पुरुषोत्तम अग्रवाल की आलोचना दृष्टि : आनंद पांडेय
आज जब पुरुषोत्तम अग्रवाल सत्तर वर्ष के हो चुके हैं, उन्हें याद करना अपने प्रिय शिक्षक, मित्र और मार्गदर्शक को ...
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अरुणेश नीरन पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे, पर यूँ चले जायेंगे ऐसा लगता नही था. जो उनको जानते हैं. ...
‘2024 : इस साल किताबें’ का यह तीसरा हिस्सा है. इसके पहले हिस्से में आपने महत्वपूर्ण रचनाकारों मृदुला गर्ग, हरीश ...
इस साल क्या रहा किताबों का हाल-चाल? क्यों ने सीधे प्रकाशकों से पूछा जाये. हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशकों की ...
समालोचन ‘असहमति की सौ कविताएँ’ के अपने विशेष अंक का यह पहला हिस्सा प्रस्तुत कर रहा है. इसमें सच, साहस ...
‘मज़ाक़’ कवि कुमार अम्बुज का दूसरा कहानी संग्रह है जिसे इसी साल ‘राजपाल एन्ड सन्ज़’ ने प्रकाशित किया है. 2008 ...
बीसवीं शताब्दी को प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हॉब्सबॉम ने अतियों का युग (The Age of Extremes) कहा है. 21वीं शताब्दी में ...
लेखन, प्रकाशन, संपादन, संस्था-निर्माण और बहुविध आयोजनों की परिकल्पना और संचालन में अशोक वाजपेयी पिछले छह दशकों से सक्रिय हैं. ...
भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने ३५ वर्ष की अल्प आयु में हिंदी और साहित्य के लिए जो कुछ किया है उसके आधार ...
नामवर सिंह, मैनेजर पाण्डेय को ‘आलोचकों का आलोचक’ कहते हैं. पर इसके साथ ही मैनेजर पाण्डेय के यहाँ समकालीन रचनाशीलता ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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