समाज

जवाहरलाल नेहरू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया : शुभनीत कौशिक

जवाहरलाल नेहरू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया : शुभनीत कौशिक

आज चौदह नवम्बर है. स्वतंत्र भारत के स्वप्नदर्शी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिन. इसे बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. शायद ही किसी अख़बार या किसी चैनल...

फुटबॉल और तानाशाह: ज्ञान चन्द बागड़ी

फुटबॉल और तानाशाह: ज्ञान चन्द बागड़ी

खेलों से जुड़ी लोकप्रियता का उपयोग सत्ताएँ करती रही हैं. तानाशाहों ने खेल को अपने होने के औचित्य के रूप में कई बार प्रस्तुत किया है, फुटबॉल इसका खास शिकार...

आसमाँ और भी हैं: नरेश गोस्वामी

आसमाँ और भी हैं: नरेश गोस्वामी

औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति के सवाल से भारत अपनी आज़ादी के संघर्ष से ही जूझता रहा है. इसका एक सिरा आत्म की खोज की तरफ जाता है तो दूसरा सिरा...

बौद्ध संस्कृति और वर्णाश्रम धर्म: चंद्रभूषण

बौद्ध संस्कृति और वर्णाश्रम धर्म: चंद्रभूषण

औपनिवेशिक भारत में स्तूपों की खुदाई, शिलालेखों और पांडुलिपियों के अध्ययन ने बुद्ध और उनके धर्म को भारत में पुनर्जीवित किया. बुद्ध के प्रति ज्ञान की स्थिति यह थी कि...

राधावल्लभ त्रिपाठी से के. मंजरी श्रीवास्तव की बातचीत

राधावल्लभ त्रिपाठी से के. मंजरी श्रीवास्तव की बातचीत

भारत जैसे देश में विडम्बनाओं का अंत नहीं, जिस संस्कृति ने प्रेम और दाम्पत्य का अद्भुत ग्रन्थ ‘कामसूत्र’ दिया हो, जिसके मन्दिरों में प्रेमरत युगल अंकित हों जिसके देवता प्रेम...

समाज अध्ययन के पुनर्गठन का घोषणा-पत्र:  नरेश गोस्वामी

समाज अध्ययन के पुनर्गठन का घोषणा-पत्र: नरेश गोस्वामी

भारतीय ज्ञान परम्परा से संवाद का प्रतिफल है प्रसिद्ध राजनीतिक शास्त्री मणीन्द्र नाथ ठाकुर की पुस्तक ‘ज्ञान की राजनीति: समाज अध्ययन और भारतीय चिंतन’. मणीन्द्र नाथ ठाकुर के लेखन की...

नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल

नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल

नारीवाद आधुनिक विश्व के कुछ महत्वपूर्ण विचारों में से एक है, यह जनांदोलन भी है और राजनीति भी. समानता, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा जैसे मूल्यों से उपजे इसी नारीवाद...

शास्त्रार्थ में नेहरू: मनोज कुमार

शास्त्रार्थ में नेहरू: मनोज कुमार

इधर गम्भीर विमर्शों में जवाहरलाल नेहरू की वापसी हुई है, जिस तरह से उन्हें सार्वजनिक जगहों और स्मृतियों से बेदखल करने के सुनियोजित षड्यंत्र हुए हैं, उसकी यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया...

मैनेजर पाण्डेय की दृष्टि में लोकतंत्र:  रविभूषण

मैनेजर पाण्डेय की दृष्टि में लोकतंत्र: रविभूषण

इसी वर्ष महत्वपूर्ण आलोचक रविभूषण की वैचारिक पुस्तक ‘कहाँ आ गये हम वोट देते-देते’ सेतु से प्रकाशित हुई है. वे हिंदी के कुछ गिने चुने आलोचकों में हैं जिनकी आलोचना...

उत्तर भारत के घुमंतू और विमुक्त समुदाय: रमाशंकर सिंह

उत्तर भारत के घुमंतू और विमुक्त समुदाय: रमाशंकर सिंह

ब्रिटिश सरकार ने 1871 में ‘Criminal Tribes Act’ लागू किया था जिसके अंतर्गत लगभग डेढ़ सौ जनजातियों (190 के करीब समुदाय) को जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया गया, उन्हें कभी...

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