विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर लेखकों की प्रतिक्रियाएँ : मनोज मोहन
हिंदी साहित्य-संसार में अधिकतर पुरस्कार संदिग्ध और विवादास्पद हो जाते हैं. इन्हें लेखक के विचलन के रूप में भी देखा ...
हिंदी साहित्य-संसार में अधिकतर पुरस्कार संदिग्ध और विवादास्पद हो जाते हैं. इन्हें लेखक के विचलन के रूप में भी देखा ...
असमति के इस दूसरे अंक में विनोद दास, लीलाधर मंडलोई, नवल शुक्ल, सविता सिंह, पवन करण, प्रभात, केशव तिवारी, प्रभात ...
इसी वर्ष प्रकाशित वरिष्ठ कवि-लेखक विजय कुमार की पुस्तक ‘शहर जो खो गया’ पर आधारित लीलाधर मंडलोई का यह गद्य, ...
प्रसिद्ध कवि-लेखक लीलाधर मंडलोई का एक व्यक्तित्व कला-साधक का भी है, संगीत और रंगों में रमने वाला. इधर उनके चित्रों ...
कविताएँ प्रतीकों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें बदल भी देती हैं और उनके सामने प्रतिरोध में खड़ी भी हो जाती ...
वरिष्ठ कवि लीलाधर मंडलोई इधर आप्रवासी कविताओं पर कार्य कर रहें हैं. उन्होंने विश्व के कई कवियों का हिंदी में ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum