सविता सिंह: मेरी प्रिय कविताएँ
आज बसंत पंचमी है. धूप खिली है, जैसे बसंत का संदेश लेकर आयी हो. आज महत्वपूर्ण कवयित्री सविता सिंह का ...
आज बसंत पंचमी है. धूप खिली है, जैसे बसंत का संदेश लेकर आयी हो. आज महत्वपूर्ण कवयित्री सविता सिंह का ...
‘At the end of my sufferingthere was a door.’Louise Glück समकालीन कवियों पर आधारित स्तम्भ ‘मैं और मेरी कविताएँ’ के ...
आज प्रस्तुत है शमशेर बहादुर सिंह की हिंदी की ‘बड़ी’ प्रेम कविता ‘टूटी हुई, बिखरी हुई’ का स्त्रीवादी पाठ. सविता ...
विवरण जिनमें समकालीन मध्यवर्गीय जीवन अपना होना लिखता रहता है मसलन रोजाना के खर्चे की बेतरतीब सी घरेलू डायरी जिसमें ...
मेरा चेहरा किसी फूल-सा हो सकता थाखिली धूप में चमकता हुआ !वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह की कविताएँ भारतीय स्त्री की ...
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