साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित हालडोर किलयान लैक्सनेस्स की कहानी ‘न्यू आइसलैंड’ का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद वरिष्ठ...
‘एक व्यक्ति पूरी तरह विस्मृत तभी होता है जब उसका नाम विस्मृत होता है.’ यह कथन कितना कठोर और वास्तविक...
शरण कुमार लिंबाले के ‘अक्करमाशी’, और लक्ष्मण गायकवाड के ’उठाईगीर’ से हिंदी के पाठक परिचित हैं, पर इनके अनुवादक ‘सूर्यनारायण...
कोरोना में आफत मनुष्यों पर तो थी ही, पशु भी इससे प्रभावित हुए. हीरालाल नागर ने कुत्तों ख़ासकर जो पालतू...
अंकिता शाम्भवी 'निर्गुण संतों और बाउलों के साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन' विषय पर शोध कार्य कर रहीं हैं, चित्रकला और...
नामवर सिंह जीते जी विवादों के केंद्र में रहे, ये विवाद अधिकतर वैचारिक होते थे और उनके लिखे-बोले पर आधारित...
ऑस्कर वाइल्ड (16 अक्तूबर, 1854 – 30 नवम्बर, 1900) की 1898 में लिखी कविता ‘The Ballad of Reading Gaol’ जेलों...
किसी भी साहित्यिक पत्रिका के लिए यह संतोष का विषय हो सकता है कि एकदम नयी पीढ़ी हिंदी साहित्य में...
डॉ. नूतन डिमरी गैरोला पेशे से चिकित्सक हैं और कविताएं लिखती हैं, संग्रह प्रकाशित हो रखा है. कुछ महीनों पहले...
रश्मि शर्मा की कहानी, ‘राहतें और भी हैं’ पढ़ते हुए अनामिका का यह कथन याद आता रहा कि ‘“नई स्त्री...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum