नरेश सक्सेना से संतोष अर्श की बातचीत (दूसरी क़िस्त)
वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना से युवा आलोचक संतोष अर्श की बातचीत का यह दूसरा हिस्सा प्रस्तुत है जो फिल्मों और प्रेम पर एक तरह से केन्द्रित हो गयी है, हालाँकि...
वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना से युवा आलोचक संतोष अर्श की बातचीत का यह दूसरा हिस्सा प्रस्तुत है जो फिल्मों और प्रेम पर एक तरह से केन्द्रित हो गयी है, हालाँकि...
हिंदी के वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना अपनी कविताओं के साथ-साथ कविता पर रोचक, अर्थगर्भित बातचीत के लिए भी जाने जाते हैं. उनसे यह संवाद संतोष अर्श ने पूरा किया है...
हिंदी कथा संसार में एक बहुमूल्य त्रिगुट है- निर्मल वर्मा, कृष्णा सोबती और कृष्ण बलदेव वैद. ये तीनों हस्तियाँ आपस में मित्र भी रहीं हैं. कृष्ण बलदेव वैद का लेखन...
विष्णु खरे से व्योमेश शुक्ल की यह बातचीत मुक्तिबोध पश्चात हिंदी के दो महत्वपूर्ण कवियों रघुवीर सहाय और श्रीकांत वर्मा पर केन्द्रित है. कविता की जैसी प्रकृति है वह कुछ...
महेश वर्मा और मोनिका कुमार दोनों समकालीन महत्वपूर्ण कवि हैं. महेश वर्मा की कविताओं पर मोनिका कुमार ने यह जो संवाद संभव किया है वह इसलिए भी रेखांकित करने योग्य...
नामचीन चित्रकार रामकुमार से कलाकर्मी पीयूष दईया का यह संवाद अद्भुत है. इसमें कुछ प्रश्नों के उत्तर भर जान लेने की हड़बड़ी नहीं है, बल्कि साथ-साथ कला के मर्म और...
वैसे तो उपन्यासों पर आधारित फिल्में बनती रहती हैं, पर विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर फ़िल्म मणि कौल बनाये तो यह खास बात है, साहित्य और...
कवयित्री, कथाकार और स्त्री-विमर्शकार अनामिका से अपर्णा मनोज ने उनके लेखन-कर्म, रचना-प्रक्रिया और सरोकारों पर यह संवाद पूरा किया है. अनामिका के पास सृजन और समझ का विस्तृत फलक है....
सुमन केशरी से हरप्रीत कौर की बातचीत सुमन केशरी हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री के साथ ही साथ साहित्य और समाज की...
कथाकार तेजेन्द्र शर्मा से कालु लाल कुलमी ने यह दिलचस्प बातचीत की है. बातचीत का दायरा बड़ा है. डायस्पोरा साहित्य से लेकर भारत की वर्तमान स्थिति तक. कई बहसतलब बातें...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum