बातचीत

मार्खेज़ से  मेंदोजा की बातचीत: अनुवाद: सुशील कृष्ण गोरे

मार्खेज़ से मेंदोजा की बातचीत: अनुवाद: सुशील कृष्ण गोरे

२० वीं शताब्दी के महत्वपूर्ण लेखकों में से एक, १९८२ में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, जादुई यथार्थवाद के जनक, कोलम्बिया के मार्खेज़ से लेखक–पत्रकार मेंदोजा की बातचीत का अंग्रजी से अनुवाद सुशील...

मैं कहता आँखिन देखी : अरुण कमल

अपना क्या है इस जीवन मेंसब तो लिया उधार                                                                         सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार . (अपनी केवल धार)देखो हत्यारे को मिलता राजपाट सम्मान जिनके मुहं में...

संवाद: विमल कुमार

विमल कुमार से अरुण देव की बातचीत.  कवि - रचनाकार विमल कुमार के  जीवन के 50 वर्ष, हिंदी की सृजनात्मकता के भी वर्ष हैं. विमल कुमार बड़े अपनापन  से अपने साथिओं और...

मैं कहता आँखिन देखी : रंजना अरगड़े

शमशेर बहादुर सिंह (१९११-१९९३) की जन्म शताब्दी वर्ष पर समालोचन की विशेष प्रस्तुति\"एक कवच मैं और ओढ़ना चाहता हूँएक अदृश्य कवच - निरहंकार,तटस्थतमनिर्मलता का\".                                                       डायरी-६/मार्च/१९६३ कई बार ऐसा लगता है कि...

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