कोई चीज़ लाओ जिसको कोई न जानता हो : महेश वर्मा से मोनिका कुमार का संवाद
महेश वर्मा और मोनिका कुमार दोनों समकालीन महत्वपूर्ण कवि हैं. महेश वर्मा की कविताओं पर मोनिका कुमार ने यह जो संवाद संभव किया है वह इसलिए भी रेखांकित करने योग्य...
महेश वर्मा और मोनिका कुमार दोनों समकालीन महत्वपूर्ण कवि हैं. महेश वर्मा की कविताओं पर मोनिका कुमार ने यह जो संवाद संभव किया है वह इसलिए भी रेखांकित करने योग्य...
नामचीन चित्रकार रामकुमार से कलाकर्मी पीयूष दईया का यह संवाद अद्भुत है. इसमें कुछ प्रश्नों के उत्तर भर जान लेने की हड़बड़ी नहीं है, बल्कि साथ-साथ कला के मर्म और...
वैसे तो उपन्यासों पर आधारित फिल्में बनती रहती हैं, पर विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर फ़िल्म मणि कौल बनाये तो यह खास बात है, साहित्य और...
कनाडा की रहने वाली कथा लेखिका एलिस मुनरो (जन्म:१९३१) को २०१३ के साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया है. उन्हें २००९ का Man Booker International Prize भी प्राप्त है. उन्हें...
कवयित्री, कथाकार और स्त्री-विमर्शकार अनामिका से अपर्णा मनोज ने उनके लेखन-कर्म, रचना-प्रक्रिया और सरोकारों पर यह संवाद पूरा किया है. अनामिका के पास सृजन और समझ का विस्तृत फलक है....
सुमन केशरी से हरप्रीत कौर की बातचीत सुमन केशरी हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री के साथ ही साथ साहित्य और समाज की...
कथाकार तेजेन्द्र शर्मा से कालु लाल कुलमी ने यह दिलचस्प बातचीत की है. बातचीत का दायरा बड़ा है. डायस्पोरा साहित्य से लेकर भारत की वर्तमान स्थिति तक. कई बहसतलब बातें...
रोहिणी फ़िल्म और टेलिविज़न के साथ की थियेटर की भी प्रबुद्ध कलाकार हैं. अर्थ, सारांश और गाँधी जैसी फिल्मों में उनका अविस्मरणीय अभिनय है. सुशील कृष्ण गोरे ने विस्तृत फलक...
नामवर सिंह, मैनेजर पाण्डेय को ‘आलोचकों का आलोचक’ कहते हैं. पर इसके साथ ही मैनेजर पाण्डेय के यहाँ समकालीन रचनाशीलता की गहरी परख भी है. उनकी आलोचना सभ्यतापरक है, वह...
कवयित्री सुमन केशरी अपनी मानवीय दृष्टि और सहज अभिव्यक्ति के कारण अलग से पहचान ली जाती हैं. उनका लेखन परम्परा को आत्मसात करता हुआ समकालीन दृश्य को आलोकित और समृद्ध...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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