संस्मरण

दबंग गबरू और बदमाश किट्टू: सत्यदेव त्रिपाठी

दबंग गबरू और बदमाश किट्टू: सत्यदेव त्रिपाठी

संस्मरण लिख रहें हैं जिनमें से कुछ आपने समालोचन पर ही पढ़े हैं. प्रस्तुत संस्मरण दो पालतू कुत्तों पर हैं जिन्हें विवश होकर घर से बाहर निकालना पड़ा. घर में...

मंगलेश डबराल: तीन प्रसंग, दो पाठ: हरीश त्रिवेदी

मंगलेश डबराल: तीन प्रसंग, दो पाठ: हरीश त्रिवेदी

विश्व प्रसिद्ध आलोचक-अनुवादक हरीश त्रिवेदी का हिंदी साहित्य से गहरा नाता रहा है, वह हिंदी में भी लिखते रहें हैं. मंगलेश डबराल पर उनका यह संस्मरण आत्मीय तो है ही...

मेरी जेल डायरी: मनीष आज़ाद

मेरी जेल डायरी: मनीष आज़ाद

जेल की यातनाओं और अनुभवों पर प्रचुर मात्रा में देशी विदेशी भाषाओं में साहित्य मिलता है. नेताओं, क्रांतिकारियों, कार्यकर्ताओं और साहित्यकारों आदि को जब-जब जेल में डाला गया उन्होंने अपने...

पंकज सिंह या कि जैसे पवन पानी: अशोक अग्रवाल

पंकज सिंह या कि जैसे पवन पानी: अशोक अग्रवाल

कथाकार अशोक अग्रवाल की कवि पंकज सिंह से गहरी आत्मीयता थी, वह उनके जीवन और रचनाकर्म दोनों के सहभागी थे. इस संस्मरण में पंकज सिंह के दोनों पक्षों की चर्चा...

नानी वाली गइया: सत्यदेव त्रिपाठी

नानी वाली गइया: सत्यदेव त्रिपाठी

पशु-पक्षियों पर संस्मरण लिखे गये हैं,हालांकि वे कम हैं. वरिष्ठ लेखक और रंगमंचीय आलोचक सत्यदेव त्रिपाठी के पशुओं पर लिखे संस्मरण आपने समालोचन पर पढ़े हैं, अब यह संस्मरण ‘नानी...

काग़ज़, स्याही, बनारस और ज्ञानेन्द्रपति: अशोक अग्रवाल

काग़ज़, स्याही, बनारस और ज्ञानेन्द्रपति: अशोक अग्रवाल

वरिष्ठ कथाकार अशोक अग्रवाल के संस्मरण इधर सामने आये हैं और चर्चित भी हुए हैं, ज्ञानेन्द्रपति पर यह संस्मरण बनारस की पृष्ठभूमि में उन्हें देखता है, समझता है और जहाँ...

विनोद कुमार शुक्ल के मायने: रमेश अनुपम

विनोद कुमार शुक्ल के मायने: रमेश अनुपम

कवि, उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल को इस वर्ष साहित्य अकादमी की ‘महत्तर सदस्यता’ प्रदान की गयी है, यह अकादमी का सर्वोच्च सम्मान है. विनोद कुमार शुक्ल के कुछ अनछुए आयामों...

आज भी याद आते हैं नंदन जी: प्रकाश मनु

आज भी याद आते हैं नंदन जी: प्रकाश मनु

कन्हैयालाल नंदन (१ जुलाई,१९३३ - २५ सितम्बर,२०१०) अपने समय की कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े हुए थे. धर्मयुग के सहायक संपादक, सारिका, दिनमान और पराग के संपादक, तथा साप्ताहिक संडे...

नाना जी: कुछ अनकहे क़िस्से:  उर्वशी कुमारी

नाना जी: कुछ अनकहे क़िस्से: उर्वशी कुमारी

हम अपने लेखकों के लेखक-व्यक्तित्व से परिचित होते हैं, उनका सामाजिक और पारिवारिक चेहरा भी होता है. वरिष्ठ आलोचक मैनेजर पाण्डेय २३ सितम्बर को ८० साल के हो रहें हैं,...

विष्णु खरे को याद करते हुए: प्रकाश मनु

विष्णु खरे को याद करते हुए: प्रकाश मनु

आज विष्णु खरे की तीसरी बरसी है. प्रकाश मनु का उनसे घनिष्ठ लगाव रहा है, उनके द्वारा विष्णु खरे का लिया गया साक्षात्कार हिंदी के कुछ अच्छे साक्षात्कारों में से...

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