आलोचना

अभिनवगुप्त और जयशंकर प्रसाद: राधावल्लभ त्रिपाठी

अभिनवगुप्त और जयशंकर प्रसाद: राधावल्लभ त्रिपाठी

कवि, कथाकार और नाटककार जयशंकर प्रसाद (1890-1937) आधुनिक हिंदी साहित्य के कालजयी लेखक हैं, वह गहरे चिंतक भी हैं, इसकी अभी यथोचित व्याख्या नहीं हुई है. संस्कृत साहित्य से उनकी...

मंगलेश डबराल का काव्य-संसार: संतोष अर्श

मंगलेश डबराल का काव्य-संसार: संतोष अर्श

युवा आलोचक संतोष अर्श समकालीन हिंदी कविता पर तैयारी के साथ लगातार लिख रहें हैं. महत्वपूर्ण कवि मंगलेश डबराल पर यह आलेख मंगलेश के सम्पूर्ण कवि-कर्म पर मेहनत के साथ...

नवजागरण और ‘स्त्री दर्पण’ की नवचेतना: अल्पना मिश्र

नवजागरण और ‘स्त्री दर्पण’ की नवचेतना: अल्पना मिश्र

औपनिवेशिक भारत में स्वाधीनता और सुधार के हिंदी-क्षेत्र की गतिविधियों में स्त्रियों के लिए किसी पत्रिका का प्रकाशन क्रांतिकारी घटना है. भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 1874 में ‘बालाबोधिनी’ पत्रिका का प्रकाशन...

कविता का आलोक और उपन्यास:  उदयन वाजपेयी

कविता का आलोक और उपन्यास: उदयन वाजपेयी

यह आलेख आनंद हर्षुल की विशिष्ट औपन्यासिक कल्पना पर है, पर यहाँ तक पहुंचने में उदयन वाजपेयी की सूक्ष्म आलोचनात्मक दृष्टि कविता और उपन्यास की उभयनिष्ठ निर्मिति तलाशते हुए कहती...

अखिलेश की कहानियों में दलित जीवन: बजरंग बिहारी तिवारी      

अखिलेश की कहानियों में दलित जीवन: बजरंग बिहारी तिवारी     

अखिलेश के चार कहानी संग्रह, दो उपन्यास और सृजनात्मक गद्य की दो पुस्तकें प्रकाशित हैं. उनकी कहानियों में दलित जीवन पर आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी का यह आलेख हिंदी के...

‘गोदान’ में ‘स्पेकुलेशन’ की चर्चा: रविभूषण

‘गोदान’ में ‘स्पेकुलेशन’ की चर्चा: रविभूषण

कालजयी कृतियाँ अपने पाठ की असीम संभावनाएं समेटे रहती हैं. ‘गोदान’(1936) को तरह-तरह से पढ़ा गया है पर जिस तरह से वरिष्ठ और महत्वपूर्ण आलोचक रविभूषण ने विवेचित किया है...

स्त्रीवादी आलोचना का श्वेत-पत्र:  रोहिणी अग्रवाल

स्त्रीवादी आलोचना का श्वेत-पत्र: रोहिणी अग्रवाल

प्रो. रोहिणी अग्रवाल कई दशकों से स्त्रीवाद की सैद्धांतिकी और उसकी व्यावहारिक आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय हैं. इस विषय पर उनकी दस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं....

संत पलटू: सदानंद शाही

संत पलटू: सदानंद शाही

भक्ति आंदोलन भारतीय भाषाओं का समवेत और संयुक्त आंदोलन था जो अपने स्वरूप में मानवीय और क्रांतिकारी था. यह ईश्वर तक आमजन की पहुंच का कर्मकांड रहित जनांदोलन तो था...

नलिन विलोचन शर्मा की इतिहास-दृष्टि: गोपेश्वर सिंह

नलिन विलोचन शर्मा की इतिहास-दृष्टि: गोपेश्वर सिंह

नलिन विलोचन शर्मा की आलोचना-पद्धति ख़ासकर उनकी इतिहास-दृष्टि की चर्चा देखने को कम मिलती है. आलोचक गोपेश्वर सिंह ने इस आलेख में इस कमी को कुछ हद तक पूरा किया...

Page 2 of 9 1 2 3 9

फ़ेसबुक पर जुड़ें

ADVERTISEMENT