Yesterday बीता हुआ कल |
जहाँ तक मैं जानता हूँ, ‘बीटल्स’ के गीत ‘Yesterday’ के लिए कभी जापानी भाषा में शब्द संयोजन करने वाला एक मात्र व्यक्ति (और वह भी विशिष्ट कंसाई बोली में) कितारू नाम का था. वह इसका आलाप तब किया करता था जब वह स्नान कर रहा होता था.
‘बीता हुआ कल
आने वाले कल से दो दिन पूर्व
दो दिन पूर्व के बाद का दिन’
जैसा कि मुझे स्मरण है. मैंने लम्बे समय से उसके सम्बन्ध में कुछ नहीं सुना है और मैं इस सम्बन्ध में बहुत आश्वस्त नहीं हूँ कि आगे क्या हुआ होगा. यद्यपि शुरू से अंत तक कितारु का गीत लगभग अर्थहीन था, पूर्णतः बकवास, जिसका मूल गीत के बोलों से कुछ भी लेना-देना नहीं था. वह परिचित सा प्यारा, उदास गीत ताजा हवा जैसी कंसाई बोली- जिसे आप पीड़ा का विलोम कह सकते हैं- से जुड़ कर एक विचित्र संयोग निर्मित करता था, किसी रचनात्मकता से मुखर इंकार जैसा. कम से कम मुझे तो वह ऐसा ही सुनाई दिया था. कई बार मैं बस सुनता और सिर हिलाता रहता था. यद्यपि मैं उसे हँसी में उड़ा देने में सफल रहा था किन्तु मैंने उसमें एक छिपा हुआ आकर्षण भी पाया था.
मैं कितारु से पहली बार वासेदा विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के पास स्थित कॉफीशॉप में मिला था, जहाँ हम अंशकालिक रूप से काम किया करते थे. मैं रसोईघर में और कितारु वेटर के रूप में. जब दुकान में काम कम होता हम ढेरों बातें किया करते थे. हम दोनों बीस के थे और हमारे जन्मदिन मात्र एक हफ़्ते के अंतर पर थे.
“कितारु एक असामान्य सा उपनाम है,” मैंने एक दिन कहा.
“हाँ, निश्चित रूप से,” कितारु ने अपने भारी कंसाई उच्चारण में कहा.
“लोट्टे की बेसबाल टीम में इसी नाम का एक पिचर होता था.”
“हम दोनों में कोई सम्बन्ध नहीं है. यद्यपि यह इतना प्रचलित उपनाम नहीं है, इसलिए कौन जाने ? हो सकता है कहीं कोई सम्बन्ध हो.”
मैं तब वासेदा विश्वविद्यालय में साहित्य विभाग में द्वितीय वर्ष का छात्र था. कितारु प्रवेश परीक्षा में असफल रहा था और पुनः प्रवेश हेतु एक प्रारंभिक कोर्स कर रहा था. वास्तव में वह परीक्षा में दो बार असफल रह चुका था लेकिन जिस तरह वह व्यवहार करता था, आप इसका अनुमान नहीं लगा सकते थे. वह अध्ययन में बहुत अधिक परिश्रम करता-सा नहीं लगता था. जब वह खाली होता तो ढेरों चीजें पढ़ा करता लेकिन परीक्षा से सम्बंधित कुछ भी नहीं. जिमी हेंड्रिक्स की जीवनी, महत्वहीन समस्याओं से सम्बंधित पुस्तकें. ब्रह्माण्ड कहाँ से आया? और इसी तरह की. उसने मुझे बताया कि वह अपने माता-पिता के घर से ओटा वार्ड, टोक्यो में स्थित अपने स्कूल तक पैदल जाते हुए रट्टा मारा करता था.
“ओटा वार्ड?” मैंने अचंभित होते हुए पूछा, “लेकिन मुझे निश्चय था कि तुम कंसाई से हो.”
“किसी तरह से नहीं. मैं देनेंकोफ़ू में पैदा और पला-बढ़ा हूँ.”
इस बात से मुझे वास्तव में झटका लगा.
“फिर तुम कंसाई भाषा कैसे बोलते हो?” मैंने पूछा.
“मैंने इसे सीखा है. बस इसे सीखने का मन बना लिया.”
“इसे सीखा है?”
हाँ, मैंने बहुत मेहनत की है, देखो? क्रिया, संज्ञा, उच्चारण- पूरे का पूरा. उसी तरह जैसे कोई अंग्रेजी अथवा फ्रेंच का अध्ययन करता है. मैं इसके प्रशिक्षण हेतु कंसाई भी गया था.”
तो ऐसे भी लोग हैं जो कंसाई भाषा इस तरह सीखते हैं जैसे कोई विदेशी भाषा सीखता है? यह मेरे लिए एक खबर थी. इसने मुझे इस वास्तविकता का फिर से भान कराया कि टोक्यो कितना बड़ा था और वहाँ बहुत सी ऐसी चीजें थी जिनका मुझे पता नहीं था. इसने मुझे उपन्यास ‘संशिरो’ की याद दिला दी- किसी ग्रामीण बच्चे के किसी बड़े शहर में भटकने की कहानी जैसा कुछ.
“बचपन में मैं हैनशिन टाइगर्स का बड़ा प्रशंसक था,” कितारु ने स्पष्टीकरण दिया. “जब भी वे टोक्यो में खेलते थे मैं उनका खेल देखने जाया करता था. लेकिन यदि मैं हैनशिन के समर्थकों के मध्य बैठता और टोक्यो की भाषा में बात करता तो कोई भी मुझसे किसी तरह का सम्बन्ध नहीं रखता. मैं उस समुदाय का सदस्य नहीं हो सकता था, जानते ही हो ? इसलिए मैंने रास्ता निकाला, मैंने कंसाई भाषा सीखने का निश्चय किया और गधे की तरह उसमें लगा रहा.”
“तो यह तुम्हारी प्रेरणा थी?” मुझे मुश्किल से ही विश्वास हुआ.
“बिलकुल. मेरे लिए टाइगर्स इतने ही महत्वपूर्ण थे.” कितारु ने कहा. “अब मैं बस कंसाई बोली ही बोलता हूँ – स्कूल में, घर में, तब भी जब मैं नींद में बातें करता हूँ. मेरी बोली लगभग परिपक्व है, क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता ?”
“एकदम. मैं तो पक्का माने हुए था कि तुम कंसाई से हो.” मैंने कहा.
“यदि मैंने प्रवेश परीक्षा के लिए उतनी ही मेहनत की होती जितनी मैंने कंसाई सीखने के लिए की तो मैं दो बार असफल न रहा होता जैसा कि मैं अभी हूँ.”
उसकी बात में दम था. उसकी यह असफलता स्वीकारने की शैली भी कंसाई जैसी ही थी.
“अच्छा तुम कहाँ के हो?” उसने पूछा.
“कंसाई से. कोबे के पास से.” मैंने कहा.
“कोबे के पास? कहाँ से ?” उसने पूछा.
“अशिया से,” मैंने जवाब दिया.
“वाह! शानदार जगह, तुमने पहले क्यों नहीं बताया ?”
मैंने स्पष्ट किया. जब मुझसे लोग पूछते हैं कि मैं कहाँ से हूँ और मैं उन्हें बताता हूँ कि अशिया से तो वे हमेशा मान लेते हैं कि मेरा परिवार बहुत समृद्ध होगा. लेकिन अशिया में सभी तरह के लोग हैं. खासकर मेरा परिवार बहुत समृद्ध नहीं है. मेरे पिता एक दवा कंपनी में काम करते थे और मेरी माँ लाइब्रेरियन थी. मेरा मकान छोटा सा था और हमारी कार क्रीम कलर की कोरोला. इसलिए जब भी लोग मुझसे पूछते कि मैं कहाँ से था तो मैं सदैव ही कहता,”कोबे के पास का.” इस तरह वे मेरे बारे में कोई पूर्व धारणा नहीं निर्मित करते थे.
“भाई, लगता है तुम और मैं एक ही हैं,” कितारु ने कहा. “मेरा पता देनेंकाफू हैं- एक शानदार उच्चस्तरीय स्थान. लेकिन मेरा घर कसबे का सबसे साधारण स्थान है. और ख़राब सा मकान भी. तुम कभी आना. तुम भी सोचोगे, वाह, ये है देनेंकाफू ? किसी भी तरह नहीं. लेकिन इस तरह की किसी चीज के बारे में चिंता करने का कोई औचित्य नहीं है, है न. यह बस एक पता मात्र है. मैं ठीक उल्टा करता हूँ. मैं उन पर सीधे वार करता हूँ और कहता हूँ मैं देनेंकाफू से हूँ. तुम्हें कैसा लगा?”
मैं प्रभावित हुआ. इसके पश्चात हम मित्र हो गए.
2.
जब तक मैंने हाईस्कूल पास नहीं किया था तब तक मैंने केवल कंसाई भाषा बोली थी. किन्तु मुझे टोक्यो की सामान्य भाषा में पूर्णतः पारंगत होने में मात्र एक महीना लगा. मैं आश्चर्यचकित रह गया था कि मैं इतनी तीव्रता से परिस्थितियों से सामंजस्य स्थापित कर सकता था. हो सकता है मेरा व्यक्तित्व गिरगिट की तरह का हो. अथवा हो सकता है भाषाओं के सम्बन्ध में मेरा बोध अधिकांश लोगों की तुलना में अधिक विकसित हो. दोनों ही तरह से, कोई यह विश्वास नहीं करता था कि मैं वास्तव में कंसाई से था.
कंसाई बोली का प्रयोग छोड़ने का एक कारण यह भी था कि मैं पूर्णतः एक अलग व्यक्ति बनना चाहता था.
जब मैं कंसाई से टोक्यो कालेज में पढ़ाई शुरू करने के लिए आया, मैंने पूरी बुलेट ट्रेन यात्रा का उपयोग अपने अठारह वर्षों का पुनरीक्षण करने में किया और भान हुआ कि मेरे साथ जो भी घटित हुआ था, बहुत शर्मिंदगी लायक था. मैं अतिशयोक्ति नहीं कर रहा हूँ. मैं उस समय का कुछ भी स्मरण नहीं रखना चाहता- वह दुखद था. मैंने उस समय तक के जीवन के सम्बन्ध में जितना ही सोचा उतना ही अधिक मैंने स्वयं से घृणा की. ऐसा नहीं था कि मेरी कुछ स्मृतियाँ नहीं थी- थी. कुछ थोड़े से प्रसन्नतापूर्ण अनुभव. किन्तु यदि आप उन्हें एक साथ इकट्ठा करें तो लज्जाजनक, पीड़ादायक स्मृतियाँ अन्य की तुलना में बहुत अधिक थी. तब मैंने सोचा कि मैं कैसे जी रहा था, मैं किस प्रकार जीवन का सामना कर रहा था, लगता है वह सब कितना नीरस, कितना क्लेशदायक था, एकदम लक्ष्यहीन. कल्पनाशीलता से शून्य मध्यवर्गीय कचरा. मैं इसे इकट्ठा कर के दूर किसी दराज में दफन कर देना चाहता था. अथवा उसे इकट्ठा करके आग के हवाले कर देना और उसे धुएं के साथ राख होते देखना चाहता था (यद्यपि इससे किस प्रकार का धुआं निकलता, मुझे कुछ पता नहीं था). जो भी हो, मैं इस सब से मुक्ति पाना चाहता था और टोक्यो में एक नया जीवन एक बिलकुल नए व्यक्ति के रूप में शुरू करना चाहता था. कंसाई बोली त्यागना इसे प्राप्त करने का एक व्यावहारिक (और प्रतीकात्मक भी) तरीका था. क्योंकि अंतिम विश्लेषण में जो भाषा हम बोलते हैं उसका इस बात के निर्णय में बहुत महत्त्व होता है कि एक व्यक्ति के रूप में हम कौन हैं. कम से कम अठारह वर्ष की उम्र में मुझे ऐसा ही लगता था.
“लज्जाजनक? ऐसा लज्जाजनक क्या था?” कितारु ने मुझसे पूछा.
“तुम्हीं बताओ.”
“क्या तुम्हारी अपने लोगों से नहीं बनती थी?”
“ठीकठाक बनती थी,” मैंने कहा. “लेकिन वह फिर भी लज्जाजनक था. बस उनके साथ रहना ही मुझे शर्मिंदगी का अनुभव करा देता था.”
“तुम अजीब हो, क्या तुम्हें पता है?” कितारु ने कहा. “अपने लोगों के साथ रहने में लज्जाजनक जैसा क्या है ? मेरा तो अपने लोगों के संग अच्छा समय गुजरा था.”
“यहाँ जीवन के लिए एक सीख है बच्चे. सभी बुरे लोग बुरे जैसे नहीं दिखते और न ही सभी अच्छे लोग अच्छे दिखते हैं.”
मैं वास्तव में इसे स्पष्ट नहीं कर सकता था. एक क्रीम रंग की कोरोला होने में ऐसी क्या बुराई थी? मैं कह नहीं सकता था. मेरे माता-पिता दिखावे के लिए पैसे नहीं खर्च करना चाहते थे, बस.
“मेरे माता-पिता हमेशा मेरे पीछे पड़े रहते हैं क्योंकि मैं पर्याप्त अध्ययन नहीं करता हूँ. मैं इस बात से घृणा करता हूँ लेकिन क्या किया जा सकता है. यह उनका काम है. तुम्हें उसके आगे देखना चाहिए, समझे.”
“तुम बहुत मस्त रहते हो, है न!” मैंने पूछा.
“क्या तुम्हारी कोई लड़की दोस्त है?” कितारु ने पूछा.
“अभी तो नहीं.”
“लेकिन पहले कोई थी?”
“कुछ समय पहले तक थी.”
“क्या तुम लोग अलग हो गए?”
“कुछ ऐसा ही है.”
“तुम लोग क्यों अलग हो गए?”
“यह एक लम्बी कहानी है. मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता.”
“उसने तुम्हें एकदम चले जाने दिया?”
मैंने सिर हिलाया. “ नहीं, एकदम से नहीं.”
“क्या इसीलिए तुम अलग हो गए?”
मैंने इस सम्बन्ध में सोचा. “यह भी उसका एक हिस्सा था.”
“लेकिन उसने तुम्हें कमर के नीचे तक जाने दिया?”
“हाँ उसके आसपास.”
“तुम कितना दूर जा चुके हो, ठीक ठीक?”
“मैं इस सम्बन्ध में बात नहीं करना चाहता.” मैंने कहा.
“क्या यह उन लज्जाजनक चीजों में से एक है जिसका तुमने जिक्र किया?”
“हाँ,” मैंने कहा.
“भाई, तुम्हारा जीवन बड़ा जटिल रहा है,” कितारु ने कहा.
३.
मैंने पहलीबार कितारु को ‘Yesterday’ गीत को उन सनकी शब्दों के साथ तब गाते सुना था जब वह देनेंकाफू में अपने घर के स्नानागार में था (उसका घर उसके वर्णन के बावजूद खस्ताहाल नहीं था बल्कि सामान्य इलाके में एक सामान्य-सा घर था, एक अपेक्षाकृत पुराना घर , लेकिन आशिया में मेरे घर से बड़ा. किसी तरह विशिष्ट नहीं- और संयोगवश ड्राइव वे में खड़ी कार नीले रंग की गोल्फ थी (नयी मॉडल की ). जब भी कितारु घर आता था वह तुरंत हर चीज एक ओर फेंक स्नानागार में घुस जाता था. और एक बार बाथ टब में घुसने के बाद लगता था वह हमेशा वहीं पड़ा रहेगा. इसलिए मैं पास के कमरे से अक्सर एक गोल स्टूल घसीट लेता और वहीं बैठ जाता और लगभग एक इंच या थोड़ा अधिक खुले स्लाइडिंग दरवाजे से उससे बातें करता रहता था. उसकी माँ की चीखें सुनने से बचने का वही एक मात्र उपाय था (अधिकांशतः अपने विचित्र बेटे के और उसके ठीक से पढ़ाई न करने के बारे में ).
“गीत के उन बोलों का कोई अर्थ नहीं है,” मैंने उससे कहा. “इससे बस ऐसा लग रहा है जैसे तुम ‘Yesterday’ गीत का मज़ाक बना रहे हो.”
“गधे मत बनो. मैं किसी गाने का मज़ाक नहीं बना रहा. यदि ऐसा हो भी तो तुम्हें याद रखना चाहिए कि जॉन को बकवास और शब्दों के खेल से प्यार है. ठीक?”
“लेकिन ‘Yesterday’ को लिखा और उसका संगीत पॉल ने बनाया है.”
“क्या तुम्हें पक्का पता है?”
“एकदम! मैंने घोषणा की. “पॉल ने यह गीत लिखा था और खुद ही स्टूडियो में इसे गिटार के साथ रेकार्ड किया था. स्ट्रिंग क़्वार्टेट बाद में जोड़ा गया. लेकिन बीटल्स के अन्य सदस्य इससे किसी तरह सम्बंधित नहीं थे. उन्होंने सोचा था कि बीटल्स का गीत होने के लिहाज से यह गाना काफी कमजोर था.”
“क्या सच? मुझे इस तरह की अंदरूनी खबरें नहीं पता थी.”
“यह अंदरूनी खबर नहीं है. यह आम जानकारी की बात है,” मैंने कहा.
“कौन परवाह करता है? ये सब बस विवरण हैं,” कितारु की आवाज़ भाप के एक बादल में से शांति से आयी. “मैं अपने घर के अपने स्नानागार में गा रहा हूँ. कोई रेकार्डिंग या ऐसा ही कुछ नहीं कर रहा हूँ. मैं किसी कॉपी राइट का उलंधन नहीं कर रहा हूँ न ही किसी को परेशान कर रहा हूँ. तुम्हें शिकायत का कोई अधिकार नहीं है.”
और वह फिर जोर ज़ोर से गाने लगा. उसकी आवाज़ तेज और स्पष्ट थी. वह उच्च स्वरों को वास्तव में अच्छे से गा रहा था. मैं उसे साथ के वाद्य यंत्र के रूप में पानी उछालते सुन सकता था. मुझे संभवतः उसका उत्साह बढ़ाने हेतु उसके साथ गाना चाहिए था लेकिन मैं बस स्वयं को तैयार नहीं कर सका. केवल वहाँ बैठे शीशे के दरवाजे के पार से उससे बात करना उतना आनंददायक नहीं था जब कि वह बाथ टब में एक घंटे से मजे ले रहा था.
“लेकिन तुम बाथ टब में भीगे हुए इतना समय कैसे बिता लेते हो?” मैंने पूछा. “क्या तुम्हारी देह में सूजन नहीं हो जाती ?”
“जब मैं बाथ टब में देर तक रहता हूँ, मुझे बहुत अच्छे-अच्छे विचार आते हैं,” कितारु ने कहा.
“तुम्हारा मतलब है ‘Yesterday’ के बोलों की तरह के?”
“हाँ, यह उनमें से एक है,” कितारु ने कहा.
“स्नानागार में इतना समय बिता कर सोचने की बजाय क्या तुम्हें प्रवेश परीक्षा के लिए अध्ययन नहीं करना चाहिए?” मैंने पूछा.
“क्या तुम भी अवसादग्रस्त नहीं हो. मेरी माँ भी बिलकुल यही बात कहती है. क्या तुम ऐसा कहने के लिए कुछ अधिक युवा नहीं हो, इस तरह की ज्ञान की बातों के लिए ?”
“लेकिन तुम पिछले दो सालों से रट्टा नहीं मार रहे हो? क्या तुम्हें इससे थकान नहीं होती?”
“निश्चित रूप से होती है. मैं जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी कालेज में जाना चाहता हूँ.”
“फिर मेहनत से क्यों नहीं पढ़ते?”
“हाँ…. ठीक कहते हो,” उसने शब्दों को खींचते हुए कहा. “यदि मैं ऐसा कर सकता, मैं पहले ही ऐसा कर रहा होता.”
“कालेज भी एक निराशा भर है,” मैंने कहा. “ जब एक बार मैं वहाँ पहुँच गया, मैं पूरी तरह निराश हुआ. लेकिन वहाँ न पहुँच पाना और बड़ी निराशा होगी.”
“सही कहा,” कितारु ने कहा. “मेरी इस सम्बन्ध में कोई वापसी नहीं है.”
“फिर तुम पढ़ते क्यों नहीं?”
“प्रेरणा की कमी है,” उसने कहा.
“प्रेरणा?” मैंने कहा. “क्या अपनी गर्लफ्रेंड के साथ घूमने जाने में सक्षम होना पर्याप्त प्रेरणा नहीं है ?”
एक लड़की थी जिसे कितारु तब से जानता था जब वे प्रारंभिक विद्यालय में थे. आप कह सकते हैं, बचपन की मित्र. वे एक ही कक्षा में थे लेकिन उसके विपरीत उसे हाईस्कूल पास करने के बाद सीधे सोफिया विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल गया. वह अब फ्रेंच साहित्य में स्नातक कर रही है और उसने टेनिस क्लब की सदस्यता भी ले ली है. उसने मुझे उसकी एक तस्वीर दिखाई थी और वह शानदार थी. एक सुन्दर देह और जीवंत भाव भंगिमा लिए हुए. लेकिन वे दोनों आजकल अक्सर नहीं मिलते. उन्होंने बात की थी और यह निर्णय लिया था कि तब तक मिलना ठीक नहीं जब तक कितारु को प्रवेश नहीं मिल जाता ताकि वह अपनी पढाई पर ध्यान दे सके. कितारु ने ही यह सुझाव दिया था. “ठीक है,” उसने कहा था, “यदि तुम यही चाहते हो तो ठीक है.” वे फोन पर बहुत बातें करते थे लेकिन मिलने के नाम पर हफ़्ते में अधिक से अधिक एक बार मिलते थे और वे मुलाकातें भी साक्षात्कार की भांति होती थी न कि मिलने की तरह. वे चाय पीते थे और आजकल क्या कर रहे थे इस विषय पर बात करते थे. वे एक दूसरे का हाथ पकड़ते और हल्का सा चुम्बन लेते. लेकिन वह सब अब दूर होता जा रहा था.
कितारु ऐसा नहीं था जिसे आप सुदर्शन कहें लेकिन वह देखने में पर्याप्त अच्छा था. वह छरहरा था और उसके कपडे सामान्य और स्टाइलिश होते थे. जब तक वह न बोलता आप मान लेते कि वह एक संवेदनशील शहरी लड़का था जिसका लालन-पालन अच्छे से हुआ था. उसकी संभावित कमी उसका चेहरा था. कुछ अधिक ही पतला और नाजुक और उससे यह महसूस हो सकता था कि उसके व्यक्तित्व में कुछ कमी सी है अथवा वह अर्थहीन सा है. लेकिन वह जैसे ही मुंह खोलता यह धनात्मक प्रभाव किसी जोशीले लैब्रोडोर रिट्रीवर के नीचे आ गए रेत के किले की भांति ढह जाता. लोग उसकी कंसाई भाषा से निराश हो जाते जिसे वह, मानो इतना ही पर्याप्त न हो, ऊँची और तीखी आवाज़ में बोलता. यह सब उसके व्यक्तित्व से बहुत अधिक बेजोड़ था. मेरे लिए भी पहली बार यह सब कुछ अधिक ही लगा था.
“हे तानीमूरा, क्या तुम एक गर्लफ्रेंड के बिना अकेले नहीं हो?” कितारु ने मुझसे अगले दिन पूछा.
“मैं इससे इनकार नहीं करता,” मैंने उससे कहा.
“फिर कैसा रहेगा यदि तुम मेरी गर्लफ्रेंड के साथ बाहर जाओ?”
मैं नहीं समझ सका कि उसका मतलब क्या था. “क्या मतलब है तुम्हारा- उसके साथ बाहर जाऊं ?”
“वह एक शानदार लड़की है. खूबसूरत, ईमानदार, और स्मार्ट. तुम उसके साथ बाहर जाओ. तुम्हें निराशा नहीं होगी. मेरी गारंटी है.”
“मैं जानता हूँ, मैं निराश नहीं होऊंगा,” मैंने कहा. “लेकिन मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड के साथ क्यों बाहर जाऊं ? यह ठीक नहीं लग रहा.”
“क्योंकि तुम एक शानदार आदमी हो,” कितारु ने कहा. “अन्यथा मैंने यह सुझाव न दिया होता. एरिका और मैंने अब तक अपनी लगभग सारी जिंदगी एक साथ गुजारी है. हम एक तरह से जोड़े जैसा बन गए थे और हर कोई इस का समर्थन करता था. हमारे मित्र, हमारे माता-पिता, हमारे अध्यापक. गहनता से आबद्ध जोड़ा, सदैव एक साथ रहने वाला.”
“कितारु ने स्पष्ट करने को अपनी हथेलियां जोड़ ली.
“तो मैंने एक तरह से स्वयं को दो भागों में विभक्त कर लिया,” कितारु ने कहा. उसने अपनी हथेलियों को अलग कर लिया.
“ऐसा क्यों?” मैंने पूछा.
उसने एक क्षण को अपनी हथेलियों को देखा फिर बोला. “मेरा मतलब है कि मेरा एक हिस्सा, मानो चिंतित हो, तुम जानते हो ? मेरा मतलब है मैं किसी बकवास रट्टा मारने वाले स्कूल में जाता हूँ, किसी बकवास प्रवेश परीक्षा के लिए अध्ययन करने जब कि एरिका कॉलेज में डांस में हिस्सा ले रही. टेनिस खेल रही, जो मन में आये कर रही. उसके नए मित्र बन गए हैं. वह संभवतः किसी और लड़के के साथ घूमती होगी, जैसा कि मुझे पता है. जब मैं इन सब बातों के बारे में सोचता हूँ, मैं पीछे छूट गया महसूस करता हूँ. जैसे मेरा मस्तिष्क किसी कुहासे में हो. तुम समझ रहे हो न मेरा क्या आशय है.”
“मैं कुछ अनुमान कर सकता हूँ.” मैंने कहा.
“लेकिन मेरा एक हिस्सा मुक्त हो गया-सा महसूस करता है. यदि हम जैसे थे वैसे चलते रहते, बिना किसी समस्या के या किसी और बात के, बेहतरीन जोड़े की तरह आराम से जीवन गुजारते हुए, जैसे कि कालेज से स्नातक होते, शादी करते, हम उस आश्चर्यजनक जोड़े की तरह होते जिससे हर कोई खुश रहता, हमारे दो बच्चे होते उन्हें हम देनेंकाफू के पुराने प्रारंभिक स्कूल में डालते, हम रविवार को तामा नदी के किनारे बिताते ब्ला ब्ला ब्ला ……. मैं नहीं कह रहा कि उस तरह का जीवन ख़राब होता. हमारे लिए कुछ समय के लिए अलग रास्तों पर चलना ही बेहतर होगा और यदि हमने पाया कि हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते तो हम फिर से साथ हो जायेंगे.”
“तो तुम यह कहना चाह रहे हो कि चीजों का आसान और आरामदायक होना एक समस्या है. क्या इसका यही मतलब है ?”
“हां, यही समझ लो”
“लेकिन मुझे क्यों तुम्हारी गर्लफ्रेंड के साथ बाहर जाना चाहिए?” मैंने पूछा.
“मैंने सोचा है कि यदि वह किसी और व्यक्ति के साथ घूमती फिरती है तो उससे बेहतर है कि वह तुम्हारे साथ जाये. क्योंकि मैं तुम्हें जानता हूँ. और तुम मुझे चीजों के बारे में अद्यतन रख सकते हो.”
इसका मेरे लिए कोई अर्थ नहीं था यद्यपि मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं एरिका से मिलने के विचार में रुचि रखता था. मैं यह भी जानना चाहता था कि उसकी तरह की खूबसूरत लड़की क्यों कितारु जैसे विचित्र व्यक्ति के साथ घूमना फिरना चाहती थी. मैं सदैव से नए लोगों के प्रति थोड़ा शर्मीला था लेकिन मुझमें जिज्ञासा की कमी न थी.
“उस के साथ तुम्हारा सम्बन्ध किस हद तक था?” मैंने पूछा.
“तुम्हारा मतलब सेक्स से है?” कितारु ने कहा.
“हाँ, क्या तुम लोग उस हद तक जुड़े हुए थे?”
कितारु ने सिर हिलाया. “मैं नहीं देख सकता. मैं उसे तब से जानता हूँ जब वह बच्ची थी और यह सब शर्मिंदगी की बात है, तुम जानते हो कि मैं कहूं कि हमने बस शुरुआत की है, उसके कपड़े उतारे हैं, उससे छेड़छाड़ की है, उसका स्पर्श किया है आदि आदि. यदि वह कोई और लड़की होती, मैं नहीं समझता कि मुझे कोई समस्या होती लेकिन उसके अंतर-वस्त्रों के नीचे अपना हाथ डालना, उसके साथ ऐसा करने के बारे में सोचना भी, पता नहीं क्यों यह सब बस गलत लगता है. तुम समझे?”
मैं नहीं समझा.
“मैं इसे ठीक से स्पष्ट नहीं कर सकता,” कितारु ने कहा. “जैसे कि जब तुम हस्तमैथुन कर रहे होते हो तुम किसी वास्तविक लड़की का चित्र बनाते हो, है न?”
“मेरे विचार से,” मैंने कहा.
“लेकिन मैं एरिका का चित्र नहीं बना सकता. यह कुछ ऐसा करने जैसा है जो गलत लगता है, समझे. इसलिए जब मैं ऐसा करता हूँ , मैं किसी और लड़की के बारे में सोचता हूँ. कोई ऐसी जिसे मैं उतना पसंद नहीं करता. तुम क्या सोचते हो.”
मैंने इस सम्बन्ध में सोचा लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सका. अन्य लोगों की हस्तमैथुन की आदतें मेरी समझ से परे थीं. बहुत सी चीजें मेरे अपने बारे में थी, जिनसे मैं पार नहीं पा सकता था.
“जो भी हो, आओ हम एक बार मिलें, हम तीनों.” कितारु ने कहा. “फिर तुम इस बारे में सोच सकते हो.”
४.
हम तीनों- मैं, कितारु और उसकी गर्लफ्रेंड जिसका नाम एरिका कुरितानी था, एक रविवार अपराह्न में देनेंकाफू स्टेशन की एक कॉफीशॉप में मिले. वह लगभग उतनी ही लम्बी थी जितना कि कितारु, सांवली-सी, अच्छे से प्रेस किया हुआ छोटी बांह का सफ़ेद ब्लाउज और गहरे नीले रंग का मिनी स्कर्ट पहने हुए. किसी अच्छे शहर की कालेज की इज्जतदार लड़की जैसी. वह वैसी ही आकर्षक थी जैसी अपनी तस्वीरों में लगती थी लेकिन जिस बात ने मुझे व्यक्तिगत रूप से आकर्षित किया वह उसकी शक्ल नहीं बल्कि एक तरह की स्वाभाविक जीवंतता थी जो उससे फूटी पड़ रही थी. वह कितारु का एकदम विलोम थी जो कि तुलनात्मक रूप से थोड़ा बदरंग हो गया था.
“मैं वास्तव में खुश हूँ कि आकि-कुन का कोई मित्र है,” एरिका ने मुझसे कहा. कितारु का पहला नाम आकियाशु था. वह दुनिया में एक मात्र व्यक्ति थी जो उसे आकि-कुन पुकारती थी.
“ज्यादा मत बोलो, मेरे ढेरों मित्र हैं,” कितारु ने कहा.
“नहीं, तुम्हारे ज्यादा मित्र नहीं हैं,” एरिका ने कहा. “तुम्हारे जैसे व्यक्ति मित्र नहीं बना सकते. तुम टोक्यो में पैदा हुए हो लेकिन तुम केवल कंसाई बोलते हो और हर बार जब तुम मुंह खोलते हो तुम हैनसिन टाइगर्स के अथवा शतरंज की चालों के बारे में एक के बाद एक नाराज कर देने वाली बातें बोलते हो. कोई तरीका नहीं है कि तुम्हारे जैसे विचित्र व्यक्ति का साथ किसी सामान्य व्यक्ति से हो.”
“ठीक है यदि ऐसी बात है तो यह आदमी भी काफी विचित्र है,” कितारु ने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा. “यह आशिया से है लेकिन टोक्यो की बोली बोलता है.”
“यह अपेक्षाकृत अधिक सामान्य है,” एरिका ने कहा. “कम से कम इसके उलटे से अधिक सामान्य.”
“ठहरो, यह सांस्कृतिक भेदभाव है,” कितारु ने कहा. तुम जानती हो सभी संस्कृतियां बराबर हैं. टोक्यो की बोली कंसाई बोली से बेहतर नहीं है.”
“हो सकता है वे बराबर हों,” एरिका ने कहा, “लेकिन मेइजी पुनरस्थापन के पश्चात जिस तरह लोग टोक्यो में बोलते हैं वह बोली जाने वाली जापानी भाषा के लिए मानक है. मेरा मतलब है क्या किसी ने कभी ‘फ्रेनी और जुई’ का कंसाई में अनुवाद किया है.”
“यदि वे करें तो मैं जरूर खरीदूंगा,” कितारु ने कहा.
मैं भी संभवतः खरीदूंगा. मैंने सोचा लेकिन खामोश रहा.
बुद्धिमत्ता से, इस बहस में और गहराई तक खींचे जाने की बजाय एरिका ने विषय बदल दिया.
“मेरे टेनिस क्लब में भी एक लड़की है जो आशिया से है,” उसने मेरी ओर मुड़ते हुए कहा. “आईको सकुराई. क्या तुम उसे जानते हो?”
“मैं जानता हूँ,” मैंने कहा. आईको सकुराई एक लम्बी, खुश रहने वाली लड़की थी जिसके माता-पिता एक बड़ा गोल्फ कोर्स चलाते थे. उलझी हुई, सपाट वक्षों वाली, विचित्र-सी दिखती नाक वाली और सामान्य व्यक्तित्व वाली. टेनिस एक ऐसी चीज थी जिसमें वह हमेशा से अच्छी थी. यदि मैं उसे कभी भी दुबारा देखता तो यह मेरे लिए बहुत शीघ्रता होती.
“यह एक अच्छा बंदा है और अभी इसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है,” कितारु ने एरिका से कहा. “यह देखने में अच्छा है. अच्छे मैनर्स वाला है और इसे सभी तरह की चीजों के बारे में पता है. जैसा कि तुम देख सकती हो, यह साफ-सुथरा है और इसे कोई भयानक बीमारी भी नहीं है. मैं कहूंगा, यह एक सम्भावनापूर्ण व्यक्ति है.”
“ठीक है,” एरिका ने कहा. मेरे क्लब के कुछ सदस्य वास्तव में बहुत अच्छे हैं, मुझे उनसे इसका परिचय कराने में वास्तव में ख़ुशी होगी.”
“नहीं, मेरा यह मतलब नहीं है,” कितारु ने कहा. “क्या तुम इसके साथ बाहर जा सकती हो? मैं अभी कालेज में नहीं हूँ और मैं उस तरह से नहीं जा सकता जैसे मैं चाहता हूँ. मेरी जगह तुम इसके साथ बाहर जा सकती हो. फिर मुझे कोई चिंता नहीं रहेगी.”
“तुम्हें कोई चिंता रहेगी से तुम्हारा क्या मतलब है?” एरिका ने पूछा.
एरिका ने कितारु को ऐसे घूरा मानो वह जो देख रही हो उस पर उसे विश्वास न हो. अंततः उसने कहा, “तो तुम यह कह रहे हो कि मेरा दूसरे व्यक्ति के साथ बाहर जाना ठीक है यदि वह यहाँ मौजूद तानीमूरा-कुन हो? क्या तुम गंभीरता से सुझाव दे रहे हो कि हम डेट पर जाएँ ?”
“हे, यह इतना भयानक विचार नहीं है, क्या ऐसा है? अथवा क्या तुम पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ डेट पर जा रही हो?”
“नहीं, कोई दूसरा नहीं है,” एरिका ने शांत स्वर में कहा.
“फिर इसके साथ क्यों नहीं जाती? यह एक तरह का सांस्कृतिक विनिमय हो सकता है.”
“सांस्कृतिक विनिमय,” एरिका ने दुहराया. उसने मेरी ओर देखा.
“ठीक है. आओ हम अपनी कहानियों को सीधा करें और अपने पात्रों को संवेदनशील और स्पष्ट.”
ऐसा नहीं महसूस हुआ कि मैं जो कुछ कहूंगा उससे कोई मदद मिलेगी इसलिए मैं मौन रहा. मैं अपना कॉफी का चम्मच अपने हाथ में लिए उस पर बने चित्र का अध्ययन करता रहा मानो किसी अजायबघर का क्यूरेटर मिस्र की किसी कब्र से मिली किसी प्राचीन वास्तु का परीक्षण कर रहा हो.
“सांस्कृतिक विनिमय? इसका क्या अर्थ संभावित है?” उसने कितारु से पूछा.
“जैसे कि किसी और दृष्टिकोण से हमारा परिचय होना. यह हमारे लिए उतना बुरा नहीं होगा. “
“यह तुम्हारा सांस्कृतिक विनिमय का विचार है?”
“हाँ, मेरा मतलब है कि…….”
“ठीक है,” एरिका कुरीतानी ने दृढ़ता से कहा. “यदि पास में कोई पेन्सिल होती, मैं उसे उठाकर उसे दो टुकड़ों में तोड़ सकती हूँ. यदि तुम सोचते हो कि हमें यह करना चाहिए, आकि-कुन, तो ठीक है. हम सांस्कृतिक विनिमय करेंगे.”
उसने चाय का एक घूंट लिया और प्याले को प्लेट में रख दिया, मेरी ओर मुड़ी और मुस्करायी. “चूँकि आकि-कुन ने सिफारिश की है कि हमें ऐसा करना चाहिए तानीमूरा-कुन, आओ हम डेट पर चलते हैं. मजेदार लगता है. तुम कब फ्री हो?”
मैं बोल नहीं सका. महत्वपूर्ण क्षण पर सही शब्द न ढूंढ पाना मेरी बहुत सी समस्याओं में से एक है.”
एरिका ने लाल चमड़े से मढ़ा एक प्लानर अपने बैग से निकाला और उसे खोला तथा अपने पूर्व निश्चित कामों का विवरण देखा. “इस शनिवार कैसा रहेगा?” उसने पूछा.
“मेरी कोई योजना नहीं है,” मैंने कहा.
“फिर शनिवार ठीक है. हम कहाँ जायेंगे ?”
“उसे फ़िल्में पसंद हैं,” कितारु ने कहा. “स्क्रीन प्ले लिखना उसका सपना है.”
“फिर आओ हम फ़िल्म देखने चलते हैं. हमें किस तरह की फिल्म देखनी चाहिए? मैं यह निर्णय तुम पर छोड़ती हूँ तानिमुरा-कुन. मुझे हॉरर फ़िल्में नहीं पसंद हैं, उसके अलावा सब ठीक है.”
“वह वास्तव में एक डरपोक बिल्ली है,” कितारु ने मुझ से कहा. “जब हम बच्चे थे और कोरकुइन के शापित मकान में जाते थे तो यह मेरा हाथ पकड़े रहती थी और…..”
“फिल्म के बाद हम कही अच्छा खाना खाएंगे,” एरिका ने उसकी बात काटते हुए कहा. उसने अपना फोन नंबर अपनी नोटबुक के पन्ने पर लिखा और मुझे दे दिया. “जब तुम समय और स्थान का निर्णय कर लोगे, क्या मुझे फोन से सूचित कर दोगे?”
मेरे पास उस समय फोन नहीं होता था (यह बहुत पहले की, तब की बात है जब सेल फोन की एक किरण भी क्षितिज पर कहीं न थी) इसलिए मैंने उसे कॉफी शॉप का नंबर दिया जहाँ मैं और कितारु काम करते थे. मैंने अपनी घड़ी की ओर देखा.
“मैं क्षमा चाहता हूँ लेकिन अब मुझे जाना है,” मैंने उतनी प्रसन्नता से कहा जितनी मैं दिखा सका. “मुझे यह रिपोर्ट कल तक पूरी कर लेनी है.”
“क्या रुक नहीं सकते?” कितारु ने कहा. “हम बस अभी ही यहाँ आये हैं. तुम रुकते क्यों नहीं ताकि हम कुछ और बात कर सकें. पास में ही एक बहुत अच्छे नूडल्स मिलते हैं.”
एरिका ने कोई विचार नहीं व्यक्त किया. मैंने अपनी कॉफी के पैसे मेज पर रखे और खड़ा हो गया. “यह एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट है,” मैंने स्पष्ट किया, “इसलिए वास्तव में मैं विलम्ब नहीं कर सकता.” वास्तव में इस बात का बहुत अधिक महत्त्व नहीं था.
“मैं तुम्हें कल या उसके अगले दिन फोन करूँगा,” मैंने एरिका से कहा.
“मैं प्रतीक्षा करूँगी,” उसने कहा. उसके होंठों पर शानदार मुस्कराहट आ रही थी. एक मुस्कराहट, जो कम से कम मुझे सच होने के लिहाज से कुछ अधिक ही अच्छी लगी.
मैं कॉफीशॉप से बाहर आ गया और जब मैं स्टेशन की तरफ जा रहा था तो मैंने सोचा कि आखिर मैं यह कर क्या रहा था. जब सब बातें निर्णीत हो चुकी थी तब उनके ऊपर सोचना कि चीजें किस दिशा में चली गयीं थी- यह मेरी एक और पुरानी समस्या थी.
५.
उस शनिवार एरिका और मैं शिबुया में मिले और हमने वूडी एलेन की एक फिल्म देखी जो न्यूयॉर्क की पृष्ठभूमि में थी. मुझे किसी तरह महसूस हुआ कि उसे वूडी एलेन की फिल्मों में रुचि हो सकती थी. और मुझे पक्का विश्वास था कि कितारु उसे ये फ़िल्में दिखाने कभी नहीं ले गया होगा. सौभाग्य से वह एक अच्छी फिल्म थी और जब हम थियेटर से निकले हम दोनों ख़ुशी महसूस कर रहे थे.
हम कुछ देर गोधूलि में गलियों में टहलते रहे फिर शकूरागाओका में स्थित एक छोटे से इटैलियन रेस्टोरेंट में गए और हमने पिज़्ज़ा और चीयन्ती खायी. यह एक सामान्य, ठीक ठाक दाम वाला रेस्टोरेंट था, प्रकाश मंद-मंद था, मेजों पर मोमबत्तियां थी (अधिकांश इटैलियन रेस्टोरेंट्स में उस समय गिंघम टेबुल क्लॉथ और मोमबत्तियां होते थे ). हमने तमाम चीजों के बारे में बातें की- जिस तरह की बातों की आप कालेज के दूसरे वर्ष के छात्रों से उनकी पहली डेट पर अपेक्षा कर सकते है (यह मान कर कि आप इसे वास्तव में एक डेट मानें ). हमने अभी-अभी जो फिल्म देखी थी, कालेज का हमारा जीवन, हमारे शौक इत्यादि. हमें बात करने में मेरी अपेक्षा से अधिक आनंद आया और वह दो तीन बार जोर से हंसी भी. मैं डींग हांकता-सा नहीं लगना चाहता लेकिन मुझमें लड़कियों को हँसा पाने की एक विशेष क्षमता थी.
“आकि-कुन से मैंने सुना था कि तुम्हारा अपनी हाईस्कूल की गर्लफ़्रेंड के साथ अभी हाल ही में ब्रेकअप हुआ है?” एरिका ने मुझसे पूछा
“हाँ,” मैंने जवाब दिया. “हम लगभग तीन साल तक साथ रहे थे लेकिन दुर्भाग्यवश हमारा सम्बंध सफल नहीं रहा”
“आकि-कुन ने बताया था कि उसके साथ सेक्स के कारण बात नहीं बन सकी. वह असल में- मैं इसे कैसे कहूँ- तुम्हें वह सब नहीं दे सकी जो तुम चाहते थे.”
“यह भी उसका हिस्सा था. लेकिन एकमात्र कारण नहीं था. यदि मैं उसे वास्तव में प्यार करता होता तो, मैं सोचता हूँ, मैं अधिक धैर्यवान रहा होता. मेरा मतलब है, यदि मैं इस बात के प्रति निश्चित होता कि मैं उससे प्यार करता हूँ. लेकिन ऐसा नहीं था.”
एरिका ने सिर हिलाया
“यदि हम और समय तक साथ चलते तो भी चीज़ें इसी तरह समाप्त होती,” मैंने कहा. “मैं सोचता हूँ, ऐसा होना ही था.”
“क्या यह तुम्हारे लिए कठिन है?” उसने पूछा.
“कैसा कठिन?”
“साथ-साथ रहने के बाद यूँ एकाएक अकेले हो जाना.”
“कभी-कभी,” मैंने ईमानदारी से कहा.
हो सकता है इस तरह की बातों से गुज़रना कठिन होता हो, किन्तु जब तुम युवा हों तब एकाकीपन का अनुभव ज़रूरी होता है. बड़े होने की प्रक्रिया का एक हिस्सा.”
“तुम ऐसा सोचती हो?”
“जैसे कड़ाके की ठंड में बचे रह जाना किसी वृक्ष को कठोर बनाता है, बुद्धिमान छल्ले इसके भीतरी भाग को और गझिन बनाते हैं.”
मैंने अपने भीतर बढ़ते हुए छल्लों की कल्पना करने का प्रयत्न किया किंतु मैं बामकुचेन केक के बचे हुए टुकड़ों को ही अपने मन में चित्रित कर पाया, उसके भीतर वृक्ष जैसे छल्लों जैसा कुछ.
“मैं सहमत हूँ कि लोगों को अपने जीवन में इस तरह के समय की ज़रूरत होती है,” मैंने कहा. “यह और भी बेहतर हो यदि वे जानते हों कि यह सब एक दिन खत्म हो जाएगा.”
वह मुस्करायी. “चिंता मत करो, मैं जानती हूँ शीघ्र ही तुम किसी अच्छे साथी से मिलोगे.”
“मैं भी ऐसी आशा करता हूँ,” मैंने कहा.
एरिका किसी बात पर विचार करने लगी और मैं पीज़्ज़ा में व्यस्त हो गया.
“तानीमूरा-कुन, मैं किसी विषय पर तुम्हारी सलाह चाहती हूँ. क्या ठीक रहेगा?”
“बिलकुल,” मैंने कहा. यह एक और समस्या थी जिसका सामना मुझे अक्सर करना पड़ता था : जिन लोगों से मैं मिलता था वे किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर मेरी सलाह चाहते थे. और निश्चित था कि जो कुछ एरिका पूछना चाहती थी वह बहुत सुखकर नहीं होगा.”
“मैं विभ्रमित हूँ,” उसने कहना शुरू किया.
उसकी आँखें आगे पीछे गतिशील थी, उस बिल्ली की भाँति जो किसी चीज की तलाश में हो.
“मैं निश्चित हूँ कि तुम पहले से ही इस सम्बंध में जानते हो, किंतु फिर भी, आकी-कुन प्रवेश परीक्षा के सम्बंध में दूसरे वर्ष प्रयत्न कर रह है लेकिन वह शायद ही कुछ पढ़ता है. वह परीक्षा की तैयारी कराने वाले स्कूल से भी अक्सर ग़ायब रहता है. इसलिए मैं निश्चित हूँ कि वह अगले साल भी असफल होगा. यदि वह किसी कम स्तर के विद्यालय के लिए कोशिश करता तो उसका प्रवेश कहीं हो भी जाता लेकिन उसने अपना लक्ष्य वासोदा ही बना रखा है. वह मेरी बात नहीं सुनता, न ही अपने माता-पिता की. यह उसके लिए एक तरह की सनक बन चुका है लेकिन यदि वह वास्तव में ऐसा चाहता है, उसे पढ़ाई में और अधिक मेहनत करनी चाहिए ताकि वह वासेदा की परीक्षा में सफल हो सके. लेकिन वह ऐसा करता नहीं.”
“वह ठीक से अध्ययन क्यों नहीं करता?”
“वह सच में यह विश्वास करता है कि यदि भाग्य उसके साथ रहा तो वह प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर लेगा,” एरिका ने कहा. “वह सोचता है कि अध्ययन बस समय का अपव्यय है.” उसने गहरी साँस ली और आगे कहा, “ प्रारम्भिक विद्यालय में वह अकादमिक रूप से सदैव अपनी कक्षा में प्रथम रहता था. लेकिन जूनियर हाईस्कूल में जाने के बाद उसकी ग्रेड खराब होने लगीं. वह एक चमत्कारिक बालक जैसा था- बस उसका व्यक्तित्व रोज-रोज के अध्ययन के लिए उपयुक्त नहीं है. वह बस अपने लक्ष्य से भटक कर अपने आप में सनक भरी चीजें करता रहता है. मैं उसके एकदम विपरीत हूँ. मैं उतनी प्रतिभावान नहीं हूँ लेकिन मैं कमर कस लेती हूँ और काम हो जाता है.”
मैंने स्वयं बहुत अधिक श्रम नहीं किया था और पहले प्रयत्न में ही कालेज में प्रवेश मिल गया था. हो सकता है भाग्य मेरे पक्ष में रहा हो.
“मैं आकी-कुन को बहुत पसंद करती हूँ,” उसने कहना जारी रखा.“ उसमें बहुत सारे आश्चर्यजनक गुण हैं. लेकिन कई बार मेरा उसकी अतिवादी सोच के साथ चल पाना मुश्किल हो जाता है. कंसाई बोली वाली बात को ही ले लो. कोई व्यक्ति जो टोक्यो में पैदा हुआ हो क्यों कंसाई बोली सीखने और हर समय उसे बोलने का कष्ट उठाएगा? मेरी समझ में नहीं आता, मुझे वास्तव में समझ में नहीं आता. पहले पहल मैंने इसे एक मज़ाक़ समझा था, लेकिन ऐसा नहीं था. वह सचमुच गम्भीर है.”
“मैं सोचता हूँ कि वह एक अलग तरह का व्यक्तित्व चाहता है, उस व्यक्ति से कुछ अलग होना जो वह अब तक रहा है,” मैंने कहा.
“क्या मात्र इसीलिए वह कंसाई बोली बोलता है?”
“मैं इस बात से तुमसे सहमत हूँ कि यह किसी बात से निपटने का एकदम अलग ही तरीक़ा है.”
एरिका ने पिज़्ज़ा का एक स्लाइस उठाया और उसमें से बड़े डाक टिकट के आकार का एक टुकड़ा काटा. उसने बोलने से पूर्व उसे विचारपूर्ण तरीक़े से चबाया.
“तानिमुरा-कुन, मैं यह इसलिए पूछ रही हूँ क्योंकि और कोई नहीं है जिससे मैं यह पूछ सकूँ. आशा है तुम अन्यथा नहीं लोगे.”
“निश्चित रूप से,” मैंने कहा. मैं और क्या कह सकता था.
“सामान्यतः,” उसने कहा “जब एक लड़का और एक लड़की लम्बे समय के लिए साथ रहते हैं और एक दूसरे को वास्तव में अच्छी तरह जान जाते हैं, लड़के की लड़की में शारीरिक रुचि रहती है, ठीक?”
“सामान्यतः, मैं कहूँगा, हाँ.”
“यदि वे चुम्बन लेते हैं, तो वह आगे बढ़ना चाहेगा?”
“सामान्यता: निश्चय ही.”
“तुम भी इसी तरह सोचते हो?”
“निश्चित रूप से,” मैंने कहा.
“लेकिन आकी-कुन ऐसा नहीं सोचता. जब हम अकेले होते थे, वह आगे नहीं बढ़ना चाहता था.”
मुझे सही शब्दों के चुनाव में थोड़ा समय लगा. “यह एक निजी बात है,” अंततः मैंने कहा. “लोग जो चाहते हैं, उसे प्राप्त करने के उनके तरीक़े भिन्न होते हैं. कितारू तुम्हें बहुत चाहता है, इस बात में कोई संदेह नहीं. लेकिन तुम दोनों का सम्बंध इतना प्रगाढ़ और सुविधाजनक है कि हो सकता है उसके लिए चीजों को उस तरह नए स्तर पर ले जाना सम्भव न हो जैसा कि अधिकांश लोग करते हैं.”
“तुम वास्तव में ऐसा सोचते हो?”
मैंने अपना सिर हिलाया. “सच कहूँ तो मैं इसे वास्तव में नहीं समझ पाया हूँ. मैंने स्वयं कभी ऐसा अनुभव नहीं किया है. मैं बस यह कह रहा हूँ कि वह एक संभाव्यता हो सकती थी.”
“कई बार यह महसूस होता है कि उसमें मेरे प्रति कोई यौवनेच्छा नहीं है.”
“मैं निश्चित हूँ कि उसमें ऐसी इच्छा है. लेकिन हो सकता है कि इसकी स्वीकारोक्ति से उसे शर्म आती हो.”
“लेकिन हम बीस साल के हैं, वयस्क हो चुके हैं. शर्मिंदा होने के हिसाब से काफ़ी बड़े.”
“कुछ लोग औरों की तुलना में शीघ्र परिपक्व हो जाते हैं,” मैंने कहा.
एरिका ने इस बारे में सोचा. वह उस तरह की लगी जो लोग समस्याओं का हमेशा सामने से मुक़ाबला करते हैं.
“मैं समझता हूँ कितारू ईमानदारी से किसी चीज की तलाश में है,” मैंने कहना जारी रखा. “अपने तरीक़े से, अपनी गति से. बस इतना है कि मैं नहीं जानता कि यह क्या चीज़ है, जो अभी वह समझ पाया है. इसी कारण वह कोई प्रगति नहीं कर सका है. यदि आप नहीं जानते कि आप क्या ढूँढ रहे हैं तो उस चीज को ढूँढ पाना आसान नहीं होता.”
एरिका ने सिर उठाया और सीधे मेरी आँखों में देखा. मोमबत्ती की लौ उसकी गहरी काली आँखों में प्रतिबिम्बित थी, एक छोटे चमकीले प्रकाश-बिंदु की भाँति. यह इतना सुंदर दृश्य था कि मुझे दूसरी ओर देखना पड़ गया.
“निश्चय ही, तुम उसे मुझसे बेहतर जानती हो,” मैंने दृढ़ता से कहा.
उसने पुनः लम्बी साँस ली.
“वास्तव में आकी-कुन के अतिरिक्त मैं एक और व्यक्ति से मिल रही हूँ,” उसने कहा. “मेरे टेनिस क्लब का एक लड़का जो मुझसे एक वर्ष सीनियर है.”
अब मौन रह जाने की मेरी बारी थी.
“मैं सच में आकी-कुन से प्रेम करती हूँ और मैं नहीं समझती कि मैं उसी तरह से किसी और व्यक्ति के सम्बंध में महसूस कर पाऊँगी. जब भी मैं उससे दूर रहती हूँ मैं अपने सीने में यह कष्टदायक पीड़ा महसूस करती हूँ, हमेशा एक-ही जगह. यह सच है. मेरे हृदय में एक स्थान मात्र उसी के लिए सुरक्षित है. लेकिन ठीक उसी समय मेरे मन में किसी और चीज को जाँचने की तीव्र उत्कंठा भी होती है, तमाम तरह के लोगों के सम्पर्क में आने की उत्कंठा. चाहो तो इसे जिज्ञासा कह लो, और अधिक जानने की तृष्णा. यह एक स्वाभाविक भावना है और मैं इसे दबा नहीं सकती, चाहे मैं जितनी भी कोशिश करूँ.”
मेरी आँखों के समक्ष किसी गमले में लगे पौधे के गमले में न समा पाने का दृश्य चित्रित हो गया.
“जब मैंने कहा कि मैं संभ्रमित हूँ, तो मेरा यही मतलब था,” एरिका ने कहा.
“फिर तुम्हें कितारू को बता देना चाहिए कि ठीक-ठीक तुम क्या महसूस करती हो,” मैंने कहा. “यदि तुम उससे छिपाती हो कि तुम किसी और से मिल रही हो और यह बात उसे किसी तरह पता चल जाती है तो उसे चोट पहुँचेगी. जो कि तुम नहीं चाहती.”
“लेकिन क्या वह इसे स्वीकार कर सकता है? कि मैं किसी और के साथ बाहर जाती हूँ?”
“मैं कल्पना करता हूँ कि वह समझ जाएगा कि तुम कैसा अनुभव करती हो,” मैंने कहा.
“तुम ऐसा सोचते हो?”
“हाँ, मैं ऐसा ही सोचता हूँ,” मैंने कहा.
मैंने अनुमान लगाया कि कितारू उसका सम्भ्रम समझ जाएगा क्योंकि वह भी उसी तरह से सोच रहा था. इस अर्थ में वे दोनों एक ही धरातल पर थे. फिर भी मैं पूर्णतः आश्वस्त नहीं था कि जो वह वास्तव में कर रही थी (अथवा कर रही हो सकती थी) उसे वह शांति से स्वीकार कर लेगा. वह मुझे उतना मज़बूत व्यक्ति नहीं लगता था. लेकिन यह उसके लिए और भी कठिन होगा यदि वह इसे गुप्त रखती है अथवा उससे झूठ बोलती है.
एरिका एसी-की हवा में लहराती मोमबत्ती की लौ को निहारती रही. “मुझे कभी-कभी यही स्वप्न आता है,” उसने कहा. “आकी-कुन और मैं एक जलयान में हैं. एक बड़े जलयान में लम्बी यात्रा पर. हम दोनों एक छोटे केबिन में साथ-साथ हैं, रात्रि के पिछले पहर, और एक छिद्र से हम पूर्ण चंद्र को देख सकते हैं. किंतु वह चाँद शुद्ध, पारदर्शी बर्फ़ का बना हुआ है. और उसका निचला आधा भाग समुद्र में डूबा हुआ है. ‘वह चाँद जैसा दिख रहा है,’ आकी-कुन मुझ से कहता है, ‘लेकिन यह वास्तव में बर्फ़ का बना हुआ है और मात्र आठ इंच के लगभग मोटा है. इसलिए जब सुबह सूर्योदय होता है, यह सब पिघल जाता है. तुम्हें इसे समय जब तुम्हारे पास अवसर है जी भर कर देख लेना चाहिए.’ मैंने यह स्वप्न कई बार देखा है. यह एक सुंदर स्वप्न है. हर बार वही चाँद. सदैव आठ इंच मोटा. मैं आकी-कुन के सहारे खड़ी हूँ, बस हम दोनों हैं, बाहर लहरें धीमे-धीमे थपकियाँ दे रही हैं. किंतु हर बार जब मैं जागती हूँ, मैं बुरी तरह दुःखी महसूस करती हूँ.”
एरिका कुरितानी थोड़े समय के लिए मौन रही. फिर उसने पुनः कहा. “मैं सोचती हूँ यह कितना शानदार होता यदि मैं और आकी-कुन उस यात्रा पर सदैव-सदैव चलते रहते. हर रात्रि हम पास खड़े हुए छिद्र से बर्फ़ से बना चाँद देखते. सुबह आते ही चाँद पिघल जाता और रात को पुनः प्रगट हो. लेकिन संभवतः ऐसा नहीं है. हो सकता है किसी एक रात चाँद वहाँ नहीं हो. यह सोचना मुझे डरा देता है. मैं इतनी डर जाती हूँ कि मैं अपनी देह को वास्तव में संकुचित होता महसूस करती हूँ.”
६.
जब मैं अगले दिन कितारू से काफ़ीशॉप पर मिला, उसने पूछा कि हमारी मुलाक़ात कैसी रही.
“तुमने उसका चुम्बन लिया?”
“बिलकुल नहीं,” मैंने कहा.
“चिंता मत करो – यदि तुमने लिया भी होगा तो मैं नाराज़ नहीं होने जा रहा.”
“मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया.”
“क्या उसका हाथ भी नहीं पकड़ा?”
“नहीं, मैंने उसका हाथ भी नहीं पकड़ा था.”
“तो फिर तुमने क्या किया?”
“हमने एक फ़िल्म देखी, टहलते रहे, साथ में डिनर किया और बातें की,” मैंने कहा.
“बस?”
“सामान्यतः आप पहली मुलाक़ात में बहुत तेज नहीं चलते.”
“क्या वास्तव में?” कितारू ने कहा. “मैं कभी किसी के साथ डेट पर बाहर नहीं गया, इसलिए मैं नहीं जानता.”
“लेकिन मुझे उसके साथ रहने में आनंद आया. यदि वह मेरी गर्लफ़्रेंड होती, मैं उसे कभी अपनी आँखों से ओझल न होने देता.”
कितारू ने इस पर विचार किया. वह कुछ कहने वाला था फिर उसने ऐसा न करने का निर्णय लिया. “तो तुम लोगों ने क्या खाया?” उसने अंततः पूछा.
मैंने उसे पिज़्ज़ा और चियांती के बारे में बताया.
“पिज़्ज़ा और चियान्ती?” वह आश्चर्यचकित लग रहा था. “मुझे नहीं पता उसे पिज़्ज़ा पसंद है. हम केवल नूडल शॉप्स और सस्ते डिनर और वाइन वाली जगहों पर गए हैं. मैं यह भी नहीं जानता था कि वह पी सकती थी.”
कितारू ने स्वयं कभी शराब नहीं छूई थी.
“बहुत सारी चीज़ें हैं जो तुम उसके बारे में नहीं जानते हो,” मैंने कहा.
मैंने अपनी डेट के बारे में इन सभी सवालों का जवाब दिया. वूडी एलेन की फ़िल्म के बारे में (उसके आग्रह पर मैंने पूरे कथानक की समीक्षा की), भोजन के बारे में (कितना बिल आया और उसे हमने आपस में बाँटा अथवा नहीं), वह क्या पहने हुए थी ( श्वेत सूती परिधान, बाल बंधे हुए), किस तरह की अंदरवियर वह पहने थी (यह मैं कैसे जान सकता था), हमने किन चीजों के बारे में बातें की. मैंने उसके एक अन्य लड़के के साथ बाहर जाने के बारे में कुछ नहीं कहा. न ही मैंने उसके बर्फीले चाँद के स्वप्न का कोई उल्लेख किया.
“क्या तुम लोगों ने निर्णय लिया कि कब फिर तुम लोग डेट पर जाओगे?”
“नहीं, हमने ऐसा नहीं किया,” मैंने कहा.
“क्यों? वह तुम्हें पसंद थी, क्या नहीं?”
“वह शानदार है. लेकिन इस तरह से नहीं चल सकता. मेरा मतलब है- वह तुम्हारी गर्लफ़्रेंड है, ठीक है न. तुमने कहा कि उसका चुम्बन लेने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन किसी तरह मैं ऐसा नहीं कर सकता.”
कितारु ने और पूछताछ की. “क्या तुम्हें यह पता है?” अंततः उसने कहा. “मैं जूनियर हाईस्कूल में था तब से मैं एक थिरेपिस्ट के यहाँ जाता रहा हूँ. मैं स्कूल में जो चीज़ें करता था उस कारण मेरे माता-पिता और शिक्षकों, सब ने वहाँ जाने के लिए कहा था. तुम समझे- सामान्य चीज़ें नहीं. जहाँ तक मेरा विचार है, लेकिन थिरेपिस्ट के यहाँ जाने का कोई फ़ायदा नहीं हुआ. यह सिद्धांतत: बहुत ठीक दिखता है लेकिन थिरेपिस्ट का कोई लाभ नहीं. वे तुम्हारी ओर ऐसे देखेंगे मानो वे जानते हों कि क्या चल रहा है, फिर तुम्हें लगातार बात करने को कहेंगे और बस सुनते रहेंगे. भाई, मैं ऐसा कर सकता था.”
“तुम अभी भी थिरेपिस्ट के यहाँ जा रहे हो?”
“हाँ, महीने में दो बार. पैसा फेंकने, यदि तुम पूछो तो. एरिका ने तुम्हें इस सम्बंध में नहीं बताया?”
मैंने सिर हिलाया.
“सच कहूँ तो मैं नहीं जानता कि मेरे सोचने के तरीक़े में क्या विचित्र है. मुझे ऐसा लगता है कि मैं सामान्य ढंग से सामान्य चीज़ें कर रहा हूँ. लेकिन लोग कहते हैं कि लगभग सभी चीज़ें जो मैं करता हूँ, विचित्र होती हैं.”
“वैसे तुम्हारे बारे में कुछ चीज़ें हैं जो निश्चित रूप से सामान्य नहीं हैं,” मैंने कहा.
“जैसे क्या?”
“जैसे तुम्हारी कंसाई बोली.”
“तुम ठीक हो सकते हो,” कितारू ने स्वीकार किया. “ वह निश्चय ही सामान्य से थोड़ा अलग है.”
“सामान्य लोग बात को उतनी दूर तक नहीं ले जाएँगे.”
“हाँ, संभवतः तुम ठीक कह रहे हो.”
“लेकिन जहाँ तक मैं कह सकता हूँ, जो तुम करते हो वह सामान्य नहीं भी है तो किसी के लिए परेशानी नहीं उत्पन्न कर रहा.”
“अभी तो नहीं.”
“तो फिर उसमें क्या ग़लत है?” मैंने कहा. तब मैं थोड़ा परेशान हो रहा सकता था (किस बात पर या किस व्यक्ति पर मैं कह नहीं सकता था). मैं अपने स्वर को अंशतः कर्कश होते महसूस कर सकता था. “यदि तुम किसी को परेशान नहीं कर रहे तो क्या फिर हुआ? तुम कंसाई बोली बोलना चाहते हो तो तुम्हें बोलना चाहिए. करो ऐसा. तुम प्रवेश परीक्षा के लिए नहीं पढ़ना चाहते? तो मत पढ़ो. क्या तुम अपने हाथ एरिका कुरितानी की पैंटीस में घुसेड़े हुए नहीं महसूस करते? कौन कहता है कि तुम ऐसा करो? यह तुम्हारा जीवन है. तुम्हें वह करना चाहिए जो तुम चाहो और दूसरे लोग क्या सोचते हैं भूल जाओ.”
कितारु ने मेरी ओर आश्चर्य से देखा, उसका मुँह थोड़ा खुला हुआ था. “तुम एक बात जानते हो, तानीमूरा? तुम एक अच्छे आदमी हो. यद्यपि कभी-कभी उतने साधारण कि जितना नहीं होना चाहिए, समझे?”
“तुम क्या करने जा रहे हो?” मैंने कहा. “तुम अपना व्यक्तित्व नहीं परिवर्तित कर सकते.”
“एकदम सही. तुम अपना व्यक्तित्व नहीं परिवर्तित कर सकते. यही तो कहने का भी मैं प्रयत्न कर रहा हूँ.”
लेकिन एरिका एक शानदार लड़की है,” मैंने कहा. “वह निश्चित रूप से तुम्हारी चिंता करती है. तुम जो भी करो, उसे जाने मत देना. तुम्हें ऐसी शानदार लड़की फिर नहीं मिलेगी.”
“मैं जानता हूँ, तुम्हें कहने की ज़रूरत नहीं है,” कितारू ने कहा. लेकिन केवल जानने से काम नहीं चलने वाला.”
लगभग दो सप्ताह बाद, कितारू ने काफ़ीशॉप में काम छोड़ दिया. मैंने छोड़ना कहा है लेकिन उसने बस आना बंद कर दिया. उसने सम्पर्क नहीं किया, उसने छुट्टी पर जाने का ज़िक्र नहीं किया. यह हमारा सबसे व्यस्त समय था अतः मालिक भी काफ़ी नाराज़ हुआ. कितारू का एक सप्ताह का वेतन बाक़ी था लेकिन वह उसे लेने भी नहीं आया. वह बस ग़ायब हो गया. मैं कहूँगा कि इससे मुझे कष्ट हुआ. मैं सोचता था कि हम अच्छे मित्र थे और इस प्रकार पूर्णतः सम्पर्क कट जाना कठिन था. मेरा टोक्यो में कोई और मित्र नहीं था.
अपने ग़ायब होने के पूर्व के अंतिम दो दिन कितारू असामान्य रूप से शांत था. जब मैं उससे बात करता वह अधिक कुछ न कहता. और फिर वह चला गया, ग़ायब हो गया. मैं एरिका कुरितानी को उसका अतापता जानने के लिए फ़ोन कर सकता था लेकिन जो भी रहा हो, मैं ऐसा न कर सका. मैंने सोचा कि जो उन दोनों के बीच चल रहा था उनका मामला था, और मेरे लिए इसमें और अधिक रुचि लेना उचित नहीं था. मुझे किसी तरह अपने उसी छोटे से संकुचित संसार में रहना था.
इस सब के घटित होने के पश्चात, किसी कारणवश मैं अपनी पुरानी गर्लफ़्रेंड के बारे में सोचता रहा. संभवतः मैंने कितारू और एरिका को साथ देख कर कुछ महसूस किया था. मैंने उसे अपने पूर्व के व्यवहार के सम्बंध में क्षमा माँगते हुए एक लम्बा पत्र लिखा. मैं उसके प्रति काफ़ी कुछ नरम हो सकता था. लेकिन मुझे कभी कोई उत्तर नहीं प्राप्त हुआ.
७.
मैंने एरिका कुरितानी को तत्काल पहचान लिया. मैंने उसे बस दो बार देखा था, वह भी सोलह साल पूर्व. लेकिन उसे पहचानने में कोई गलती नहीं हुई. वह अब भी प्यारी थी, उन्हीं जीवंत भावों के साथ. वह काले मख़मल का परिधान धारण किए थी, काली ऊँची एड़ी की सैण्डल के साथ और उसकी पतली लम्बी गर्दन में मोतियों की दो लड़ियाँ थी. उसने भी मुझे तत्काल स्मरण कर लिया. हम अकासाका में एक होटल में वाइन टेस्टिंग पार्टी में थे. यह केवल नेकटाई वाला अवसर था और मैं उस अवसर पर गहरे रंग का सूट और टाई पहने हुए था. वह उस विज्ञापन फ़र्म की प्रतिनिधि थी जो इस इवेंट को प्रायोजित कर रही थी, और वह इस को ठीक से सम्पन्न कराने के लिए शानदार काम कर रही थी. उन कारणों में जाने में लम्बा समय लगेगा कि मैं वहाँ क्यों था.
“तानीमुरा-कुन तुमने उस रात के बाद जब हम बाहर गए थे, फिर कभी मुझसे सम्पर्क क्यों नहीं किया?” उसने पूछा. “मैं आशा कर रही थी कि हम कुछ और बात कर सकते थे.”
“तुम मेरे लिए कुछ अधिक ही खूबसूरत थी,” मैंने कहा.
वह मुस्करायी. “यह सुन कर अच्छा लगा, तब भी जब तुम बस मुझे मक्खन लगा रहे हो.”
लेकिन मैंने जो कहा था वह न झूठ था न चापलूसी. वह मेरे लिए उसमें रुचि लेने के हिसाब से कुछ अधिक ही मनमोहक थी. तब भी और आज भी.
“मैंने उस काफ़ीशॉप में फ़ोन किया था जहाँ तुम काम किया करते थे लेकिन उन्होंने बताया कि अब तुम वहाँ काम नहीं करते,” उसने कहा.
कितारू के जाने के पश्चात वह काम बोरियत भरा हो गया था और मैंने दो सप्ताह बाद ही उसे छोड़ दिया था.
एरिका और मैंने संक्षेप में पिछले सोलह साल में अपने बिताए जीवन के सम्बंध में बात की. कालेज के पश्चात मुझे एक छोटे प्रकाशक द्वारा नौकरी दे दी गयी लेकिन उसे मैंने तीन वर्षों बाद छोड़ दिया और तब से मैं एक लेखक था. सत्ताईस की उम्र में मेरा विवाह हुआ लेकिन अभी कोई बच्चे नहीं थे. एरिका अब भी अविवाहित थी. “वे मुझे इतना अधिक काम में लगाए रखते हैं,” उसने मज़ाक़ किया, “कि मेरे पास विवाह के लिए कोई समय ही नहीं है.” कितारू के मुद्दे पर एरिका ने ही पहल की.
“आकी-कुन इस समय डेनवर में सुशी शेफ़ के रूप में काम कर रहा है,” उसने कहा.
“डेनवर?”
“डेनवर, कोलोराडो. कम से कम उस पोस्टकार्ड के हिसाब से जो उसने कुछ दो महीने पहले भेजा था.”
“डेनवर क्यों?”
“मैं नहीं जानती,” एरिका ने कहा. “उसके पहले का पोस्टकार्ड सीएटल से था. वहाँ भी वह सूशी शेफ़ था. यह एक वर्ष पहले की बात है. वह मुझे बीच-बीच में पोस्टकार्ड भेजता रहता है. हमेशा ही बकवास कार्ड, जिनमें बीच में एक दो लाइनें लिखी होती हैं. कभी-कभी वह अपना पता भी नहीं लिखता.”
“एक सूशी शेफ़,” मैं मुस्कराया. तो वह कभी कालेज नहीं गया?”
उसने अपना सिर हिलाया. “मैं समझती हूँ, उन गर्मियों के अंत में उसने एकाएक घोषणा की कि प्रवेश परीक्षा के लिए पढ़ाई बहुत हो गयी और वह ओसाका में एक कुकिंग स्कूल में चला गया. उसने कहा कि वह वास्तव में कंसाई व्यंजनों के बारे में सीखना चाहता था और कोशिन स्टेडियम, हैनसिन स्टेडियम में होने वाले खेलों में जाना चाहता था. मैंने ज़रूर उससे पूछा था, ‘तुम बिना मुझसे पूछे कैसे कोई इतनी महत्वपूर्ण बात के सम्बंध में निर्णय ले सकते हो? मेरे बारे में क्या सोचा?’”
“और इस पर उसने क्या कहा?”
उसने कोई उत्तर नहीं दिया. उसने बस अपने होंठ भींचे रखे, मानो यदि वह कुछ बोलने की कोशिश करेगी तो उसके आंसू फूट पड़ेंगे. मैंने तीव्रता से विषय बदल दिया.
“जब हम शिबूया में उस इटैलियन रेस्तराँ में गए थे, मुझे याद है कि चियांती सस्ती थी. अब हमें देखो, प्रीमियम नापा वाईन्स का परीक्षण कर रहे हैं. एक तरह से भाग्य का विचित्र चक्र.”
“मुझे स्मरण है,” उसने स्वयं को व्यवस्थित करते हुए कहा. “हमने वूडी एलेन की एक फ़िल्म भी देखी थी. वह कौन सी थी?”
मैंने उसे बताया.
“वह एक शानदार फ़िल्म थी.”
“मैंने सहमति जताई. वह वास्तव में वूडी एलेन की श्रेष्ठ फ़िल्मों में एक थी.
“क्या तुम्हारे टेनिस क्लब वाले मित्र से जिससे तुम मिलती थी, बात आगे बढ़ी?” मैंने पूछा.
उसने सिर हिलाया. “हम में वैसी समझ नहीं बन पायी जैसा मैंने सोचा था. हम छह महीने साथ रहे फिर अलग हो गए.”
“क्या मैं एक प्रश्न पूछ सकता हूँ?” मैंने कहा. “यद्यपि यह बहुत निजी सवाल है.”
“निश्चय ही.”
“मैं तुम्हें चोट पहुँचाना नहीं चाहता.”
“जो बेहतर हो सका मैं वह करूँगी.”
“तुम उस लड़के के साथ सोई थी, ठीक?”
एरिका ने मेरी ओर आश्चर्य से देखा, उसके गाल लाल हो रहे थे.
“तुम अब यह बात क्यों उठा रहे हो?”
“अच्छा सवाल है,” मैंने कहा. यह बात लम्बे समय से मेरे मस्तिष्क में थी बस. लेकिन पूछने के लिए यह एक विचित्र प्रश्न था. मुझे खेद है.”
एरिका ने हल्के से सिर हिलाया. “नहीं, कोई बात नहीं. मुझे बुरा नहीं लगा. बस मैं इसकी अपेक्षा नहीं कर रही थी. यह सब कितने समय पहले की बात है.”
मैंने कमरे में चारों ओर देखा. औपचारिक कपड़ों में लोग इधर-उधर फैले हुए थे. वाइन की महँगी बोतलों से कार्क खुल रहीं थी. एक महिला पियानो पर बजा रही थी “Like Someone in Love.”
“उत्तर हाँ है,” एरिका ने कहा. मैंने उसके साथ कई बार यौन सम्बंध बनाया.”
“जिज्ञासा, और-और अधिक जानने की तृष्णा,” मैंने कहा.
उसके चेहरे पर मुस्कान के चिन्ह उभरे. “बिलकुल ठीक. जिज्ञासा, और-और जानने की तृष्णा.”
“इसी तरह हमारी प्रगति की परतें विकसित होती हैं.”
हाँ, ऐसा कह सकते हो.”
“और मेरा अनुमान है कि पहली बार तुम उसके साथ हमारे शिबूया में मिलने के थोड़े समय बाद ही सोई?”
उसने अपनी मानसिक अभिलेख पुस्तिका का एक पन्ना पलटा. “शायद तभी. उसके एक सप्ताह बाद. मुझे वह सब बहुत अच्छे से स्मरण है. वह मेरे लिए पहली बार था.”
“और कितारू पर इसका बहुत तीव्र प्रभाव पड़ा,” मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा.
वह नीचे देखती हुई अपनी माला के मोतियों को अपनी उँगलियों में एक-एक कर घुमाने लगी, मानो यह सुनिश्चित कर लेना चाहती हो कि वे अभी भी पूर्णतः वहीं थे. उसने छोटी सी आह भरी, सम्भवतः कुछ याद करते हुए. “हाँ, तुम इस बारे में ठीक कह रहे हो. आकी-कुन में अंतः प्रज्ञा की शक्ति अत्यंत तीव्र थी.”
“लेकिन यह दूसरे व्यक्ति के साथ भी नहीं चल पाया.”
उसने स्वीकार में सिर हिलाया. “दुर्भाग्य से मैं उतनी स्मार्ट नहीं हूँ. मुझे लम्बा रास्ता लेने की आवश्यकता थी. मैं हमेशा घुमावदार रास्ता चुनती हूँ.”
“ऐसा ही हम सब करते हैं: अंतहीन तरीक़े से लम्बा रास्ता लेते हुए. मैं उससे कहना चाहता था लेकिन मौन रहा. इस तरह की कहावतें सुनाना मेरी एक और समस्या थी.
“क्या कितारू ने शादी कर ली है?”
“जहाँ तक मैं जानती हूँ, वह अभी अविवाहित है,” एरिका ने कहा. कम से कम उसने मुझे नहीं बताया है कि उसने विवाह कर लिया है. हो सकता है हम दोनों उस तरह के हों जो कभी विवाह का नहीं सोचते.”
“अथवा तुम बस वहाँ तक पहुँचने का घुमावदार रास्ता ले रही हो.”
“शायद.”
“क्या तुम अब भी बर्फ़ से बने चाँद का स्वप्न देखती हो?” मैंने पूछा.
उसका सिर ऊपर उठा और उसने मेरी ओर देखा. बहुत शांति के साथ, धीरे-धीरे उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट फैल गयी. एक पूर्णतः स्वाभाविक और खुली मुस्कान.
“तुम्हें मेरा स्वप्न स्मरण है?” उसने पूछा.
“कुछ कारणों से, मुझे याद है.”
“तब भी जबकि यह किसी और का स्वप्न था?”
“सपने उस तरह की चीज़ें हैं जिन्हें आप उधार ले और दे सकते हैं,” मैंने कहा.
“यह एक आश्चर्यजनक विचार है,” उसने कहा.
मेरे पीछे से किसी ने उसका नाम पुकारा. यह उसके काम पर लग जाने का समय था.
“अब मुझे वह स्वप्न नहीं आता,” उसने जाते हुए कहा. “लेकिन मुझे अब भी एक-एक विवरण स्मरण है. मैंने क्या देखा था, क्या महसूस किया था. मैं उसे नहीं भुला सकती. मैं संभवतः कभी नहीं भुला पाऊँगी.”
जब भी मैं ड्राइव कर रहा होता हूँ और बीटल्स का गीत ‘Yesterday’ रेडियो पर बजता है, मैं वे सनक भरे शब्द सुने बिना नहीं रह पाता जो कितारू अपने बाथरूम में गुनगुनाया करता था. और मैं उन्हें लिख न लेने पर अफ़सोस करता हूँ. वे शब्द इतने विचित्र थे कि वे मुझे कुछ समय तक याद रहे, किंतु धीरे-धीरे मेरी स्मृतियों में धुंधले पड़ते गए, अंततः मैंने उन्हें लगभग भुला सा दिया. अब जो मुझे याद आता है वह बस उसके टुकड़े मात्र हैं और मुझे यह भी निश्चय नहीं है कि वास्तव में कितारू यही गाया करता था. जैसे-जैसे समय बीतता है, स्मृति स्वयं को निश्चय ही पुनर्व्यवस्थित करती है.
जब मैं बीस के आसपास का था, मैंने कई बार डायरी लिखने का प्रयत्न किया था, लेकिन मैं ऐसा न कर सका. तब मेरे चारों ओर बहुत सारी चीज़ें घटित हो रहीं थी कि मैं उनके साथ मुश्किल से चल पा रहा था, इसे तो छोड़ ही दो कि स्थिर रहा जाए और उन सब को एक नोटबुक में लिख लिया जाए. और उनमें से अधिकांश चीज़ें ऐसी नहीं थी जो मुझे यह सोचने को प्रेरित करती कि इसे मुझे लिख लेना है. मैं बस यह कर सकता था कि तेज हवा में अपनी आँखें खोलता, गहरी साँस लेता और आगे बढ़ जाता.
लेकिन यह काफ़ी विचित्र है कि कितारू मुझे इतनी अच्छी तरह स्मरण है. हम मात्र कुछ महीनों के लिए मित्र थे फिर भी जितनी बार मैं ‘Yesterday’ गीत सुनता हूँ उसके साथ की बातें और दृश्य मेरे मस्तिष्क में उमड़ आते हैं. हम दोनों बात करते हुए जब वह देनेंकाफू में अपने घर के बाथटब में पड़ा होता. हैनसिन टाइगर्स के बैटिंग क्रम के सम्बंध में बात करते हुए, यौनसंबंधों के कुछ पक्ष कितनी परेशानी वाले हो सकते थे, प्रवेश परीक्षा के सम्बंध में पढ़ना कितना बोरियत भरा हो सकता था, और कंसाई बोली भावात्मक रूप से कितनी समृद्ध थी. और मैं एरिका कुरितानी के साथ बितायी विचित्र शाम को याद करता हूँ- इटैलियन रेस्तराँ में मोमबत्ती की रोशनी से प्रकाशित टेबुल पर- स्वीकारोक्ति करते हुए. ऐसा महसूस होता है जैसे यह सब बातें कल ही घटित हुई थी. संगीत में स्मृतियों को पुनर्जीवित करने की कितनी शक्ति होती है, कभी-कभी इतनी गहन कि इससे पीड़ा पहुँचती है.
किंतु जब मैं पीछे स्वयं को बीस की उम्र में देखता हूँ जो बात मैं सबसे अधिक स्मरण करता हूँ वह है अकेला और एकाकी होना. मेरी कोई गर्लफ़्रेंड नहीं थी जो मेरी देह और मेरी आत्मा को गर्म रखती, कोई मित्र नहीं था जिससे मैं मन की बात कह पाता. कोई संकेत नहीं कि मैं रोज़ क्या करूँगा, भविष्य के लिए कोई दृष्टि नहीं. मैं अपने आप में गहरे छिपा हुआ था. कभी-कभी मैं सप्ताह के सप्ताह किसी से बात किए बिना बिता दिया करता था. इस तरह का जीवन एक वर्ष तक जारी रहा. एक लम्बा एकाकी वर्ष. क्या यह अवधि एक ठंडी शीतऋतु थी जिसने मेरे भीतर विकास के मूल्यवान छल्ले निर्मित किए, मैं वास्तव में कह नहीं सकता. कई बार मैं महसूस करता मानो हर रात्रि मैं स्वयं भी जहाज के छिद्र से बर्फ़ से बने चाँद को निहार रहा हूँ. एक पारदर्शी, आठ इंच मोटा, जमा हुआ चाँद. लेकिन मैंने उस चाँद को अकेले ही देखा, किसी के साथ उसके शीतल सौंदर्य को बाँट सकने में असमर्थ.
‘बीता हुआ कल
आने वाले कल से दो दिन पूर्व
दो दिन पूर्व के बाद का दिन’
श्रीविलास सिंह ०५ फरवरी १९६२ (उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के गाँव गंगापुर में)दो कविता संग्रह “कविता के बहाने” और ” रोशनी के मुहाने तक” प्रकाशित.कहानी संग्रह “सन्नाटे का शोर” और अनूदित कहानियों का संग्रह ” आवाज़ों के आर-पार प्रकाशित. नोबेल पुरस्कार प्राप्त कवियों की कविताओं का हिंदी अनुवाद “शब्द शब्द आकाश ” शीघ्र प्रकाश्य sbsinghirs@gmail.com |
अच्छा अनुवाद किया है श्रीविलास जी ने। अमेरिकी मुहावरे मुराकामी की शक्ति समझे जाते हैं लेकिन अनुवाद में वे हर भाषा के लिए भारी समस्या बनते हैं। यौन मामलों में बेसबाल की शब्दावली अमेरिकी युवाओं में बहुत आम है। गर्दन के ऊपर फर्स्ट बेस, फिर कमर तक सेकंड बेस, वहां से नीचे थर्ड बेस और पूर्ण यौन संबंध के लिए होम रन। यहां थर्ड बेस के लिए ‘तीसरा आधार’ अटपटा लगा, सो मैंने इतना खींच दिया। शेष, एक अच्छी रचना तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद, भाई श्रीविलास सिंह, Arun Dev.
कहानी दो-तीन किश्तों में पढ़ी । बीच बीच में घर के काम, स्नान और कभी झपकी लेना । विदेशी पात्रों के नाम याद नहीं रहते । हिन्दुस्तान में मुसलमानों के भी नहीं । रेस्तराँ में वेटर की नौकरी करते और कंसाई भाषा [पता नहीं भाषा का नाम सही लिखा है] और एरिका को पुरानी दोस्ती याद है । किशोरावस्था में की गयी दोस्ती की यादें बनी रहती हैं । इसलिये भी दोनों अविवाहित हैं । अब भी निश्चित नहीं कि सही लिखा है ।
कहानी में रोचकता बनी रहती है । संकोच, चुम्बन, सेक्स, अंतर्वस्त्रों में हाल डालना मनुष्य की वृत्ति में है । लेकिन पुराने दोस्तों में कुछ कुछ बचा रहता है ।
मैं अक्सर अंग्रेज़ी लेखों या साक्षात्कारों का गूगल ट्रांसलेट से हिन्दी भाषा में अनुवाद करता हूँ । इस कहानी में लिखा है -यदि अनुवाद किया है तो पढ़ूँगा/पढूँगी’ उसने कहा । यहाँ आकर दूसरे वाक्य में घालमेल हो जाता है ।
मैंने इसका तोड़ निकाला है । बाद में लिखे उसने कहा को अनुवाद करते समय मैं पहले लिख देता हूँ ।
स्त्री पुरुष संबंध पर मुराकामी की अप्रतिम कहानी का अप्रतिम अनुवाद। स्त्री पुरुष संबंध की शायद ही कोई परत हो जो उघाड़ने से रह गई हो। बचपन से चले आते प्रेम संबंध के यौन संबंध में अंतरण की नायिका की कामना को नायक की व्यक्ति-सापेक्ष दृष्टि की सीमा से बाधित करनेवाली गुत्थियाँ इतने विस्तार और इतनी सूक्ष्मता से उद्घाटित करना बेजोड़ है।
कहानी के वाचक की लंबे अंतराल के बाद नायिका से दो मुलाकातें, नायिका की स्वीकारोक्तियां, उसके सौंदर्य की भूमिका और उससे उपजी उसकी प्रत्याशाएँ जिनसे वह स्वयं अनजान नहीं है। किंतु यौन संबंध स्थापित करने की जिज्ञासु उत्सुकतता के साथ तीसरे साथी की पहल नायिका के लिए काम्य होने से आगे बढ़कर भी कहीं पहुंच नहीं पाती। नायिका अतंत: करिअर की सफलता के बावजूद अधूरी है। और कहानी का नायक भी अपने असांसारिक, परंपराभंजक जीवन (टोक्यो में रहते हुए कंसारी भाषा से चिपके रहना जिसका प्रतीक है) से किसी मुकाम तक नहीं पहुंचता।
वाचक आवश्यक निर्लिप्तता के साथ नायिका और नायक के व्यक्तित्वगत भेदों को उभारने और उनके बावजूद दोनों में एक चिरायु तार के जुड़े होने के बेहद नाज़ुक पहलू को उतनी ही नज़ाकत से हैंडल करता है जितना नायक के yesterday गीत के प्रति अतिरिक्त आग्रह को। तीनों का चरित्र उतनी ही सूक्ष्मता से उभरकर आता है जितना यौन संबंध और बृहत्तर स्त्री पुरुष संबंध के बीच का पिघलता बर्फीला चांद।
बहुत अच्छी कहानी और उतना ही अच्छा आपका अनुवाद। मानवीय भावों और सामाजिक रिश्तों की जटिल संश्लिष्ट परतों को सहजता से खरामा-खरामा सामने लाती बढ़िया कहानी।
@कहानी पढ़ कर जो कमेंट लिखा था, उसे याद करता हूं, पूरा और हूबहू तो याद नहीं कर पा रहा हूं कुछ महत्वपूर्ण अंश ज़रूर छूट रहे हैं।
अनुवाद बहुत जानदार है।
मुराकामी के लेखन का मुख्यत: यही विषय रहता है,किशोर से युवा होते जीवन को , प्रौढ़ावस्था में वृद्ध होने से पूर्व स्मरण करना।
जहां कहीं वृद्धावस्था और अंतिम मृत्यु के विवरण हैं वे अद्वितीय हैं। किंतु उनके लक्ष्य पाठक युवा ही रहते हैं और वे विस्तार से उन दिनों कालेज की पढ़ाई और सेक्स और जॉब
का विशद वर्णन करते हैं। प्रतीकों में कौवा का प्रयोग एकाधिक रचनाओं में है। उनका कथाजगत बीटल्स के सन्1960-70 के गीत संगीत के गद्यात्मक विस्तार और अनकहे
संदेश सारी युवा मौज-मस्ती की व्यर्थता को दर्शाता है। किंतु वे मिथ्यावाद को प्रतिस्थापित नहीं करते । युवा जीवन में क़तई मंथरता और ठहराव नहीं दिखाते हैं सदैव एक बेचैनी बेकली भरे भोग को चित्रित करते रहते हैं। यह सब गुज़र जाता है, रोज़ एक पीछे छूटा हुआ कल बना रहता है। वे आज को बीते हुये कल में बदलने के रचयिता हैं, बीते हुये कल को याद करने के निर्मल वर्माजैसे धुंध के रचयिता नहीं ।
बीटल्स का गीत संगीत उनके लेखन में दर्शन बन कर उभरता है चाहे नार्वेजियन वुड हो, यस्टरडे हो , काफ्का हो। या और कुछ।
लेकिन वे दर्शन के लेखक नहीं हैं, पर्याप्त चतुर सावधान और पाठकीय रुचि बनाये रखने के प्रेक्टिकल गुणों से भरे हुये, वे कामुक दृश्यों को पिरोते रहते हैं। अद्भुत यह है कि इसके बावजूद वे घटियापन से बच निकलते हैं। ऐसे दृश्यों को पूरा करने के बाद वे तुरंत लाइफबॉय साबुन से हाथ धोते भी नज़र आते हैं। जापान की पृष्ठभूमि में इतना सब एक साथ कर लेने वाले की कृति का तीसरा( दूसरा जापानी से अंग्रेजी, तीसरा अंग्रेजी से हिन्दी ) रूप , रख कर अनुवाद करके उसकी गति लय ताल और मूड को पकड़ना आसान काम नहीं है।
श्री विलास सिंह ऐसा कर पाने में सफल रहते हैं,अत: वे हर तरह की प्रशंसा और बढ़ावा पाने के हकदार हैं। समालोचन उनको पहचानने और उचित स्थान देने के लिए बधाई का हकदार हैं। समालोचन यदि महत्वपूर्ण रचनाओं की टीका, व्याख्या और समीक्षात्मक टिप्पणियां भी प्रकाशित करें तो हिंदी के लिए शुभ होगा।