निर्मल वर्मा से धीरेन्द्र अस्थाना की बातचीत
धीरेन्द्र अस्थाना ने यह साक्षात्कार 2001 में मुंबई के एक स्थानीय समाचार पत्र के लिए लिया था जो 23 फरवरी, 2001 को छपा, बिसरा दी गई यह बातचीत अब उपलब्ध...
धीरेन्द्र अस्थाना ने यह साक्षात्कार 2001 में मुंबई के एक स्थानीय समाचार पत्र के लिए लिया था जो 23 फरवरी, 2001 को छपा, बिसरा दी गई यह बातचीत अब उपलब्ध...
संवाद गूढ़ विषयों को समझने का सहज रास्ता है. कवि रुस्तम और आदित्य शुक्ल के बीच धैर्य से बुनी गयी यह बातचीत साहित्य और विचारों की कई गुत्थियों को सुलझाती...
वरिष्ठ लेखक और नाटककार असग़र वजाहत ने 2012 में नाटक लिखा था- ‘गोडसे@गांधी. कॉम’. इधर उन्होंने अपना नया नाटक पूरा किया है ‘पाकिस्तान में गांधी’ जो अब प्रकाशित होने वाला...
रचनाकारों की रचनाएँ सामने आती हैं, उनकी ज़मीन, उनका तलघर अदृश्य रहता है जहाँ से वे अपनी रचनात्मकता के लिए मिट्टी, रंग-रौगन, औज़ार आदि उठाते हैं. ‘तलघर’ हिंदी के समकालीन...
वरिष्ठ कथाकार और ‘तद्भव’ के यशस्वी संपादक अखिलेश की पुस्तक ‘अक्स’ जिसका प्रकाशन इसी वर्ष ‘सेतु’ ने किया है पर आधारित कथाकार नीलाक्षी सिंह की उनसे यह बातचीत रोचक है....
हंसा दीप हिंदी की कथाकार हैं, कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में लगभग 17 वर्षों से हिंदी पढ़ा रहीं हैं. उन्होंने कई मशहूर फ़िल्मों जैसे ‘हैनीबल’, ‘द ममी रिटर्नस’, ‘अमेरिकन पाई’,...
आज महात्मा गाँधी की ७४वीं पुण्यतिथि है. ग्लानि और अपराध बोध के ७४ साल. जो अफ्रीका से बच कर आ गया, जिसे उसके सबसे बड़े राजनीतिक शत्रु अंग्रेज नहीं मार...
डोगरी भाषा की पहली आधुनिक कवयित्री पद्मा सचदेव का इक्यासी वर्ष की अवस्था में ४ अगस्त, २०२१ को निधन हो गया. उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए उनसे अर्पण कुमार...
वरिष्ठ कथाकार मधु कांकरिया से जयश्री सिंह ने यह बहुत दिलचस्प बातचीत की है. लेखक कहाँ-कहाँ से कच्ची चीजें उठाता है और किस तरह से उसे गूँथ कर फिर कहानी,...
हिंदी साहित्य में यहूदी लेखकों की संख्या गिनी चुनी रही है, वर्तमान में शीला रोहेकर एकमात्र हिंदी की यहूदी लेखिका हैं. दिनांत’ और ‘ताबीज़’ के अलावा ‘मिस सैम्युएल: एक यहूदी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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