अनुवाद

देवनीत की कविताएँ (पंजाबी): रुस्तम सिंह

देवनीत की कविताएँ (पंजाबी): रुस्तम सिंह

पंजाबी कविताओं की अपनी अलग तासीर है, मुहावरा है. बाबा फ़रीद, बुल्लेशाह, वारिस शाह, अमृता प्रीतम आदि से होती हुई यह धारा समकालीन कविताओं के खुलेपन और खरेपन के प्रवाह...

जसविंदर सीरत (पंजाबी): अनुवाद: रुस्तम

जसविंदर सीरत (पंजाबी): अनुवाद: रुस्तम

पंजाबी भाषा की कविताओं के अनुवाद आप समालोचन पर पढ़ते रहें हैं. कवि रुस्तम ने ‘राजविन्दर मीर’, ‘भूपिंदरप्रीत’, ‘अम्बरीश’, ‘बिपनप्रीत’, ‘गुरप्रीत’ आदि की कविताओं के अनुवाद हिंदी में किये हैं....

हारुकी मुराकामी: बर्थडे गर्ल: अनुवाद : श्रीविलास सिंह

हारुकी मुराकामी: बर्थडे गर्ल: अनुवाद : श्रीविलास सिंह

विश्व प्रसिद्ध कथाकार हारुकी मुराकामी की कहानियों के अनुवाद आप नियमित रूप से समालोचन पर पढ़ रहें हैं, यहाँ यह मुराकामी की सातवीं अनूदित कहानी है. लेखक-अनुवादक श्रीविलास सिंह द्वारा...

येवगेनी येव्तुशेन्को की कविताएँ: अनुवाद: मदन केशरी

येवगेनी येव्तुशेन्को की कविताएँ: अनुवाद: मदन केशरी

विश्व कविता में प्रतिरोध की शानदार परम्परा रही है. रुसी कवि येवगेनी येव्तुशेन्को (18 जुलाई, 1932- 1 अप्रैल, 2017 ने अपने ही देश की नीतियों के ख़िलाफ़ कई कालजयी कविताएँ...

हारुकी मुराकामी: शिकारी चाकू: अनुवाद : श्रीविलास सिंह

हारुकी मुराकामी: शिकारी चाकू: अनुवाद : श्रीविलास सिंह

विश्व के समकालीन बड़े कथाकार हारुकी मुराकामी की इस कहानी का जापानी भाषा से अंग्रेजी अनुवाद फिलिप गैब्रिएल ने ‘Hunting knife’ शीर्षक से किया है जो 1990 में लिखी गयी...

इतल अदनान: जंग के वक़्त में होना: अनुवादः निधीश त्यागी

इतल अदनान: जंग के वक़्त में होना: अनुवादः निधीश त्यागी

इतल अदनान (1925 – 2021) को अरब की 7 वीं शताब्दी की कवयित्री अल-खानसा (al-Khansa) जो पैग़म्बर मुहम्मद साहब के समकालीन थीं के बाद की सबसे महत्वपूर्ण अरबी कवयित्री और...

मार्खेज़: एक न एक दिन : अनुवाद: सुशांत सुप्रिय

मार्खेज़: एक न एक दिन : अनुवाद: सुशांत सुप्रिय

गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़ अपनी लम्बी कहानियों के लिए जाने जाते हैं, १९६२ में प्रकाशित कहानी ‘One Of These Days’ आकार में छोटी है और इसकी कम चर्चा हुई है. इस...

अन्तोन चेख़फ़: कौशलेन्द्र और सुशांत सुप्रिय

अन्तोन चेख़फ़: कौशलेन्द्र और सुशांत सुप्रिय

अन्तोन चेख़फ़ (29 जनवरी,1860 -15 जुलाई,1904) की कहानियां आज भी पाठकों पर गहरा असर छोड़ती हैं. कौशलेन्द्र पेशे से चिकित्सक हैं पर मन उनका साहित्य में ही रमता है. चेख़फ़...

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