बातचीत

हंसा दीप से अपर्णा मनोज की बातचीत

हंसा दीप से अपर्णा मनोज की बातचीत

हंसा दीप हिंदी की कथाकार हैं, कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में लगभग 17 वर्षों से हिंदी पढ़ा रहीं हैं. उन्होंने कई मशहूर फ़िल्मों जैसे ‘हैनीबल’, ‘द ममी रिटर्नस’, ‘अमेरिकन पाई’,...

तुषार गांधी से के. मंजरी श्रीवास्तव की बातचीत

तुषार गांधी से के. मंजरी श्रीवास्तव की बातचीत

आज महात्मा गाँधी की ७४वीं पुण्यतिथि है. ग्लानि और अपराध बोध के ७४ साल. जो अफ्रीका से बच कर आ गया, जिसे उसके सबसे बड़े राजनीतिक शत्रु अंग्रेज नहीं मार...

पद्मा सचदेव से अर्पण कुमार की बातचीत

पद्मा सचदेव से अर्पण कुमार की बातचीत

डोगरी भाषा की पहली आधुनिक कवयित्री पद्मा सचदेव का इक्यासी वर्ष की अवस्था में ४ अगस्त, २०२१ को निधन हो गया. उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए उनसे अर्पण कुमार...

शीला रोहेकर और यहूदी गाथा: नवीन जोशी

शीला रोहेकर और यहूदी गाथा: नवीन जोशी

हिंदी साहित्य में यहूदी लेखकों की संख्या गिनी चुनी रही है, वर्तमान में शीला रोहेकर एकमात्र हिंदी की यहूदी लेखिका हैं. दिनांत’ और ‘ताबीज़’ के अलावा ‘मिस सैम्युएल: एक यहूदी...

रणेन्द्र से मनोज मोहन की बातचीत

रणेन्द्र से मनोज मोहन की बातचीत

‘ग्लोबल गाँव के देवता’, ‘गायब होता देश’ और ‘गूँगी रुलाई का कोरस’ जैसे  उपन्यासों के लेखक रणेन्द्र को इस वर्ष श्रीलाल शुक्ल इफको सम्मान से सम्मानित किया गया है. इस...

भगवानदास मोरवाल से राकेश श्रीमाल की बातचीत और ख़ानज़ादा

भगवानदास मोरवाल से राकेश श्रीमाल की बातचीत और ख़ानज़ादा

काला पहाड़(१९९९), बाबल तेरा देस में(२००४) तथा रेत(2008) से चर्चित उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल (जन्म: २३ जनवरी, १९६०) इधर २०१४ से लगभग हर साल उपन्यास आदि लिख रहें हैं- नरक मसीहा(२०१४),...

अशोक वाजपेयी से अरुण देव की बातचीत

अशोक वाजपेयी से अरुण देव की बातचीत

लेखन, प्रकाशन, संपादन, संस्था-निर्माण और बहुविध आयोजनों की परिकल्पना और संचालन में अशोक वाजपेयी पिछले छह दशकों से सक्रिय हैं. साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान अप्रतिम,...

पैंसठवें पायदान पर धीरेन्द्र अस्थाना: राकेश श्रीमाल

पैंसठवें पायदान पर धीरेन्द्र अस्थाना: राकेश श्रीमाल

उम्र के पैंसठवें पायदान पर धीरेन्द्र अस्थाना से राकेश श्रीमाल ने उनके जीवन और उसकी बुनावट पर तसल्ली और गहराई  से बात की है. यह भी किसी कथा से कम...

रणेन्द्र से संतोष अर्श की बातचीत

रणेन्द्र द्वारा आदिवासी पृष्ठभूमि पर लिखे उपन्यासों- ‘ग्लोबल गाँव के देवता’ और ‘गायब होता देश’ ने वन और उसके वासियों की संस्कृति, संकट और संघर्ष को सबलता से प्रस्तुत करने...

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