यायाम उपलब्ध होता है. वे शानदार शारीरिक स्थिति में पहुँच जाते हैं. कल तुम स्वयं देखोगे.”
“क्या मतलब है तुम्हारा ?”
“हम लोग मेरा प्रशिक्षण शिविर देखेंगे,” जनरल मुस्कराया. “वह तहखाने में है. इस समय वहाँ मेरे लगभग एक दर्जन शिष्य हैं. वे सभी स्पेनिश जहाज सान लुकर से हैं जो दुर्भाग्यवश बाहर उन चट्टानों में चला गया था. बहुत ख़राब गुणवत्ता के लोग हैं. मुझे कहते हुए अफसोस होता है. घटिया नमूने और जंगल से अधिक समुद्र के अभ्यस्त.” उसने अपना हाथ उठाया और इवान, जो वेटर का काम कर रहा था, गाढ़ी तुर्किश कॉफी ले आया. रेंसफ़र्ड ने थोड़े प्रयत्न के साथ अपनी जबान पर नियंत्रण रखा.
“यह एक खेल है, समझे,” जनरल ने बिना परवाह के आगे कहा.
“मैं उनमें से एक को सलाह देता हूँ कि हम शिकार को जा रहे हैं. मैं उसे खाना और एक शानदार शिकारी चाकू देता हूँ. मैं उसे तीन घंटे का अतिरिक्त समय देता हूँ. उसके बाद मैं उसका पीछा करूँगा, मेरे पास हथियार के रूप में बस सबसे छोटे कैलिबर और रेंज की एक पिस्टल होगी. यदि मेरा शिकार तीन दिन तक मुझसे बचे रह जाने में सफल रहता है तो वह खेल जीत लेता है. यदि मैं उसे पा जाता हूँ,” जनरल मुस्कराया, “तो वह हार जाता है.”
“मान लो वह शिकार बनने से मना कर दे तो ?”
“ओह,” जनरल ने कहा, “मैं उसे विकल्प देता हूँ. यदि उसकी इच्छा न हो तो उसे यह खेल खेलने की आवश्यकता नहीं है. यदि वह शिकार नहीं बनना चाहता तब मैं उसे इवान के हवाले कर देता हूँ. इवान को कभी महान श्वेत ज़ार का सरकारी नॉटर (कोड़े लगाने वाले) का सम्मान हासिल था और खेल के प्रति उसके अपने विचार हैं. हमेशा ही, मिस्टर रेंसफ़ोर्ड, हमेशा ही वे शिकार बनने के विकल्प का चुनाव करते हैं.”
“और यदि वे जीत जाते हैं ?”
जनरल के चहरे पर मुस्कान चौड़ी हो गयी. “आज तक तो मैं नहीं हारा हूँ,” उसने कहा. फिर उसने तेजी से जोड़ा : “मेरी इच्छा नहीं है कि आप मुझे बड़बोला समझें, मिस्टर रेंसफ़ोर्ड. उनमें से बहुतों ने केवल बहुत साधारण स्तर की समस्याएं पैदा की. यदाकदा मुझे कठोर लक्ष्य मिलता है. एक जो लगभग जीत गया था, उस दशा में मुझे कुत्तों का प्रयोग करना पड़ता है.”
“कुत्ते?”
“इस तरफ आओ, प्लीज़, मैं तुम्हें दिखाऊंगा.”
जनरल रेंसफ़र्ड को एक खिड़की तक ले गया. खिड़कियों से चमकते प्रकाश ने नीचे एक भयंकर दृश्य दिखाया. रेंसफ़र्ड देख सकता था कि वहाँ लगभग एक दर्जन विशाल काली आकृतियाँ थी ; जब वे खिड़की की ओर मुड़ी उनकी हरी आँखें चमकने लगीं.
“एक अच्छा झुण्ड, मेरे विचार से,” जनरल ने कहा. “ वे हर रात सात बजे के बाद बाहर छोड़ दिए जाते हैं. यदि कोई भीतर घुसना चाहे या बाहर निकलना चाहे तो उसके साथ कुछ अत्यंत खेदजनक घटित हो सकता है.” वह ‘फोली बरगर’ (एक फ्रेंच ओपेरा) का एक गीत गुनगुनाने लगा.
“और अब,” जनरल ने कहा, “मैं तुम्हें सिरों का नया भंडार दिखाना चाहता हूँ. क्या तुम मेरे साथ लाइब्रेरी तक चलोगे ?”
“मैं आशा करता हूँ कि आज रात आप मुझे माफ़ करेंगे, जनरल ज़ारोफ़. मैं वास्तव में अच्छा नहीं महसूस कर रहा हूँ.”
“ओह, निश्चय ही,” जनरल ने सलाह देते हुए पूछा. “मैं मनाता हूँ कि तुम्हारी लम्बी तैराकी के पश्चात यह स्वाभाविक है. तुम्हें आराम की अच्छी नींद की आवश्यकता है. कल तुम एक नए आदमी जैसा महसूस करोगे, मैं शर्त लगा सकता हूँ. फिर हम शिकार करेंगे ? मेरे पास एक अपेक्षाकृत अधिक सम्भावनापूर्ण अवसर है…..” रेंसफ़र्ड जल्दी से कमरे से बाहर जा रहा था.
“दुःख है कि आज तुम मेरे साथ नहीं जा सकते,” जनरल ने पुकारा. “मैं कुछ अपेक्षाकृत बेहतर खेल की उम्मीद कर रहा हूँ – एक बड़ा, मजबूत अश्वेत. वह युक्तिसम्पन्न लगता है- अच्छा, शुभ रात्रि, मिस्टर रेंसफ़र्ड. मुझे आशा है तुम्हें रात भर आराम मिलेगा.”
पलंग बहुत अच्छा था और पजामा कोमल रेशम का बना हुआ. वह शरीर के एक-एक रेशे तक थका हुआ था लेकिन किसी भी तरह रेंसफ़र्ड नींद के नशे से अपने मस्तिष्क को शांत नहीं कर सका. वह ऑंखें खोले पड़ा रहा. एक बार उसे लगा उसने अपने कमरे के दरवाजे के बाहर कॉरिडोर में भारी कदमों की आवाज़ सुनी है. उसने दरवाजा खोलने का प्रयत्न किया. लेकिन वह नहीं खुल सका. वह खिड़की के पास गया और बाहर देखा. उसका कमरा एक मीनार में ऊंचाई पर स्थित था. महल की रोशनियां अब बुझ गयीं थी और चारों ओर अँधेरा और सन्नाटा था. किन्तु चन्द्रमा का एक टुकड़ा मौजूद था. उसकी हलकी रोशनी में नीचे के कोर्टयार्ड को वह देख सकता था. वहाँ बाहर जाती और अंदर आती परछाइयों में काली ध्वनि विहीन आकृतियां थी. कुत्तों को खिड़की पर उसकी आहट सी मिल गयी और वे आशा भरी हरी आँखों से ऊपर देखने लगे. रेंसफ़र्ड वापस आ कर पलंग पर लेट गया. कई तरीकों से उसने अपने को नींद में डुबो देना चाहा. जब सुबह होने लगी थी तब उसे एक झपकी सी आयी, तभी दूर जंगल में उसने एक आवाज़ सुनी, पिस्टल की धीमी सी आवाज़.
जनरल जारॉफ मध्याह्न भोजन के पूर्व तक नहीं प्रगट हुआ. वह हाथ से बने ट्वीड की शानदार पोशाक में था. उसने रेंसफ़र्ड के स्वास्थ्य के बारे में पूछा.
“जहाँ तक मेरी बात है,” जनरल ने गहरी साँस ली, “ मैं उतना बेहतर नहीं अनुभव कर रहा हूँ. मैं चिंतित हूँ मिस्टर रेंसफ़र्ड. कल रात मुझे पुरानी शिकायत के लक्षण फिर उभरते से लगे.”
रेंसफ़र्ड की प्रश्नवाचक निगाहों के जवाब में जनरल ने कहा, “ऊबन, बोरियत.”
फिर क्रेप सुजेते (एक फ्रेंच मिठाई) दुबारा लेते हुए जनरल ने स्पष्ट किया : “पिछली रात शिकार अच्छा नहीं रहा. बेवकूफ का सिर घूम गया. उसने एक सीधा रास्ता पकड़ लिया जिससे कोई समस्या सामने नहीं आयी. इन नाविकों के साथ यही समस्या है. वे दिमाग से शून्य होते हैं और नहीं जानते कि जंगल में कैसे जाया जाता है. वे अत्यधिक बेवकूफी भरी आसान चीजें करते हैं. यह बहुत खीझ पैदा करता है. क्या आप शाब्ली (एक तरह की वाइन) का एक और ग्लास लेंगें, मिस्टर रेंसफ़र्ड?”
“जनरल,” रेंसफ़र्ड ने कहा, “मैं यह द्वीप तुरंत छोड़ देना चाहता हूँ.”
जनरल ने अपनी घनी भौंहें चढ़ाई; वह अपमानित महसूस कर रहा था. “ लेकिन मेरे भाई,” जनरल ने विरोध जताया, “तुम अभी तो आये ही हो. तुमने कोई शिकार भी नहीं किया….”
“मैं आज ही जाना चाहता हूँ,” रेंसफ़र्ड ने कहा. उसने अपने ऊपर लगी हुई निरीक्षण करती जनरल की भावहीन काली आँखें देखी . एकाएक जनरल जारॉफ का चेहरा चमकने लगा.
उसने रेंसफ़र्ड का ग्लास शानदार शाब्ली की एक पुरानी बोतल से भरा.
“आज रात,” जनरल ने कहा, “ हम शिकार करेंगे- तुम और मैं.”
रेंसफ़र्ड ने सिर हिलाया. उसने कहा, “नहीं जनरल, मैं शिकार नहीं करूँगा.”
जनरल ने आराम से एक अंगूर मुंह में डालते हुए कंधे उचकाए. “जैसी तुम्हारी इच्छा, मेरे दोस्त.” उसने कहा, “यह चयन पूरी तरह तुम्हारा है. किन्तु क्या मैं यह सलाह न दूँ कि तुम्हें खेल का मेरा तरीका इवान के तरीके के मुकाबले बेहतर लगेगा?”
उसने उस कोने की तरफ देखते हुए सिर हिलाया जिधर वह देव अपनी बांहें अपनी जंगली सूअर जैसी अपनी छाती पर बांधे घूरता हुआ खड़ा था.
“तुम्हारा मतलब है…..” रेंसफ़र्ड चिल्लाया.
“मेरे प्यारे दोस्त,” जनरल ने कहा, “ क्या मैंने तुम्हें बताया नहीं था कि मैं हमेशा शिकार के सम्बन्ध में जो कहता हूँ उसका वही मतलब होता है? यह वास्तव में बहुत उत्साहवर्धक है. मैं अपने मुकाबले के एक प्रतिद्वंदी के साथ पी रहा हूँ – आखिर में.” जनरल ने अपना ग्लास ऊँचा किया, लेकिन रेंसफ़र्ड उसकी तरफ घूरता हुआ बैठा रहा.
“तुम इस खेल को खेलने योग्य पाओगे,” जनरल ने उत्साह के साथ कहा. “तुम्हारा दिमाग मेरे दिमाग के मुकाबले. तुम्हारा जंगल का ज्ञान मेरे ज्ञान के मुकाबले. तुम्हारी ताकत और स्टैमिना मेरे मुकाबले. मैदानी शतरंज. और जो कुछ दाँव पर है वह मूल्य विहीन नहीं है ?”
“और यदि मैं जीत गया…” रेंसफ़र्ड ने सूखे गले से कहा.
“मैं स्वयं प्रसन्नता से अपनी हार स्वीकार कर लूंगा, यदि मैं तुम्हें तीसरे दिन की मध्य रात्रि तक पकड़ नहीं पाता,” जनरल जारॉफ ने कहा. “मेरा जहाज तुम्हें मुख्य भूमि पर किसी शहर या कस्बे के पास छोड़ देगा.” जनरल ने वह पढ़ लिया जो रेंसफ़र्ड सोच रहा था.
“ओह, तुम मेरा विश्वास कर सकते हो,” कोस्साक ने कहा. मैं तुम्हें एक भद्र व्यक्ति और एक खिलाड़ी के रूप में वचन देता हूँ. निश्चय ही तुम्हें बदले में यह स्वीकार करना होगा कि तुम किसी को यहाँ आने के बारे में नहीं बताओगे.”
“मैं इस तरह के किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करूँगा,” रेंसफ़र्ड ने कहा.
“ओह,” जनरल ने कहा, “ उस दशा में…. लेकिन इस पर अभी क्यों बहस करें? तीन दिन बाद हम वियू क्लिकोट की एक बोतल के साथ बैठ कर इस विषय पर चर्चा कर सकते हैं जब तक कि…..”
जनरल ने अपनी वाइन का घूंट भरा.
उसके बाद वहाँ एक व्यावसायिक माहौल सा बन गया. “इवान,” उसने रेंसफ़र्ड से कहा, “तुम्हें शिकारी पोशाक, भोजन और चाकू दे देगा. मैं तुम्हें मोकसिंस (एक तरह के जूते) पहनने की सलाह दूंगा. उन जूतों के निशान बहुत मद्धिम होते हैं. मैं यह भी सलाह दूंगा कि तुम मौत के दलदल से दूर ही रहना. वहाँ दलदली रेत है. एक बेवकूफ ने ऐसी कोशिश की थी. खेदजनक बात है कि लाजारूस ने उसका पीछा किया. तुम मेरी भावनाओं की कल्पना कर सकते हो, मिस्टर रेंसफ़ोर्ड. मैं लाजारूस को प्यार करता था; वह मेरे झुण्ड में सबसे बढ़िया कुत्ता था. अब मैं चाहूंगा कि तुम मुझे माफ़ करो. मैं हमेशा दोपहर के भोजन के बाद एक झपकी लेता हूँ. तुम्हें झपकी लेने का समय मुश्किल से ही मिलेगा. निश्चय ही तुम बिना शक चल देना चाहोगे. क्या नहीं? अलविदा मिस्टर रेंसफ़ोर्ड, अलविदा.” जनरल जारॉफ दरबारी तरीके से सिर झुका कोर्निश कर कमरे से बाहर चला गया.
एक दूसरे दरवाजे से इवान भीतर आया. एक हाथ में वह खाकी रंग के शिकारी कपड़े, भोजन का झोला, चमड़े की म्यान में रखा लम्बे फल वाला शिकारी चाकू लिए था और उसका दाहिना हाथ उसकी कमर में बंधे गुलाबी रंग के होल्सटर में रखे रिवाल्वर पर था.
रेंसफ़र्ड झाड़ियों के बीच से अपना रास्ता बनाने के लिए दो घंटे तक संघर्ष करता रहा. “मुझे अपने होशो-हवस ठीक रखने चाहिए. मुझे शांत रहना चाहिए,” उसने अपने दाँत भींचते हुए कहा.
जब महल के दरवाजे उसके पीछे बंद हुए उसका मस्तिष्क पूरी तरह स्पष्ट नहीं था. पहले उसका पूरा विचार केवल अपने और जनरल जारॉफ के मध्य अधिक से अधिक दूरी रखने का था और इस उद्देश्य से वह मात्र घबड़ाहट जैसी चीज से प्रेरित अपने रास्ते पर कूद पड़ा था. अब उसने अपने पर नियंत्रण पा लिया था, वह रुक गया था और अपनी स्थिति के बारे में तमाम चीजों पर विचार कर रहा था. उसने देखा कि सीधे भागना व्यर्थ था. आखिर में यह उसे समुद्र के आमने सामने कर देगा. वह एक ऐसी तस्वीर में था जिसका फ्रेम पानी का था और उसे अपने क्रियाकलाप इसी फ्रेम के भीतर करने थे.
“मैं उसे पीछा करने के लिए चिन्ह छोडूंगा,” रेंसफ़र्ड बुदबुदाया और वह उस सीधे रास्ते को छोड़ कर रास्ता विहीन जंगल में चल दिया. उसने एक के बाद एक जटिल फंदों की एक श्रृंखला बनायी. लोमड़ियों के शिकार की तमाम बातों और लोमड़ियों द्वारा दिए जाने वाले चकमों को याद करता वह उसी रास्ते पर बार-बार आना जाना दुहराता रहा. रात के साथ ही उसके पांव थकने लगे थे और हाथ और चेहरा शाखाओं से रगड़ कर घायल हो गए थे जब उसने अपने को घने वृक्षों से आच्छादित चोटी पर पाया. वह जानता था की शक्ति रहने के बावजूद अँधेरे में कोई बड़ी गलती करना पागलपन होगा. आराम की उसकी आवश्यकता अनिवार्य थी और उसने सोचा, “अभी तक मैंने लोमड़ी की भूमिका निभाई है अब मुझे कहानियों की बिल्ली की भूमिका करनी चाहिए.”
पास ही एक विशाल पेड़ जिसका तना मोटा था और दूर तक फैली शाखाएं उसके पास तक थी. कोई निशान न छूटे इस बात का ध्यान रखते हुए वह दो शाखों के जोड़ तक चढ़ गया और एक चौड़ी शाखा पर लेट कर अपने को छिपाये आराम करने लगा. आराम करने से उसके भीतर नया आत्मविश्वास आया और उसे सुरक्षा की अनुभूति सी हुई. जारॉफ जैसा चालक शिकारी भी उसे वहाँ नहीं खोज सकता, उसने अपने आप से कहा. केवल स्वयं शैतान ही जंगल में अंधेरा होने के बाद उस तरह के जटिल संकेतों को समझ सकता था. लेकिन जनरल संभवतः एक शैतान ही था…..
एक चिंता भरी रात एक घायल सांप की भांति रेंगती रही और नींद रेंसफ़र्ड के पास तक नहीं फटकी, यद्यपि जंगल में एक मुर्दा सन्नाटा छाया हुआ था. सुबह के आसपास जब एक बदरंग सा भूरा रंग आसमान पर फैला हुआ था, किसी चौंक पड़ी चिड़िया की आवाज़ ने रेंसफ़र्ड का ध्यान उस दिशा में खींचा. कोई चीज धीरे-धीरे सावधानी से झाड़ियों के बीच से उसी रास्ते से आ रही थी जिससे रेंसफ़र्ड आया था. उसने अपने को डाल से एकदम चिपका लिया. किसी परदे सी घनी पत्तियां उसको ढके हुए थी. वह देखता रहा… जो कुछ आ रहा था वह एक आदमी था.
वह जनरल जारॉफ था. वह जबरदस्त एकाग्रता से अपनी निगाहें जमीन पर गड़ाए अपने रास्ते पर चल रहा था. वह रुका, एकदम पेड़ के नीचे, अपने घुटनों पर झुका और जमीन का परीक्षण किया. रेंसफ़र्ड का आवेग उसे एक चीते की भांति टूट पड़ने को प्रेरित कर रहा था लेकिन उसने देखा कि जनरल के दाएं हाथ में धातु की कोई चीज थी- एक छोटी सी आटोमैटिक पिस्टल.
शिकारी ने अपना सिर कई बार हिलाया मानो वह भ्रमित हो. फिर वह सीधा खड़ा हो गया और उसने अपने सिगरेट केस से एक काली सिगरेट निकाली. उसका तीखा अगरबत्ती जैसा धुआँ रेंसफ़र्ड के नथुनों तक पहुँच रहा था.
रेंसफ़र्ड अपनी सांसें रोके हुए था. जनरल की निगाहें जमीन से उठ कर पेड़ के एक-एक इंच का निरीक्षण कर रही थीं. रेंसफ़र्ड वहीं जम गया, उसकी एक-एक मांसपेशी किसी स्प्रिंग की भांति खिंचाव में थी. किन्तु शिकारी की तेज निगाहें, उस डाल तक जहाँ रेंसफ़र्ड था, पहुँचाने से पूर्व ही रुक गयीं. उसके गेहुएं चहरे पर एक चौड़ी मुस्कान फ़ैल गयी. जानबूझ कर उसने धुयें का एक छल्ला हवा में छोड़ा फिर उसने पेड़ की ओर पीठ फेर ली और लापरवाही से दूर चला गया, उसी रास्ते जिससे वह आया था. उसके शिकारी बूट्स के नीचे से आती घास की सरसराहट कम से कमतर होती चली गयी.
रुकी हुई गर्म हवा रेंसफ़र्ड के फेफड़ों से तेजी से बाहर आयी. उसके पहले विचार ने उसे बीमार और सुन्न सा कर दिया. जनरल रात में भी रास्ता खोज सकता था; उसमें बहुत चालाकी है ; मात्र संयोगवश ही कोस्साक अपना शिकार देख पाने से रह गया था.
रेंसफ़र्ड का दूसरा विचार और भी भयानक था. इससे उसके सारे अस्तित्व में ठन्डे आतंक की एक लहर सी दौड़ गयी. जनरल मुस्कराया क्यों था? वह वापस क्यों गया?
रेंसफ़र्ड उस बात पर विश्वास नहीं करना चाहता था जिसे उसकी तर्क बुद्धि सत्य कह रही थी. किन्तु सच उस सूर्य की भांति स्पष्ट था जो अब सुबह के कुहासे से बहार आने लगा था. जनरल उसके साथ खेल रहा था! जनरल उसे एक और दिन के खेल के लिए बचाये रखना चाह रहा था! कोस्साक बिल्ली था और वह चूहा. यही वह क्षण था जब रेंसफ़र्ड को आतंक का पूरा अर्थ समझ में आया.
“मैं अपने होश नहीं खोऊँगा, मैं होश नहीं खोऊँगा.”
वह पेड़ से नीचे उतर गया और फिर जंगल में चल पड़ा. उसका चेहरा स्थिर था और उसमें अपने मस्तिष्क की पूरी प्रणाली को कार्य करने के लिए मजबूर कर दिया था. अपने छुपने की जगह से तीन सौ गज पर वह रुका जहाँ एक विशाल सूखा हुआ वृक्ष खतरनाक ढंग से एक अपेक्षाकृत छोटे जीवित वृक्ष पर झुका हुआ था. खाने का अपना झोला एक ओर फेंक कर रेंसफ़र्ड ने चाकू लिया और अपनी सारी ऊर्जा के साथ काम पर लग गया.
काम आखिरकार पूरा हो गया और उसने अपने आप को वहां से लगभग सौ गज दूर एक गिरे हुए लकड़ी के कुंदे के पीछे जमीन पर फेंक दिया. उसे अधिक देर तक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी. बिल्ली एक बार फिर चूहे के साथ खेलने के लिए आ रही थी.
जनरल जारॉफ रास्ते में चिन्हों का एक शिकारी कुत्ते की भांति पीछा करता हुआ आया. उन काली खोजी आँखों से कुछ भी नहीं छूटा, न तो कुचली हुई घास, न कोई टेढ़ी हुई डाल, न कोई पदचिन्ह, वे चाहे काई में जितने भी हलके रहे हों. कोस्साक पीछा करने में इतना तन्मय था कि रेंसफ़र्ड द्वारा बनाई गयी चीज को देख पाने के पूर्व ही उस तक पहुँच गया. उस के पैर उन टहनियों पर पड़े जो ट्रिगर थी. जैसे ही उसने उन्हें स्पर्श किया, जनरल खतरे को भांप गया और एक बनमानुस की सी फुर्ती से पीछे की ओर कूदा. किन्तु वह पर्याप्त तेजी नहीं दिखा पाया; सूखा हुआ पेड़, जो बहुत हलके से कटे हुए जीवित वृक्ष पर संतुलित था, गिर गया और गिरते हुए जनरल के कंधे पर उसकी जोरदार चोट पड़ी. किन्तु अपनी सतर्कता के कारण वह बच गया अन्यथा उसी के नीचे कुचल गया होता. वह लड़खड़ाया लेकिन गिरा नहीं और न ही उसने अपना रिवाल्वर छोड़ा. वह वहीं अपने घायल कंधे को रगड़ता खड़ा रहा और रेंसफ़ोर्ड, जिसे फिर से भय अपनी गिरफ्त में ले रहा था, ने जनरल की मजाक उड़ाती हुई हँसी सुनी जो जंगल में गूंज रही थी.
“रेंसफ़ोर्ड,” जनरल ने पुकारा, “यदि तुम मेरी आवाज़ सुन पा रहे हो, जैसा कि मैं मनाता हूँ, मेरी बधाई स्वीकार करो. बहुत अधिक लोग आदमी को फंसाने के लिए यह मलय शिकंजा नहीं बना सकते. यह मेरा सौभाग्य था कि मैंने भी मलक्का में शिकार किया था. तुम काफी मनोरंजक सिद्ध हो रहे हो, मिस्टर रेंसफ़ोर्ड. अभी मैं अपने घाव में मरहम पट्टी करने जा रहा हूँ, यह बस हल्का सा ही है. लेकिन मैं वापस आऊंगा. मैं जरूर वापस आऊंगा.”
जब जनरल अपना घायल कन्धा सहलाता हुआ चला गया, रेंसफ़र्ड फिर भागने लगा. इस बार यह पलायन था, एक घबड़ाहट भरा, निराश पलायन जो कुछ घंटों तक जारी रहा. गोधूलि का समय हुआ फिर अँधेरा घिरने लगा फिर भी वह चलता रहा. उसके मोकसिंस के नीचे की भूमि पहले की अपेक्षा मुलायम होने लगी थी और वनस्पतियां अधिक घनी और ऊँची. उसे कीट-पतंगे बुरी तरह काट रहे थे.
फिर जैसे ही उसने आगे कदम रखा, उसका पांव कीचड़ में डूब गया. उसने पांव बाहर खींचना चाहा लेकिन कीचड़ उसे भयानक तरीके से भीतर खींच रही थी मानो कोई विशालकाय जोंक हो. एक जोरदार झटके के साथ वह अपना पांव बाहर निकलने में सफल रहा. वह जानता था कि इस समय वह कहाँ था. मौत का दलदल और उसकी धसान वाली रेत.
उसके हाथ की मुट्ठियां कस कर बंधी हुई थी मानो उसका धैर्य कोई मूर्त पदार्थ हो और कोई अँधेरे में उसे उसकी पकड़ से छीन लेने का प्रयत्न कर रहा हो. जमीन के मुलायम होने से उसके दिमाग में एक विचार आया. वह रेतीली जमीन से दस बारह कदम पीछे आया और किसी विशाल प्रागैतिहासिक ऊदबिलाव की भांति उसने गड्ढा खोदना शुरू कर दिया.
रेंसफ़र्ड ने एकबार अपने लिए ऐसा ही गड्ढा खोदा था जब एक क्षण के विलम्ब का अर्थ था मौत. किन्तु आज की खुदाई के मुकाबले वह बात एक खिलवाड़ प्रतीत हुई. गड्ढा गहरा होता गया और जब यह उसके कन्धों तक पहुँच गया, वह बाहर निकल आया और कुछ मजबूत लेकिन पतली डालों को काट कर उसने नुकीला किया. उनको उसने गड्ढे की तली में गाड़ दिया. तेज हाथों से उसने घासफूस का एक कालीन सा बनाया और उससे गड्ढे के मुंह को ढँक दिया. फिर पसीने से भीगा हुआ और थकन से चूर, वह बिजली गिरने से जल गए एक पेड़ के तने के पीछे छिप गया.
वह जानता था कि उसका पीछा करने वाला आ रहा था, उसने मुलायम जमीन पर पैरों की धमक सुनी. रात की हवा उस तक जनरल के सिगरेट की महक ले आयी. रेंसफ़र्ड को लगा जनरल असामान्य तेजी से आ रहा था; वह कदम दर कदम रास्ते के निशान नहीं देख रहा था. वहाँ उकडूं बैठा रेंसफ़र्ड न तो जनरल को देख सकता था न ही गड्ढे को. उसके लिए एक मिनट एक वर्ष की भांति गुजरा. फिर उसने अपने भीतर आनंद से जोर से चीखने की इच्छा महसूस की, क्योंकि उसने गड्ढे के ऊपर से घास का कवर गिरने के साथ ही टहनियों के टूटने की आवाज़ सुनी और साथ ही नुकीली लकड़ियों के अपना रास्ता पा लेने के कारण उठती पीड़ा की चीख भी. वह अपने छिपने की जगह से उछल पड़ा. लेकिन वह फिर वापस सिकुड़ गया. गड्ढे से तीन फिट दूर अपने हाथ में टार्च लिए एक आदमी खड़ा था.
“तुम ने बहुत अच्छा काम किया है रेंसफ़ोर्ड,” जनरल की आवाज़ आयी. “मेरा सबसे अच्छा कुत्ता तुम्हारे बर्मा टाइगर पिट का शिकार हो गया. मेरे विचार से तुम एक बार फिर आगे हो. मिस्टर रेंसफ़र्ड मैं देखूंगा तुम मेरे पूरे झुण्ड का मुकाबला कैसे करते हो. अब मैं आराम के लिए वापस जा रहा हूँ. आनंददायक शाम के लिए धन्यवाद.”
दलदल के किनारे लेटा पड़ा रेंसफ़र्ड सुबह के उजाले के साथ एक ऐसी आवाज़ सुन कर उठा जिससे उसे समझ में आया कि उसे भय के सम्बन्ध में नयी चीजों को सीखने की आवश्यकता है. यह दूर से आती हुई आवाज़ थी, मद्धिम और कंपकपाती, किन्तु वह इसे जानता था. यह शिकारी कुत्तों के झुण्ड के भौंकने की आवाज़ थी.
रेन्सफोर्ड जानता था कि उसके करने के लिए एक दो चीजें ही बची हैं. वह वहीं प्रतीक्षा करता रुक सकता था. पर यह आत्महत्या होती. वह भाग सकता था. यह अवश्यंभावी को कुछ देर के लिए स्थगित करने जैसा होता. एक क्षण वह वहीं सोचता हुआ खड़ा रहा. एक विचार जिसमें उसे एक दूर का मौका नजर आया उसके मस्तिष्क में उभरा. और कमर कस कर वह दलदल से दूर चल दिया.
कुत्तों के भौकने की आवाज़ पास आती जा रही थी, फिर और पास, और पास, पहले से भी पास. एक चोटी पर रेंसफ़र्ड एक पेड़ पर चढ़ गया. एक जलधारा के साथ-साथ लगभग एक चौथाई मील दूर वह झाड़ियों को हिलाते हुए देख सकता था. अपनी आँखों पर जोर दे कर उसने जनरल ज़ारोफ को पहचान लिया. लेकिन उसके आगे एक और आकृति थी जिसके चौड़े कंधे जंगल की लम्बी घास से रगड़ रहे थे. वह दैत्याकार इवान था. और लग रहा था उसे कोई अदृश्य शक्ति खींच रही थी. रेंसफ़र्ड जानता था कि इवान ने शिकारी कुत्तों की रस्सी पकड़ रखी होगी.
वे किसी क्षण उस तक पहुँच सकते थे. उसका मस्तिष्क अत्यंत तेजी से काम कर रहा था. उसने युगांडा में सीखी एक देशी तरकीब के बारे में सोचा. वह तेजी से पेड़ से नीचे उतरा. उसने एक लचकदार नए पौधे को लिया और उससे अपने चाकू को बांध दिया. उसकी नोक आते हुए रास्ते की ओर थी. एक जंगली लतर से उसने पौधे को मोड़ कर बांध दिया. फिर वह अपनी जान बचने के लिए भागा. जैसे ही कुत्तों को ताजा महक महसूस हुई उनकी आवाज़ें तेज हो गयीं. रेंसफ़र्ड अब जान गया था कि एक जानवर, जिसका पीछा किया जा रहा हो, कैसा महसूस करता होगा.
वह साँस लेने के लिए रुका. कुत्तों का भौंकना एकाएक रुक गया और उसी के साथ ही रेंसफ़ोर्ड का ह्रदय भी रुक सा गया. वे चाक़ू तक पहुँच गए होने चाहिए.
वह उत्तेजनावश एक पेड़ पर चढ़ गया और वापस देखा. उसका पीछा करने वाला रुक गया था. लेकिन वह आशा जो चढ़ते समय रेंसफ़र्ड के मन में उपजी थी, मर चुकी थी क्योंकि उसने देखा कि उस छिछली घाटी में जनरल जारॉफ अभी भी अपने पैरों पर खड़ा था. लेकिन इवान नहीं था. झटकेदार पेड़ से छूटा चाकू पूरी तरह असफल नहीं रहा था.
रेंसफ़र्ड मुश्किल से जमीन पर उतर पाया होगा जब कुत्तों का चिल्लाना फिर शुरू हो गया.
“कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं,” वह हाँफता हुआ आगे भागता रहा. पेड़ों के मध्य उसे आगे एक नीला मध्यांतर दिखाई दिया. कुत्ते और पास आ रहे थे. रेंसफ़र्ड उस मध्यांतर की ओर भागा. वह वहाँ तक पहुँच गया. यह समुद्र का किनारा था. एक छोटी सी खाड़ी के उस पार वह वे अपशकुनी भूरे पत्थर देख सकता था, जारॉफ का महल. उससे बीस फुट नीचे समुद्र लहराता हुआ फुंफकार रहा था. रेंसफ़र्ड हिचकिचाया. उसने शिकारी कुत्तों की आवाज़ सुनी. फिर उसने समुद्र में लम्बी छलांग लगा दी.
जब जनरल और उसके कुत्तों का झुण्ड उस जगह समुद्र के किनारे पहुंचे, कोस्साक रुक गया. कुछ मिनटों तक वह जल के नील-हरित विस्तार का अवलोकन करता रहा. उसने अपने कंधे उचकाए. फिर वह बैठ गया. उसने अपने चांदी के फ्लास्क से ब्रांडी का एक घूंट भरा, एक सिगरेट जलाई और ‘मैडम बटरफ्लाई’ की एक धुन गुनगुनाने लगा.
उस साँझ जनरल जारॉफ ने अपने शानदार भोजनकक्ष में बेहतरीन डिनर का आनंद लिया. इसके साथ ही उसने पॉल रोजर्स की एक बोतल और चैमबर्टन की आधी बोतल ख़त्म की. दो छोटी घटनाओं ने उसके आनंद को पूर्ण नहीं होने दिया था. एक यह विचार कि इवान का स्थानापन्न मिल पाना मुश्किल होगा और दूसरा यह कि उसका शिकार भाग गया. निश्चय ही अमेरिकन ने ठीक से खेल नहीं खेला, जनरल ने डिनर के बाद का अपना ड्रिंक लेते हुए सोचा. अपनी लाइब्रेरी में वह स्वयं को सांत्वना देने हेतु मार्कस ओरेलियस का लिखा हुआ कुछ पढ़ता रहा. दस बजे वह अपने शयन कक्ष में गया. वह आनंददायक तरीके से थका हुआ था, उसने स्वयं से कहा और अंदर से द्वार बंद कर लिया. वहां हलकी सी चाँदनी थी अतः लाइट्स ऑन करने से पूर्व वह खिड़की के पास गया और उसने नीचे लॉन में झाँका. वह शिकारी कुत्तों को देख सकता था. उसने उनसे कहा “अगली बार बेहतर सौभाग्य होगा.” फिर उसने लाइट्स जला दी.
एक व्यक्ति जो बिस्तर की चादरों में छिपा हुआ था, वहाँ खड़ा था.
“रेंसफ़र्ड !” जनरल चीखा. “तुम यहाँ कैसे आ गए?”
“तैर कर,” रेंसफ़र्ड ने कहा. “मुझे जंगल में हो कर पैदल चलने की बजाय यह तरीका अधिक तेज लगा.”
जनरल ने साँस भीतर खींची और मुस्कराया. “मैं तुम्हें बधाई देता हूँ,” उसने कहा, “तुम खेल जीत गए.”
रेंसफ़र्ड नहीं मुस्कराया. “मैं अभी भी एक पशु हूँ जिसका पीछा किया जा रहा है,” उसने कहा, “तैयार हो जाओ जनरल ज़ारोफ़.”
जनरल ने नीचे झुक कर कोर्निश की. “मैं समझ गया,” उसने कहा, “शानदार! हम में से एक को शिकारी कुत्तों का भोजन बनना पड़ेगा. दूसरा इस शानदार बिस्तर पर सोयेगा. सावधान रेंसफ़ोर्ड…..”..
वह इससे बेहतर बिस्तर पर पहले कभी नहीं सोया था, रेंसफ़र्ड ने निर्णय लिया.
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श्रीविलास सिंह एक कविता संग्रह “कविता के बहाने” २०१९ में प्रकाशित. 8851054620/sbsinghirs@gmail.com |
अच्छी कहानी। अनुवाद भी उतना ही बेहतर। आखिर में रेंसफर्ड की फिल्मी वापसी जरा कमजोर करती है।
यह कहानी सघन समझ से जानी जा सकती है । श्रीविलास सिंह जी ने बेहतरीन तरीक़े से इसका अनुवाद कर है । कुछ पंक्तियाँ उद्धृत करने के योग्य हैं । जैसे कुछ लोग कवि होते हैं…कुछ भिखारी और कुछ शिकारी । एक पंक्ति कुछ इस तरह से थी-समुद्र इतना स्थिर है जितना खिड़की में लगा काँच । इवान कितना ही डरावना था लगता हो लेकिन उसमें मानवीय मूल्य विद्यमान हैं । वह आगंतुक रेंसफ़र्ड के प्रति उदार है । इस कहानी में लिखा है कि दुनिया में दो तरह के लोग हैं एक शिकार और एक शिकारी । कहानी के लेखक ने सौ वर्ष पहले यह सोच लिया था । और यह सत्य अब भी बना हुआ है । राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स और इनसे साँठगाँठ करने वाले उद्योगपति शिकारी हैं और मज़लूम लोग शिकार हैं । प्रोफ़ेसर अरुण देव जी अपने प्रस्तावना में एक शती ‘बात’ लिखा । एक शती बाद लिखना था ।
आभार हरिदेव जी। ठीक किया है।
हार्दिक आभार।
एक खेल के रूप में शिकार मनुष्य को सबसे बर्बर प्राणी बनाता है। शेर चीते जीने के लिये करते हैं, प्राण रक्षा के लिये उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं होता। मात्र मनुष्य है जो शिकारी कुत्तों की मदद से घेरघार कर असहाय हुए प्राणी की हत्या करने में मनोरंजन ढूँढता है। दासप्रथा कालीन रोमन साम्राज्य में ग्लेडियेटर के खूनी खेल से मनोरंजन करनेवालों को बर्बर बताकर उनकी निंदा की जाती है किन्तु निरपराध पशुओं का शिकार तो और भी बर्बर है जो अभी भी धडल्ले से चल रहा है। लगता है, लेखक को केवल मनुष्य के ‘शिकार’ से आपत्ति है, पशुओं के शिकार से क्यों नहीं ? पर्यावरणवादियों के तमाम शोर शराबे के बीच साहित्य में शिकार साहित्य एक मान्य विधा बनी हुई है। मनुष्य जितना क्रूर कोई जानवर नहीं। रचना बहुत लम्बी है और इसे मुताद भर रहस्य व रोमान्च से संवलित कर अद्भुत रूप से पठनीय बनाने में लेखक सफल रहा है। मानव मूल्यों की बर्बरता को एकरसता से उपजी जोखिम भरी चुनौती में अंतरित कर उसे तरल किया गया है।
विस्तृत टिप्पणी के लिए आभार सर। व्यक्ति जब तक सुरक्षित स्थिति में होता है उसे अपने अत्याचारों की ओर ध्यान तक नहीं जाता। शुरुआत में में ह्विटनी और रेंसफ़र्ड के बीच बातचीत इसी स्थिति को दर्शाती है। जब शिकारी स्वयं शिकार बन जाता है और उसकी जान पर बन आती है तभी उसे शिकारी का काम ग़लत लगता है।
बहुत बढ़िया कहानी। अनुवाद भी अच्छा है। लेकिन ‘रशियन’ को ‘रूसी’, ‘फ्रेंच’ को ‘फ्रांसीसी’ तथा ‘अमेरिकन्स’ को ‘अमरीकी’ लिख सकते थे। समालोचन, अरुण देव व श्रीविलास सिंह जी को बधाई व शुभकामनाएं।
आभार सर।
श्रीविलास सिंह को मैं विश्वसनीय अनुवादक मानता हूँ, पर इस अनुवाद में असावधानियाँ बहुत हैं। शीर्षक में game का मतलब शिकार है न कि खेल। नौका को याट कहते हैं न कि याच।मक्षिका स्थाने मक्षिका के आग्रह के कारण कुछ ऐसे वाक्य बन गये हैं जिनका हिन्दी के पाठक के लिए कोई अर्थ नहीं होगा। उदाहरण:
1. उसने अपने को जंगल के किनारे फेक दिया और और अपने जीवन की सबसे गहरी नींद में सिर के बल गोता लगा गया।
2. प्रयत्नपूर्ण आवाज, जिसमें थोड़ा सा स्वराघात था और जिसके कारण उसमें और विशिष्टता आ गई थी, में उसने कहा…
कहीं-कहीं भूल अधिक स्पष्ट है, जैसे ‘ कोई घायल चीज -देखने में एक विशाल जानवर- झाड़ियों में पड़ा हुआ था।’ झाड़ी में किसी जानवर के झटपटाने के निशान हैं, जानवर नहीं।
जल्दीबाजी में अनुवाद नहीं करना चाहिए।
Tewari Shiv Kishore सर जो त्रुटियां हैं उन्हें इंगित करने हेतु हार्दिक आभार। शीर्षक के संबंध में मैंने दोनों विकल्पों पर विचार किया था। किंतु दोनों पात्र चूंकि शिकारी ही थे और उन दोनों के बीच जो खेल चल रहा था उस को ध्यान में रखते हुए मैंने यह शीर्षक रखा है। आप इतने ध्यान से पढ़ कर सलाह देते हैं उससे बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है।
रोमांचक एवं एक जासूसी कथात्मकता लिए बेहद दिलचस्प । मनुष्य की हिंसक मनोवृत्तियाँ धीरे-धीरे विकृत और रूग्न होती जाती हैं। क्रूरता,बल और बर्चस्व मध्ययुगीन सामंती और कबीलाई चरित्र के लक्षण रहे हैं।आखेटक चरित्र किस तरह एक मनुष्य को जंगली हिंस्त्र जानवर में बदल देता है-यह बहुत बारीकी से इस कहानी में दीखता है। अनुवाद भी अच्छा लगा।
अनुवाद अच्छा है। बहुत-बहुत बधाई आपको ।छोटी मोटी त्रुटियों को भूल जाना चाहिए
कम से कम एक अच्छी कहानी की ओर आपने हम लोगों का ध्यान आकर्षित किया। -नरेश अग्रवाल।
निश्चय ही यह एक श्रेष्ठ कहानी है जो शिकारी मनुष्य के शिकार बन जाने की दारुण दशा में आ जाने के मनोद्वन्द्व से और जान बचाने के भागमभाग से यह संदेश देने में सफल है कि किसी जीव का शिकार खेल नहीं नृशंस कृत्य है।
अनुवाद की भाषा भी कुल मिलाकर अच्छी है।
अद्भुत कहानी है और इसका अनुवाद भी बेहतरीन है. आनंद आ गया.
आद. बेमिसाल ,भय और रोमांच से भरपूर…कहानी और भावानुवाद, काश ! कहानी के अंत में ये स्पष्ट होता कि शिकारी जब स्वयं शिकार बन कर उसकी मनोव्यथा को अनुभूत कर चुका तो क्या उसने भविष्य में निरीह पशुओं के शिकार से तौबा की या फिर उस जनरल जारौफ़ का स्थान लिया !
बहरहाल अंत तो मूल कहानीकार के अनुसार ही है जहां पाठक स्वयं के मनःनुरूप अंत देखें…😊
सादर 🙏💐