जोकर : सत्यदेव त्रिपाठी
टोड्ड फिलिप्स के निर्देशन में बनी अंग्रेजी फिल्म ‘जोकर’ के अभिनेता ‘जौक़िन फोयनिक्स’ (Joaquin Phoenix/ वाकीन फ़ीनिक्स) में आख़िर ऐसा क्या है कि वे आगामी ऑस्कर के प्रबल उम्मीदवार बताये जा...
टोड्ड फिलिप्स के निर्देशन में बनी अंग्रेजी फिल्म ‘जोकर’ के अभिनेता ‘जौक़िन फोयनिक्स’ (Joaquin Phoenix/ वाकीन फ़ीनिक्स) में आख़िर ऐसा क्या है कि वे आगामी ऑस्कर के प्रबल उम्मीदवार बताये जा...
अनुभव सिन्हा के निर्देशन में अभी हाल ही भी प्रदर्शित हिंदी फ़िल्म \'आर्टिकल 15\' सभी तरह के दर्शकों में खूब लोकप्रिय हो रही है. इस फ़िल्म को हिंदी के चर्चित...
शब्दों की अपनी स्वायत्त सत्ता है, ये दीगर सत्ता केन्द्रों के समक्ष अक्सर प्रतिपक्ष में रहते हैं. शब्दों ने बद्धमूल नैतिकता पर चोट की है उसे खोला है, धर्म की...
जागरण फिल्मोत्सव-2018 (मुम्बई) में सत्यदेव त्रिपाठी ने तीन दिनों में अठारह फिल्में देख डालीं. जिनमें से ‘डेविल’, ‘साधो’, ‘करीम मोहम्मद’,‘अश्वथामा’, ‘तर्पण’, ‘पंचलाइट’, ‘माई डीयर वाइफ’ ‘कुछ देर और’ ‘नाच भिखारी...
नंदिता दास की फ़िल्म मंटों पर आपने यादवेन्द्र का विचारोत्तेजक आलेख पढ़ा, आज प्रस्तुत है सत्यदेव त्रिपाठी की यह विवेचना जो इस फिल्म की मुकम्मल पड़ताल करती है. सत्यदेव त्रिपाठी हिंदी...
बहुत दिनों बाद ऐसी फ़िल्म प्रदर्शित हुई है जिसके प्रशंसकों में बुद्धिजीवी भी शामिल हैं. युद्ध, और त्याग-बलिदान पर आधारित फिल्मे ख़ासकर हिंदी फिल्में अपने इकहरे नरैटिव के कारण कभी...
मलिक मोहम्मद जायसी (१३९८-१४९४ ई.) की कृति पदमावत पर आलोचक रवि रंजन का आलेख– ‘साहित्य और पदमावत’ आपने समालोचन पर पढ़ा. अब फ़िल्म पदमावत पर प्रस्तुत है लेखक रंग-समीक्षक सत्यदेव त्रिपाठी का आलेख...
हिंदी सिनेमा के सदी के नायक अमिताभ बच्चन (जन्म-११ अक्टूबर, १९४२)आज ७५ साल के हो गए हैं. उनके चाहने वालों की संख्यां में कोई कमी नहीं आई है. उनका तिलिस्म...
जिन्होंने बाहुबली देख रखी थी उनमें से बहुत बाहुबली-२ देख कर निराश हुए पर जिस निर्मित और नियंत्रित उन्माद में इसे प्रस्तुत किया गया उसने आर्थिक रूप से इसे सफल...
पेशे से चिकित्सक विवेक मिश्र हिंदी के चर्चित कथाकार हैं. उनकी कहानी ‘थर्टी मिनिट्स’ को आधार बनाकर येसुदास बीसी ने ‘30 MINUTES’ फ़िल्म का निर्माण किया है जो अब सिनेमाघरों...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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