आलेख

कठिन लोक में साहित्य का कच्चा ठीहा: अनूप सेठी

कठिन लोक में साहित्य का कच्चा ठीहा: अनूप सेठी

महानगरों से हटकर कस्बों और छोटे शहरों में भी स्थानीय लेखकों और नवांकुरों की साहित्यिक सरगर्मियों से आबाद साहित्य के स्वायत्त ठीहे होते थे. बचे होंगे कुछ अभी भी. यह...

अरुण कमल की कविता: निरंजन सहाय

अरुण कमल की कविता: निरंजन सहाय

अभियोग को सवाल की तरह पूछते रहना चाहिए. ख़ुद से भी. यह दुनिया असंख्य प्रश्न चिह्नों के सिवा है क्या? वरिष्ठ कवि अरुण कमल अपने शिल्प में सौम्य दिखते भले...

समय की मलिनताओं को निहारते कुँवर नारायण: ओम निश्‍चल

समय की मलिनताओं को निहारते कुँवर नारायण: ओम निश्‍चल

कुँवर नारायण प्रार्थना के कवि हैं. दैनंदिन के अवरोधों से मुठभेड़ के लिए आवश्यक जीवन-विवेक और साहस के कवि. ये मनुष्यता की अभ्यर्थना में लिखी गयीं कविताएँ हैं. इसमें नकार...

बीसवीं सदी : जैसी, मैंने देखी : नामवर सिंह

बीसवीं सदी : जैसी, मैंने देखी : नामवर सिंह

बीसवीं सदी को प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हाब्सबाम ‘अतियों का युग’ कहते हैं. एक भारतीय के लिए बीसवीं सदी के क्या मायने हैं? इसी सदी में हम उपनिवेश से मुक्त हुए....

शैलेन्द्र: ज़िंदगी की जीत पर यक़ीन करने वाला कवि: शरद कोकास

शैलेन्द्र: ज़िंदगी की जीत पर यक़ीन करने वाला कवि: शरद कोकास

हिंदी सिनेमा के गीतकार शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923–14 दिसम्बर, 1966) का यह जन्म शताब्दी वर्ष है. हिंदी का एक कवि कैसे फिल्म-जगत में जाता है और गीतों की दुनिया बदल...

बच्चा लाल ‘उन्मेष’ की कविताओं का सामर्थ्य: अंजली देशपांडे

बच्चा लाल ‘उन्मेष’ की कविताओं का सामर्थ्य: अंजली देशपांडे

‘कौन जात हो भाई’ कविता से चर्चित बच्चा लाल ‘उन्मेष’ के तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. कुछ दिन पहले उनकी दस कविताएँ समालोचन पर प्रकाशित हुईं थीं. इन...

पडिक्कमा: एक परिक्रमा: अखिलेश

पडिक्कमा: एक परिक्रमा: अखिलेश

मालवा की मिट्टी की गंध और काया की मिट्टी की नश्वरता लिए संगीता गुन्देचा का इधर प्रकाशित कविता-संग्रह- ‘पडिक्कमा’ चर्चा में है. प्रसिद्ध चित्रकार और लेखक अखिलेश ने अपने इस...

दलित रचनात्मकता: पाँच लम्बी कविताएँ: बजरंग बिहारी तिवारी

दलित रचनात्मकता: पाँच लम्बी कविताएँ: बजरंग बिहारी तिवारी

आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी हिंदी ही नहीं भारत की अन्य प्रमुख भाषाओं के दलित साहित्य पर वर्षों से लिखते आ रहें हैं. देवेन्द्र कुमार बंगाली की लम्बी कविता ‘जंगल का...

बिहार में नवजागरण और शिवपूजन सहाय: विमल कुमार

बिहार में नवजागरण और शिवपूजन सहाय: विमल कुमार

पद्म भूषण आचार्य शिवपूजन सहाय (9 अगस्त, 1893-21 जनवरी, 1963) की आज 130वीं जयंती है. हिंदी, साहित्य और नवजागरण के अग्रदूतों में उनका महत्वपूर्ण स्थान है. उनके अवदान की चर्चा...

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