कलकत्ते की याद और प्रियदर्शी प्रकाश: अशोक अग्रवाल
साहित्य का भी तलघर होता है, जहाँ चेहरे नहीं होते, होते भी हैं तो धुंधले और स्मृतियों से कब के ओझल हो चुके होते हैं. वरिष्ठ कथाकार अशोक अग्रवाल का...
साहित्य का भी तलघर होता है, जहाँ चेहरे नहीं होते, होते भी हैं तो धुंधले और स्मृतियों से कब के ओझल हो चुके होते हैं. वरिष्ठ कथाकार अशोक अग्रवाल का...
छायाकार अशोक माहेश्वरी को ज्यादा लोग संभव है नहीं जानते हों, उनके खींचे फोटो भी नहीं दिखते. अशोक अग्रवाल ने इस छायाकार को याद किया है. अशोक माहेश्वरी का जीवन...
गाँधीवादी और प्रसिद्ध पर्यावरणवादी सुन्दरलाल बहुगुणा जैसे लोग सदियों में तैयार होते हैं, उनपर किसी भी समाज और देश को गर्व होना चाहिए. इस कोरोना और उपचार...
लालबहादुर वर्मा से मेरा पहला परिचय उनकी क़िताब ‘यूरोप का इतिहास’ (पुनर्जागरण से क्रांति तक) से हुआ जब मैं १८ साल का ही था, इस पुस्तक को मैंने किसी उपन्यास...
जितेन्द्र कुमार (1936-2006) ने कहानियां लिखीं, कविताएँ लिखीं और एक लेखक का जीवन जिया. वे जब थे तब उन्हें विस्मय से देखा जाता था, आज उन्हें पढ़ते हुए अचरज होता...
सौ साल पहले आज ही के दिन फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म जिला पूर्णिया के गाँव औराही हिंगना में हुआ था. ५६ वर्ष की अवस्था में ११ अप्रैल, १९७७ के दिन...
नलिन विलोचन शर्मा, राजकमल चौधरी, गोरख पाण्डेय पर शिवमंगल सिद्धांतकार के संस्मरण आप पढ़ चुके हैं. यह श्रृंखला कथाकार ज्ञानचंद बागड़ी के सहयोग से प्रस्तुत की जा रही है. ...
आज हरजीत (१९५९-१९९९) होते तो अपना ६२वां जन्म दिन अपने यारों के साथ मना रहे होते. इस मकबूल शायर और बेहतरीन कलाकार को जाने की जल्दी थी. हरजीत की कुछ...
अदब में नस्लें कैसे संवारी जाती हैं ? एक बड़ा लेखक किस तरह से अपनी भाषा के युवा से संवाद स्थापित करता है और उसकी खोज़-खबर रखता है ? कैसे वह...
गोरख पाण्डेय के लेखन की शुरुआत १९६९ के किसान आंदोलन में उनके जुड़ाव से हुई और वे भोजपुरी में गीत लिखने लगे बाद में वे जन संस्कृति मंच के संस्थापक...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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