रील वाली लड़की : रश्मि शर्मा
रील आज महामारी की तरह है. जो संक्रमित हैं उनमें से अधिकतर इसके वाहक बन जाते हैं और यह बढ़ता जाता है. ये अधिकतर भ्रष्ट, अविवेकी और कुरुचिपूर्ण सामग्रियों से...
रील आज महामारी की तरह है. जो संक्रमित हैं उनमें से अधिकतर इसके वाहक बन जाते हैं और यह बढ़ता जाता है. ये अधिकतर भ्रष्ट, अविवेकी और कुरुचिपूर्ण सामग्रियों से...
पुत्री का प्रेमी जैसे विषयों पर कहानी लिखने की अपनी चुनौतियाँ हैं. वरिष्ठ कथाकार ओमा शर्मा इसे स्वीकार करते हुए नगरीय युवाओं के बीच घटित हो रहे लगाव-अलगाव की इस...
युवा कथाकार आयशा आरफ़ीन की कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. उड़िया से हिंदी में अनुवाद करती हैं. अंग्रेजी के महत्वपूर्ण उपन्यासों पर भी लिखा है. समाजशास्त्र की अध्येता है....
यह कहानी आपको छूती है, आपके मन के चोर दरवाज़े पर दस्तक देती है. जिससे आप छुपते रहते हैं, नज़र-अंदाज़ कर देते हैं वही सामने आ खड़ा होता है. इसकी...
शिल्पा कांबले मराठी कथा-साहित्य की सुपरिचित लेखिका हैं. एक युवा लड़की और उसकी बिल्लियों की यह कथा महानगरीय संत्रास के बीच उनके होने को सरस ढंग से प्रस्तुत करती है....
अम्बर पाण्डेय अपनी कविताओं के लिए प्रशंसित और पुरस्कृत हैं. हालाँकि अभी उनका कोई कहानी-संग्रह नहीं आया है पर संग्रह लायक उनके पास कहानियाँ भी हैं. समालोचन पर ही पिछले...
अरुणाचल प्रदेश समृद्ध और विविधता से भरपूर है. संपर्क भाषा के रूप में हिंदी से जुड़ाव के बावजूद अपरिचय अभी भी बना हुआ है. लेखिका रीतामणि वैश्य ने वहाँ के...
अपर्णा दीक्षित हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखती हैं. EPW सहित कई पत्रिकाओं में छपती रही हैं. उनकी यह कहानी एक अरब स्त्री के जन्म और उसकी फांसी के...
निधि अग्रवाल पेशे से चिकित्सक हैं. कविताएँ भी लिखती हैं. यह कहानी भी इसकी तसदीक़ करती है. हिंदी में कवि-कथाकारों की पुष्ट परम्परा है. आज के कई महत्वपूर्ण कथाकार इस...
ख़ुर्शीद अकरम 'आजकल' उर्दू के संपादक रहे हैं. ‘सात जुमेरात’ कहानी मूल रूप से उर्दू में लिखी गई है और लेखक द्वारा खुद उसका हिंदी रूपांतरण किया गया है. उनकी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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