श्रीकला शिवशंकरन : अनुवाद : सविता सिंह
श्रीकला शिवशंकरन मलयाली और अंग्रेजी में लिखने वाली प्रमुख भारतीय लेखकों में शामिल हैं. उनकी कुछ कविताओं का मलयालम भाषा से हिंदी में अनुवाद सविता सिंह ने उनकी मदद से...
श्रीकला शिवशंकरन मलयाली और अंग्रेजी में लिखने वाली प्रमुख भारतीय लेखकों में शामिल हैं. उनकी कुछ कविताओं का मलयालम भाषा से हिंदी में अनुवाद सविता सिंह ने उनकी मदद से...
वीस्वावा शिम्बोर्स्का से हिंदी साहित्यिक समाज सुपरिचित है. अशोक वाजपेयी, प्रो. मैनेजर पाण्डेय, विष्णु खरे, विजय कुमार, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, असद ज़ैदी, कुमार अम्बुज, विजय अहलूवालिया, हरिमोहन शर्मा, विनोद...
हम सब अनूदित संस्कृतियों के नागरिक हैं. इस अनुवाद में बड़ा हिस्सा कविता का है. धर्मग्रन्थ एक समय कविता की ही किताबें थीं. उन्हें आज भी गाया जाता है. अनुवाद...
पद्म श्री, साहित्य अकादमी, सरस्वती सम्मान आदि से सम्मानित पंजाबी भाषा के प्रसिद्ध कवि सुरजीत पातर अब हमारे बीच नहीं हैं, 11 मई, 2024 को लुधियाना में उनका निधन हो...
‘अगस्त के प्रेत’ 1992 में प्रकाशित मार्खेज़ के कथा-संग्रह ‘Strange Pilgrims’ में संकलित है. आकार में छोटी इस कहानी में उनकी जादुई यथार्थ की शैली नज़र आती है. इससे पहले...
एन्नी दवू बर्थलू (Annie Deveaux Berthelot) फ्रांसीसी लेखिका हैं. उनके दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. उनकी कुछ कविताओं का हिंदी अनुवाद आप पहले भी पढ़ चुके हैं. प्रस्तुत बीस कविताओं...
कवि, उपन्यासकार, निबंधकार और आलोचक अहमद हामदी तानपीनार (Ahmet Hamdi Tanpinar : 23 जून,1901 – 24 जनवरी, 1962) आधुनिक तुर्की साहित्य के अग्रदूत हैं. ओरहान पामुक ने उन्हें बीसवीं सदी...
पाँच तुर्की कवि हिंदी अनुवाद: निशांत कौशिक शुकरु एरबाश आख़िर कैसे आख़िर कैसे, मेरे ख़ुदा? ये सड़कें कैसे सह सकती हैं इतना वज़न, ख़ुदा? भीड़ बहुत है रात बहुत है...
2023 में प्रख्यात कवि गगन गिल के अक्का महादेवी के वचनों का हिंदी अनुवाद ‘तेजस्विनी’ शीर्षक से राजकमल ने प्रकाशित किया था. जिसे उन्होंने भाव रूपांतरण कहा है. इस वर्ष...
नए वर्ष के इस पहले अंक में विश्व प्रसिद्ध कथाकार हारुकी मुराकामी की चर्चित कहानी ‘Yesterday’ का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है. यह कहानी प्रथमत: २०१६ के जून...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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