कविता

प्रेमचंद गाँधी की कविताएँ

कविता में बारिश              प्रेमचंद गांधी ऋतुएं हमारी काव्य-परम्परा के विषय और आलम्बन दोनों रहे हैं. कवि प्रेमचंद गांधी ने इन कविताओं में बारिश को अनके...

प्रांजल धर की कविताएँ

प्रांजल धर की कविता \'कुछ भी कहना खतरे से ख़ाली नहीं\' को इस वर्ष के  प्रतिष्ठाप्राप्त भारत भूषण अग्रवाल सम्मान से नवाज़ा गया है.  इस वर्ष के निर्णायक आलोचक- विचारक...

हेमंत देवलेकर की कविताएँ

हेमंत देवलेकर की कविताएँ

हेमंत देवलेकर को भारत भवन में कविता पाठ करते सुना और विस्मित हुआ. रंगमंच से जुड़े होने के कारण उनकी कविताओं का वाचन बहुत ही प्रभावशाली था. उन्होंने एक कविता...

राहुल राजेश की कविताएँ

राहुल राजेश 9 दिसंबर, 1976 दुमका, झारखंड (अगोइयाबांध)युवा कवि और अंग्रेजी-हिंदी के परस्पर अनुवादकयात्रा-वृतांत, संस्मरण, कथा-रिपोतार्ज, समीक्षा एवं आलोचनात्मक निबंध लेखनसामाजिक सरोकारों और शिक्षा संबंधी विषयों से भी सक्रिय जुड़ावसभी...

आशुतोष दुबे की कविताएँ

आशुतोष दुबे की कविताएँ

आशुतोष दुबे की कविताओं में वर्तमान नैतिक संकट की पहचान है, उससे टकराने की एक शालीन सी कोशिश भी है. कवि के काव्य -पर्यावरण में वनस्पतियों और जंतुओं के लिए...

विपिन चौधरी की कविताएँ

विपिन चौधरी २ अप्रैल १९७६, भिवानी (हरियाणा),खरकड़ी- माखवान गाँव बी. एससी., ऍम. ए.(लोक प्रकाशन) दो कविता संग्रह प्रकाशितकुछ कहानियाँ और लेख प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं मेंरेडियो के लिये नियमित लेखन, साहित्यिक और सामाजिक गतिविधिओं से जुड़ावसम्प्रति- मानव अधिकारों को समर्पित स्वयं...

वाजदा खान की कविताएँ

वाजदा ख़ान (सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश)एम. ए. (चित्रकला), डी. फिल.जिस तरह घुलती है काया (कविता संग्रह) भारतीय ज्ञानपीठ.हेमंत स्मृति कविता सम्मान -2010विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं और रेखांकनकुछ कविताओं का कन्नड़ में...

स्वप्निल श्रीवास्तव की कविताएँ

स्‍वप्निल श्रीवास्‍तवजन्‍म ५ अक्‍टूबर १९५४ को पूर्वी उ.प्र. के जनपद सिद्धार्थनगर के सुदूर गांव मेंहनौना में. शिक्षा और जीवन की दीक्षा गोरखुपर में. पूर्व में उ.प्र. सरकार में जिला मनोरंजन...

अविनाश मिश्र की कविताएँ

अविनाश मिश्र की कविताएँ

अविनाश मिश्र ने अपने तेवर, त्वरा और तासीर से इधर ध्यान खींचा है. एक उमगते हुए कवि में जो जरूरी तैयारी होती है वह अविनाश में है. ये कविताएँ बस...

बाबुषा कोहली की कविताएँ

बाबुषा कोहली की कविताएँ

"बाबुषा की कविताओं की तासीर कुछ ऐसी है कि वसंत में कोयल की कूक को खुरच-खुरच कर बगीचों के हवाले करती है, बेचैनियों को उठाकर सीप में धर देती है...

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