आलेख

गुलज़ार: चढ़े तो मुहब्बत, उतरे तो ख़ुशबू:  कौशलेन्द्र

गुलज़ार: चढ़े तो मुहब्बत, उतरे तो ख़ुशबू: कौशलेन्द्र

‘जय हो’ गीत के लिये ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त और दादा साहब फाल्के आदि सम्मानों से सम्मानित हिंदी, उर्दू और पंजाबी में लिखने वाले कवि सम्पूरण सिंह कालरा ‘गुलज़ार’ (१८ अगस्त...

उत्तराखण्ड में नवलेखन-2: बटरोही

उत्तराखण्ड में नवलेखन-2: बटरोही

वरिष्ठ लेखक बटरोही के लेखन में उत्तराखण्ड की संस्कृति और उसकी सामाजिक बुनावट की गहरी समझ मिलती है. नवलेखन की दूसरी कड़ी में अनिल कार्की और सुभाष तराण की चर्चा...

गुलेरी जी ने क्या कहा था? विमल कुमार

गुलेरी जी ने क्या कहा था? विमल कुमार

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी (7 जुलाई 1883 - 12 सितम्बर 1922) का आज स्मरण दिवस है. हिंदी साहित्य को आधुनिक और विवेक-सम्मत बनाने के जो नवजागरणकालीन सांस्कृतिक उद्यम हुए उनमें गुलेरी...

उत्तराखण्ड में नवलेखन:  बटरोही

उत्तराखण्ड में नवलेखन: बटरोही

वरिष्ठ कथाकार बटरोही उत्तराखण्ड की साहित्यिक-सांस्कृतिक संपदा को अपनी लेखनी का विषय बनाते रहें हैं. उनके लेखन में साहित्य, इतिहास, स्मृति, लोक और व्यक्तिगत संस्मरण घुलमिल कर आते हैं. इस...

प्रतिपक्ष का बुद्धिजीवी: राजाराम भादू

प्रतिपक्ष का बुद्धिजीवी: राजाराम भादू

राजेन्द्र यादव (28 अगस्त, 1929-28 अक्तूबर, 2013) ने ‘हंस’ मासिक पत्रिका का 1986 से 2013 तक संपादन किया. हिंदी साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में यह समय ‘हंस’ की केन्द्रीयता और...

जन के जीवन का कवि: पंकज चौधरी

जन के जीवन का कवि: पंकज चौधरी

नरेन्द्र पुंडरीक (15 जुलाई, 1953, बांदा) का छठा कविता संग्रह- ‘समय का अकेला चेहरा’ पिछले वर्ष लिटिल बर्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ. आलोचना, अनुवाद और संपादन में भी...

रेत-समाधि: हंगामा है यूँ बरपा: हरीश त्रिवेदी

रेत-समाधि: हंगामा है यूँ बरपा: हरीश त्रिवेदी

गीतांजलि श्री के उपन्यास- ‘रेत-समाधि’, उसके अनुवाद ‘Tomb of Sand’ और उसे मिले अंतर-राष्ट्रीय बुकर सम्मान को लेकर हिंदी के साथ-साथ भारतीय भाषाओं में भी गहमागहमी है. यह हिंदी के...

कवि सत्यार्थी:  प्रकाश मनु

कवि सत्यार्थी: प्रकाश मनु

‘लोकगीतों के यायावर’ देवेन्द्र सत्यार्थी (28 मई, 1908-12 फरवरी, 2003) संपादक, कथाकार, आदि के साथ-साथ कवि भी थे, उनके कवि पक्ष की विवेचना कर रहें हैं प्रकाश मनु.

तीज-त्योहार हिंदी साहित्य में कहाँ हैं ? अपूर्वानंद

तीज-त्योहार हिंदी साहित्य में कहाँ हैं ? अपूर्वानंद

होली हो, दीवाली हो या कृष्ण जन्माष्टमी आगरा के 18 वीं सदी के कवि नज़ीर अकबराबादी की लिखी कविताएँ ही आख़िरकार हमारी मदद करती हैं. ईद पर उर्दू में बहुत...

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