मार्खेज़: मंगलवार दोपहर का आराम: अनुवाद: सुशांत सुप्रिय
अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने कहानी के सन्दर्भ में ‘आइसबर्ग तकनीक’ का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उसका आठवां हिस्सा ही नुमाया होना चाहिए, कहानी का बड़ा हिस्सा पाठकों को ख़ुद...
अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने कहानी के सन्दर्भ में ‘आइसबर्ग तकनीक’ का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उसका आठवां हिस्सा ही नुमाया होना चाहिए, कहानी का बड़ा हिस्सा पाठकों को ख़ुद...
2021 में सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर से कवि रुस्तम (जन्म: 30 अक्तूबर, 1955) की ‘चुनी हुई कविताएँ’ (1985-2022) तथा ‘जो है और जैसा है’ संग्रह प्रकाशित हुए, इनकी चर्चा नहीं...
पंजाबी कविताओं की अपनी अलग तासीर है, मुहावरा है. बाबा फ़रीद, बुल्लेशाह, वारिस शाह, अमृता प्रीतम आदि से होती हुई यह धारा समकालीन कविताओं के खुलेपन और खरेपन के प्रवाह...
पंजाबी भाषा की कविताओं के अनुवाद आप समालोचन पर पढ़ते रहें हैं. कवि रुस्तम ने ‘राजविन्दर मीर’, ‘भूपिंदरप्रीत’, ‘अम्बरीश’, ‘बिपनप्रीत’, ‘गुरप्रीत’ आदि की कविताओं के अनुवाद हिंदी में किये हैं....
विश्व प्रसिद्ध कथाकार हारुकी मुराकामी की कहानियों के अनुवाद आप नियमित रूप से समालोचन पर पढ़ रहें हैं, यहाँ यह मुराकामी की सातवीं अनूदित कहानी है. लेखक-अनुवादक श्रीविलास सिंह द्वारा...
लखनऊ के शायर मीर हसन का एक शेर है- ‘कूचा-ए-यार है और दैर है और काबा है / देखिए इश्क़ हमें आह किधर लावेगा.’ प्रेम से कविता का बहुत ही...
विश्व कविता में प्रतिरोध की शानदार परम्परा रही है. रुसी कवि येवगेनी येव्तुशेन्को (18 जुलाई, 1932- 1 अप्रैल, 2017 ने अपने ही देश की नीतियों के ख़िलाफ़ कई कालजयी कविताएँ...
विश्व के समकालीन बड़े कथाकार हारुकी मुराकामी की इस कहानी का जापानी भाषा से अंग्रेजी अनुवाद फिलिप गैब्रिएल ने ‘Hunting knife’ शीर्षक से किया है जो 1990 में लिखी गयी...
इतल अदनान (1925 – 2021) को अरब की 7 वीं शताब्दी की कवयित्री अल-खानसा (al-Khansa) जो पैग़म्बर मुहम्मद साहब के समकालीन थीं के बाद की सबसे महत्वपूर्ण अरबी कवयित्री और...
गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़ अपनी लम्बी कहानियों के लिए जाने जाते हैं, १९६२ में प्रकाशित कहानी ‘One Of These Days’ आकार में छोटी है और इसकी कम चर्चा हुई है. इस...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum